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18/07/2025

उत्तराखंड सरकार पर्वतीय क्षेत्र में गढ़वाली- कुमाऊनी भाषा पढ़ाए जाने पर लगी रोक, तुरंत हटाए।

18/07/2025

गढ़वाली-कुमाऊँनी भाषा को उत्तराखंड राज्य की द्वितीय राजभाषा का दर्जा मिलने के बाद ही उसे आठवीं अनुसूची में शामिल किया जा सकता है।
क्योंकि 22 भाषाओं में से सिंधी को छोड़कर कोई भी ऐसी भाषा नहीं है जो किसी राज्य की राजभाषा या द्वितीय राजभाषा न हो, लेकिन देश की भाषा के रूप में आठवीं अनुसूची में शामिल हो।

आठवीं अनुसूची में शामिल करने के मापदंड:-

वैसे तो किसी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के कोई निश्चित मापदंड नहीं हैं। लेकिन भारत सरकार द्वारा गठित समितियों ने कुछ मापदंड तय किए हैं। वर्ष 2015 में केंद्र सरकार की एक उच्च-स्तरीय समिति ने बिहार की भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल न करने की सिफारिश की थी। सरकार ने वर्ष 2015 में गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव बी.के. प्रसाद की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति गठित की थी, जिसमें गृह मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय, मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विधि मंत्रालय, साहित्य अकादमी, राजभाषा विभाग, केंद्रीय भारतीय भाषा संस्थान और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया के वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे।
मापदंड:-
1) तीन दशकों के जनगणना आँकड़ों के अनुसार कम से कम पाँच लाख लोग इसे बोलते हों।
2) देश के विभाजन से पहले किसी राज्य में बोली जाती हो और विभाजन के बाद भी कुछ राज्यों में प्रयोग हो रही हो।
3) लिखित भाषा के रूप में पचास वर्षों से अस्तित्व का प्रमाण हो।
4) साहित्य अकादमी उसके साहित्य का प्रचार-प्रसार करती हो।
5) जनगणना आँकड़ों के अनुसार यह आसपास के क्षेत्रों में दूसरी भाषा के रूप में प्रयोग की जा रही हो।
6) नवगठित राज्यों में इसे राजभाषा का दर्जा प्राप्त हो (उदाहरण: कोंकणी, मणिपुरी)।
7) कम से कम स्कूली शिक्षा के माध्यम के रूप में इस भाषा का प्रयोग हो रहा हो।

भारत सरकार ने स्वीकार किया है कि उनके पास भाषा और बोली को अलग करने के लिए कोई निश्चित मापदंड नहीं हैं। आप भारत सरकार के ...
18/07/2025

भारत सरकार ने स्वीकार किया है कि उनके पास भाषा और बोली को अलग करने के लिए कोई निश्चित मापदंड नहीं हैं। आप भारत सरकार के दस्तावेज स्वयं पढ़ सकते हैं।

सरकार के अनुसार, बोलियों और भाषाओं का विकास एक गतिशील प्रक्रिया है, जो सामाजिक-सांस्कृतिक, आर्थिक, और राजनीतिक कारकों से प्रभावित होती है। इसलिए, भाषाओं के लिए निश्चित मापदंड स्थापित करना कठिन है, चाहे वह बोलियों से उनका अंतर करना हो या संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करना हो। पाहवा (1996) और सीताकांत महापात्र (2003) समितियों द्वारा ऐसे मापदंड विकसित करने के पूर्व प्रयास अनिर्णायक रहे हैं। भारत सरकार आठवीं अनुसूची में अन्य भाषाओं को शामिल करने की मांगों और भावनाओं के प्रति संवेदनशील है। इन अनुरोधों पर संबंधित भावनाओं और अन्य प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखकर विचार किया जाना चाहिए।

17/07/2025

उत्तराखंड के कुछ नेता- अधिकारी कुतर्क देते हैं कि गढ़वाली-कुमाऊँनी भाषा को तब तक राज्य की द्वितीय राजभाषा नहीं बनाया जा सकता, जब तक इसे 8वीं अनुसूची में शामिल न किया जाए। दूसरा कुतर्क यह है कि यह बोली है, भाषा नहीं।
जबकि देश कि के कई राज्यों में ऐसी कई "ट्राइबल भाषाओं" को द्वितीय राजभाषा बनाया गया है जो 8वीं अनुसूची में शामिल नहीं है, उस राज्य के बाहर इन भाषाओं को बोली ही माना जाता है, भाषा नहीं :-
1) सिक्किम राजभाषा- अंग्रेजी, नेपाली, सिक्किमी (भूटिया) और लेप्चा हैं l
द्वितीय राजभाषा - गुरुंग,लिम्बु, मगर,मुखिया,नेवाड़ी,राय, शेरपा और तमांग l

