21/11/2025
kaleshi naari spotted
प्रदेश में चुनावी साल नज़दीक आते ही कर्मचारी संगठनों की हलचल तेज़ हो गई है। अपनी लंबित मांगों को लेकर विरोध आंदोलन पर डटे उपनल कर्मियों और सरकार के बीच टकराव अब चरम पर पहुंचता दिख रहा है। राज्य सरकार द्वारा सभी राज्य कर्मचारियों की हड़ताल पर 6 महीने का प्रतिबंध लगाने और उपनल पर नो वर्क–नो पे लागू करने के बाद कर्मचारियों का गुस्सा और उबाल पर आ गया है। सरकार के सख्त फैसलों के बावजूद उपनल कर्मचारी नियमितीकरण और समान वेतनमान की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरने से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं।
उपनल कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष विनोद गोदियाल ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार तानाशाही पर उतर आई है और तानाशाही का जवाब तानाशाही से ही दिया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि एक तरफ सरकार कमेटी बनाकर कर्मचारियों को भरोसा दिलाती है, वहीं दूसरी तरफ प्रतिबंध जैसे फरमान जारी कर आंदोलन को कुचलने की कोशिश की जा रही है...गोदियाल ने आगे कहा कि न्यायालय ने भी स्पष्ट रूप से नियमितीकरण और समान वेतन की बात कही है, लेकिन सरकार सिर्फ आश्वासन दे रही है, ठोस निर्णय नहीं। आज कोर्ट में इस मामले की सुनवाई भी होनी है और यदि सरकार ने नियमितीकरण पर निर्णय नहीं लिया तो कल से पूरा देहरादून जाम कर दिया जाएगा।
इधर अनशन पर बैठे कर्मचारियों में भी सरकार के फैसले को लेकर भारी रोष है। आंदोलनरत कर्मचारियों का कहना है कि नो वर्क–नो पे लोकतंत्र की हत्या है। उपनल कर्मचारी रेणु नेगी ने बेहद सख्त शब्दों में चेतावनी देते हुए कहा कि हम पर जब सभी टैक्स लागू होते हैं, तो ‘नो वर्क–नो पे’ किस अधिकार से? 15 साल से हमें ठगा जा रहा है। अब जो भी होगा, हमारी ओर से होगा और कोई नहीं रोक पाएगा। यहाँ तक कि उन्होंने आंदोलन की चरम स्थिति का संकेत देते हुए कहा कि जरूरत पड़ी तो हम उपनल कार्यालय को भी जला सकते हैं।
सरकार और उपनल कर्मियों के बीच बढ़ रहा यह सीधा टकराव आने वाले दिनों में प्रदेश में बड़ा प्रशासनिक संकट खड़ा कर सकता है। देहरादून जाम की चेतावनी और कार्यालय जलाने जैसे बयान स्थिति को और तनावपूर्ण बना रहे हैं। अब देखने वाली बात होगी कि नो वर्क नो पे और हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने के बाद सरकार क्या उठती है