06/07/2025
🌙 देवशयनी एकादशी की कथा
प्राचीन काल में राजा मंदाता नाम के एक धर्मनिष्ठ राजा थे। उनका राज्य सुख, समृद्धि और न्याय का प्रतीक था। एक बार उनके राज्य में भयंकर अकाल और सूखा पड़ा। वर्षा नहीं हुई, फसलें नष्ट हो गईं, और प्रजा दुःखी हो गई।
राजा ने यज्ञ, पूजा और अनुष्ठान करवाए, लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ। अंततः वे ऋषि अङ्गिरा के पास पहुंचे और उन्हें संकट बताया।
🔱 ऋषि अङ्गिरा बोले:
"राजन, यह अकाल प्रजा के पापों और धर्म से हटने का परिणाम है। यदि आप और आपकी प्रजा देवशयनी एकादशी का व्रत और पूजन श्रद्धा से करें, तो भगवान विष्णु प्रसन्न होकर वर्षा देंगे।"
राजा ने संपूर्ण राज्य में यह आदेश दिया। सभी लोगों ने एकादशी का व्रत किया, भगवान विष्णु की पूजा, भजन, जप और कीर्तन किया।
📿 कुछ ही समय बाद, आकाश में घने बादल छा गए और जोरदार वर्षा हुई। धरती फिर से हरी-भरी हो गई और प्रजा प्रसन्न हो गई।
🌟 महत्व:
देवशयनी एकादशी से चातुर्मास की शुरुआत होती है – यह समय साधना, संयम, तपस्या और भक्ति का होता है।
भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा में चले जाते हैं और चार महीने बाद प्रबोधिनी एकादशी को जागते हैं।
🕉️ मंत्र:
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय