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सनातन काल से जारी होली की बधाई!सनातन धर्म संस्कृति के रहस्यों को समझने के लिए जो जितनी भी गहराई में डुबकी लगाता है उसे उ...
14/03/2025

सनातन काल से जारी होली की बधाई!

सनातन धर्म संस्कृति के रहस्यों को समझने के लिए जो जितनी भी गहराई में डुबकी लगाता है उसे उतने ही बहुमूल्य रत्नों की उपलब्धि होती है। भोलेबाबा के मसाने में होली खेलने की परंपरा हो या बरसाने में में राधारानी और कान्हा की होरी की मधुर यादों की परिपाटी, सभी में एक नई ऊर्जा को समेट हर्षोल्लास का उत्सव हो, सभी का निर्वहन सनातन संस्कृति सदियों से कर रही है। हमारा सौभाग्य है कि हम आज इसे अपनी झोली में समेटने के लिए मौजूद है।आप सभी के लिए होली मंगलमय हो।
हर हर महादेव।
- शीलभद्र उपाध्याय

14/03/2025



आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ

13/03/2025

दाती जी महाराज के साथ।

होली की शुभ कामनाएं!!!!!

आएं, हम सब मिलकर होलिका दहन के अवसर पर अधर्म फैलाने वालों विचारधारा की होलिका का दहन कर धर्मपथ अग्रसर होने वाले भक्तिसाधना के आदर्श बालक प्रह्लाद की रक्षा उसके ही अधर्मी पिता हिरण्यकश्यप से करने के लिए दृढ़ संकल्प के साथ एकजुटता से खड़े रहें। ऐसा होने पर ही समाज में नवीन ऊर्जा के सतरंगी फुहारों से उल्लास का रस पूरे समाज को बिना किसी भेदभाव के सराबोर करता रहे।
प्रभु आप सबके मनोरथ सिद्ध करें और समाज के अंतिम कतार में खड़े व्यक्ति तक आनंद की संपदा बड़ी सरलता से पहुंच जाए। कोई भी उस दिव्य संपत्ति से वंचित्र न रहे इसी शुभकामना के साथ सबको होली की मंगल कामनाएं।
पंचांग के अनुसार, होलिका दहन 13 मार्च 2025 को किया जाएगा। होलिका दहन का शुभ मुहूर्त रात 11:26 बजे से 14 मार्च को सुबह 12:29 बजे तक रहेगा. देश के अलग-अलग हिस्सों में होली 14 मार्च और 15 मार्च को मनाई जाएगी।
हर हर महादेव।
- शीलभद्र उपाध्याय

06/11/2024

🌞 जय छठी मैया। 🙏

गत 10 वर्षों से माता रानी की सेवा का सौभाग्य प्राप्त होता रहा है, और उसी श्रृंखला को आगे बढ़ाते हुए इस वर्ष भी भव्य छठ महापर्व का आयोजन मंगलमस्तु फाउंडेशन द्वारा किया जा रहा है। आप सभी सादर आमंत्रित हैं। 🌾🌊

📍 स्थान – फॉर्म नंबर 8, अस्थल मंदिर रोड, फतेहपुर बेरी, नई दिल्ली 🏞

दुर्जन और सज्जन में बुनियादी अंतर विद्या विवादाय धनं मदाय शक्तिः परेषां परिपीडनाय। खलस्य साधोर्विपरीतमेतत् ज्ञानाय दानाय...
28/06/2024

दुर्जन और सज्जन में बुनियादी अंतर

विद्या विवादाय धनं मदाय
शक्तिः परेषां परिपीडनाय।
खलस्य साधोर्विपरीतमेतत्
ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय।
यानी दुर्जन की विद्या विवाद के लिये, धन उन्माद के लिये और शक्ति दूसरों का दमन करने के लिये होती है। जब कि सज्जन विद्या को ज्ञान के लिए, धन को दान के लिए और शक्ति को दूसरों के रक्षण के लिये उपयोग करते हैं।
ये बुनियादी सिद्धांत हैं और सदियों से प्रयुक्त होते रहे हैं और भविष्य में भी प्रयोग में लाए जाते रहेंगे। व्यक्ति का कार्यक्षेत्र पारिवारिक, सामाजिक और राजनीतिक कोई भी हो, सनातन काल से सज्जनों व दुर्जनों द्वारा इनका इस्तेमाल इसी तरह किया जाता रहा है।
हर हर महादेव।
- शीलभद्र उपाध्याय

