
30/07/2025
एक छोटा बच्चा था, जो रोज़ सवेरे-सवेरे अपनी छोटी सी ठेली लेकर शहर की सड़कों पर निकल पड़ता था। वो मक्का के भुट्टे बेचता था। उसकी उम्र कम थी, मगर उसकी सोच बहुत बड़ी। धूप हो या बारिश, वो बिना शिकायत के अपने काम में जुटा रहता था।
पर उसकी ठेली पर एक चीज़ और थी — कुरआन शरीफ। जब ग्राहकों की भीड़ कम होती, वो अपने हाथों से भुट्टा छीलते-छीलते कुरआन की तिलावत करता। उसके होंठ हर वक्त अल्लाह के ज़िक्र से तर रहते। وہ ہر دانے کے ساتھ बरकत और हर आयत के साथ रूहानी सकून पाता था।
लोग अक्सर रुककर हैरानी से उसे देखते। कोई सोचता – “इतनी कम उम्र में ये बच्चा मेहनत भी करता है और दीन को भी नहीं छोड़ता?” कुछ लोग خاموش होकर چلے जाते, मगर उनके दिलों में ये तस्वीर बस जाती।
उसकी कहानी हमें ये सिखाती है —
जब मेहनत के साथ दिल में कुरआन हो, तो इंसान ज़रूरत से नहीं, सुकून से अमीर बनता है।
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