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एक गौरवान्वित भारतीय, एक मुसलमान, एक इतिहास प्रेमी, एक क्रिकेट और अन्य खेल प्रेमी, एक अलीगेरियन, एक सूफी संगीत प्रशंसक, एक बॉलीवुड प्रशंसक, राजनीतिक टिप्पणीकार, मानवतावादी, क्लासिक उर्दू कविता का एक उत्साही प्रशंसक,

M. M. कीरवाणी: भारतीय संगीत का वैश्विक सितारा और सुरों का शिल्पकार!!! अगर किसी संगीतकार ने तेलुगु सिनेमा से शुरू होकर ऑस...
18/10/2025

M. M. कीरवाणी: भारतीय संगीत का वैश्विक सितारा और सुरों का शिल्पकार!!! अगर किसी संगीतकार ने तेलुगु सिनेमा से शुरू होकर ऑस्कर तक का सफर तय किया है, तो वो हैं M. M. कीरवाणी। 4 जुलाई 1961 को कोव्वूर, आंध्र प्रदेश में जन्मे कोडुरी मरकथमणि कीरवाणी ने तेलुगु, तमिल, हिंदी, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में संगीत देकर भारतीय सिनेमा को गहराई, गरिमा और ग्लोबल पहचान दी।
उनकी धुनों में भारतीय शास्त्रीयता, पश्चिमी ऑर्केस्ट्रा और भावनात्मक सादगी का ऐसा संगम है, जो "Baahubali", "RRR", "Criminal", "Sur – The Melody of Life" जैसी फिल्मों में सुनाई देता है। "Naatu Naatu" के लिए उन्हें ऑस्कर और गोल्डन ग्लोब जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले—जो भारतीय संगीत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि है।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🗓️ जन्म: 4 जुलाई 1961, कोव्वूर, आंध्र प्रदेश
- 🎼 सक्रिय वर्ष: 1990–वर्तमान
- 🎬 प्रमुख फिल्में: Baahubali, RRR, Criminal, Annamayya, Magadheera, Sur, J**m, Is Raat Ki Subah Nahin
- 🏆 पुरस्कार:
- 🎖️ Academy Award – "Naatu Naatu" (2023)
- 🏆 Golden Globe Award – "Naatu Naatu"
- 🏅 Padma Shri – भारत सरकार द्वारा (2023)
- 🏆 National Film Awards – 2 बार
- 🏆 Filmfare Awards – 8 बार
- 🏆 Nandi Awards – 11 बार
- 🎶 शैली: फिल्म स्कोर, वर्ल्ड म्यूज़िक, क्लासिकल फ्यूज़न
- 👨‍👩‍👧‍👦 परिवार: पत्नी श्रीवल्ली मामा: एस. एस. राजामौली (प्रसिद्ध निर्देशक)
कीरवाणी ने दिखाया कि संगीत सिर्फ़ सुरों का नहीं, बल्कि संस्कृति, आत्मा और पहचान का विस्तार है। उनकी रचनाएँ आज भी हर दिल को गर्व और प्रेरणा देती हैं।

अजय-अतुल: महाराष्ट्र की मिट्टी से निकले सुरों के सम्राट!!! अगर किसी संगीतकार जोड़ी ने मराठी लोकधुनों को बॉलीवुड की भव्यत...
18/10/2025

