Uttarakhand Trend - UT

Uttarakhand Trend - UT This page is all about the latest trending issues in Uttarakhand. History and Hindu temples of Uttarakhand including facts and reality.

06/03/2025

उत्तराखंड में इस समय राजनीतिक और सामाजिक हलचल तेज़ हो गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रदेश का दौरा कर कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों में भाग लिया, वहीं मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन लगातार बढ़ रहे हैं। देहरादून से लेकर दिल्ली तक लोग उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम पर जनता की क्या राय है और सरकार का अगला कदम क्या होगा? जानिए पूरी खबर विस्तार से!

05/03/2025

हिन्दू समाज के स्वाभिमान और अस्तित्व की रक्षा के लिए कई ऐतिहासिक लड़ाइयाँ लड़ी गई हैं। इन्हीं में से एक सबसे बड़ी कानूनी लड़ाई थी श्रीराम जन्मभूमि की, जिसे जीतने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई प्रख्यात अधिवक्ता डॉक्टर हरिशंकर जैन ने।
लेकिन ये लड़ाई यहीं खत्म नहीं हुई… आज भी अनेक हिन्दू मंदिरों और धार्मिक स्थलों के लिए न्याय की लड़ाई कोर्ट में लड़ी जा रही है, और डॉक्टर जैन इन मुकदमों की अगुवाई कर रहे हैं।
अब समय आ गया है कि हिन्दू समाज एकजुट हो, अपने गौरव को पुनः स्थापित करे और एक सशक्त हिन्दू राष्ट्र की दिशा में आगे बढ़े। डॉक्टर हरिशंकर जैन का स्पष्ट संदेश है – हमें बीस सौ पैंतीस तक भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना है!
आइए, सुनते हैं डॉक्टर जैन का यह महत्वपूर्ण संदेश, जिसमें वे हिन्दू समाज से एकता और जागरूकता का आह्वान कर रहे हैं! 🚩
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03/03/2025

उत्तराखंड में भू कानून को लेकर एक बार फिर बहस तेज हो गई है। धामी सरकार ने हाल ही में इसमें संशोधन किए हैं, जिसे लेकर सरकार जहां अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं विपक्ष और विशेषज्ञ इस पर सवाल उठा रहे हैं।













02/03/2025

प्रदेश में दायित्व का निर्वहन नहीं करने वाले, सरकारी कार्मिकों को अनिवार्य सेवा-निवृत्ति दी जाएगी। विभाग ऐसे कार्मिकों को चिह्नित करेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को, इस संबंध में कड़ा रवैया अपनाते हुए, उच्चा-धिकारियों को निर्देश जारी करने पड़े हैं।
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1954 में मौनी अमावस्या पर ऐसी एक अफवाह से अफरा-तफरी में हुई थी,800 श्रद्धालुओं की मौत। 3 फरवरी, 1954 सुबह करीब 8 बजे के ...
31/01/2025

1954 में मौनी अमावस्या पर ऐसी एक अफवाह से अफरा-तफरी में हुई थी,800 श्रद्धालुओं की मौत।

3 फरवरी, 1954 सुबह करीब 8 बजे के आसपास का वक्त रहा होगा। जब प्रयागराज में लगे कुंभ मेले में मौनी अमावस्या के लिए लाखों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। अचानक कुछ अफवाहें पैदा हुईं, जिससे स्नान पर्व पर भगदड़ मच गई। 45 मिनट तक चले मौत के तांडव में करीब 800 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। उस कुंभ में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी आए थे।

1954 में कुंभ के दौरान ऐसा ही हादसा हुआ था। कुंभ का अंतरराष्ट्रीयकरण भी तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने ही किया था। इस मौके को लेकर देश-विदेश में नेहरू के कई लेख भी छपे। उस साल मेले में करीब 50 लाख श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। यह गुलाम भारत की स्वतंत्रता के बाद पहला कुंभ मेला भी था। इस वजह से भी बड़ी संख्या में लोग उस वक्त के इलाहाबाद में पहुंचे थे।।

1954 के कुंभ में तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू भी शामिल हुए थे। अमावस्या के एक दिन पहले नेहरू आए थे और उन्होंने संगम में स्नान भी किया था, हादसे के बाद नेहरू ने नेताओं और अतिविशिष्ट(VIP) लोगों से स्नान पर्वों पर कुंभ न जाने की अपील की थी।

शाही स्नान के दौरान पीएम के हेलीकॉप्टर के आने की अफवाह
प्रयागराज में गंगा के किनारे बसे दारागंज निवासी 83 वर्षीय पंडित रामनरेश उपाध्याय बताते हैं कि 1954 में मौनी आमावस्या के उस स्नान पर्व पर हुए हादसे को मैंने अपनी आंखों से देखा था। दरअसल, हुआ यह था कि उस दिन अखाड़ों के शाही स्नान के दौरान ही ये अफवाह फैलाई गई कि प्रधानमंत्री नेहरू का हेलीकॉप्टर मेला क्षेत्र में आ रहा है। इस अफवाह पर यकीन करके कुछ लोग उन्हें देखने के चक्कर में भागने लगे। इस अफरा-तफरी से कुछ नागा साधु गुस्से में आकर चिमटों से हमला बोल दिया। ऐसे में और अफरा-तफरी मच गई।

