14/06/2025
"भोपाल… तुझसे बिछड़ना आसान नहीं है"
आज जब मैं भोपाल को अलविदा कह रहा हूँ, तो दिल किसी बोझ तले दबा जा रहा है। पाँच साल पहले जब मैंने मध्यप्रदेश के इस प्यारे शहर भोपाल में कदम रखा था, तब शायद ये नहीं सोचा था कि एक दिन इसे इस कदर छोड़ना पड़ेगा और वो भी इतने भारी मन से।
पाँच साल पहले यह शहर मेरे लिए बस एक ठिकाना था, लेकिन वक्त के साथ यह मेरा घर से दूर एक घर बन गया। भोपाल मेरे लिए सिर्फ एक शहर नहीं था, ये मेरे जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया था। यहाँ की हर सड़क, हर मोड़, हर सुबह-शाम मेरे दिल से जुड़ चुकी है। कोलार, वो इलाका जहाँ मैंने ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत लम्हें बिताए वहाँ की गलियाँ, वहाँ की ठंडी हवाएँ, लोगों का अपनापन आज सब याद बनकर साथ जा रहे हैं।
कोलार की वो शामें, दोस्तों के साथ बिताए हुए पल, चाय की दुकान पर की गई बेफिक्री भरी बातें… आज सब कुछ छोड़कर जाना कितना मुश्किल है, ये शब्दों में बयान करना आसान नहीं।
इस शहर ने मुझे बहुत कुछ सिखाया और आज जब मैं यहाँ से जा रहा हूँ, तो एक खालीपन, एक चुभन दिल के अंदर महसूस हो रही है। कभी सोचा नहीं था कि इस प्यारे शहर को छोड़ते वक़्त आँखें भींग जाएँगी… लेकिन आज सच में रोना आ रहा है। काम के सिलसिले में मैं देश के कई शहरों में गया कहीं तेज़ रफ्तार ज़िंदगी थी, कहीं चमक धमक...लेकिन हर बार दिल सिर्फ एक ही जगह लौटने को बेताब रहता था भोपाल क्योंकि मेरे लिए सबसे प्यारा शहर सिर्फ भोपाल था।
क्या पता अब फिर कब लौट पाऊँ इस शहर में... शायद बहुत कुछ बदल जाएगा, लोग, रास्ते, मोड़ पर मेरे लिए भोपाल हमेशा वही रहेगा, जिसने मुझे अपनाया, सँवारा और अपनेपन से भर दिया। लेकिन यक़ीन मानो, मैं पूरी कोशिश करूँगा कि एक दिन फिर वापस लौट आऊँ इस अपने से शहर में, इस कोलार की गलियों में, इस भोपाल की बाँहों में।
भोपाल, तू हमेशा मेरी यादों में, मेरी धड़कनों में ज़िंदा रहेगा। तेरे बिना मेरी ज़िंदगी की तस्वीर अधूरी है।
अलविदा नहीं, फिर मिलेंगे... क्योंकि कुछ रिश्ते दिल से होते हैं, जो कभी खत्म नहीं होते।