13/09/2025
भारत की पहली यादव महिला IPS अधिकारी ‘संगीता कुमारी यादव जी’ का जन्म बिहार के मशहूर परसादी घराने में हुआ था।
बिहार के अहीरों के परसादी स्टेट का इतिहास लगभग 400 वर्ष से भी अधिक पुराना है।
16वीं शताब्दी के आरंभिक दौर में जब दिल्ली सल्तनत की शक्ति क्षीण हो रही थी, उस समय परसादी के अहीर सेनानायक पश्चिम से प्रस्थान कर सारण की भूमि पर पहुँचे। उन्होंने यहाँ के घने जंगलों को अपना गढ़ बनाया और छापामार युद्धनीति अपनाकर बंगाल के तत्कालीन सुल्तान अलाउद्दीन हुसैन शाह को लंबे समय तक चुनौती दी।
अंततः विवश होकर सुल्तान ने उन्हें जंगलनुमा परगनों की सनद प्रदान कर दी। यद्यपि मुग़ल काल में हथुआ राज और चैनपुर जैसे शक्तिशाली सामंत घराने उभरे, जिससे परसादी स्टेट की ताक़त कुछ क्षीण हुई, फिर भी यह जमींदारी अपने गौरव और प्रतिष्ठा को लंबे समय तक बनाए रही। ब्रिटिश शासनकाल तक यह स्टेट 122 से अधिक गाँवों पर अधिकार रखती थी।
20वीं शताब्दी में इस घराने का नेतृत्व राय साहब बाबू ठाकुर प्रसाद ने किया। वे बिहार की यादव महासभा के प्रमुख सदस्य थे और सामाजिक-राजनीतिक जागरण में उनकी भूमिका उल्लेखनीय रही।
इसी गौरवशाली परंपरा की उत्तराधिकारी थीं संगीता कुमारी यादव, जिनका जन्म 3 जुलाई 1964 को परसादी स्टेट में हुआ। वे बिहार की ही नहीं, बल्कि भारत की पहली यादव महिला आईपीएस अधिकारी बनीं। संयुक्त बिहार में अपने करियर की शुरुआत डीएसपी के रूप में की और लंबे समय तक तत्कालीन मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी निभाई।
साल 2013 में उन्हें आईपीएस पद पर प्रोन्नति मिली और उन्होंने झारखंड कैडर जॉइन किया। अपने सेवा काल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों की शोभा बढ़ाई –
पीसीआर डीएसपी, जमशेदपुर
एसपी, कोडरमा
एसपी, टाटानगर रेल
एसपी, सीआईडी
कमांडेंट, JAP-6 जमशेदपुर
उनकी प्रशासनिक क्षमता, कर्तव्यनिष्ठा और नेतृत्व ने उन्हें पुलिस सेवा की एक मिसाल बना दिया।
दुर्भाग्यवश वर्ष 2020 में अचानक रक्तचाप (ब्लड प्रेशर) लो होने के कारण उनका निधन हो गया। उनका असमय जाना न केवल पुलिस विभाग के लिए, बल्कि पूरे यादव समाज और विशेषकर महिला सशक्तिकरण की धारा के लिए एक गहरा आघात था।
यदुवंश की इस बेटी को शत्-शत् नमन।