45 मिनट तक चलता रहा था यह मौत का तांडव
भगदड़ यानी मौत का यह तांडव करीब 45 मिनट तक चलता रहा। इसके कुछ ही समय बाद भीड़ खुद ही नियंत्रित हो गई। विभिन्न स्रोतों के अनुसार त्रासदी के आंकड़े अलग-अलग थे। द गार्जियन ने बताया कि 800 से अधिक लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए। वहीं, द टाइम ने बताया कि कम से कम 350 लोग कुचले गए और डूब गए, 200 लापता बताए गए और 2,000 से अधिक घायल हुए। किताब 'लॉ एंड ऑर्डर इन इंडिया' के अनुसार, 500 से अधिक लोग मारे गए।

जो आज कह रहें हैं, की केंद्र शासित सरकार इसे इवेंट बना रही है। उनके लिऐ...
1954 के कुंभ मेले के अवसर का उपयोग राजनेताओं की ओर से भारत की स्वतंत्रता के बाद जनता से जुड़ने के लिए किया गया था। यह स्वतंत्रता के बाद पहला कुंभ मेला था। इस आयोजन के दौरान कई प्रमुख राजनेताओं ने शहर का दौरा किया। भीड़ नियंत्रण उपायों की विफलताओं और बड़ी संख्या में राजनेताओं की उपस्थिति ने इस भगदड़ को अंजाम देने का प्रमुख कारण रहा था।

उपलब्ध स्थान कम हो गया और लोगों की आवाजाही प्रतिबंधित हो गई। इसके अलावा, जिस चीज ने त्रासदी को जन्म दिया, वह थी भीड़ का बढ़ना। यह भीड़ हर बाधाओं को तोड़ते हुए कई अखाड़ों के साधुओं और नागाओं से जा टकराई। इसके बाद तो भगदड़ मच गई। जिसे जिस ओर मौका लगा, वो भागने लगा। लोग कुचलने लगे और हर ओर लाशें बिछ गईं।

इन उपन्यासों में 1954 के कुंभ की भगदड़ का जिक्र
चर्चित लेखक विक्रम सेठ के 1993 के उपन्यास 'ए सूटेबल बॉय' में 1954 के कुंभ मेले में हुई भगदड़ का जिक्र है। उपन्यास में इस आयोजन को कुंभ मेला की जगह 'पुल मेला' कहा गया है। इसे 2020 के टेलीविजन सीरियल में भी पुल मेला के रूप में दर्शाया गया है। कलकुट (समरेश बसु) और अमृता कुंभेर संधाने द्वारा लिखे गए उपन्यास में तीर्थयात्रियों की प्रतिक्रिया के साथ भगदड़ की त्रासदी को उजागर किया गया है। बाद में इस पर एक फिल्म भी बनाई गई।

इससे पहले 1840 और 1906 के कुभों के दौरान भी भगदड़ मची, जिसमें जान-माल का काफी नुकसान हुआ था।

जानिए कहानी
1•
कुंभ में सबसे पहली भगदड़ 1954 में मची थी। प्रयागराज के कुंभ मेले में 3 फरवरी 1954 को मौनी अमावस्या के दिन भगदड़ मची थी। इस हादसे में 800 लोगों की मौत हुई थी।
2•
वही, 1992 में उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ मेले के दौरान मची भगदड़ के दौरान 50 से अधिक श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी।
3•
महाराष्ट्र के नासिक में 2003 के कुंभ मेले के दौरान 27 अगस्त को भगदड़ मच गई थी। इस भगदड़ में 39 लोगों की मौत हो गई थी।
4•
उत्तराखंड के हरिद्वार में 2010 में कुंभ मेले के दौरान 14 अप्रैल को भगदड़ मच गई थी। इसमें 7 लोगों की मौत हो गई थी।

5•
इसी तरह प्रयागराज में 2013 में भी कुंभ मेले का आयोजन हुआ था। यह घटना मौनी अमावस्या पर 10 फरवरी को अमृत स्नान के दौरान घटी थी। प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 36 लोगों की मौत हो गई थी।
ये घटनाएं तुम्हारी उन सरकारों के समय हुई हैं, जिनके समर्थक आज के कुंभ को अफ़वाह बना के बदनाम कर रहें हैं।
उस समय भी इसे इवेंट, ही बनाया गया था, और दूरदर्शन पर नेहरु का प्रचार भी खूब किया गया था।

अनिश्चितता कहीं भी हो सकती है,अफवाहों से बचे।

इसीलिए कहा जाता है कि मुसलमानों को कुंभ के मेले में नहीं आने देना चाहिए क्योंकि जब वह हिंदू धर्म को नहीं मानते हैं तब वह...
24/01/2025