अजय-अतुल: महाराष्ट्र की मिट्टी से निकले सुरों के सम्राट!!! अगर किसी संगीतकार जोड़ी ने मराठी लोकधुनों को बॉलीवुड की भव्यता से जोड़कर संगीत को आत्मा और ऊर्जा दी है, तो वो हैं अजय-अतुल। पुणे में जन्मे ये भाई—अजय अशोक गोगावले और अतुल अशोक गोगावले—ने 2000 के दशक से भारतीय सिनेमा को भावनात्मक, भव्य और लोकप्रेरित संगीत दिया।
इनकी धुनों में ढोल-ताशा की गूंज, शास्त्रीयता की गरिमा, और सिनेमाई स्केल का ऐसा मेल है, जो "सैराट", "आग्निपथ", "सिंघम", "तान्हाजी", "जोगवा" जैसी फिल्मों में सुनाई देता है। अजय-अतुल ने दिखाया कि लोकल साउंड ग्लोबल बन सकता है।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🧑‍🤝‍🧑 जोड़ी: अजय गोगावले (जन्म: 21 अगस्त 1976), अतुल गोगावले (जन्म: 11 सितंबर 1974)
- 🎬 सक्रिय वर्ष: 2000–वर्तमान
- 🎼 प्रमुख फिल्में: Sairat, Agneepath, Singham, Tanhaji, Jogwa, Dhadak, Mauli
- 🏆 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – Jogwa (2008)
- 🏅 फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स – 4 बार (मराठी), 2 बार (हिंदी)
- 🎶 शैली: भारतीय लोक, क्लासिकल, ऑर्केस्ट्रा, फिल्म स्कोर
- 🎤 प्रमुख गायक सहयोगी: अजय गोगावले, श्रेया घोषाल, उदित नारायण, सुखविंदर सिंह
- 🎹 वाद्य यंत्र: हारमोनियम, ढोलकी, पियानो, सिंथेसाइज़र, गिटार, ड्रम्स
- 🏢 म्यूज़िक स्टूडियो: A&A Music Studios, पुणे
अजय-अतुल ने दिखाया कि संगीत सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति, जड़ें और जुनून की अभिव्यक्ति है। उनकी धुनें आज भी हर दिल को जोश और भावनाओं से भर देती हैं।

G. V. प्रकाश कुमार: संगीत से अभिनय तक, तमिल सिनेमा का बहुआयामी सितारा!!! अगर किसी कलाकार ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री में संग...
18/10/2025

G. V. प्रकाश कुमार: संगीत से अभिनय तक, तमिल सिनेमा का बहुआयामी सितारा!!! अगर किसी कलाकार ने तमिल फिल्म इंडस्ट्री में संगीत, गायन, अभिनय और निर्माण के क्षेत्र में एक साथ चमक बिखेरी है, तो वो हैं G. V. Prakash Kumar। 13 जून 1987 को चेन्नई में जन्मे प्रकाश ने 2006 में "Veyil" से संगीतकार के रूप में डेब्यू किया और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
उनकी धुनों में युवा ऊर्जा, लोकल बीट्स और इमोशनल मेलोडी का ऐसा मेल है, जो हर पीढ़ी को पसंद आता है। "Aadukalam", "Theri", "Asuran", "Darling", "Trisha Illana Nayanthara" जैसी फिल्मों में उन्होंने संगीत और अभिनय दोनों से दर्शकों का दिल जीता।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🗓️ जन्म: 13 जून 1987, चेन्नई, तमिलनाडु
- 🎬 सक्रिय वर्ष: 2005–वर्तमान
- 🎼 डेब्यू संगीतकार: Veyil (2006)
- 🎤 डेब्यू गायक: Chikku Bukku Rayile (Gentleman, 1993)
- 🎭 डेब्यू अभिनेता: Darling (2015)
- 🏆 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार: 2 बार
- 🏅 फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स: 3 बार SIIMA अवॉर्ड्स: 3 बार
- 🎹 वाद्य यंत्र: गिटार, कीबोर्ड, पियानो, ड्रम्स, लोक वाद्य
- 👨‍👩‍👧‍👦 परिवार: A. R. Reihana (माँ), A. R. Rahman (मामा), Bhavani Sre (बहन)
- 💽 प्रमुख फिल्में: Aadukalam, Theri, Asuran, Jail, Bachelor, Ayngaran
- Prakash ने दिखाया कि प्रतिभा सिर्फ़ एक क्षेत्र तक सीमित नहीं होती—वो हर मंच पर चमक सकती है। उनकी धुनें और अभिनय आज के तमिल सिनेमा की पहचान हैं।

