ChorauT

ChorauT तीन सदी पहले मकवानपुर रियासत के हिस्सा रहे चोरौत भारत-नेपाल सीमा से लगा हुआ एक भारतीय गांव है. Choaraut animal mela is very much famous in this area.

The choraut village is connected with national highway from delhi.this village is near of nepal border, and janakpur road is crossing from this village to janakpur dham.That is the
ancient capital of king shirdhawaj janak.known as janakpur dham.this capital city is an ancient capital of Mithila.it is mentioned in THE RAMAYANA also.and in many religious books . Choraut is northern part of CHORAUT

Block, and it is only village where we can find CA,SP,DIG,DOCTORS,ENGINEER and many more school teachers,

History:

Choraut is one of the oldest village in Sitamarhi.Choraut sthan temple is one of the big temple in this area. two river Rato and Yamuni flows in the west part of Choraut. every year big flood come due to this river. Big part of land in this area is belongs to Late Shri Lakhan Narayan. They are very famous Landlord of choraut. Festival:

Durga puja, Diwali,Chhat puja and indra puja & Gau pooja are main festival of choraut village.Every year people celebrates these festival with joy and happiness.All villagers Hindu,Muslim all participate in these festival.it shows real picture of india.Our village is an ideal village in sitamrhi district.jai choraut,jai bihar

Tourist Places:

in middile of choaraut "Laksmi Narayan Mandir" & Choraut uttar has very old maharani sthan,Bramha sthan,Durga mandir.in durga mandir every year durga puja is celebrated. lakhs of people visited this puja every year.

चोरौत में भूमिगत पेयजल फिर घटा, लोगों में हाहाकारसीतामढ़ी जिले के चोरौत प्रखंड में भूमिगत जलस्तर एक बार फिर तेजी से गिरने...
09/09/2025

चोरौत में भूमिगत पेयजल फिर घटा, लोगों में हाहाकार

सीतामढ़ी जिले के चोरौत प्रखंड में भूमिगत जलस्तर एक बार फिर तेजी से गिरने लगा है। इससे लोगों के बीच हाहाकार मच गया है। क्षेत्र में पेयजल की भारी किल्लत देखी जा रही है। अधिकतर हैंडपंप या तो सूख चुके हैं या उनमें पानी बहुत नीचे चला गया है। ग्रामीणों को सुबह-सुबह दूर-दराज के बोरिंग और चापाकलों पर लाइन लगानी पड़ रही है।

समय पर जलसंचयन की कोई ठोस पहल नहीं होने से समस्या और भी गंभीर होती जा रही है। कई पंचायतों में लोग बोतलबंद पानी खरीदने को मजबूर हैं, जबकि गरीब तबके के सामने पीने योग्य पानी की भारी चुनौती है।

जल विशेषज्ञों के अनुसार, अंधाधुंध भू-जल दोहन और वर्षा जल संरक्षण की अनदेखी इसकी मुख्य वजह है। अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति और भयावह हो सकती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द राहत उपाय करने की मांग की है।

चोरौत में पानी की कमी ने स्वास्थ्य और रोजमर्रा की जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित किया है। लोगों का कहना है कि अगर हालात ऐसे ही बने रहे तो पलायन भी बढ़ सकता है।

कृष्ण भक्त के लिए आ गया है यूट्यूब चैनलयहाँ आपको प्रतिदिन कृष्णा भक्ति सहित धर्म से जुड़े सभी आरती, कहानियां और जानकारी म...
04/09/2025

कृष्ण भक्त के लिए आ गया है यूट्यूब चैनल
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"Lord Krishna — the playful cowherd, the wise philosopher, and the protector of Dharma. From the sweet melodies of his flute to the timeless wisdom of the Bhagavad Gita, Krishna’s life is a journey of love, courage, and truth. Discover his stories, teachings, and the divine magic that continues ...

इसमें गलत क्या है ? #गांवकीबातें
04/09/2025

इसमें गलत क्या है ?
#गांवकीबातें

बिहार के सीतामढ़ी ज़िले के उत्तर-पूर्वी हिस्से में बसा चोरौत (Cheraut/Choraut) गाँव, अपने भीतर मिथिला की धरती की परंपराओ...
01/09/2025

बिहार के सीतामढ़ी ज़िले के उत्तर-पूर्वी हिस्से में बसा चोरौत (Cheraut/Choraut) गाँव, अपने भीतर मिथिला की धरती की परंपराओं, संघर्षों और सादगी को समेटे हुए है। नेपाल की सीमा से निकटता और रतो व यमुनी जैसी नदियों की मौजूदगी इसे एक अनोखा भौगोलिक स्वरूप देती है। जब कोई यात्री राष्ट्रीय राजमार्ग 527C से होकर इस गाँव की ओर बढ़ता है, तो उसे दोनों ओर फैले खेत, तालाबों की झलक और छोटे-छोटे घरों के झुंड स्वागत करते दिखाई देते हैं।

