21/09/2025
बृजभूषण द्विवेदी
बोकारो के विकास के लिए बोकारो स्टील प्लांट से जुड़े मुद्दों पर 0.पर मजदूरो क़ो आंदोलन करने की है जरूरत।
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सेल द्वारा संचालित झारखंड के बोकारो में लौह इस्पात उत्पादन के क्षेत्र में परचम लहराने वाला बोकारो स्टील प्लांट को पुनः विकास की राह पर लाने के लिए 0. पर प्लांट का चका सील करने का आंदोलन अब शायद करने की जरूरत है।तभी जाकर बोकारो की विस्थापित समस्या, ठेका मजदूरों की समस्या,पै रिवीजन, स्वास्थ्य सुविधा की समस्या यूनियन के अध्यक्ष का चुनाव, सुरक्षा उपकरणों कमी,सी एस आर फंड का मिली भगत दुरुपयोग,यातायात दुर्घटना, लावारिस पशुओं के लिए गौशाला निर्माण,शिक्षा के संस्थानों क़ो पूर्णरूप से जीवित्त ये सभी समस्याओं का समाधान o, पर एकजुट होकर आंदोलन करने पर ही प्लांट पर निर्भर रहने वाले बोकारो जिले के लोगो का विकास सम्भव हो सकता है। दुर्भाग्य है की नए प्रोजेक्ट की कमी, बोकारो स्टील प्लांट का निर्माण 1964 मे हुआ। ओर निर्माण के 61 वर्ष के बाद भी बोकारो मे बोकारो स्टील प्लांट के नेता या सांसद, विधायक एवं मंत्री या यूनियन चलने वाले लोग भ्रष्टाचार और भाई भतीजाबाद करने मे मस्त रहे है। उन्हें प्लांट में कार्यरत मजदूरों की चिंता विल्कुल नहीं है की मजदूरों का कैसे लाभ हो सके । ऐसे लोग अपने ही बच्चों को ठेकेदारी दिलाने में व्यस्त हैं। मजदूरों की समस्या पर कभी गंभीरता से विचार नहीं किया। प्लांट मे मजदूरों को अपना मसीहा पन दिखाने के लिए अपने मतलब साधने के लिए आंदोलन और धरना प्रदर्शन करते रहे। इस कार्यक्रम में शामिल मजदूरों को कितना लाभ मिलता है। कितनी मांगे पूरी होती है ।मजदूरों की वजह से बोकारो जिले का विश्व मे लोह इस्पात के क्षेत्र में महारतन की उपाधि प्राप्त करने वाला प्लांट के आस पास जीने वाले लोग विकास से कोसो दूर है। और अपनी जिंदगी नारकिये अवस्था में गुजर कर रहे हैं।जबकि प्लांट के कार्यरत मजदूर उत्पादन में कोई कमी नहीं रखते। नियोजन देने के नाम पर छटनी का दौर जारी है। अगर कोई नेता आंदोलन के माध्यम से अपनी बात को रखता है तो कई महीनो तक वार्ताएं होते रहती है लेकिन निष्कर्ष कुछ नहीं निकल पाता। अक्सर आंदोलन में आंदोलन में देखा जाता है कि जिला प्रशासन प्लांट के अधिकारियों के समक्ष आपगू बनाकर सिर्फ ऱह जाती है।ओर वार्ताएं असफल साबित होते रहती है। वही प्लांट से जुड़े अधिकारी ठेकेदार दोनों मिलकर मजदूरों का शोषण करते हुए चांदी काट रहे हैं। प्लांट के बेबस मजदूर आखिर बात अपनी कहे तो किसे कहै। मजदूरों के लिए पापी पेट और परिवार का सवाल है। मजदूरों की ऐसी स्थिति है की जान के आप चौंक जाएंगे। बहुत कम ही मजदूर हैं।जिन्हें सीएलसी रेट में मजदूरी मिलती है। अगर कोई मजदूर अपना सीएलसी रेट मांगना भी चाहता है तो उसके गेट पास ठेकेदार और प्लांट के अधिकारी के मिली भगत होने के कारण छीन लिए जाते हैं। गेट पास बनाने मे अवैध वसूलिया की जाती है। ऐसे मे अब आप ही बताएं कि इस बोकारो के लोग कैसे खुशहाल रहे और बोकारो सहित उन मजदूरों का विकास कैसे हो सकेगा। प्लांट में मजदूरों के हित को ध्यान में रखने वाला विभाग पूर्ण रूप से अंधे तथा बहरे बने हुए रहते हैं। और भ्रष्टाचार मे लिप्त ठेदारो के संरक्षक बने हुए हैं। कहा जाता है की सेल सबकी जिंदगी के साथ जुड़ा हुआ है।लेकिन बोकारो स्टील प्लांट अंदर ही अंदर खोखला होते जा रहा है। अगर बोकारो स्टील प्लांट ही नहीं बचेगा तो यहां के लोगो का विकास कैसे सम्भव होगा।आवसकता है केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार को प्लांट के प्रति जागरूक होने एवं भ्रष्टाचारियों की नकेल कसने कठोर सजा देने की। ताकी जिससे प्लांट की दशा को सुधारा जा सके।तभी जाकर बोकारो स्टील प्लांट का विकास एवं बोकारो जिले का विकाश होगा। एवं यहां पर रहने वालों लोगों का भी विकास संभव है।