शुभ यात्रा सोनू सेतिया

शुभ यात्रा सोनू सेतिया भारत की सभी घूमने लायक़ टूरिस्ट प्लेस की जानकारी आपको इस पेज पर मिलेंगी

Day-5 Tungnath Trekसुबह नींद खुली, तो कमरे में एक सुकून था।कल की वो पूरी थकावट, वो Scooty का बंद हो जाना, बारिश में भीगन...
05/07/2025

Day-5 Tungnath Trek
सुबह नींद खुली, तो कमरे में एक सुकून था।
कल की वो पूरी थकावट, वो Scooty का बंद हो जाना, बारिश में भीगना, सुनसान रास्ता —
शरीर से निकल गया था…
पर मन में एक गहरा ठहराव रह गया था।

मैं बालकनी में आई,
नीचे Alaknanda नदी बह रही थी…
जैसे कोई पुराने ज़माने की धीमी लोरी सुना रहा हो।
बारिश अब भी हल्की थी —
पर मैं घबराई नहीं, बस शांत थी।

कल की रात ने मुझे सिखा दिया था कि
तू अकेली है… लेकिन कमजोर नहीं।
पर उस सुबह कुछ बदला हुआ था —
बाहर अब भी बारिश थी… लेकिन मन में डर नहीं था।

“क्या आज Tungnath जाऊं?”
ये सवाल नहीं था… ये पुकार थी।
शिव ने बुलाया था…
अब जाना ही था।
Scooty स्टार्ट की।
रास्ता लंबा था — 40 किलोमीटर से ज़्यादा,
और पहाड़ों पर हर किलोमीटर की अपनी जिद होती है।

Ukhimath पहुँची तो petrol भरवाया।
Tank full था फिर भी थोड़ा extra लिया…
शायद डर था कि कहीं रास्ता मुझे छोड़ न दे बीच में।

पहाड़ों में सिर्फ Tank नहीं,
‘हिम्मत’ भी एक्स्ट्रा भरनी पड़ती है।
Ukhimath के बाद ना कोई पेट्रोल पंप है ना ही कोई सिग्नल है ना ही बिजली है और ना ही कोई बाजार है सीधा चोपता में जाकर ही इंसान देखने को मिलते हैं।

Ukhimath के बाद जो रास्ता शुरू हुआ —
वो सड़क नहीं थी…
वो कोई परीक्षा-पत्र था जिसे मेरी आत्मा को हल करना था
जंगल ऐसे घने हो गए कि
दुनिया से कोई रिश्ता ही नहीं रहा।

ना network…
ना आवाज़…
ना इंसान…

बस बारिश में भीगी मैं… और वो पेड़ जो किसी मंदिर से कम नहीं लग रहे थे।

सड़कें बिल्कुल सुनसान थीं —
कभी लगता, कोई देख तो नहीं रहा…
कभी लगता, पूरा पहाड़ मुझे देख रहा है।
ना नेटवर्क, ना इंसान, ना आवाज़…
बस घना जंगल, मूसलधार बारिश… और अकेली मैं।
क्या मैं पागल थी? शायद।
पर इस दुनिया में सबसे खूबसूरत काम अक्सर पागल लोग ही करते हैं।

हर मोड़ जैसे डराता था…
और हर मोड़ जैसे पुकारता भी था।
मुझे याद है —
एक जगह Scooty धीरे चली,
सामने कुहासा ऐसा छाया कि 10 कदम तक कुछ दिख नहीं रहा था।
एक पल को लगा —
“Preeti, क्या ये रास्ता तुझे निगल जाएगा?”
पर अगले ही पल एक झरना सामने आया,
जो उस सन्नाटे को गीत बना रहा था।
मैं रुक गई।
भीगी हुई थी… ठिठुर रही थी…
पर मुस्कुरा रही थी।

Chopta पहुँची — और जैसे धरती ने मुझे थाम लिया।
चारों तरफ mist, गीली घास, कुछ दुकानें और Camp।
पर कोई हलचल नहीं…
बस पहाड़ अपनी पूरी गंभीरता में थे।
Raincoat फट चुका था —
तो नया लिया,
एक मजबूत लाठी भी —
क्योंकि आज की चढ़ाई सिर्फ ट्रेक नहीं,
एक लड़की का खुद से किया वादा था।

