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सेवा में, माननीय मुख्यमंत्रीश्री पुष्कर सिंह धामी जीउत्तराखंड शासन, देहरादूनविषय: घनसाली के युवक साहिल बिष्ट की निर्मम ह...
18/08/2025

सेवा में,
माननीय मुख्यमंत्री
श्री पुष्कर सिंह धामी जी
उत्तराखंड शासन, देहरादून

विषय: घनसाली के युवक साहिल बिष्ट की निर्मम हत्या पर कड़ा कदम उठाने और न्याय दिलाने हेतु निवेदन

मान्यवर,

सविनय निवेदन है कि आज पूरा उत्तराखंड स्तब्ध और व्यथित है। हाल ही में अंबाला (हरियाणा) में घनसाली क्षेत्र के होनहार युवक साहिल बिष्ट की निर्मम हत्या बदमाशों द्वारा कर दी गई। यह केवल एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की करुण पीड़ा है।

माननीय मुख्यमंत्री जी,
हम यह देखकर आहत हैं कि चुनाव के समय हमारे नेता और सरकारें दूर-दूर तक जाकर प्रचार-प्रसार करती हैं, लेकिन जब हमारे प्रदेश का एक नौजवान इस तरह की हिंसा का शिकार होता है, तब सरकार की तरफ से वैसी तत्परता और कठोर कदम नज़र नहीं आते। क्या हमारी सरकार इस बार चुप बैठेगी, या फिर वास्तव में साहिल बिष्ट और उसके परिवार को न्याय दिलाने के लिए कड़ा रुख अपनाएगी?

हमारी आपसे माँग है कि:
1. हरियाणा सरकार और प्रशासन से तुरंत वार्ता कर अपराधियों को कड़ी से कड़ी सज़ा दिलाई जाए।
2. पीड़ित परिवार को न्यायिक सहायता और उचित आर्थिक मुआवज़ा प्रदान किया जाए।
3. भविष्य में प्रदेश के युवाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु राज्य सरकार स्तर पर विशेष प्रकोष्ठ बनाया जाए।
4. इस मामले की उच्च-स्तरीय जाँच सुनिश्चित की जाए, ताकि कोई भी अपराधी बच न पाए।

यह घटना केवल एक हत्या नहीं है, बल्कि हमारे प्रदेश के आत्मसम्मान पर गहरा आघात है। यदि इस मामले में कड़ी कार्रवाई नहीं होती, तो युवाओं का विश्वास शासन-प्रशासन से पूरी तरह उठ जाएगा।

मान्यवर,
आपसे निवेदन है कि साहिल बिष्ट को न्याय दिलाना केवल एक युवक का हक़ नहीं, बल्कि पूरे उत्तराखंड की गरिमा का प्रश्न है।
आपके उत्तराखंड का होटलियर मजबूर इन्सान
Dbp News Devbhoomi Pahad News Narendra Modi Mamta Panwar Mahendra Badoni

16/08/2025

एक होटिलेर भाई शाहिल बिष्ट की निर्मम हत्या की गई जो की मात्र 30 वर्ष के थे तिसरियाडा बासर घनसाली विधान सभा टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड के थे सभी हॉटिलेयर भाइयों को आवाज़ उठानी चाइए जिससे उसको इंसाफ मिल सके और दोषियों को फाँसी की सजा हो । ऐसा किसी के साथ न हो ओम शांति ओम

11/08/2025

Dbp news congratulations Omi bhatt ji
Mahendra Badoni Sukhdev Notiyal Narendra Modi Bhagat Singh Koshyari Mamta Panwar Kesharsingh Bisht X Dhanveer Kharola

05/08/2025

हृदय विदारक दुःख द पूर्ण खबर उत्तराखंड के धराली में दिन दिहाड़े फट गया बादल ,
तिनके की तरह दुकानें और मकान ढहे,
कई लोग ज़िंदा बह गए हैं