2) लद्दाख में भोटी भाषा को राजभाषा का दर्जा मिलने वाला है l
3) झारखंड - अंगिका, बंगाली,भोजपुरी, हो,खरिया, खोरठा, कुरमाली, कुरुख, मगही, मैथिली, मुंडारी, नागपुरी, उड़िया, संताली और उर्दू
4) असम- असमिया, बंगाली (बराक घाटी जिलों में), बोडो (बोडो प्रादेशिक परिषद क्षेत्र में) ,अंग्रेज़ी I
5) पश्चिम बंगाल - नेपाली, उर्दू, हिंदी, उड़िया, संथाली, पंजाबी, कामतापुरी, राजबंशी, कुरमाली, कुरुख और तेलुगु
6) मेघालय- अंग्रेजी, खासी, पुआर और गारो l
7) मिज़ोरम - मिज़ो,अंग्रेज़ी
8) त्रिपुरा- ककबरक,
अंग्रेजी ,बंगाली l

17/07/2025

नैनीताल मीटिंग : चलो हल्द्वानी 21 सितंबर 2025

17/07/2025

🇮🇳 क्या उत्तराखंड की मातृभाषाओं के साथ अन्याय हो रहा है?

17/07/2025

🇮🇳 केंद्र सरकार ने सभी राज्यों के लिए तीन भाषा फॉर्मूला लागू किया है, जिसके अनुसार 📚सभी स्कूलों में 8 वीं कक्षा तक तीन भाषा पढ़ाना अनिवार्य है। 🏔️उत्तराखंड के लिए हिंदी और अंग्रेजी उपयुक्त है, क्योंकि दोनों भाषाएँ रोजगार के अवसर प्रदान करती है एवं देशभर में व्यापक रूप से समझी जाती हैं।
लेकिन उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र में तीसरी भाषा के रूप में गढ़वाली- कुमाऊनी के बजाय संस्कृत को चुना गया है। क्या यह अन्याय नहीं है ? पूरे देश में ऐसा सिर्फ उत्तराखंड के साथ किया गया ?
क्या हमारी कोई मातृभाषा नहीं है, क्या हम मनुष्य नहीं हैं ?😔

16/07/2025

उत्तराखंड के कुछ गद्दार नेता, अधिकारी "गढ़वाली- कुमाऊँनी" भाषा को "बोली" कहकर अपमानित करते हैं, ताकि इन समुदायों को हमेशा गुलाम बनाएं रखा जा सकें! 😡

16/07/2025

🌿 हरेला पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ! 🌿

प्रकृति, परंपरा और हरियाली के इस पावन पर्व पर
आपका जीवन सुख, समृद्धि और शांति से भर जाए।
धरती माँ की गोद सदा हरी-भरी रहे — यही हमारी कामना है।

साथ ही, गढ़वाल और कुमाऊँ को संविधान की 5वीं अनुसूची ( ) के अंतर्गत संरक्षण मिले —
ताकि हमारी संस्कृति, अधिकार और आत्मनिर्भरता सुरक्षित रह सके।

– उत्तराखंड एकता मंच

16/07/2025

शीर्षक: वे चाहते क्या हैं ?

वे लूट लेना चाहते हैं -
हमारी नदियाँ,
हमारे जंगल,पहाड़।

वो चाहते हैं सौदे करना,
हमारे देवताओं का,
ताकि धर्म के नाम पर चलाएँ धंधा।

लेकिन वे नहीं चाहते हमें,
हमारी आत्मा,हमारा स्वर।

पर हमें क्या चाहते हैं ? उनसे,
मुफ्त राशन,झूठा जातीय अहंकार,

धर्म के नाम पर उनकी गुलामी।
क्या चाहते हैं सिर्फ़—
उनकी छाया में जीना?
या उठ खड़े होना,
अपनी नदियों, जंगलों,
पहाड़ों के लिए?

✍️ निशांत रौथाण

उत्तराखंड सरकार पहाड़ियों को हिंदी, अंग्रेजी,संस्कृत पढ़ा रही है। स्कूलों में गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी पढ़ाए जाने पर रोक ...
14/07/2025

उत्तराखंड सरकार पहाड़ियों को हिंदी, अंग्रेजी,संस्कृत पढ़ा रही है। स्कूलों में गढ़वाली कुमाऊनी जौनसारी पढ़ाए जाने पर रोक लगा रखी है।
आपकी क्या राय है?

13/07/2025

हिमालय व उत्तर भारत में दिखेंगी केवल लाशें ही लाशें😡
यदि दौलत कमाने के लिए हिमालय यों ही बर्बाद करते रहे😔

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