Curiosity VAM

Curiosity VAM कल्पनाओं के पंख देता है — लेखन।
(जहाँ सोच रुक जाए, वहाँ से लेखन उड़ान भरता है।)

कितनी अजीब बात है, सरकार —तराज़ू में एक ओर कुछ गिने-चुने नोटों वाले अमीर बैठे हैं,और दूसरी ओर करोड़ों लोग मेहनत कर रहे ह...
27/10/2025

कितनी अजीब बात है, सरकार —
तराज़ू में एक ओर कुछ गिने-चुने नोटों वाले अमीर बैठे हैं,
और दूसरी ओर करोड़ों लोग मेहनत कर रहे हैं — फिर भी
तराज़ू झुकती है अमीरों की तरफ़!

लगता है “विकास” का वजन भी अब पैसों से तौला जाता है, इंसानों से नहीं।
GDP बढ़ रहा है, पर थाली खाली है…
कहिए सरकार, ये “ग्रोथ” है या “ग़रीबी का नया मापदंड”?

वाह सरकार!
तराज़ू तो अर्थव्यवस्था की है,
पर झुकी हमेशा ताक़त वालों की तरफ़।

ऊपर 1% का “डाटा” चमक रहा है,
नीचे 99% की “ज़िंदगी” दम तोड़ रही है।

कहते हैं — “भारत अमीर बन रहा है”,
पर असल में तो बस अमीर ही भारत बन गया है।

हाल ही में चीन की सरकार ने सोशल मीडिया क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक नया कड़ा नियम लागू किया है — जो हर देश की सर...
27/10/2025

हाल ही में चीन की सरकार ने सोशल मीडिया क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स के लिए एक नया कड़ा नियम लागू किया है — जो हर देश की सरकार को अपनाना चाहिए। अब चीन के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स उन सभी क्रिएटर्स की डिग्री और सर्टिफिकेट की जांच करेंगे जो किसी भी तरह का जानकारी देने वाला या शिक्षात्मक कंटेंट बनाते हैं।

इस नियम का मुख्य उद्देश्य है –
🔹 यूज़र्स को फेक कंटेंट और गलत जानकारी से बचाना
🔹 क्वालिटी और विश्वसनीय जानकारी को बढ़ावा देना

अगर कोई व्यक्ति झूठी जानकारी फैलाने या नियम तोड़ने की कोशिश करता है, तो:
❌ उसका अकाउंट डिलीट कर दिया जाएगा
💰 और उस पर 12 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जाएगा।

अगर भारत में भी ऐसा नियम लागू हो जाए, तो न केवल अश्लीलता और फेक कंटेंट पर लगाम लगेगी, बल्कि सोशल मीडिया एक जिम्मेदार और शिक्षाप्रद मंच बन सकता है।

सोचिए ज़रा...
अगर भारत में भी ऐसा नियम लागू हो जाए — तो हर वह व्यक्ति जो “एक्सपर्ट” बनकर झूठी बातें फैलाता है, या बिना समझे सिर्फ़ व्यूज़ के लिए ग़लत जानकारी देता है, उसे सोशल मीडिया से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा।

आज सोशल मीडिया पर
🔸 डॉक्टर भी बिना डिग्री के सलाह दे रहे हैं,
🔸 अर्थशास्त्री बिना पढ़ाई के देश चला रहे हैं,
🔸 और “रिश्तों के गुरु” खुद रिश्ते निभा नहीं पा रहे हैं।

ऐसे में चीन का यह कदम, कंटेंट की सच्चाई और समाज की समझदारी दोनों को बचाने वाला है।

शायद वक्त आ गया है कि भारत भी सोचे —
क्या हमें भी “फ्रीडम ऑफ़ स्पीच” के नाम पर
फ्रीडम टू मिसलीड देनी चाहिए?

भारत “प्रौद्योगिकी में अग्रणी” और पूर्ण “विश्वगुरु” बन गया है — जबकि दुनिया की शीर्ष 100 टेक कंपनियों में हमारी एक भी कं...
27/10/2025

भारत “प्रौद्योगिकी में अग्रणी” और पूर्ण “विश्वगुरु” बन गया है — जबकि दुनिया की शीर्ष 100 टेक कंपनियों में हमारी एक भी कंपनी नहीं है। हमारा यह आत्मभ्रम हमारे वर्तमान और भविष्य — दोनों को नुकसान पहुँचा रहा है। हम बातें तो वैश्विक नेतृत्व की करते हैं, पर वास्तविकता यह है कि नवाचार और अनुसंधान में हम पीछे रह गए हैं। नारे और गर्व से राष्ट्र नहीं बनते, तकनीकी शक्ति, मौलिक सोच और सच्चे ज्ञान से बनते हैं।

