
11/07/2025
हम सभी लोग आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पूर्णिमा के दिन गुरु पूर्णिमा मनाते हैं। भगवान शिव जी ने एक शिक्षक यानि गुरु जी के रूप में इसी पूर्णिमा के दिन अपने सात ऋषियों को धर्म का ज्ञान अर्थात उपदेश दिए। भगवान शिव जी को आदि गुरु जी एवं इन सभी ऋषियों को सप्तर्षि जी भी कहा जाता है। महान धर्मग्रंथों के रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म इसी पूर्णिमा के दिन हुआ था। महर्षि वेदव्यास जी ने महान धर्मग्रंथ महाभारत, 4 वेदों एवं 18 पुराणों आदि की रचना कर सनातन धर्म के लिए गुरु जी बन गए। इस गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। इन सभी गुरुओं के सम्मान में गुरु पूर्णिमा मनाते आ रहे हैं। गुरु का अर्थ दो भागों गु एवं रु से मिलकर गुरु शब्द बना है जिसका अर्थ क्रमशः गु से अंधकार अर्थात अज्ञान एवं रु से प्रकाश अर्थात रोशनी होता है। गुरु जी का मतलब अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाला होता है। जीवन में प्रथम गुरु जी मां जी होती है जिन्होंने कई प्रकार के दर्द को सह कर आपको जन्म दी और इस रंग बिरंगी दुनिया से परिचित करवाई है। द्वितीय गुरु जी हम सभी की धरती मां जी हैं जिन्होंने जीवन जीने के लिए कई तरह की वस्तुएं उपहार स्वरूप हमें दी है। तृतीय गुरु जी हमारे पिता जी हैं जिन्होंने अपने बच्चों के लिए कई तरह के तकलीफों को झेलकर अपनों से बेहतर जीवन देने का प्रयास करते रहते हैं। हम सभी को मां जी जन्म देकर अंदर की दुनिया एवं पिता जी बाहर की दुनिया से अवगत करवाएं हैं। मां जी इस दुनिया की एक छोटी हिस्सा है और पिता जी इस पूरी दुनिया की एक बड़ी हिस्सा हैं। इसलिए जीवन में बच्चों की उज्ज्वल भविष्य बनाने के लिए हमेशा माता जी एवं पिता जी का साथ होना बहुत जरूरी है। जीवन में मां जी एवं पिता जी का स्वागत गुरु जी की तरह ही करें। चतुर्थ गुरु जी हमारे सभी शिक्षकगण जी हैं जिन्होंने बाल अवस्था से लेकर युवा अवस्था तक हमारे भविष्य को बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। पांचवें और अंतिम गुरु जी हमारे आध्यात्मिक गुरु जी हैं जिन्होंने हमारे जीवन में कई तरह के उपदेशों को देकर हमें धर्म एवं अध्यात्म से जोड़कर एक साथ रखते हैं और हमारे जीवन जीने की शैली को सरल बनाते हैं। घर में बड़े भैया जी एवं बड़ी भाभी जी का दर्जा पिता जी एवं मां जी के समान ही दिया जाना चाहिए क्योंकि इन दोनों की भी अपनी एक जिम्मेवारी होती हैं। हमारे माता जी एवं पिता जी भले ही पढ़े लिखे हो या न हों लेकिन अपने से बेहतर बच्चों को बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं। जितनी दिन दुनिया माता जी एवं पिता जी देखें हैं उनसे हम सभी बच्चें कम ही देखें हैं। माता जी एवं पिता जी के रहते हुए बच्चों को अभिभावक बनना उचित नहीं है और हर अच्छा बुरा का फैसला लेना यह भी घर के लिए दुर्भाग्यपूर्ण साबित हो सकता है। अपने जीवन में माता जी एवं पिता जी और सभी गुरुजनों को सर्वश्रेष्ठ का दर्जा दें। अपने जीवन में शिष्टाचार को बनाए रखें। मैं सभी माता जी एवं पिता जी और सभी शिक्षकगण जी एवं श्रेष्ठजनों को दिल से धन्यवाद देता हूं कि जिन्होंने मुझे इस रंग बिरंगी दुनिया में जीवन जीने की शैली से लेकर स्वावलंबी होने तक अपना योगदान दिए। पुनः मैं इस गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर आप सभी गुरुजनों को दिल से आभार व्यक्त करता हूँ कि आप सभी ने हमें अपने पैरों पर खड़ा करने में अहम भूमिका निभाए हैं। इस गुरु पूर्णिमा के पुनीत अवसर पर मैं अपने जीवन में हम से हुई गलतियों को सभी माताजी एवं पिता जी और सभी गुरुजन एवं श्रेष्ठजन क्षमा करने की कृपा करेंगे। इसके लिए मैं आप सभी का सदा आभारी बना रहूंगा। आप सभी माताओं एवं पिताओं और गुरुजनों एवं श्रेष्ठजनों को इस गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर आप सभी को सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने एवं गुरु जी की गरिमा बनाए रखने और आत्म सम्मान प्राप्त के लिए ढेर सारी बधाई एवम् हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। आप सभी का दिन शुभ एवं मंगलमय हो, धन्यवाद।🪔🛕🕉️❤️🌎💑👏🙏