20/07/2025
पश्चिम चम्पारण. जिले में स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन वर्ती क्षेत्र से सटे रामनगर प्रखंड के गोवर्धन गांव में बीते दिनों स्लॉथ बियर द्वारा हमले का मामला सामने आया है. इस घटना से पूरे इलाके में दहशत का माहौल है. जंगल से भटककर आए एक भालू ने गन्ने की खेत में बकरी चरा रहे किसान पर अचानक हमला कर दिया. हमले में किसान मनीराम महतो (59) गंभीर रूप से घायल हो गया, जिन्हें स्थानीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर कर तुरंत पटना भेज दिया गया. जानकार बताते हैं कि मानसून में जंगली जीव जंगल से बाहर निकल शहरों और खेतों तक आ पहुंचते हैं. ऐसे में इंसानों से उनका सामना होना लाजमी हो जाता है.
पिछले 25 साल से कार्यरत, नेचर एनवायरमेंट एंड वाइल्ड लाइफ सोसायटी के प्रोजेक्ट मैनेजर और वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अभिषेक बताते हैं कि बिहार के इकलौते टाइगर रिजर्व वाल्मीकि में स्लॉथ बियर का घना बसेरा है. हालांकि, ये टाइगर रिजर्व मुख्य रूप से बाघों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन यहां आने वाले पर्यटकों का विशेष ध्यान स्लॉथ बियर ही आकर्षित करते हैं. इनका रंग काला होता है और इनकी छाती पर अंग्रेज़ी के ‘V’ अक्षर की आकृति बनी होती है.
दो पैरों पर खड़े होने की क्षमता
बकौल अभिषेक, स्लॉथ बियर एकमात्र ऐसे वन्य जीव हैं, जो इंसानों की तरह ही अपने बच्चों को पीठ पर बैठाकर/ उठाकर घूमते हैं. जरूरत पड़ने पर इंसानों की तरह ही स्लॉथ बियर भी दो पैरों पर खड़े हो जाते हैं. ऐसा मामला उस वक्त सबसे ज्यादा देखने को मिलता है, जब वो किसी से द्वंद के मूड में होते हैं, या फिर किसी बात को लेकर बेहद उत्साहित होते हैं.
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एक बार में ले सकते हैं जान
ज्यादातर लोगों को लगता है कि स्लॉथ बियर शाकाहारी होते हैं, लेकिन आपको बताते चलें कि ये मुख्य रूप से सर्वाहारी होते हैं. इनके पसंदीदा आहार में दीमक, मिट्टी के नीचे उगने वाले जंगली मशरूम (भुटकी) और शहद शामिल है. अभिषेक बताते हैं कि बाघों की तरह ही स्लॉथ बियर के केनाइन भी करीब 3 इंच और नाखून भी 3 इंच तक लंबे होते हैं. गलती से भी यदि ये अपनी पूरी क्षमता से किसी इंसान पर हमला कर दें, तो एक बार में ही जान जाने की प्रबल संभावना रहती है.
खतरे की श्रेणी में शामिल
हालांकि, ये वन्य जीव पश्चिम चम्पारण के अलावा जमुई, मुंगेर, कैमूर और भारत सहित नेपाल, भूटान, श्रीलंका और पाकिस्तान जैसे देशों में भी खूब पाए जाते हैं, लेकिन इसके बावजूद भी हो रहे अवैध शिकार की वजह से IUCN द्वारा इन्हें रेड लिस्ट की श्रेणी में रखा गया है. वाइल लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के तहत इन्हें शेड्यूल–01 की श्रेणी में रखा गया है. ऐसे में उन्हें पकड़ने या छेड़ने पर आपको सात साल की सजा और 1 लाख रुपए का जुर्माना या फिर कुछ मामलों में दोनों का भुगतान करना पड़ सकता है.