Buxar social

Buxar social Buxar is a city in the state of Bihar in the eastern part of India bordering eastern Uttar Pradesh. It is the headquarters of Buxar District.

The Battle of Buxar and Battle of Chausa were fought in the vicinity.Buxar Railway Station lies on Patna–Mughal

इस अलका टॉकीज को हर वो व्यक्ति आसानी से पहचान लेगा जो बक्सर का रहने वाला है। यूपी के बलिया और गाजीपुर के मुहम्मदाबाद और ...
30/04/2025

इस अलका टॉकीज को हर वो व्यक्ति आसानी से पहचान लेगा जो बक्सर का रहने वाला है। यूपी के बलिया और गाजीपुर के मुहम्मदाबाद और जमानिया क्षेत्र का रहने वाला होगा। यहां चार सिनेमा हॉल थे लेकिन सबसे शानदार हिंदी फिल्में इसी में लगती थीं फर्स्ट डे ऑल इंडिया रिलीज के साथ। अब ये खंडहर बन चुका हैं। लेकिन 80s और 90s में जन्मे बच्चों के लिए ये एक इमोशन हैं। जो भी इसके सामने से गुजरता होगा रुक कर एक बार अपने पुराने दिनों को याद जरूर करता होगा।

26/04/2025

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15/04/2025

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23/03/2025

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खुबसुरत शहीद स्मारक ♥️
22/03/2025

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बलिया से बक्सर की कितनी दूरी है?
21/03/2025

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कहा गये ओ दिन ...?
15/03/2025

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I ♥️♥️  #बक्सर  #बिहार
02/03/2025

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बक्सर वाले मामा जी, परम पूज्य श्री नारायण दास भक्तमाली, एक आध्यात्मिक संत थे. वे धर्म के उन्नायक थे और भजनों के लोकप्रिय...
28/02/2025

बक्सर वाले मामा जी, परम पूज्य श्री नारायण दास भक्तमाली, एक आध्यात्मिक संत थे. वे धर्म के उन्नायक थे और भजनों के लोकप्रिय गायक भी थे. वे बक्सर ज़िले के पांडेयपट्टी गांव में पैदा हुए थे.

मामा जी की खास बातें:
वे विभिन्न धार्मिक मंचों के प्रणेता, निर्माता, निर्देशक, और अभिनेता भी थे.
उन्होंने कई नाटक लिखे, जिनमें जय विजय, श्री गौरी शंकर विवाह, भक्त नरसिंह मेहता, श्रीचंद्रहास, गोस्वामी तुलसी दास आदि शामिल हैं.
उन्होंने भक्त भगवंत गुण कीर्तन की 11 पुस्तकें लिखीं.
वे गौरांग चरित, शंभू चरित, शिव विवाह आदि पदावली के भी रचनाकार थे.
वे श्रीमद् भागवत पुराण के भी अच्छे ज्ञाता थे.
वे प्रतिपल श्रीरामचरितमानस की चौपाइयों को उद्घोषित करते रहते थे.
#बक्सर #बिहार

23/02/2025

श्रीत्रिदंडी स्वामी जी ने शुरू किया था चरित्र निर्माण व लोक कल्याण का अभियान बक्सर  पहलेश्रीत्रिदंडी स्वामी जी ने शुरू क...
22/02/2025

श्रीत्रिदंडी स्वामी जी ने शुरू किया था चरित्र निर्माण व लोक कल्याण का अभियान बक्सर पहले

श्रीत्रिदंडी स्वामी जी ने शुरू किया था चरित्र निर्माण व लोक कल्याण का अभियान|बक्सर
चरित्रवन अर्थात चरित्र निर्माण की भूमि। जहां से प्रातः स्मरणीय पूज्य श्री त्रिदंडी स्वामी जी महाराज (बड़का स्वामी जी) ने चरित्र निर्माण की परिकल्पना को साकार किया। श्री त्रिदंडी स्वामी जी ने व्यक्ति में चरित्र निर्माण व लोक कल्याण की भावना से 74 चतुर्मास यज्ञ एवं 250 से ज्यादा अन्य यज्ञ देश के विभिन्न भागों में करवाए थे।

स्वामी जी अपने लिए नहीं बल्कि समाज के लिए जी रहे थे। जो जीते जी भगवान की तरह पूजे गए। बक्सर के पावन भूमि से परम पूज्य श्रीत्रिदंडी स्वामी जी महाराज जी ने चरित्र निर्माण कर सभ्य समाज व राष्ट्र बनाने का जो बीड़ा उठाया था, आज उसे उनके परम शिष्य पूज्य श्री लक्ष्मी प्रपन्न जीयर स्वामी जी महाराज साकार कर रहे हैं।