सलिल चौधुरी: सुरों का क्रांतिकारी, जिसने संगीत को विचारों की आवाज़ दी!!! अगर भारतीय फिल्म संगीत में किसी ने शब्दों, सुरो...
18/10/2025

सलिल चौधुरी: सुरों का क्रांतिकारी, जिसने संगीत को विचारों की आवाज़ दी!!! अगर भारतीय फिल्म संगीत में किसी ने शब्दों, सुरों और विचारों को एक साथ पिरोकर संगीत को सामाजिक चेतना दी, तो वो हैं सलिल चौधुरी। 19 नवंबर 1925 को पश्चिम बंगाल के बारुईपुर में जन्मे सलिल दा एक संगीतकार, गीतकार, कवि और लेखक थे—जिन्होंने 13 भाषाओं में संगीत रचा और भारतीय सिनेमा को नई दिशा दी।
उनकी धुनों में पश्चिमी क्लासिकल, भारतीय लोक, और शास्त्रीय संगीत का ऐसा मेल था, जो बीज की तरह विचार बोता और फूल की तरह भावनाओं को महकाता। "मधुमती", "आनंद", "काबुलीवाला", "दो बीघा ज़मीन" जैसी फिल्मों में उनका संगीत आज भी अमर है।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🗓️ जन्म: 19 नवंबर 1925, बारुईपुर, पश्चिम बंगाल
- 🕯️ निधन: 5 सितंबर 1995, कोलकाता
- 🎬 सक्रिय वर्ष: 1949–1995
- 🎼 कुल फिल्में: 75+ हिंदी, 41 बंगाली, 27 मलयालम, अन्य भाषाओं में भी योगदान
- 🏆 फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड – Madhumati (1959)
- 🏅 संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
- 🎤 प्रमुख गायक सहयोगी: लता मंगेशकर, तलत महमूद, हेमंत कुमार, येसुदास
- 🎹 वाद्य यंत्र: फ्लूट, पियानो, इसराज
- 🎶 शैली: वेस्टर्न क्लासिकल फ्यूज़न, इंडियन क्लासिकल, फोक, फिल्म स्कोर
- 🎤 संस्थापक: Bombay Youth Choir (1958) – भारत का पहला सेक्युलर कोयर ग्रुप
सलिल चौधुरी ने दिखाया कि संगीत सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि बदलाव की प्रेरणा है। उनकी रचनाएँ आज भी संगीत प्रेमियों के दिल और विवेक को झकझोरती हैं।

शंकर-एहसान-लॉय: तीन सुरों की एक आत्मा, जिसने बॉलीवुड को नया संगीत दिया!!! अगर किसी संगीतकार तिकड़ी ने भारतीय फिल्म संगीत...
18/10/2025

शंकर-एहसान-लॉय: तीन सुरों की एक आत्मा, जिसने बॉलीवुड को नया संगीत दिया!!! अगर किसी संगीतकार तिकड़ी ने भारतीय फिल्म संगीत को ग्लोबल साउंड, शास्त्रीय आत्मा और युवा ऊर्जा से सजाया है, तो वो हैं शंकर महादेवन, एहसान नूरानी और लॉय मेंडोंसा—जिन्हें हम सब जानते हैं Shankar–Ehsaan–Loy (SEL) के नाम से।
1997 से सक्रिय, इस तिकड़ी ने रॉक, जैज़, इंडियन क्लासिकल और इलेक्ट्रॉनिक को मिलाकर ऐसा संगीत रचा जो दिल चाहता है से लेकर रॉक ऑन, भाग मिल्खा भाग, कल हो ना हो, ज़िंदगी ना मिलेगी दोबारा तक हर पीढ़ी की आवाज़ बन गया।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🧑‍🤝‍🧑 सदस्य: शंकर महादेवन (वोकल्स), एहसान नूरानी (गिटार), लॉय मेंडोंसा (कीबोर्ड)
- 🎬 सक्रिय वर्ष: 1997–वर्तमान
- 🎼 प्रमुख फिल्में: Dil Chahta Hai, Kal Ho Naa Ho, Rock On!!, Taare Zameen Par, Don, Zindagi Na Milegi Dobara, Bhaag Milkha Bhaag
- 🏆 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – Kal Ho Naa Ho (2004)
- 🏅 फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स – 7 बार
- 🎶 शैली: फिल्म स्कोर, इंडी रॉक, जैज़, क्लासिकल फ्यूज़न
- 🌍 भाषाएँ: हिंदी, तमिल, तेलुगु, मलयालम, मराठी, अंग्रेज़ी
- 🎤 प्रमुख गायक सहयोगी: शंकर महादेवन, कार्तिक, श्रेया घोषाल, सोनू निगम, सुखविंदर सिंह
शंकर-एहसान-लॉय ने दिखाया कि संगीत सिर्फ़ सुरों का नहीं, बल्कि विचारों, भावनाओं और संस्कृति का संगम है। उनकी धुनें आज भी हर दिल को झूमने पर मजबूर करती हैं।

