25/10/2025
पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत राज्य सरकार एवं पंचायती राज विभाग-झारखंड के निर्देशानुसार पंचायतों के वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम उठाते हुए दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल आयोजन दिनांक 24 एवं 25 अक्टूबर 2025 को जिला परिषद सभागार, चाईबासा में किया गया। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य ग्राम पंचायतों को स्वयं के राजस्व स्रोत (Own Source Revenue - OSR) की जानकारी प्रदान करना एवं ग्राम स्तर पर राजस्व सृजन के माध्यम से वित्तीय आत्मनिर्भरता विकसित करना है।
इस प्रशिक्षण में जिले की 20 चयनित ग्राम पंचायतों के मुखिया एवं पंचायत सचिवों ने सक्रिय रूप से भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ जिला पंचायती राज पदाधिकारी श्रीमती सविता टोपनो के द्वारा उद्घाटन संबोधन के साथ किया गया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि पंचायतों को राज्य एवं केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ-साथ अपने स्वयं के संसाधनों के माध्यम से विकास की दिशा में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि यदि पंचायतें अपने स्तर पर कर एवं गैर-कर स्रोतों से राजस्व सृजन करती हैं, तो वे स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति में अधिक प्रभावी भूमिका निभा सकती हैं।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य स्तरीय प्रशिक्षक श्री अजय कुमार मिश्र एवं श्री सुशांत कुमार ढोके ने प्रतिभागियों को विभिन्न तकनीकी, व्यवहारिक एवं प्रबंधन संबंधी विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान की। प्रशिक्षण के दौरान निम्नलिखित विषयों पर विशेष रूप से चर्चा एवं अभ्यास कराया गया –
1. ग्राम पंचायतों द्वारा स्वयं के राजस्व स्रोत (OSR) की पहचान एवं उनकी श्रेणियाँ (कर एवं गैर-कर स्रोत)।
2. OSR संवर्धन के लिए रणनीतियाँ एवं पंचायतों के लिए उपयुक्त कार्ययोजनाएँ तैयार करने के तरीके।
3. व्यवहार विज्ञान सिद्धांतों का उपयोग करते हुए पंचायत प्रतिनिधियों एवं ग्रामीणों में कर भुगतान की सकारात्मक मानसिकता विकसित करने की रणनीति।
4. ग्राम विकास योजनाओं में OSR के उपयोग की प्रक्रिया एवं पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उपाय।
5. नवीन परियोजना वित्त पोषण विकल्प जैसे- सार्वजनिक-निजी साझेदारी (PPP), CSR फंड, एवं स्थानीय निवेश के अवसर।
6. सतत संसाधन सृजन के लिए राजस्व पूर्वानुमान, योजना निर्माण एवं उसके कार्यान्वयन की रूपरेखा।
7. SWOT विश्लेषण (Strengths, Weaknesses, Opportunities, Threats) के माध्यम से पंचायतों की वित्तीय स्थिति का मूल्यांकन।
8. ग्राम पंचायत विकास योजना (GPDP) निर्माण में परियोजना प्रबंधन कौशल की महत्ता एवं व्यावहारिक उपयोग।
प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों को समूह कार्य, चर्चा सत्र एवं केस स्टडी के माध्यम से विषयों की गहराई से समझ विकसित करने का अवसर मिला। प्रशिक्षकों ने पंचायतों की वास्तविक परिस्थितियों पर आधारित उदाहरणों के माध्यम से यह बताया कि किस प्रकार से ग्राम स्तर पर कर संग्रहण, संपत्ति कर, बाज़ार शुल्क, जल/संपत्ति उपयोग शुल्क आदि जैसे स्रोतों से सतत राजस्व सृजन किया जा सकता है।
समापन सत्र में प्रतिभागियों ने अपने अनुभव साझा किए और यह विश्वास व्यक्त किया कि इस प्रशिक्षण से उन्हें अपने पंचायत क्षेत्र में राजस्व सृजन को सशक्त बनाने के लिए ठोस पहल करने की दिशा में मार्गदर्शन प्राप्त हुआ है।
जिला पंचायती राज पदाधिकारी श्रीमती सविता टोपनो ने समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों को कहा कि यह प्रशिक्षण ग्राम पंचायतों के वित्तीय सशक्तिकरण की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने सभी मुखिया एवं सचिवों से अपील किया कि वे प्रशिक्षण से प्राप्त ज्ञान को व्यवहार में लाएँ और अपने पंचायत क्षेत्र में राजस्व संग्रहण की एक पारदर्शी एवं सतत प्रणाली विकसित करें।
इस दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम ने ग्राम पंचायतों को न केवल स्वयं के राजस्व सृजन की तकनीक से अवगत कराया बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में ठोस रूप से प्रेरित भी किया।