
17/09/2025
"औक़ाफ़ की हिफ़ाज़त: सोती क़ौम और लुटती मिल्कियत – जिम्मेदार कौन?"
हमारे समाज की अमूल्य विरासत में से एक है औक़ाफ़ – वो जमीनें और संपत्ति जो गरीबों, जरूरतमंदों और धर्म की सेवा के लिए बनाई गई हैं। लेकिन यह अमूल्य विरासत धीरे-धीरे लूट और उपेक्षा का शिकार बन रही है। सवाल यह है – जिम्मेदार कौन है? क्या यह हमारी सोती हुई क़ौम की उदासीनता है, या प्रशासनिक और कानूनी कमजोरी?
औक़ाफ़ की अहमियत:
औक़ाफ़ केवल जमीन या संपत्ति नहीं, बल्कि समाज और धर्म की सेवा का एक ज़रिया हैं।
यही संपत्ति मस्जिद, इमामबाड़ा, स्कूल, मुफ्त अस्पताल और गरीबों और यतीमो की मदद के लिए काम आती है।
जब तक यह सुरक्षित है, समाज की सेवा जारी रहती है; जब यह लूटती है, समाज कमजोर पड़ता है।
सोती हुई क़ौम और लुटती मिल्कियत:
आम लोग अपनी जिम्मेदारी से अनजान या बेपरवाह हैं।
प्रशासनिक अव्यवस्था और भ्रष्टाचार ने औक़ाफ़ को लगातार कमजोर बनाया।
कई मामलों में ये संपत्ति निजी हाथों में चली गई या अवैध तरीकों से इस्तेमाल की गई।
जिम्मेदार कौन?
प्रशासन और कानून की कमी – निगरानी और सुरक्षा में कमज़ोरी।
समाज की उदासीनता – जागरूकता की कमी।
अंजुमन और धार्मिक संगठनों की निष्क्रियता – जिम्मेदारी निभाने में पीछे रह जाना।
अंजुमनों और एनजीओ की भूमिका:
अंजुमनों और एनजीओ को सक्रिय किया जाए ताकि औक़ाफ़ की संपत्ति की निगरानी और हिफ़ाज़त सुनिश्चित हो।
स्थानीय समुदाय को जागरूक किया जाए ताकि वे औक़ाफ़ की रक्षा में योगदान दें।
कानूनी मदद और प्रशासन से तालमेल बढ़ाया जाए, ताकि अवैध कब्ज़ा और भ्रष्टाचार रोका जा सके।
सामूहिक प्रयासों से हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि औक़ाफ़ की संपत्ति समाज की भलाई के लिए सुरक्षित रहे।
औक़ाफ़ की हिफ़ाज़त सिर्फ़ प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सबकी जिम्मेदारी है। यदि हम जागरूक नहीं हुए, यदि अंजुमन और एनजीओ सक्रिय नहीं हुए, तो यह अमूल्य विरासत पूरी तरह लुट जाएगी। आइए, हम सचेत हों, कदम उठाएँ और अपने धर्म और समाज की संपत्ति की रक्षा करें।