🩸 राजनीति एक राक्षस है(कविता – विरेन्द्र कुमार)राजनीति एक राक्षस है,जो जनता के सपनों का मांस खाता है।वो लोकतंत्र की देह ...
26/10/2025

🩸 राजनीति एक राक्षस है
(कविता – विरेन्द्र कुमार)

राजनीति एक राक्षस है,
जो जनता के सपनों का मांस खाता है।
वो लोकतंत्र की देह में छिपा हुआ,
हर चुनाव में नया चेहरा लगाता है।

वो मुस्कान बेचता है वादों के बाज़ार में,
और धोखा बाँटता है प्रचार के अख़बार में।
वो आँसुओं से भी वोट गिनता है,
और भूख को भी नारा बनाता है।

राजनीति एक राक्षस है —
जो धर्म, जाति, और भाषा की हड्डियाँ चूसता है,
फिर उन्हीं हड्डियों से सिंहासन बनाता है।

वो जनता को “जन” नहीं,
बल्कि “भीड़” समझता है।
वो सवालों से डरता नहीं —
क्योंकि उसने जवाबों का गला घोंट रखा है।

वो प्रेम को नीति बनाता है,
और नफरत को योजना।
वो सच्चाई को गिरफ़्तार करता है,
और झूठ को मंत्री बनाता है।

राजनीति एक राक्षस है,
जो हर पीढ़ी को निगलता है,
फिर उसके नाम पर माला पहनता है।

पर याद रखना —
जब जनता जाग जाएगी,
तो यही राक्षस राख बन जाएगा।

भारतीय राजनीति में Nepotismभारत में नेपोटिज़्म यानी भाई-भतीजावाद अब राजनीति का आम चेहरा बन चुका है।यहाँ नेता जनता से नही...
23/10/2025

भारतीय राजनीति में Nepotism

भारत में नेपोटिज़्म यानी भाई-भतीजावाद अब राजनीति का आम चेहरा बन चुका है।
यहाँ नेता जनता से नहीं, वंश से पैदा होते हैं।

हर पार्टी में, हर राज्य में —
बेटा, बेटी, बहू, दामाद — सब “राजनीति की विरासत” सँभालते हैं।
मेहनती कार्यकर्ता किनारे हो जाता है,
और कुर्सी उसी को मिलती है जिसके नाम के आगे “फलाँ का बेटा” लिखा हो।

जनता भी इस चक्र में फँसी है —
नाम पहचानकर वोट देती है, काम देखकर नहीं।

पर यही नेपोटिज़्म लोकतंत्र की सबसे बड़ी बीमारी है —
जो प्रतिभा को दबाता है, और जनता की आवाज़ को कमज़ोर करता है।

👉 जब राजनीति परिवार की संपत्ति बन जाए,
तो लोकतंत्र सिर्फ़ नाम का रह जाता है।

भारत ने अगस्त में 3.8 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया।पिछले 12 महीनों में कुल FDI 56.5 अरब डॉलर रह...
21/10/2025

भारत ने अगस्त में 3.8 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) आकर्षित किया।
पिछले 12 महीनों में कुल FDI 56.5 अरब डॉलर रहा, जो साल-दर-साल 2% की वृद्धि दर्शाता है।

यह लगातार दूसरा महीना है जब भारत में विदेशी निवेश में बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था में वैश्विक निवेशकों का विश्वास झलकता है।
विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल सर्विसेज़ और ग्रीन एनर्जी सेक्टर में निवेश सबसे अधिक बढ़ा है।

अमेरिका के 50% टैरिफ़ से सिर्फ़ 4 महीनों में $3.3 अरब का नुकसान!टेक्सटाइल, जेम्स-ज्वेलरी और लेदर सेक्टर बर्बाद,जबकि चीन ...
20/10/2025

अमेरिका के 50% टैरिफ़ से सिर्फ़ 4 महीनों में $3.3 अरब का नुकसान!
टेक्सटाइल, जेम्स-ज्वेलरी और लेदर सेक्टर बर्बाद,
जबकि चीन और यूएई ने मुनाफ़ा कमा लिया!

17/10/2025

The Truth of Bihar — Caste, Politics, and Vote Bank
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The poison of caste runs deep in Bihar.
Here, people often cast their votes in the name of caste.
Politicians play politics only for vote banks,
and they care nothing for the pain of the common people.

All of Bihar’s wealth, the money earned by its citizens,
has been plundered by a few leaders filling their own pockets.
Development plans remained only on paper,
roads are broken, schools and hospitals lie deserted.

People vote with hope in their hearts,
but leaders make promises only for show.
The truth is that vote bank politics
has destroyed Bihar’s future.

In every election, the same game is played—
tickets are distributed based on caste,
and people vote in the name of that caste.
Politics is no longer about public welfare;
it has become a game of power and money.

But now is the time to awaken,
to speak the truth, and demand change.
Only when the people show their courage,
will real change come to Bihar.