और फिर शुरू हुआ Tungnath का सफर…
पहला कदम रखते ही
बारिश ने थप्पड़ मारा चेहरे पर —
“तू आई है मुझसे लड़ने?”
मैं मुस्कुराई —
“नहीं बारिश…
मैं तो तेरे साथ चलने आई हूं।”
हवा बिलकुल सामने से टकरा रही थी।
हर मोड़ पर लगता —
“बस अब और नहीं…”
पर फिर एक 78 साल की अम्मा को देखा,
जो चुपचाप चढ़ रही थीं —
ना स्टिक, ना रेनकोट, बस विश्वास।
वो मुझे नहीं देख रही थीं…
पर मुझे ऐसा लगा जैसे शिव ने खुद मुझे दर्शन दे दिए हों।

चढ़ाई चल रही थी —
हवा अंदर तक घुस रही थी।
कपड़े भीग गए थे,
जूतों में पानी भरा था…
और ठंड ऐसी कि उंगलियाँ भी जिद छोड़ चुकी थीं।
पर रुकती नहीं थी मैं…

क्योंकि हर बार जब रुकती थी, सामने बादल मेरे नीचे होते थे।

हाँ, मैं बादलों के ऊपर थी…

खुदा की सीढ़ियों पर।

Tungnath मंदिर पहुँची…

मैंने कभी सोचा नहीं था कि एक दिन अकेले,
बारिश में भीगते हुए, कांपते पैरों के साथ
मैं खुद अपने दम पर उस जगह पहुंचूंगी।

वहाँ मुश्किल से 20-25 लोग ही थे।
आंखें बंद कीं… और ध्यान लगाया।
बारिश और आंसू दोनों बह रहे थे —
फर्क करना मुश्किल था।
ठंड से हाथ-पैर सुन्न हो गए थे —
पर मैं हिली नहीं।
फिर एक पल आया…
जब सब शांत हो गया।
कोई आवाज़ नहीं…
सिर्फ मेरे दिल की धड़कन… और भोले बाबा का स्पर्श।

तभी एक हाथ मेरे कंधे पर पड़ा।

पुजारी जी थे।
कहने लगे,
“बेटा, अंदर आकर बैठ जा, भीग जाएगी। ध्यान वहीं लगा।”

मैं कुछ नहीं बोली,
बस उठी और उनके पीछे चली।

उन्होंने नाम, गोत्र पूछा —
पूरी पूजा कराई…
और 20 मिनट तक मंदिर के अंदर बैठने दिया।

और फिर वो पल आया —
जहाँ मैं खुद से नहीं,
किसी और ही शक्ति से जुड़ गई थी।

मैं मंदिर के अंदर 20 मिनट तक बैठी रही —
ठंडी पत्थर की ज़मीन पर,
बारिश की आवाज़ कानों में…
और एक अजीब सी गर्माहट दिल में।
वो पल एक सपना नहीं था —
वो एक जवाब था।

Chandrashila जाना चाहा,
पर मौसम ने इजाज़त नहीं दी।
शिव ने कहा —
“बस बेटा, आज यहीं तक।
बाक़ी फिर कभी…”
वापसी में जो हुआ, वो किसी इनाम से कम नहीं था।

जैसे ही नीचे उतरना शुरू किया —
बारिश हल्की हुई,
बादल हटने लगे…

और अचानक…
सामने पूरा हिमालय दिख गया।

सफेद चादर में लिपटे हुए वो पहाड़ —
जैसे मेरी पूरी यात्रा का उत्तर बनकर सामने खड़े थे।

मैं रुक गई…
रोई नहीं…
पर अंदर कुछ पिघल गया।

उतरते वक़्त हवा साथ दे रही थी —
3 घंटे की चढ़ाई,
सिर्फ 40 मिनट में नीचे आ गई।

एक ढाबे पर गरम खाना खाया, चाय पी…
और फिर scooty लेकर वापस hotel के लिए निकल पड़ी।

“धन्यवाद भोले… मुझे बुलाया, गिराया… और फिर संभाल भी लिया।”

नीचे आने में वक्त नहीं लगा —
शरीर थक चुका था, पर मन उड़ रहा था।
Hotel पहुँची…
वही अपनापन,
फिर से गरम खाना,
जूते सुखाने की पेशकश…
रात को बिस्तर पर लेटी तो
बारिश की बूँदें अब डर नहीं बन रही थीं…
वो लोरी लग रही थीं।

और नींद…
आज ज़िंदगी की सबसे प्यारी नींद थी।

🌌 "वो Trek नहीं था…
वो शिव के दरबार तक
मेरे पैरों से किया गया एक प्रण था।"
जहाँ डर भीग गया,
और विश्वास खड़ा रह गया।
ये कोई ट्रैक नहीं था… ये एक साधना थी।