राष्ट्र के नागरिकों में चरित्र निर्माण कर धर्म के राज्य की स्थापना करना ही उनका परम उद्देश्य है। इसके लिए देश के विभिन्न हिस्सों में स्वामी जी यात्रा करते रहते हैं। आज वैश्विक स्तर पर वैष्णव धर्म के तीनों संप्रदायों के श्रेष्ठ पद पर बतौर रामानुजाचार्य जगद्गुरु श्रीजीयर स्वामी जी विराजमान हैं।

राजपुर के सिसराढ़ में हुआ था जन्म जिला मुख्यालय से 17 किलोमीटर दूर राजपुर प्रखंड के सिसराढ़ गांव में श्री त्रिदंडी स्वामी जी का जन्म हुआ था। विक्रम संवत 1950 को सरयू पारिणी ब्राह्मण पंडित श्री नारायण चतुर्वेदी की पत्नी माता इंदिरा जी की कोख से स्वामी जी का प्रादुर्भाव हुआ।

जन्म के साथ ही ज्योतिषियों द्वारा बालक की जन्म कुंडली देखने के बाद यह भविष्यवाणी कर दी थी कि यह बालक एक बहुत बड़ा सन्यासी होगा। संयोग से किशोरावस्था में ही माता-पिता दोनों बालक को छोड़कर चल बसे। माता पिता की मौत के बाद स्वामी जी के लालन-पालन की जिम्मेदारी पितामह जोधन चतुर्वेदी को उठानी पड़ी। स्वामी जी की राशि का नाम निरंजन प्रसाद चतुर्वेदी था।

उपनयन के समय ही घर से निकल पड़े : श्री त्रिदंडी स्वामी जी का जब उपनयन संस्कार हो रहा था उस समय स्वामी जी पढ़ने के लिए काशी जाने की जिद पकड़ ली। हुआ यूं कि स्वामी जी का उपनयन संस्कार चल रहा था।

उसी दौरान उपनयन संस्कार में यह विधान था कि बालक को पढ़ने जाने का स्वांग करना होता था। फिर परिवार के लोग उस बालक को मना कर घर लाते थे। लेकिन जब स्वामी जी को काशी जाने का स्वांग करने का समय आया तो स्वामी जी काशी जाकर पढ़ने की जिद पकड़ लिए।

बहुत समझाने बुझाने के बाद भी जब स्वामी जी नहीं माने तो उनके पितामह ने लक्ष्मी नारायण मंदिर बक्सर में पढ़ने भेजने के लिए राजी हो गए। उपनयन संस्कार के दूसरे दिन स्वामी जी को बक्सर पढ़ने के लिए भेज दिया गया।

रामकृष्णाचार्य स्वामी के बने शिष्य

लक्ष्मी नारायण मंदिर में पढ़ने के दौरान श्री 1008 श्री राम कृष्ण आचार्य स्वामी जी ने पंच संस्कार संपन्न कराकर श्री त्रिदंडी स्वामी जी को अपना शिष्य बनाया। उसी समय रामकृष्णाचार्य जी ने स्वामी जी का नामकरण विश्वसक्सेनाचार्य रखा।

स्वामी जी ने गुरु जी की आज्ञा से गंगा में खड़ा होकर कठिन तप करना प्रारंभ किया। बस क्या था तप शुरू करने के 21 वें दिन स्वामी जी की अंजलि में शेषफन पर विराजमान भगवान का साक्षात्कार हुआ। इसके बाद गुरु ने स्वामी जी को आज्ञा दिया कि अब गृहस्थ जीवन में नहीं जाना है।

गादी स्वामी ने दी संन्यास की दीक्षा

श्री त्रिदंडी स्वामी जी ने साहित्याचार्य एवं व्याकरण आचार्य की उपाधि प्रथम श्रेणी से प्राप्त कर वेद अध्ययन करने के लिए अनंत श्री विभूषित श्री कांची प्रतिवादी भयंकर पीठाधीश्वर भगवदनंताचार्य गादी स्वामी जी के पास गए।

गादी स्वामी ने 1983 ईस्वी में स्वामी जी को दंड देकर योग पद पर आरूढ़ कर दिया। स्वामी जी 74 वर्ष तक सन्यासी जीवन व्यतीत करते रहे। अंत में 2 दिसंबर 1999 को इस दुनिया को छोड़ चल बसे।

कचरी मिले लागल बाजार में ।।के के खा लेलस??😃😃      #बक्सर  #बिहार
22/02/2025

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