05/08/2025

उत्तराखंड के धराली में दिन दिहाड़े फट गया बादल ,
तिनके की तरह दुकानें और मकान ढहे,
कई लोग ज़िंदा बह गए हैं

12/06/2025

गुजरात के अहमदाबाद में एअर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर प्लेन क्रैश हुआ है।

इसमें गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी समेत 242 पैसेंजर सवार थे। इसमें 169 भारतीय थे
53 ब्रिटिश, 1 कनाडाई, 7 पुर्तगाली नागरिक थे
अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का विमान, जिसमें 242 लोग सवार थे, उड़ान भरते ही हादसे का शिकार हो गया,
हर एक जान सिर्फ़ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि किसी की पूरी दुनिया थी। इस दर्दनाक हादसे पर हम गहरी संवेदना प्रकट करते हैं। ईश्वर दिवंगत आत्माओं को शांति दे।

05/06/2025

तुला राशि (Libra) – जून 2025 का मासिक राशिफल

सामान्य स्थिति:
जून का महीना तुला राशि के जातकों के लिए संतुलन साधने का रहेगा। इस महीने आपको करियर, रिश्ते और स्वास्थ्य के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता होगी। कुछ पुराने प्रयासों का फल मिलने की संभावना है।

करियर और व्यवसाय:
कार्यस्थल पर ज़िम्मेदारियाँ बढ़ सकती हैं, लेकिन आप उन्हें सफलतापूर्वक निभा पाएंगे।

जून के मध्य से नए अवसर दस्तक दे सकते हैं, खासकर यदि आप क्रिएटिव या क़ानूनी क्षेत्र से जुड़े हैं।

व्यवसाय करने वालों को पार्टनरशिप में सावधानी बरतनी चाहिए – वाद-विवाद की स्थिति बन सकती है।

सुझाव: पुराने संपर्कों से लाभ हो सकता है। नेटवर्किंग पर ध्यान दें।

आर्थिक स्थिति:
धन आगमन सामान्य रहेगा लेकिन व्यय पर नियंत्रण ज़रूरी होगा।

महीने के अंतिम सप्ताह में कुछ अनावश्यक खर्चे हो सकते हैं, खासकर परिवार या सामाजिक कार्यों में।

सुझाव: बजट बनाकर चलें और किसी को उधार देने से पहले सोचें।

प्रेम और वैवाहिक जीवन:
प्रेम संबंधों में भावनात्मक नज़दीकियाँ बढ़ेंगी। अगर आप किसी को पसंद करते हैं तो अपने मन की बात कह सकते हैं।

विवाहित जातकों के लिए यह समय समझदारी से निर्णय लेने का है। संतान को लेकर चिंता हो सकती है।

सुझाव: संवाद बनाए रखें और पार्टनर की भावनाओं को समझने की कोशिश करें।

स्वास्थ्य:
मानसिक तनाव थोड़ा परेशान कर सकता है, खासकर महीने के शुरुआती दिनों में।

त्वचा, कमर या थकावट से संबंधित शिकायतें हो सकती हैं।

सुझाव: योग और मेडिटेशन को दिनचर्या में शामिल करें।

शुभ तिथियाँ:
7, 11, 18, 23 और 29 जून

सावधानी बरतने वाले दिन:
3, 14, 19 और 27 जून

सच्चाई की खोज
03/06/2025

सच्चाई की खोज

दुखद समाचार :–भिलंगना प्रखण्ड के क्षेत्र पंचायत सदस्य धनपाल रावत का निधन !!(क्षेत्र में शोक की लहर) –––––––––––––––––बिक...
31/05/2025