हेमंत कुमार: सुरों की आत्मा और भावनाओं की आवाज़!! अगर भारतीय संगीत में किसी आवाज़ ने शांति, गहराई और आत्मीयता को सबसे खू...
18/10/2025

हेमंत कुमार: सुरों की आत्मा और भावनाओं की आवाज़!! अगर भारतीय संगीत में किसी आवाज़ ने शांति, गहराई और आत्मीयता को सबसे खूबसूरत रूप दिया है, तो वो हैं हेमंत कुमार। 16 जून 1920 को बनारस में जन्मे हेमंत दा, जिनका असली नाम हेमंत मुखोपाध्याय था, ने बंगाली और हिंदी संगीत में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उन्हें "Voice of God" कहा जाता है—और उनकी आवाज़ आज भी दिलों को सुकून देती है।
वो न सिर्फ़ एक पार्श्वगायक थे, बल्कि एक संगीत निर्देशक भी, जिन्होंने बीवी ओ बीवी, बीस साल बाद, खामोशी, अनुपमा, नागिन जैसी फिल्मों में अमर संगीत दिया। रवींद्र संगीत से लेकर फिल्मी ग़ज़ल तक, उनकी शैली में विविधता और गरिमा थी।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🗓️ जन्म: 16 जून 1920, बनारस, ब्रिटिश भारत
- 🕯️ निधन: 26 सितंबर 1989, कोलकाता
- 🎼 सक्रिय वर्ष: 1935–1989
- 🎬 प्रमुख फिल्में: बीस साल बाद, खामोशी, नागिन, अनुपमा, जागृति
- 🏆 राष्ट्रीय पुरस्कार – सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायक (2 बार)
- 🎤 भाषाएँ: बंगाली, हिंदी, मराठी, गुजराती, उड़िया, असमिया, तमिल, पंजाबी, संस्कृत, उर्दू
- 🎹 वाद्य यंत्र: हारमोनियम
- 🎶 शैली: रवींद्र संगीत, फिल्म स्कोर, शास्त्रीय और भावगीत
- 👨‍👩‍👧‍👦 पत्नी: बेला मुखोपाध्याय संतान: जयंत मुखोपाध्याय
हेमंत कुमार ने दिखाया कि संगीत सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा की भाषा है। उनकी आवाज़ आज भी पुराने रेडियो, स्टेज और दिलों में गूंजती है।

कल्याणजी–आनंदजी: सुरों की वो जोड़ी जिसने बॉलीवुड को अमर धुनें दीं!!! अगर किसी संगीतकार जोड़ी ने 1950 से 1990 के दशक तक ह...
18/10/2025

