03/01/2025
!!! सत्यमेव जयते !!!
*(3 जनवरी 1831जन्म)*
भारत की प्रथम सिक्षिका राष्ट्र माता सावित्री बाई फूले
सिक्षा की महानायिका महान सिक्षिका राष्ट्र माता सावित्री बाई फूले जी को उनके 193 नवें जन्म दिवस पर सत् सत् नमन🙏🙏🙏🙏🙏
नारी सिक्षा की जननी राष्ट्र माता सावित्री बाई फूले जी को आधुनिक भारत की एक महान नारी सिक्षिका के रूप में जाना जाता है। ऐसी महान नारी सिक्षिका को सत् सत् नमन है🙏🙏🙏🙏🙏
नारी सिक्षा की अग्रिम महानायिका राष्ट्र माता सावित्री बाई फूले जी को...सत सत नमन है🙏🙏🙏🙏🙏 हमें गर्व है ऐसी महान नारी सक्ति पर जिन्होंने अपने जीवन में संघर्ष कर हम सब भारतीय के जीवन में प्रकास लाया है। ऐसी महान नारी सक्ति को सत् सत् नमन है...! 🙏🙏🙏🙏🙏
*।।। सील* *समाधि* *प्रज्ञा।।।*
*।।।राष्ट्रमाता सावित्रीबाई फुले।।।*
*(03 जनवरी 1831)*
*संघर्ष जीवन परिचय~
*महाराष्ट्र के एक छोटे से गांव नायगांव में 3 जनवरी 1831 को जन्मी राष्ट्र माता सावित्रीबाई फुले पूरे देस के लिए गौरव हैं।
जिस कालखंड में उनका जन्म हुआ,वह समय भारतीय समाज में सूद्रों,अछूतों और महिलाओं के साथ भयंकर छुआछूत,भेदभाव,हिंसा और अत्याचार का समय था।स्त्रियों और सूद्रों को सिक्षा,संपत्ति,स्वतंत्रता,समता और सम्मान का अधिकार नहीं था।समाज में बाल-विवाह की प्रथा प्रचलित थी।ऐसे समय में 1840 में 9 वर्ष की उम्र में सावित्रीबाई का बाल-विवाह 13 वर्ष के ज्योतिबा फुले के साथ हुआ।सावित्रीबाई ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर क्रांति की महान ज्योति बन जाएंगी,यह बात उस समय कोई नहीं जानता था।फुले दम्पत्ति ने अपने समस्त सुख और सुविधाओं का बलिदान कर समाज सेवा के कार्य के लिए खुद को समर्पित कर दिया।*
*सावित्रीबाई फुले ने अपने पति ज्योतिबा फुले से पढ़ना-लिखना सीखा और लगातार अध्ययन कर आगे की सिक्षा पूरी की।पति और स्वयं के प्रयत्नों से वे भारत की प्रथम महिला सिक्षिका बनीं।इसके बाद तो बालिकाओं और स्त्रियों को सिक्षित करना उनके जीवन का उद्देस्य बन गया।इसके साथ ही उन्होंने समाज से कुरीतियों और छुआछूत को मिटाने एवं विधवा-विवाह हेतु लगातार संघर्ष किया।उन्होंने समाज में समतावादी और मानवतावादी विचारों का व्यापक प्रचार और प्रसार किया।अकाल और महामारी के समय पीड़ितों की सेवा कर सावित्रीबाई फुले ने यह साबित कर दिया कि वह बहुत ही परिश्रमी,दृढ़ निश्चयी और परोपकारी महिला थीं।महिलाएं धर्मभीरु, अंधविश्वासी और परंपरावादी होती हैं,इस बात को उन्होंने अपने कार्यों से गलत साबित कर दिया।*
*माता सावित्रीबाई फुले का महाराष्ट्र में नारी जागृति के क्षेत्र