जिसमें शरीर थका,
मन टूटा,
पर आत्मा… जाग उठी।












"मैं वहाँ गई थी भगवान से मिलने,
पर लौटकर आई तो जाना —
सारा रास्ता भगवान मेरे साथ ही चल रहे थे।"
–Preeti
(जो अब सिर्फ ट्रैवलर नहीं,
खुद से मिलने निकली एक साधक है)

Kadian

₹7000 प्रति सप्ताह में मनाली में लॉन्ग स्टे: पहाड़ों में सुकून, अब बजट में ///वांडररर्स होमस्टे, मनाली: जहाँ हर दिन एक क...
05/07/2025

₹7000 प्रति सप्ताह में मनाली में लॉन्ग स्टे:

पहाड़ों में सुकून, अब बजट में ///वांडररर्स होमस्टे, मनाली: जहाँ हर दिन एक कहानी बन जाती है
कभी-कभी ज़िंदगी एक ब्रेक माँगती है — शोर से, भाग-दौड़ से, और लगातार चलती घड़ी से। ऐसे में अगर आप सोच रहे हैं कि कुछ हफ्तों के लिए पहाड़ों की गोद में सुकून ढूँढें या महीनों तक प्रकृति के साथ एक गहरा रिश्ता बनाएं, तो मनाली का Wanderer's Homestay आपके लिए एक आदर्श जगह हो सकती है।

एक घर, जो सिर्फ रहने की जगह नहीं, अनुभव है
वांडररर्स होमस्टे, मनाली के मुख्य शहर से थोड़ी दूरी पर, एक शांत पहाड़ी पर स्थित है। चारों तरफ़ देवदार के पेड़, सेब के बागान और सामने फैले बर्फ से ढके पहाड़ — यहाँ सुबहें कविता जैसी और शामें संगीत जैसी होती हैं।

यह होमस्टे उन लोगों के लिए है जो ट्रैवलर हैं, टूरिस्ट नहीं। जो कुछ हफ्तों के लिए नहीं, बल्कि एक नए जीवन के अनुभव के लिए यहाँ रुकते हैं।

🛏️ कमरों का अनुभव: सरलता में शांति
Wanderer's Homestay में हर कमरा लकड़ी की सुगंध से भरा है, जहाँ बालकनी से हिमालय की ऊँचाइयाँ दिखती हैं। कमरे अत्यंत साफ, सुरुचिपूर्ण और लंबे समय तक रहने के लिए पूरी तरह से सुविधाजनक हैं — जैसे कि:

साफ-सुथरा वर्कस्पेस (Work desk)

तेज़ Wi-Fi (डिजिटल नोमैड्स के लिए आदर्श)

अटैच बाथरूम

गर्म पानी और हीटर की सुविधा

एक मिनिमल, शांतिपूर्ण डिज़ाइन जो मन को शांत करे

🍲 किचन, खाना और लोकल स्वाद
यहाँ के होस्ट्स आपको न केवल घर जैसा खाना परोसते हैं, बल्कि आप खुद भी किचन में जाकर अपनी पसंद का भोजन बना सकते हैं। Long-term stays के लिए यह सुविधा खास मायने रखती है।

यदि आप स्थानीय पहाड़ी व्यंजन जैसे सिड्डू, लिंगड़ी की सब्ज़ी, या सरसों का साग आज़माना चाहते हैं, तो होस्ट्स आपको इनके साथ एक कहानी भी परोसते हैं।

🌸 लॉन्ग-स्टे के लिए क्यों चुनें Wanderer's Homestay?
✅ मानसिक शांति
यह जगह भागते शहर से दूर है। अगर आप किसी किताब पर काम कर रहे हैं, वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं या सिर्फ खुद को फिर से पाना चाहते हैं, तो यह आपके लिए एक रिट्रीट बन सकती है।

✅ समुदाय और एकांत का सुंदर संतुलन
यहाँ रहने वाले लोग अक्सर लेखक, कलाकार, फोटोग्राफर या डिजिटल नोमैड्स होते हैं। जब आप चाहें तो बातचीत और मेल-जोल का वातावरण मिलेगा, और जब चाहें तब एकांत में डूबने का भी समय।

✅ आत्मनिर्भरता + मदद
आप खाना बना सकते हैं, लॉन्ड्री कर सकते हैं और अपनी रूटीन बना सकते हैं — पर अगर आपको कुछ चाहिए, तो होस्ट्स परिवार की तरह मदद करते हैं।

✅ नेचर वॉक और शांत ट्रेल्स
होमस्टे के आस-पास कई छोटी और कम भीड़भाड़ वाली ट्रेल्स हैं, जहाँ आप अकेले या स्थानीय कुत्तों के साथ वॉक पर जा सकते हैं।