दुखद समाचार :–
भिलंगना प्रखण्ड के क्षेत्र पंचायत सदस्य धनपाल रावत का निधन !!
(क्षेत्र में शोक की लहर)
–––––––––––––––––
बिकास खण्ड भिलंगना, के क्षेत्र पंचायत सदस्य धनपाल सिंह रावत के निधन की खबर से मन बहुत व्यथित है।
48वर्षीय, ग्राम पंचायत ख़वाड़ा निवासी , क्षेत्र पंचायत सदस्य,धनपाल रावत पुत्र बचल सिंह रावत, कुछ समय से बीमारी के चलते पी.जी.आई.चंडीगढ़ में उपचारार्थ थे, जहां उनका,30 मई को निधन हो गया,। जिससे क्षेत्र में शोक लहर है।।

इतनी कम उम्र में एक होनहार युवा का निधन होना कष्टप्रद है। धनपाल रावत बहुत शांत स्वभाव का प्रतिभावान नौ जवान था, जो कि मेडिकल लाइन से जुड़े हुए थे, और वर्तमान पंच वर्षीय त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में वे खवाड़ा वार्ड से चुनकर विकास खण्ड भिलंगना से ज्येष्ठ प्रमुख का चुनाव महज एक वोट से हार गए थे। धनपाल सिंह रावत बेरोजगार फार्मासिस्ट को नियुक्ति दिलाने के लिए भी संघर्षरत थे। इसके साथ ही वे अपने गांव में, अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय को भी संचालित करते थे। बहुत कष्ट प्रद
धनपाल रावत परिवार के साथ, हमको गहरा भी निधन से गहरा आघात पहुंचा। और दुःख की इस घड़ी में साथ रहते हुए,उनके परिवार के साथ अपनी और अपने परिवार की ओर से संवेदना व्यक्त करता हूं।
ईश्वर पुण्य आत्मा को अपने पवित्र धाम में स्थान देते हुए, शोक संतप्त परिवार को दुःख सहने की शक्ति प्रदान करे। ॐ शांति ॐ
🙏🏻🙏🏻💐💐

30/05/2025

नमस्कार dbp news
पर फिर एक बार
सच्चाई आपको
दिखाएंगे हरबार
आज रात 11 बजे लाइव

जिस ज़हर को हम 74 साल से पालते आ रहे थे,जिसे हम वर्षों से पाल रहे थे...और जो हमारे ही खिलाफ भौंक रहा था, उसे मोदी सरकार ...
20/05/2025

जिस ज़हर को हम 74 साल से पालते आ रहे थे,

जिसे हम वर्षों से पाल रहे थे...
और जो हमारे ही खिलाफ भौंक रहा था, उसे मोदी सरकार ने सिर्फ 30 minutes में देश से बाहर फेंक दिया।

हम बात कर रहे हैं संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह (UNMOGIP) की, जो 1948 से भारत में बैठा हुआ था।

इसका काम था भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर विवाद पर नजर रखना, लेकिन असल में ये संगठन भारत के खिलाफ एक विदेशी सेंसर बोर्ड जैसा बन चुका था।

और मज़े की बात—
इनका रहना-खाना-गाड़ी-घूमना-सबकुछ भारत सरकार यानी हमारे टैक्स के पैसे से होता था।

UNMOGIP ने न सिर्फ भारत को कई बार खुले मंचों पर दोषी ठहराया, बल्कि कश्मीर को द्विपक्षीय नहीं, त्रिपक्षीय मसला बताने की भी कोशिश की।

यहाँ तक कहा कि भारत हमें काम नहीं करने दे रहा, हमारे खर्च पूरे नहीं कर रहा, भत्ते बढ़ाओ—
और हमारे लिए और पैसा दो। यानि घर में घुसे मेहमान अब मेज़बान को ही धमका रहे थे।

इस पर मोदी सरकार ने एक सेकंड भी नहीं गंवाया।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने पूरे प्रकरण की कमान संभाली और सिर्फ 30 मिनट की कार्यवाही में UNMOGIP का वीजा रद्द कर दिया गया।

साफ शब्दों में कहा गया—
“अब यहां तुम्हारी जरूरत नहीं है, 10 दिन में अपना बोरिया-बिस्तर समेटो और निकलो।”

इन 74 वर्षों में भारत ने इनके 40 से ज़्यादा अधिकारियों का खर्च उठाया। हमने उन्हें रहना दिया, गाड़ियां दीं, सुरक्षा दी—और बदले में क्या मिला?

