14/09/2025
✍️ हिंदी दिवस 2025: शासन से जनमानस तक, आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी की भूमिका क्या है?
Sun, Sep 14, 2025
हिंदी दिवस 2025: भाषा न केवल संप्रेषण का माध्यम होती है, बल्कि वह राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना, इतिहास और आत्मा की संवाहिका भी होती है। हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और पहचान है। भारत जैसे बहुभाषी देश में हिंदी को राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त होना एक ऐतिहासिक निर्णय था, जो न केवल प्रशासनिक दृष्टि से बल्कि राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है।
एक आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी का महत्व केवल प्रशासनिक कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक समरसता, सांस्कृतिक चेतना और राष्ट्रीय गौरव का भी वाहक है। इसलिए हिंदी को सशक्त बनाना और उसका प्रचार-प्रसार करना हम सबकी जिम्मेदारी है।
*हिंदी कब बनी राजभाषा?*
स्वतंत्रता के बाद, 1950 में, हिंदी को अंग्रेजी के साथ भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में अपनाया गया। संविधान के अनुच्छेद 343(1) के अनुसार, भारत की राजभाषा (Official Language ) हिंदी और लिपि देवनागरी होगी।" हालांकि, अंग्रेज़ी को भी एक सहायक भाषा के रूप में सीमित अवधि के लिए मान्यता दी गई थी, लेकिन व्यावहारिक रूप में यह सहअस्तित्व आज भी जारी है।
इसका उद्देश्य था कि हिंदी को क्रमिक रूप से प्रशासनिक कार्यों में पूर्ण रूप से लागू किया जाए। आधिकारिक भाषा के रूप में हिंदी का महत्व कई स्तरों पर देखा जा सकता है - सामाजिक, सांस्कृतिक, प्रशासनिक और राष्ट्रीय एकता के दृष्टिकोण से।
*शासन से जनमानस तक*
भारत एक बहुसांस्कृतिक और बहुभाषीय राष्ट्र है। ऐसे में एक सामान्य संपर्क भाषा (link language) का होना आवश्यक था, जो अधिकतर लोगों द्वारा समझी और बोली जाती हो। हिंदी यह भूमिका अत्यंत प्रभावी ढंग से निभाती है। उत्तर भारत में हिंदी मातृभाषा है, जबकि दक्षिण और पूर्वी भारत में भी इसे द्वितीय भाषा के रूप में व्यापक रूप से अपनाया गया है। हिंदी एक सेतु की तरह भारत के विविध भाषा-भाषी राज्यों को जोड़ती है और राष्ट्रीय एकता को सुदृढ़ करती है।
*प्रशासनिक और शासकीय उपयोगिता*
राजभाषा होने के नाते, हिंदी का प्रयोग सरकारी कार्यालयों, संसद, न्यायपालिका, और विभिन्न प्रशासकीय कार्यों में अनिवार्य रूप से होता है। सरकारी नीतियाँ, योजनाएँ, कानून, अधिसूचनाएँ और आदेश हिंदी में जारी किए जाते हैं, जिससे जनसाधारण की भागीदारी बढ़ती है और लोकतंत्र अधिक समावेशी बनता है।
अनेक राज्य सरकारों ने भी अपने प्रशासन में हिंदी को प्रमुख भाषा के रूप में अपनाया है, जिससे प्रशासनिक प्रक्रिया सरल और प्रभावी बनी है।
*शिक्षा और संचार का सशक्त माध्यम*
आज हिंदी माध्यम से देश के लाखों छात्र शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इससे न केवल ज्ञान की पहुँच बढ़ी है, बल्कि क्षेत्रीय असमानता भी कम हुई है। उच्च शिक्षा में हिंदी माध्यम की पुस्तकें, अनुवादित शोध ग्रंथ और तकनीकी शब्दावली का विकास हो रहा है, जो ज्ञान-विज्ञान के प्रसार में सहायक है।
वहीं जनसंचार के क्षेत्र में - जैसे समाचार पत्र, टीवी चैनल, रेडियो, सोशल मीडिया आदि - हिंदी का वर्चस्व लगातार बढ़ रहा है। इससे हिंदी जनमानस की अभिव्यक्ति का प्रमुख माध्यम बन गई है।
*सांस्कृतिक धरोहर की वाहिका*
हिंदी न केवल एक भाषा है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक परंपरा, लोक साहित्य, इतिहास और जीवन मूल्यों की अभिव्यक्ति भी है। कबीर, तुलसी, प्रेमचंद, निराला, महादेवी, अज्ञेय जैसे साहित्यकारों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया है, जिसने सामाजिक चेतना को जागृत किया।
भारतीय सिनेमा, विशेषकर बॉलीवुड, ने हिंदी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक सांस्कृतिक पहचान दिलाई है।
*आर्थिक और वैश्विक महत्व*
आज हिंदी एक तेजी से उभरती हुई वैश्विक भाषा बन चुकी है। विश्व के अनेक देशों में हिंदी भाषी समुदाय बसते हैं - जैसे अमेरिका, इंग्लैंड, मॉरीशस, फिजी, नेपाल, यूएई आदि। इंटरनेट पर हिंदी कंटेंट की माँग में तेजी से वृद्धि हो रही है, जिससे हिंदी डिजिटल अर्थव्यवस्था में भी प्रमुख स्थान प्राप्त कर रही है। वहीं, भारत में क्षेत्रीय भाषाओं के बीच हिंदी को जानना रोज़गार के अवसरों को बढ़ाने में भी सहायक सिद्ध हो रहा है।
*वर्तमान चुनौतियाँ*
हिंदी का विकास हो रहा है, परंतु इसे कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है
अंग्रेज़ी का बढ़ता प्रभाव, विशेषकर शहरी क्षेत्रों में।
तकनीकी और वैज्ञानिक क्षेत्रों में हिंदी की सीमित उपलब्धता।
कुछ राज्यों में हिंदी को "थोपी गई भाषा" मानकर विरोध।