इसीलिए कहा जाता है कि मुसलमानों को कुंभ के मेले में नहीं आने देना चाहिए

क्योंकि जब वह हिंदू धर्म को नहीं मानते हैं तब वह हिंदू रीति रिवाज को हिंदू महिलाओं को हिंदू लड़कियों को हमेशा गलत नजर से देखेंगे

यह फर्जी पत्रकार कामरान अल्वी है जो बाराबंकी का रहने वाला है

यह बाराबंकी एक्सप्रेस नामक पोर्टल चलता है

यह कुंभ मेले में गया और वहां संगम पर नहा रही महिलाओं के कई अश्लील वीडियो बनाकर अभद्र बातों के साथ रिल्स डालने लगा

तुरंत इसे गिरफ्तार किया गया

और यह तीसरी बार गिरफ्तार हुआ है इसके पहले नागरिकता कानून के समय इसने मुसलमान से अपील किया था कि बाहर निकालो पूरा देश जला दो तब भी इसको गिरफ्तार किया गया था

यह धूर्त की जवान बेटियां हैं यह अपनी बेटियों के भी नहाते हुए वीडियो चुपके से बनाता होगा क्योंकि जो व्यक्ति यौन कुंठित होता है वह कभी अपनी बेटियों और बहनों को भी पवित्र नजरों से नहीं देखा।

#महाकुंभ #उत्तराखंड

क्यों ये लोग उत्तराखंड की शांन्ति को मिटाना चाहते हैं?     #उत्तराखंड
27/10/2024

क्यों ये लोग उत्तराखंड की शांन्ति को मिटाना चाहते हैं?
#उत्तराखंड

हिंदू-बहुल क्षेत्र होने के बावजूद, उत्तराखंड में बड़ी संख्या में मुस्लिम आबादी रहती है। आखिर उत्तराखंड में क्यों ....

01/10/2024

योगी जी का राहुल गाँधी को करारा जवाब ✊️✊️✊️

Rahul Gandhi: "राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान नाच-गाना हो रहा था।"

योगी आदित्यनाथ: "तुम्हारा परिवार तो पूरी जिंदगी नाच-गाना करता रहा है।" (बार डांसर😭)

महाराज जी इन दिनों बीस्ट मोड में हैं👌🥶

बस ऐसा ही लीडर चाहिए 🔥🔥🔥

#योगी

चित्र में आप मोहम्मद साहब की 41वीं पीढ़ी के डायरेक्ट वंशज और जॉर्डन के राजा अबदुल्लाह द्वितीय और उनके परिवार को देख रहे ...
28/09/2024

चित्र में आप मोहम्मद साहब की 41वीं पीढ़ी के डायरेक्ट वंशज और जॉर्डन के राजा अबदुल्लाह द्वितीय और उनके परिवार को देख रहे हैं। जॉर्डन में आप शराब पी सकते हैं। नाईट क्लब्स में जा सकते हैं। बीच पर बिकिनी पहन कर घूम सकते हैं। कोई मनाही नहीं है।

किंग अब्दुल्लाह स्वयं बहुत पढ़े-लिखे व्यक्ति हैं। शाही परिवार से होने के बावजूद कैप्टन के रूप में आर्मी में भर्ती हुए। 15 साल आर्मी में रहे। IS के खिलाफ युद्ध लड़े। इनकी पत्नी लंदन से पढ़ी लिखी हैं। आप नेट पर खंगाल लीजिये। इनके खानदान में हिजाब या बुर्का पहने एक स्त्री की फोटो नहीं मिलेगी। मर्द भी हमेशा सूटेड-बूटेड मिलेंगे।
बताइए - जो "असली मुसलमान" है, वो ऐसा जीवन बिता रहा है।

और जो सुसरा लालच या डर से कनवर्टेड हुआ है - वो मदरसा में किताब रटकर, लंबी दाढ़ी पर मूंछ कटाए, ऊंचा चमचम का पजामा पहन कर, आंखों में सुरमा लगा कर विचित्र भेस बनाए रोज 1400 साल पुरानी सुन्नत को बचाने का युद्ध लड़ने में लगा हुआ है।
#मुस्लिम

28/09/2024

#देवभूमि #उत्तराखंड के #हल्द्वानी में एक शादीशुदा चार बच्चों के पिता #मुस्लिम समुदाय के शख्स को 23 साल की लड़की के साथ स्थानीय लोगों ने रंगे हाथों पकड़ा।

परन्तु
सवाल यह है कि यह सत्ता के हाथ से भी बाहर जा रहा है. लेकिन 23 साल की लड़की उसके साथ क्या कर रही थी! वह अच्छा बनाम बुरा समझने के लिए काफी परिपक्व है? तो उसकी सतर्कता कहां थी?
इन युवाओं में या हमारे सिस्टम में कुछ गंभीर रूप से गलत है कि उन्हें बुरे लोगों के बीच में ढाला जा रहा है..

Pushkar Singh Dhami जी इस प्रजाति को समय रहते भगा दो वरना 2027 के बाद आवाज भी नहीं उठेगी इनके विरुद्ध।

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