हमारे ही खिलाफ बयान, रिपोर्ट और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की छवि को नुकसान। अब वो दौर खत्म हुआ।

और सबसे बड़ा सवाल—
इन्हें भारत में लाया कौन था?
पंडित नेहरू, वही जिन्होंने 1948 में कश्मीर मुद्दा खुद यूएन में घसीट कर ले गए। कश्मीर जो हमारा आंतरिक मामला था, उसे अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बना दिया।

और आज तक उसकी सज़ा हम भुगतते रहे—हर बार जब UN की कोई रिपोर्ट आती थी, उसमें भारत को घेरने की कोशिश होती थी।

अब जबकि मोदी सरकार ने UNMOGIP को बाहर का रास्ता दिखाया है, ये वही क्षण है जैसे अंग्रेजों का आखिरी झंडा उतार दिया गया हो।

आज भी देश की 99% जनता को ये नहीं पता था कि अंग्रेजों की छाया UN के नाम पर आज तक हमारे देश में मौजूद थी।

मोदी सरकार ने इस बार चुपचाप, पर निर्णायक प्रहार किया है। ये सिर्फ कागज़ी कार्रवाई नहीं, ये सांस्कृतिक, कूटनीतिक और मानसिक स्वतंत्रता का प्रतीक है। जो काम कांग्रेस 74 साल में नहीं कर सकी, वो मोदी सरकार ने 30 मिनट में कर दिखाया।

अब कोई विदेशी संस्था भारत में बैठकर भारत को नहीं सिखाएगी कि हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। अब भारत खुद तय करेगा कि उसकी धरती पर कौन रहेगा और कौन नहीं।

ये अंग्रेजी छाया का आखिरी सिरा था—
और उसे भी हमने उखाड़ फेंका।

जय हिंद।

बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा पर पाकिस्तान सरकार की प्रतिक्रियामीर यार बलोच की स्वतंत्रता घोषणा के बाद पाकिस्तान सरक...
14/05/2025

बलूचिस्तान की स्वतंत्रता की घोषणा पर पाकिस्तान सरकार की प्रतिक्रिया

मीर यार बलोच की स्वतंत्रता घोषणा के बाद पाकिस्तान सरकार की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि विश्लेषकों के अनुसार यह कदम पाकिस्तान (और उसके करीबी चीन) के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। भारतीय मीडिया रिपोर्टों में कहा जा रहा है कि ‘Republic of Balochistan’ की घोषणा ने पूरे विश्व का ध्यान खींच लिया है, लेकिन पाकिस्तान की विदेश मंत्रालय या सैनिक कमान ने फिलहाल इस पर कुछ नहीं कहा है।

भारत और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं

भारत सरकार ने भी इस मामले पर सीधे कोई टिप्पणी नहीं की है और दूसरे प्रमुख देशों (अमेरिका, चीन, रूस, यूरोपीय संघ) की तरफ से भी अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। उल्लेखनीय है कि इस घोषणा ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है, लेकिन किसी देश ने इसे स्वीकार नहीं किया है और सभी ने फिलहाल शान्ति एवं स्थिरता की अपील ही जारी रखी है। भारतीय मीडिया में इसे भारत–पाक तनाव के परिप्रेक्ष्य में तो देखा गया है, किंतु वार्ता या मान्यता की कोई आधिकारिक मांग नहीं की गई है।