गाँव की संरचना बिल्कुल विशुद्ध ग्रामीण भारतीय स्वरूप लिए हुए है। बीच से होकर जाती कच्ची और पक्की सड़कें, चारों ओर बिखरे छोटे मोहल्ले, और हर मोहल्ले में एक चौपाल या पेड़ तले बैठक की जगह – यही इसकी पहचान है। अधिकांश घर अब ईंट-सीमेंट के हो गए हैं, पर कई जगहों पर आज भी मिट्टी की दीवारों और खपरैल की छतों वाले घर गाँव की पुरानी आत्मा को जीवित रखते हैं। बरसात के दिनों में रतो और यमुनी नदियों की बाढ़ कई बार गाँव को घेर लेती है, पर यही पानी खेतों को उपजाऊ भी बनाता है। यही कारण है कि गाँव का जीवन मुख्यतः खेती पर आधारित है। धान, गेहूँ, मक्का और सब्ज़ियाँ यहाँ की प्रमुख फसलें हैं।

गाँव का एक प्रमुख स्थल है चौरौत मठ (लक्ष्मीनारायण मंदिर)। अठारहवीं शताब्दी में दरभंगा राज के सहयोग से बने इस मठ की भव्यता आज भी गाँव की पहचान है। ताँबे और चाँदी की नक्काशीदार दरवाज़े, विशाल घंटियाँ और यहाँ का प्राचीन ग्रंथ-संग्रह, इस क्षेत्र को आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि शैक्षिक दृष्टि से भी समृद्ध बनाते हैं। यह मठ मिथिला की उस पुरानी परंपरा का प्रतीक है जहाँ वैदिक अध्ययन और संस्कृत विद्या का केंद्र गाँव ही होते थे।

गाँव का जीवन-शैली सरल और सामुदायिक है। सुबह होते ही खेतों की ओर जाते किसान, बैलगाड़ी या साइकिल से बाज़ार की ओर निकलते लोग और स्कूल जाते बच्चे – यह रोज़मर्रा का दृश्य है। महिलाएँ घर-आँगन में चौका-बर्तन, बुनाई या खेतों में सहायक कामों में लगी दिखती हैं। गाँव का साप्ताहिक हाट, जहाँ सब्ज़ी, कपड़ा और घरेलू सामान बिकते हैं, न केवल व्यापार का स्थल है बल्कि सामाजिक मेल-जोल का भी केंद्र है।

त्योहारों के समय गाँव की रौनक देखते ही बनती है। छठ पूजा, दुर्गा पूजा और दीपावली तो हर घर में उत्साह से मनाई जाती है, पर खास बात यह है कि इन त्योहारों में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय सक्रिय भाग लेते हैं। इन्द्र पूजा और गौ पूजा जैसी स्थानीय परंपराएँ गाँव की सांस्कृतिक विशिष्टता को और गहरी करती हैं। सामूहिक भोज, मेलों का आयोजन और लोकगीतों की गूंज इस मिट्टी की असली पहचान है।

चौरौत की जनसंख्या में बहुलता किसानों और मजदूरों की है। साक्षरता दर अभी भी राष्ट्रीय औसत से कम है, पर गाँव के बच्चे शिक्षा की ओर बढ़ते दिखते हैं। कई युवा पढ़ाई या रोज़गार के लिए दिल्ली, मुंबई और यहाँ तक कि खाड़ी देशों तक जाते हैं, और फिर साल-दो साल में छठ या किसी पारिवारिक अवसर पर गाँव लौटते हैं।

कुल मिलाकर चौरौत गाँव मिथिला की उस छवि का प्रतिनिधित्व करता है जहाँ इतिहास और आधुनिकता साथ-साथ चलते हैं। एक ओर सदियों पुराना मठ और बाढ़ग्रस्त धरती की चुनौतियाँ हैं, तो दूसरी ओर राष्ट्रीय राजमार्ग और नए पक्के मकान विकास की दिशा दिखाते हैं। यहाँ का जीवन संघर्षों से भरा है, पर उसमें अपनापन और सामूहिकता की मिठास है। यही कारण है कि चौरौत महज़ एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि अपनी परंपराओं, आस्था और संस्कृति के कारण एक जीवंत पहचान है।

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31/08/2025

गणपति बप्पा मोरया... 🐘🐀🚩🙏

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31/08/2025

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29/08/2025

charaut mandir

video : heenaya_click

28/08/2025

राहुल गांधी ने सीतामढ़ी के जानकी मंदिर में टेका माथा, लिया आशीर्वाद

#आस्था #सीतामाता #जनकीमंदिर #राहुलगांधी

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28/08/2025

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28/08/2025

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27/08/2025

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👩‍👧 मां-बेटी की मुस्कान और सब्ज़ियों की ताज़गी… यही है असली भारत की झलक  🇮🇳
18/08/2025

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