
13/09/2025
क़ीमत बड़ी चुकाई ज़रा से उधार की
नथनी के बदले नथ पे नज़र थी सुनार की
अब क्या मिसाल दीजिए क़िस्मत की मार की
घर में कुँआरी रह गई बेटी कहार की
सीने को छोड़ो पीठ पे बांधा करो कवच
इस दौर की लड़ाई है पीछे से वार की
मुर्दे पे ख़ाक डाल के हाथों को झाड़ के
हंस हंस के बातें होने लगी कारोबार की
ये ज़िंदगी सुनार है और मौत है लोहार
लाज़िम है सौ सुनार कि और इक लोहार की
थमते ही रक़्स चाक का थमती है ज़िन्दगी
मिट्टी में मिट्टी होती है मिट्टी कुम्हार की
पत्थर दुबारा आदमी होते ही रो पड़ा
हद हो गई थी सब्र की और इंतज़ार की
अय रहनुमा ख़ुदा न बनो आदमी रहो
इतनी सी इल्तिजा है गौतम ख़ाकसार की
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