
30/07/2025
शीर्षक: "ग़रीबी, अमीरी, सुख और दुख"
एक गांव में दो दोस्त रहते थे — रामू और श्यामू। रामू बहुत ग़रीब था, दिन भर खेतों में मेहनत करता, लेकिन मुस्कुराता रहता। वहीं श्यामू शहर जाकर बड़ा अमीर बन गया था — उसके पास बड़ी कोठी, गाड़ी और नौकर-चाकर थे, लेकिन चेहरे पर हमेशा चिंता की लकीरें रहती थीं।
एक दिन श्यामू गांव आया और रामू से मिलने गया। रामू ने मिट्टी के चूल्हे पर चाय बनाई, बाजरे की रोटी और प्याज़ परोसी। श्यामू ने आश्चर्य से पूछा, "तू इतना खुश कैसे रहता है, जब तेरे पास कुछ नहीं है?"
रामू मुस्कराया और बोला, "सुख चीज़ों से नहीं, मन से आता है। मेरे पास भले ही धन नहीं है, पर दिल में चैन है, परिवार का प्यार है और मेहनत की रोटी है।"
श्यामू कुछ सोच में पड़ गया। फिर बोला, "मेरे पास सब कुछ है, पर रात को नींद नहीं आती। लोग मेरे पैसे से जलते हैं, दोस्त बनते हैं मतलब से।"
रामू ने हाथ थामकर कहा, "ग़रीबी और अमीरी शरीर की हालत हो सकती है, लेकिन सुख और दुख मन की अवस्था हैं। सच्चा सुख तो संतोष में है।"
श्यामू की आंखों में नमी आ गई। उसने फैसला किया कि अब वह सिर्फ पैसा नहीं, दिल भी कमाएगा। उसने गांव में स्कूल और अस्पताल बनवाए और रामू के साथ मिलकर लोगों की सेवा करने लगा।
सीख:
अमीरी जरूरी नहीं कि सुख दे, और ग़रीबी जरूरी नहीं कि दुख दे। असली सुख सादगी, संतोष और सच्चे रिश्तों में छिपा होता है।