कल्याणजी–आनंदजी: सुरों की वो जोड़ी जिसने बॉलीवुड को अमर धुनें दीं!!! अगर किसी संगीतकार जोड़ी ने 1950 से 1990 के दशक तक हिंदी सिनेमा को भावनात्मक गहराई, लोकधुनों की मिठास और डिस्को बीट्स का अनोखा संगम दिया, तो वो हैं कल्याणजी–आनंदजी। गुजरात के कुंडरोडी गाँव से मुंबई आए ये भाई—कल्याणजी वीरजी शाह और आनंदजी वीरजी शाह—ने मिलकर Don, Muqaddar Ka Sikandar, Laawaris, Tridev, Qurbani, Saraswatichandra जैसी फिल्मों में अमर संगीत रचा।
इनकी धुनों में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, पश्चिमी ऑर्केस्ट्रा, और लोकल बीट्स का ऐसा मेल था, जो हर वर्ग के श्रोता को पसंद आया। "जिंदगी का सफर", "ये मेरा दिल", "लैला ओ लैला", "पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर ले" जैसे गीत आज भी हर दिल की धड़कन हैं।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🧑‍🤝‍🧑 जोड़ी: कल्याणजी वीरजी शाह (30 जून 1928 – 24 अगस्त 2000) और आनंदजी वीरजी शाह (जन्म: 2 मार्च 1933)
- 🎬 सक्रिय वर्ष: 1954–1994
- 🎼 प्रमुख फिल्में: Don, Muqaddar Ka Sikandar, Laawaris, Tridev, Qurbani, Saraswatichandra, Safar
- 🏆 फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड – Kora Kagaz (1975)
- 🎶 शैली: फिल्म स्कोर, लोकधुन, डिस्को, क्लासिकल फ्यूज़न
- 🎤 प्रमुख गायक सहयोगी: किशोर कुमार, लता मंगेशकर, मोहम्मद रफ़ी, आशा भोसले
- 🎹 नवाचार: "ट्विन हारमोनियम" स्टाइल और लाइव शो के लिए "कल्याणजी–आनंदजी नाइट्स"
कल्याणजी–आनंदजी ने दिखाया कि संगीत सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति और आत्मा की अभिव्यक्ति है। उनकी धुनें आज भी हर रेडियो, स्टेज और दिल में गूंजती हैं।

नदीम–श्रवण: 90 के दशक की मोहब्बत की धुनें और दिल को छू जाने वाला संगीत!!! अगर हिंदी फिल्म संगीत में किसी जोड़ी ने इमोशनल...
18/10/2025

नदीम–श्रवण: 90 के दशक की मोहब्बत की धुनें और दिल को छू जाने वाला संगीत!!! अगर हिंदी फिल्म संगीत में किसी जोड़ी ने इमोशनल मेलोडी, ग़ज़लनुमा रोमांस और दिल को छू लेने वाली धुनों से एक युग रच दिया, तो वो हैं नदीम–श्रवण। 1977 में शुरुआत करने वाली इस जोड़ी ने 1990 के दशक में बॉलीवुड को सबसे ज़्यादा हिट एल्बम्स दिए और प्रेम गीतों को नई ऊंचाइयाँ दीं।
इनकी धुनों में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत, फिल्मी ग़ज़ल, और सॉफ्ट रोमांटिक बीट्स का ऐसा मेल था, जो आज भी हर दिल को सुकून देता है। "आशिकी", "साजन", "दिल है कि मानता नहीं", "राज", "दीवाना" जैसी फिल्मों के गाने आज भी हर प्लेलिस्ट में मौजूद हैं।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🧑‍🤝‍🧑 जोड़ी: नदीम अक़्तर सैफ़ी (जन्म: 6 अगस्त 1954) और श्रवण कुमार राठौड़ (13 नवंबर 1954 – 22 अप्रैल 2021)
- 🎬 सक्रिय वर्ष: 1977–2005, 2009, 2016–वर्तमान
- 🎼 प्रमुख फिल्में: Aashiqui, Saajan, Deewana, Raja Hindustani, Pardes, Raaz
- 🏆 फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स: 4 बार सर्वश्रेष्ठ संगीतकार
- 🎶 शैली: फिल्मी ग़ज़ल, हिंदुस्तानी क्लासिकल, रोमांटिक साउंडट्रैक
- 🎤 प्रमुख गायक सहयोगी: कुमार सानू, अलका याज्ञनिक, उदित नारायण, अनुराधा पौडवाल
- 💽 सबसे ज़्यादा बिकने वाला एल्बम: Aashiqui (1990)
- 🕊️ श्रवण राठौड़ का निधन: 2021, COVID-19 से
नदीम–श्रवण ने दिखाया कि संगीत सिर्फ़ सुरों का नहीं, बल्कि भावनाओं का पुल होता है। उनकी धुनें आज भी मोहब्बत की सबसे खूबसूरत अभिव्यक्ति हैं।

