10/08/2025
अमेरिका, चीन, यूरोपीय संघ, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देशों द्वारा अनुसंधान और विकास (R&D) पर किया गया खर्च दिखाया गया है। सबसे ऊपर अमेरिका है, फिर चीन, फिर यूरोपियन यूनियन, फिर जापान और फिर साउथ कोरिया। लेकिन इस लिस्ट में भारत का नाम नहीं है, क्योंकि भारत इन सभी देशों के मुकाबले बहुत ही कम पैसा R&D पर खर्च करता है। इसी वजह से भारत नई टेक्नोलॉजी, वैज्ञानिक खोज और इनोवेशन के मामले में पीछे रह जाता है। जब तक भारत R&D में ज्यादा निवेश नहीं करेगा, तब तक भारत दुनिया की लीडरशिप में नहीं आ पाएगा, और सिर्फ दूसरों की बनाई टेक्नोलॉजी पर निर्भर रहेगा। इसलिए यह चार्ट हमें एक साफ संदेश देता है — अगर हमें तरक्की करनी है, तो R&D में पैसा लगाना ही होगा।
चीन ने पिछले 15 सालों में R&D पर अपना खर्च बहुत तेज़ी से बढ़ाया है। 2007 में चीन अमेरिका से बहुत पीछे था, लेकिन अब वो लगभग बराबरी पर पहुंच चुका है। इसका मतलब है कि चीन ने वैज्ञानिक शोध, तकनीकी विकास और इनोवेशन को राष्ट्रीय प्राथमिकता बनाया है।
वहीं भारत अब भी इस रेस से बाहर है। न तो सरकार और न ही निजी क्षेत्र R&D में पर्याप्त निवेश कर रहे हैं। इसका असर ये होता है कि भारत को दवाएं, मशीनें, तकनीक और सॉफ्टवेयर के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है।
अगर भारत को आत्मनिर्भर बनना है, रोजगार बढ़ाने हैं और दुनिया में तकनीकी ताकत बननी है — तो R&D में खर्च बढ़ाना ही पड़ेगा।
वरना हम सिर्फ बाज़ार रह जाएंगे, निर्माता नहीं।
भारत की स्थिति को समझने के लिए यह सोचना ज़रूरी है कि R&D सिर्फ लैब में बैठकर कुछ बनाने का काम नहीं है — यह एक देश की सोच, नीति और भविष्य की दिशा तय करता है।
अमेरिका और चीन इसलिए आगे हैं क्योंकि उन्होंने शिक्षा, वैज्ञानिक शोध, टेक्नोलॉजी स्टार्टअप्स, यूनिवर्सिटी रिसर्च और इंडस्ट्री-इनोवेशन को जोड़कर एक मज़बूत R&D सिस्टम बनाया है।
भारत में क्या होता है?
साइंस को करियर नहीं, परीक्षा पास करने का ज़रिया समझा जाता है।
रिसर्च के लिए फंडिंग कम मिलती है।
सरकारी संस्थानों में नौकरशाही ज्यादा और स्वतंत्रता कम होती है।
प्राइवेट कंपनियाँ भी जल्दी मुनाफा चाहती हैं, रिसर्च में निवेश कम करती हैं।
नतीजा — प्रतिभा होते हुए भी भारत पीछे है।
अगर यही चलता रहा, तो आने वाले सालों में भारत सिर्फ उपभोक्ता बना रहेगा, निर्माता नहीं।
हमें अपने वैज्ञानिकों पर विश्वास करना होगा, उन्हें संसाधन और आज़ादी देनी होगी — तभी भारत विश्व नेतृत्व कर पाएगा।