06/10/2025
मेरे जीवन के कुछ ऐसे अनमोल लोग हैं, जिनसे मैंने सिर्फ भजन ही नहीं, बल्कि “जीने की कला” सीखी है।
मेरे जैसे न जाने कितने श्याम भक्तों के लिए वो एक प्रेरणा बने —
आदरणीय दादा जी नन्द किशोर शर्मा (नंदू जी),
रोमी अंकल,
मुकेश बागड़ा जी,
संजय सैन भैया,
संजय मित्तल जी,
कुमार गिरिराज शरण गुरुजी,
और बबलू चाचा जी —
ये वो नाम हैं जिन्होंने “श्याम प्रेम” को अपने स्वर और भाव से अमर कर दिया।
जब मैं छोटा था, घर के कोने में रखा टेप रिकॉर्डर चलता था…
उन पुराने कैसेट्स से जो धुनें उठती थीं —
वो सिर्फ आवाज़ नहीं, वो “भक्ति की गूँज” होती थी।
हर सुबह उन्हीं भजनों के साथ मेरी आँख खुलती थी,
और दिल में बस एक ही नाम बसता था — श्याम का नाम।
उनमें से एक भाव जिसने मेरे जीवन को छू लिया —
“ देता हरदम सांवरे तू हारे का साथ…”
जब आदरणीय मुकेश बागड़ा चाचा जी ये भाव गाते है,
तो लगता है जैसे खुद बाबा श्याम मुस्कुरा रहे हों।
उनकी आवाज़, उनका प्रेम, उनका समर्पण —
हर शब्द में श्याम का स्पर्श महसूस होता है ।
आज उसी भजन को अपने हृदय की गहराइयों से निभाने की
एक छोटी सी कोशिश की है 🙏
क्योंकि ये सिर्फ एक गीत नहीं,
बल्कि मेरे भक्तिमय बचपन की धड़कन है।
जय श्री श्याम 🙏💛