अनिरुद्ध रविचंदर: युवाओं की धड़कन और साउथ इंडियन म्यूज़िक का रॉकस्टार!!! अगर किसी संगीतकार ने 21वीं सदी के तमिल सिनेमा क...
18/10/2025

अनिरुद्ध रविचंदर: युवाओं की धड़कन और साउथ इंडियन म्यूज़िक का रॉकस्टार!!! अगर किसी संगीतकार ने 21वीं सदी के तमिल सिनेमा को ग्लोबल बीट्स और लोकल आत्मा से सजाया है, तो वो हैं अनिरुद्ध रविचंदर। 16 अक्टूबर 1990 को चेन्नई में जन्मे अनिरुद्ध ने 2012 में फिल्म "3" के लिए "Why This Kolaveri Di" कंपोज़ किया—जो रातों-रात वायरल हो गया और उन्हें इंटरनेशनल पहचान दिला दी।
उनकी धुनों में इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज़न, लोकल फ्लेवर, और युवा ऊर्जा का ऐसा मेल है, जो हर पीढ़ी को झूमने पर मजबूर करता है। "Master", "Jailer", "Leo", "Don", "Kaththi" जैसी फिल्मों में उनका संगीत आज के साउथ सिनेमा की पहचान बन चुका है।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🗓️ जन्म: 16 अक्टूबर 1990, चेन्नई, तमिलनाडु
- 🎬 सक्रिय वर्ष: 2011–वर्तमान
- 🎼 डेब्यू: फिल्म 3 (2012) गीत: "Why This Kolaveri Di"
- 🏆 अवॉर्ड्स: 2 Filmfare South, 10 SIIMA, 6 Edison, 5 Vijay Awards
- 🎹 वाद्य यंत्र: कीबोर्ड, वोकल्स
- 🎶 शैली: फिल्म स्कोर, इंडी म्यूज़िक, इलेक्ट्रॉनिक फ्यूज़न
- 🧢 प्रमुख फिल्में: Master, Jailer, Leo, Don, Kaathuvaakula Rendu Kaadhal, Kaththi
- 💽 म्यूज़िक लेबल्स: Sony Music India, T-Series, Zee Music, Sun Pictures
- 👨‍👩‍👦 परिवार: पिता रवि राघवेंद्र (एक्टर), माँ लक्ष्मी (डांसर)
अनिरुद्ध ने दिखाया कि संगीत सिर्फ़ सुरों का नहीं, बल्कि स्टाइल, आत्मा और पहचान का नाम है। उनकी धुनें आज के युवाओं की आवाज़ बन चुकी हैं।

नौशाद अली: सुरों का सम्राट, जिसने भारतीय संगीत को शास्त्रीय आत्मा दी!!! अगर हिंदी फिल्म संगीत को किसी ने शास्त्रीय गरिमा...
18/10/2025