Break free from the chains of caste,
reject corruption and vote bank politics,
and restore Bihar to its rightful path.

17/10/2025

For now, it seems that all the real issues of the Bihar elections have disappeared into thin air.
The entire discussion has now narrowed down to the caste of the candidates.

As soon as different parties release their candidate lists, another list immediately appears — showing how many tickets each caste has received.
Then, based on these figures, political equations are analyzed and TV debates begin.

One can only hope that after the process of ticket distribution and nominations is over, the election discussions will return to the real issues —
like education, migration, employment, electricity, water, roads, healthcare, and law & order —
because these are the fundamental and essential questions on which Bihar’s future depends.

But unfortunately, in every election the issues remain the same — only the focus of discussion changes.
In the mathematics of caste, religion, and alliances, the people’s problems once again get pushed to the margins.

Leaders make promises, paint dreams in their speeches,
but as soon as the elections are over, the same old conditions return —
no teachers in schools, no medicines in hospitals,
broken roads, and youth migrating in search of jobs.

This time, the people must decide
whether they will vote based on caste or for their own future.
Because if the issues are diverted once again,
then future generations will ask the same question —
“What was the meaning of our vote, after all?”

17/10/2025

About the Country and Its Leaders

The Chinese government pays great attention to the progress of its nation — working in a planned, disciplined, and farsighted manner. On the other hand, in our country, leaders often get entangled in vote-bank and show-off politics rather than focusing on true development. They rarely speak seriously about long-term issues concerning the common people; instead, they distract the public with free handouts and temporary promises. Leaders remain busy in blame games and internal rivalries, while the world is changing rapidly and China has surged ahead in both economy and global influence.

In the 1990s, India and China had similar economic indicators, but today, China’s rapid growth has left us far behind — it’s time to think and change. If we do not pay serious attention to our policies, education, and efficiency, we will lose many opportunities in the future.

15/10/2025

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मारिया कोरीना माचाडो, जो अमेरिका द्वारा वित्तपोषित अति-दक्षिणपंथी तख़्तापलट नेता हैं, ने वादा किया कि वह वेनेज़ुएला के तेल उद्योग का निजीकरण करेंगी और उसे अमेरिकी कंपनियों को दे देंगी। उन्होंने डोनाल्ड ट्रम्प जूनियर से कहा — “हम अपनी पूरी उद्योग का निजीकरण करने जा रहे हैं।” और आगे कहा — “अमेरिकी कंपनियाँ बहुत सारा पैसा कमाने वाली हैं।” यह बयान उन्होंने उस समय दिया जब वेनेज़ुएला में आर्थिक संकट और सत्ता संघर्ष अपने चरम पर है। माचाडो ने स्पष्ट कहा कि उनका लक्ष्य “राज्य नियंत्रण समाप्त कर निजी क्षेत्र को पूरी स्वतंत्रता देना” है। उनके अनुसार, “अमेरिकी निवेश ही वेनेज़ुएला की नई अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनेगा।” इस बयान ने देश में तीखी प्रतिक्रियाएँ पैदा की हैं — कई लोग इसे राष्ट्रीय संपत्ति को विदेशी कंपनियों को सौंपने की साज़िश मान रहे हैं।

13/10/2025

दुनिया के सबसे कठोर और निर्जन रेगिस्तानों में से एक — अटाकामा रेगिस्तान (उत्तरी चिली) — इन दिनों रंग-बिरंगे फूलों की चादर से ढका हुआ है। इस दुर्लभ प्राकृतिक घटना को “फ्लावरिंग डेज़र्ट” (खिलता हुआ रेगिस्तान) कहा जाता है। यह लगभग 10 से 20 साल में एक बार होती है, जब उस इलाके में बरसात और तापमान का अद्भुत संतुलन बनता है। तब इस रेगिस्तान की रेत के नीचे वर्षों से सोए पड़े बीज अचानक जाग उठते हैं और सुंदर फूलों के रूप में अंकुरित होकर पूरे रेगिस्तान को जीवन से भर देते हैं।

इस समय अटाकामा रेगिस्तान में सैकड़ों तरह के जंगली फूल खिले हैं — गुलाबी, बैंगनी, पीले और सफ़ेद रंगों में। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह दृश्य न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का प्रतीक है, बल्कि पर्यावरणीय संतुलन का भी संकेत देता है — क्योंकि इतनी कठोर भूमि में जीवन का यूँ फूट पड़ना प्रकृति की अद्भुत क्षमता को दर्शाता है।

स्थानीय लोग और पर्यटक इस फूलों के महासागर को देखने के लिए दूर-दूर से पहुँच रहे हैं। कुछ लोग इसे “रेगिस्तान का पुनर्जन्म” भी कहते हैं — जहाँ सूखी रेत कुछ दिनों के लिए जीवन और रंगों का उत्सव बन जाती है। 🌸

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