
08/07/2022
युवा तुर्क चन्द्रशेखर के 15वी पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन......
युवा शक्ति और राष्ट्र प्रेम के प्रतिबिंब थे चन्द्रशेखर: प्रो. मुनेश्वर यादव
चन्द्रशेखर के विचार प्रासंगिक थे है और रहेंगे : आलोक रंजन
चन्द्रशेखर व्यक्ति नहीं विचारधारा है : डॉ नंद कुमार
चन्द्रशेखर के व्यक्तित्व से राष्ट्र प्रेम और स्पष्टता की मिलती हैं प्रेरणा : डॉ. एस. के. सिंह
डी.बी. कॉलेज जयनगर द्वारा आयोजित दिनांक 08 जुलाई 2022 को दोपहर 12:00 बजे से एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी-सह-परिचर्चा में शामिल सभी पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर जी की 15वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में एकत्रित हुए और इसी अवसर पर "आधुनिक भारत के निर्माण में युवा तुर्क चंद्रशेखर का योगदान" पर उनके नेक दरियादिली व ओजस्वी विचारों के साथ-साथ उनके राजनीतिक कद आदि से संबंधित ज्ञानप्रवाह व्याख्यान से लाभान्वित हुए।
गौरतलब है कि छात्र-छात्राओं ने श्रद्धांजलि देकर चन्द्रशेखर के आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया। भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री, युवा तुर्क चन्द्रशेखर की 15वीं पुण्यतिथि के अवसर पर डी. बी. कॉलेज, जयनगर में *आधुनिक भारत के निर्माण में युवा तुर्क चन्द्रशेखर का योगदान* विषयक वेब संगोष्ठी-सह-परिचर्चा का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ. नंद कुमार, वाणिज्यवेत्ता डॉ. एस. के. सिंह, डॉ. संजय कुमार पासवान द्वारा संयुक्त रूप से चंदरशेखर जी के तैल चित्र के समक्ष दीप प्रजवलन और पुष्प अर्पित कर किया गया। परिचर्चा को सम्बोधित करते हुए सी. एम. साइंस. कॉलेज के *युवा शिक्षाविद् डॉ. आलोक रंजन तिवारी* ने चन्द्रशेखर के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि, चंद्रशेखर के विचार प्रासंगिक थे, प्रासंगिक हैं और प्रासंगिक रहेंगे। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षाविद् *प्रो मुनेश्वर यादव* ने प्रतिभागियों को उद्बोधित करते हुए कहा कि, चंद्रशेखर जी युवाओं के लिए प्रेरणा के प्रतिबिम्ब रहे, इन्होने युवाओं को जगाने का भरपूर प्रयास किया। उनका मानना था *"युवा को शक्ति मानने वाला ही, देश को एक स्वस्थ्य प्रगति की तरफ बढ़ाता है*, क्यूंकि उसमें स्वहित के बजाय राष्ट्र के कल्याण का भाव होता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए *प्रधानाचार्य डॉ. नंद कुमार* ने कहा कि, चन्द्रशेखर व्यक्ति नहीं विचारधारा है। उनकी भाषाशैली अनुपम एवं तीव्र थी, उनमें इतनी सच्चाई और दृढता थी कि कोई उनकी बात काट नहीं सकता था। पक्ष हो या विपक्ष वो सभी के लिए सम्मानीय एवं सभी को मार्गदर्शन देते थे क्यूंकि इनमें निजी स्वार्थ का भाव था ही नहीं। वाणिज्यवेत्ता *डॉ. एस के सिंह* ने समस्त प्रतिभागियों के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि, चन्द्रशेखर की भाषाशैली अनुपम एवं तीव्र थी, उनमें राष्ट्रवाद और देश प्रेम कूट-कूट कर भरा था, राष्ट्रवाद और विचारों में स्पष्टता के कारण उन्होंने अपने प्रधानमन्त्री के पद से त्यागपत्र दे दिया। संगोष्ठी में इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय से विवेकानंद पाठक, डॉ. रूपम मिश्रा, डॉ. शिवजी वर्मा, श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय, गजरौला से डॉ. आनन्द कुमार, डॉ. मो. जमील हसन अंसारी, डॉ. प्रियंका सिंह सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने वर्चुअली प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के अंत में राजनीति शास्त्र विभाग के युवा शिक्षाविद्, संगोष्ठी सचिव *डॉ. अनंतेश्वर यादव* ने धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कार्यक्रम के समापन का घोषणा किया। कार्यक्रम का *संचालन सह-सयोंजक डॉ. मो. जमील हसन अंसारी ने किया।* इस दौरान मुख्य रूप से प्रो. मुनेश्वर यादव, डॉ. आलोक रंजन तिवारी, प्रधानाचार्य डॉ. नंद कुमार, डॉ. संजय कुमार पासवान, डॉ. शैलेश कुमार सिंह, डॉ. मो. मिन्हाजुद्दीन, डॉ. ओम कुमार सिंह, डॉ. कुमार सोनू शंकर, डॉ. रंजना, पुनम कुमारी, सोनी कुमारी, कृष्ण कुमार ठाकुर, मेधा कुमारी, पिंकी कुमारी, कृष्णा यादव के अलावे विश्वविद्यालय इतिहास विभाग ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा से डॉ. पुष्पा कुमारी, डॉ. रौनक झा, मोनी कुमारी, लक्की कुमारी, निधी सिंह, नीरज कुमार, डॉ. गायत्री कुमारी, बृजेश कुमार, उदय कुमार चौरसिया सहित अन्य विभाग एवं महाविद्यालय के दर्जनों शिक्षक और छात्र-छात्राएं उपास्थित रहें।