नौशाद अली: सुरों का सम्राट, जिसने भारतीय संगीत को शास्त्रीय आत्मा दी!!! अगर हिंदी फिल्म संगीत को किसी ने शास्त्रीय गरिमा, धार्मिक गहराई और सांस्कृतिक आत्मा दी है, तो वो हैं नौशाद अली। 25 दिसंबर 1919 को लखनऊ में जन्मे नौशाद साहब ने 1940 के दशक से लेकर 1970 के दशक तक भारतीय सिनेमा को ऐसी धुनें दीं, जो आज भी संगीत की पाठशाला मानी जाती हैं।
उन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को फिल्मी धुनों में पिरोया और उस्ताद बडे़ गुलाम अली खान, शमशाद बेगम, मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर जैसे दिग्गजों की आवाज़ को अमर बना दिया। "मुग़ल-ए-आज़म", "बैजू बावरा", "मदर इंडिया" जैसी फिल्मों में उनका संगीत आज भी इतिहास की धड़कन है।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🗓️ जन्म: 25 दिसंबर 1919, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
- 🕯️ निधन: 5 मई 2006, मुंबई
- 🎬 सक्रिय वर्ष: 1939–2006
- 🎼 प्रमुख फिल्में: बैजू बावरा, मुग़ल-ए-आज़म, मदर इंडिया, गंगा जमुना, कोहिनूर
- 🏆 पद्म भूषण (1992), दादा साहेब फाल्के पुरस्कार (1981)
- 🎶 पहली फिल्म: Prem Nagar (1940, असफल), पहली हिट: Rattan (1944)
- 🎤 प्रमुख गायक सहयोगी: रफ़ी, लता, शमशाद बेगम, तलत महमूद
- 🎻 विशेषता: शास्त्रीय रागों पर आधारित फिल्मी धुनें
- 🧠 संगीत में नवाचार: पहली बार 100 वाद्य यंत्रों का प्रयोग (मुग़ल-ए-आज़म)
नौशाद अली ने दिखाया कि संगीत सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि संस्कृति और आत्मा की अभिव्यक्ति है। उनकी धुनें आज भी हर संगीत प्रेमी के दिल में गूंजती हैं।

विद्यासागर: मेलोडी का मसीहा और दक्षिण भारतीय संगीत का सच्चा शिल्पकार!!! अगर किसी संगीतकार ने तमिल, मलयालम और तेलुगु सिने...
18/10/2025

विद्यासागर: मेलोडी का मसीहा और दक्षिण भारतीय संगीत का सच्चा शिल्पकार!!! अगर किसी संगीतकार ने तमिल, मलयालम और तेलुगु सिनेमा को सुरों की आत्मा दी है, तो वो हैं विद्यासागर। 2 मार्च 1963 को विजयनगरम, आंध्र प्रदेश में जन्मे विद्यासागर ने 1989 में "Poo Manam" से डेब्यू किया और तब से अब तक 225 से अधिक फिल्मों में संगीत देकर खुद को "मेलोडी किंग" के रूप में स्थापित किया।
उनकी धुनों में शास्त्रीय संगीत की गहराई, पश्चिमी साउंडट्रैक की आधुनिकता और भावनाओं की सादगी का अनोखा संगम है। "Mozhi", "Dhool", "Anandam", "Meesha Madhavan", "Thavasi", "Run", "Chandramukhi" जैसी फिल्मों में उनका संगीत आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है।
📊 मुख्य तथ्य और उपलब्धियाँ:
- 🗓️ जन्म: 2 मार्च 1963, विजयनगरम, आंध्र प्रदेश
- 🎬 सक्रिय वर्ष: 1989–वर्तमान
- 🎼 कुल फिल्में: 225+ (तमिल, मलयालम, तेलुगु, हिंदी)
- 🏆 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार – Best Music Direction (2005)
- 🏅 फ़िल्मफ़ेयर अवॉर्ड्स – 5 बार
- 🏅 राज्य स्तरीय पुरस्कार – मलयालम और तमिल सिनेमा में
- 🎹 वाद्य यंत्र: हारमोनियम, संतूर, वाइब्राफोन, कीबोर्ड, पियानो, गिटार
- 🎶 शैली: फिल्म स्कोर, डांस म्यूज़िक, क्लासिकल फ्यूज़न
- 🎤 प्रमुख गायक सहयोगी: K. S. Chithra, Hariharan, S. P. Balasubrahmanyam, Shreya Ghoshal
विद्यासागर ने दिखाया कि संगीत सिर्फ़ मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा की भाषा है। उनकी धुनें आज भी हर दिल को सुकून देती हैं।

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18/10/2025

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