26/11/2025
*“बिहार के औद्योगिक पुनरुत्थान का श्रेय जनआंदोलन को, नेतृत्व में डॉ. शैलेश कुमार गिरि सबसे आगे”*
1️⃣ “बिहार में बंद उद्योगों को पुनर्जीवित करने की सरकारी घोषणा—संघर्ष की धुरी बने डॉ. शैलेश कुमार गिरि”
2️⃣ “मढ़ौरा से पटना तक जनांदोलन का परिणाम—बंद चीनी मिलों के पुनरुद्धार में डॉ. शैलेश कुमार गिरि की निर्णायक भूमिका”
( “375 दिन के किसान आंदोलन के अनुभव से लेकर 23 दिन के धरने तक—बिहार की उद्योग क्रांति में डॉ. शैलेश कुमार गिरि अग्रणी”
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“बिहार के बंद उद्योग खोलने की ऐतिहासिक पहल: आंदोलन की रीढ़ बने डॉ. शैलेश कुमार गिरि” )
पटना/सारण/ जलालपुर
बिहार सरकार द्वारा आज राज्य के सभी बंद पड़े उद्योग-धंधों और चीनी मिलों को पुनः चालू करने की ऐतिहासिक घोषणा के बाद पूरे बिहार में नई उम्मीद और उत्साह की लहर दौड़ गई है। यह फैसला उन लाखों किसानों, मजदूरों और बेरोजगार युवाओं के लिए बड़ी राहत है, जो वर्षों से इन मिलों के बंद रहने से प्रभावित थे।
इस महत्वपूर्ण निर्णय का श्रेय व्यापक रूप से
*डॉ. शैलेश कुमार गिरि—राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता, राष्ट्रीय कोर कमेटी उपाध्यक्ष एवं बिहार–झारखंड प्रदेश प्रभारी— भारतीय हलधर किसान यूनियन* को दिया जा रहा है।
सारण के मढ़ौरा चीनी मिल सहित बिहार भर में बंद पड़े उद्योगों को पुनर्जीवित कराने के आंदोलन में उनका नेतृत्व निर्णायक रहा है।
सितंबर 2022 से जनवरी 2023 तक चले जनांदोलन में युवाओं ने 15 अगस्त को मढ़ौरा से पटना तक पैदल मार्च किया, जिसमें शामिल सक्रिय मुख्य आंदोलनकारी के नामों में अतुल प्रताप सिंह, आलोक कुमार, वीर आदित्य, सागर कुमार, मनोरंजन मन्नू, पवन श्रीवास्तव, रणवीर चौबे , मुकेश कुमार इत्यादि दर्जनों लोगों को का साथ मिला।
और गर्दनीबाग पटना में लगातार 23 दिन धरना दिया। आंदोलन के बीच कमजोर पड़ती ऊर्जा को संभालते हुए डॉ.शैलेश कुमार गिरि नोएडा से पटना पहुँचे, पगड़ी–साफा पहनकर आंदोलन को एकता व गति दी, और युवाओं को दिल्ली सीमा पर 378 दिन चले किसान आंदोलन से प्रेरणा लेने व लोकनायक जयप्रकाश नारायण के संघर्ष को पढ़ने के लिए कहा।
दिसंबर 2023 में जब आंदोलन ठहराव की स्थिति में था, तब वे औचक मढ़ौरा चीनी मिल परिसर पहुँचे, बैठके कर भविष्य के लिए गोपनीय निर्णायक व धारदार रणनीति बनायी और युवाओं को, उस रास्ते पर अमल करने को कहा , विभिन्न स्थानों पर किसान संवाद चलाए, और धारदार रणनीति के साथ आंदोलन को दोबारा राज्यव्यापी स्वरूप दे दिया।
डॉ. शैलेश कुमार गिरि पहले भी दिल्ली के सभी बॉर्डरों पर 378 दिन चले किसान आंदोलन का हिस्सा रहे और बिहार के किसानों के प्रति हर हमेशा चिंतित रहे हैं और विभिन्न राष्ट्रीय टीवी चैनलों पर देश के साथ साथ बिहार के किसानों की आवाज़ उठाते रहे हैं—यह अनुभव बिहार आंदोलन की सबसे बड़ी ताकत बना।
सरकार के निर्णय का स्वागत करते हुए बिहार के किसानों, मजदूरों और युवाओं ने कहा—
“बिहार में उद्योगों के पुनर्जीवन की इस ऐतिहासिक पहल को डॉ. शैलेश कुमार गिरि के अथक संघर्ष और नेतृत्व के बिना संभव नहीं माना जा सकता। मढ़ौरा ही नहीं, पूरा बिहार उनके योगदान को कभी नहीं भूल पाएगा।”
डॉ. गिरि ने सरकार की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि—
“यह तो सिर्फ शुरुआत है। हमारा लक्ष्य है कि बिहार के सभी बंद उद्योग तेजी से चालू हों और आने वाले समय में 12 से 20 लाख रोजगार के अवसर तैयार किए जा सकें।”