राम काज में राम विमुख न आएं तो आश्चर्य कैसा ?कुछ लोग व्यर्थ में चिंतित व चकित भी हो रहे हैं कि भला आमंत्रण मिलने के बावज...
22/01/2024

राम काज में राम विमुख न आएं तो आश्चर्य कैसा ?

कुछ लोग व्यर्थ में चिंतित व चकित भी हो रहे हैं कि भला आमंत्रण मिलने के बावजूद कोई व्यक्ति रामलला की प्रतिमा के प्राण प्रतिष्ठा वाले महान उत्सव में सम्मिलित होने से भला कैसे मना कर सकता है! किंतु हमारे देश में ही ऐसा चौंकाने वाला कार्य धड़ल्ले से हो रहा है। फिर भी मेरा मानना है कि इसमें भी ज्यादा चकित करने वालीं कोई बात नहीं है। क्योंकि स्वयं रघुनाथ जी की वाणी है कि उनके दर्शन करने के लिए कौन जा पाता है और कौन नहीं, यह सब कुछ उस व्यक्ति के प्रारब्ध और कर्म पर निर्भर है। भगवान राम ने स्वयं अपने श्रीमुख से इस बात की घोषणा की है कि उनके पास कौन लोग आ पाते हैं और कौन उनके पास आने के अवसर को पाकर भी बड़ी सरलता से उसे बर्बाद कर देते हैं, यह सबकुछ उस व्यक्ति विशेष के प्रारब्ध और पूर्व कृत कर्मों पर निर्भर है। भगवान राम के वचन मानस में इस प्रकार अंकित किए गए हैं -
पापवंत कर सहज सुभाऊ।
भजन मोर तेहि भाव न काऊ ||
निर्मल मन जन सो मोहि पावा।
मोहि कपट छल छिद्र न भावा ।।
जिन्हके कपट दंभ नहीं माया।
तिन्हके ह्रदय बसही रहघुराया।।
सरल सुभाव न मन कुटिलाई।
जथा लाभ संतोष सदाई॥
जय श्री राम!
- शीलभद्र उपाध्याय

सदियों की प्रतीक्षा के बाद की पावन घड़ीआख़िर आ ही गईं वह पावन घड़ी जिसका हम सनातनी सदियों से इंतजार कर रहे थे। कई कई पीढ...
22/01/2024

सदियों की प्रतीक्षा के बाद की पावन घड़ी

आख़िर आ ही गईं वह पावन घड़ी जिसका हम सनातनी सदियों से इंतजार कर रहे थे। कई कई पीढ़ियां खप गई हैं इस सपने को साकार करने में। भगवान राम के जन्म भूमि पर निर्मित मंदिर को विधर्मियों द्वारा बार बार ध्वस्त किए जाने और बनाने के बाद लगभग 500 वर्षों के खूनी संघर्ष तथा अदालती दाव पेंचों की पैंतरे बाजी झेलने के बाद श्री रामलला की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा हो गई एवं वे अपने भव्य मंदिर में विराजमान भी हो चुके हैं। हमारी वर्तमान पीढ़ी बड़ी ही भाग्यवान है कि आज यह उल्लास पूर्ण परिवेश का आनंद लेने में सफल हो पाए हैं।
आएं, हम सब अपने सारे विवाद भुलाकर प्रभु की भक्ति में लीन हो दूसरों के प्रति बदला की भावना का पूरी तरह परित्याग कर दें। किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार को अपने हृदय में स्थान न दें।
जय श्री राम !
- शीलभद्र उपाध्याय

22/10/2023

Address

Chhatarpur
110074

Website

https://virasatkisugandh.blogspot.com/2023/06/Sheelbhdra-upadhyay-kaun-hai.html

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