संयुक्त राष्ट्र एवं मानवाधिकार संगठनों की टिप्पणियाँ

इस घोषणा के बाद संयुक्त राष्ट्र या अन्य अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों की ओर से स्वतंत्रता की मांग पर कोई प्रत्यक्ष बयान नहीं आया है। हालांकि पहले से ही बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन को लेकर चेतावनियाँ दी जाती रही हैं। उदाहरण के लिए, मार्च 2025 में अंतर्राष्ट्रीय बालोच मानवाधिकार परिषद (BHRC) ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव से बलूचिस्तान में शांतिपूर्ण विरोधों पर हो रहे दमन को रोकने की अपील की थी। इसी तरह व्यापक मीडिया कवरेज में भी बलूचिस्तान में हत्याओं, गायबियों और उत्पीड़न की बात कही गई है। फिलहाल ऐसे संकेत हैं कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार विशेषज्ञ इस मुद्दे पर सतर्क हैं, किंतु घोषणा के तुरंत बाद किसी विशेष हस्तक्षेप या बयान की सूचना नहीं है।

बलूचिस्तान की वर्तमान स्थिति

विरोध-प्रदर्शन: मीर यार बलोच ने दावा किया है कि बलोच लोग पाकिस्तान-शासित बलोचिस्तान में सड़कों पर उतर आए हैं और यह उनका ‘‘राष्ट्रीय फैसला’’ है। हालांकि यह मुख्यतः सोशल मीडिया पोस्ट पर आधारित जानकारी है। स्थानीय बलोच नेताओं के अनुसार कई इलाकों में प्रदर्शन जारी हैं, लेकिन सरकारी पक्ष की तरफ से इस बाबत रिपोर्ट सीमित हैं।

सैन्य गतिविधियाँ: बलोचिस्तान के कुछ सशस्त्र समूहों ने पाकिस्तानी सेना और सुरक्षा संस्थानों पर हमले तेज कर दिए हैं। उदाहरण के लिए, बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने हाल ही में 51 स्थानों पर 71 समन्वित हमलों की जिम्मेदारी ली है। इन हमलों में पाकिस्तानी सुरक्षा ठिकानों के साथ-साथ तेल-वितरण वाहनों को निशाना बनाया गया। एक ताजा घटना में पाकिस्तान के रेखीय सैन्य वाहनों पर हमला कर 14 जवानों के मारे जाने की आशंका जताई गई है, जिसका दावा भी BLA ने किया है। इसी कारण पाकिस्तानी सुरक्षा बलों की उपस्थिति बढ़ गई है और कुछ क्षेत्रों में कर्फ्यू जैसी स्थिति बनी हुई है।

सामान्य हालात और मीडिया कवरेज: बलोचिस्तान में दशकों से मानवाधिकार उल्लंघन की स्थितियाँ बनी हुई हैं। पत्रकारों, वकीलों और कार्यकर्ताओं पर हमले और गायबियाँ आम बात बन चुकी हैं। रिपोर्टों के अनुसार स्थानीय मीडिया एवं नागरिकों की मीडिया तक पहुँच बहुत सीमित है, जिससे हकीकत का पता लगाना मुश्किल हो रहा है। दूसरी ओर भारतीय एवं अंतरराष्ट्रीय मीडिया में इसे प्रमुखता से कवर किया जा रहा है। भारतीय समाचार संस्थानों ने बलूच नेता के बयान और स्थिति पर विस्तृत रिपोर्ट दी है, परन्तु सुरक्षा कारणों से बलोचिस्तान की अंदरूनी रिपोर्टिंग मुश्किल बनी हुई है।

सोशल मीडिया रुझान

सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स पर इस मुद्दे को लेकर बड़ी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। विशेषकर ट्विटर/एक्स पर हैशटैग तेजी से ट्रेंड कर रहा है। मीर यार बलोच ने भी स्वतंत्रता की घोषणा और उसके बाद की मांगों को एक्स पर पोस्ट किया, जिससे और जैसे टैग चर्चित हुए हैं। सोशल मीडिया पर इस मुद्दे को लेकर न केवल बलोच समर्थक बल्कि दक्षिण एशियाई और वैश्विक यूज़र्स में भी गहन चर्चा चल रही है, जैसा कि ‘Republic of Balochistan announced’ शब्द सोशल मीडिया पर वायरल होने से स्पष्ट है।

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