📆 कितने समय के लिए रुक सकते हैं?
Wanderer’s Homestay साप्ताहिक, पाक्षिक और मासिक स्टे की सुविधा देता है। लंबे प्रवास के लिए आपको डिस्काउंटेड दरें भी मिलती हैं।

🤝 मेजबान – जैसे अपने लोग
यहाँ के मेज़बान (hosts) बेहद विनम्र और समझदार हैं। वे आपको स्पेस देते हैं, पर ज़रूरत पर आपका पूरा ख्याल रखते हैं। उनसे हिमाचली संस्कृति, लोककथाएँ और पहाड़ों की कहानियाँ सुनना भी एक अनुभव होता है।

🧳 आपके लिए आदर्श अगर:
आप वर्क फ्रॉम माउंटेन्स का अनुभव चाहते हैं

आप एक लेखक, कलाकार या विचारशील व्यक्ति हैं जो एकांत की तलाश में है

आप टूरिस्ट की तरह नहीं, ट्रैवलर की तरह जीना चाहते हैं

आप हिमालय की गोद में कुछ महीनों का विश्राम और आत्म-अन्वेषण चाहते हैं

🚗 कैसे पहुँचे?
निकटतम बस स्टॉप: मनाली (7–8 किमी)

कैब / टैक्सी: मनाली से आसानी से कैब मिलती है

निकटतम एयरपोर्ट: भुंतर (करीब 50 किमी)

होमस्टे के रास्ते में थोड़ा पैदल चलना पड़ सकता है, लेकिन वो चढ़ाई खुद एक अनुभव बन जाती है — हर मोड़ पर प्रकृति के नए रूप मिलते हैं।

📸 यादें बनती हैं यहाँ
Wanderer’s Homestay केवल ठहरने की जगह नहीं, बल्कि वह पृष्ठभूमि है जहाँ आप अपनी सबसे सुंदर यादें रचते हैं। चाहे धूप में किताब पढ़ना हो, रात को तारे गिनना हो या पहाड़ी चाय के साथ जीवन को महसूस करना — यह जगह हर दिन को खास बना देती है।

✨ अंत में...
अगर आप किसी ऐसी जगह की तलाश में हैं जहाँ आप खुद से मिल सकें, तो मनाली के Wanderer’s Homestay ज़रूर जाएं। यहाँ वक़्त रुक जाता है, साँसें गहराई लेती हैं, और दिल हल्का हो जाता है।

यह जगह आपको वापस लौटने की नहीं, यहीं रुक जाने की चाहत देती है।

04/07/2025


“शांत बैकवाटर की गोद में तैरता एक लकड़ी का हाउसबोट, जहां सूरज ढलते ही केरल की सुनहरी शाम प्यार की कहानियाँ सुनाने लगती है। ताजे नारियल पानी की चुस्कियों के बीच, हवाओं में घुली चंदन और मसालों की खुशबू, और दूर तक फैले नीले पानी पर झिलमिलाते तारे—उस हाउसबोट की डेक पर दो प्रेमी चुपचाप बैठे हैं, हाथों में हाथ लिए, जैसे पूरी कायनात बस उसी लम्हे के लिए थम गई हो।”

अलप्पुझा कहाँ है?
• राज्य: केरल
• ज़िला: अलप्पुझा ज़िला
• प्रमुख शहर: कोच्चि (Cochin) से लगभग 53 किमी दूर



🛤️ अलप्पुझा कैसे पहुँचे?

✈️ हवाई मार्ग (By Air):
• निकटतम हवाई अड्डा: कोचीन इंटरनेशनल एयरपोर्ट (Cochin International Airport) — लगभग 83 किमी दूर
• एयरपोर्ट से टैक्सी, बस या ट्रेन से अलप्पुझा पहुँचा जा सकता है।

🚆 रेल मार्ग (By Train):
• अलप्पुझा रेलवे स्टेशन (Alappuzha Railway Station) देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा है — जैसे:
• कोच्चि
• तिरुवनंतपुरम
• बैंगलोर
• चेन्नई
• कोलकाता
• मुंबई

🚌 सड़क मार्ग (By Road):
• केरल स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट (KSRTC) की बसें यहाँ नियमित रूप से चलती हैं।
• आप अपनी गाड़ी से भी नेशनल हाईवे NH66 के ज़रिए पहुँच सकते हैं।



🛶 अलप्पुझा की खासियत:
• 🌊 हाउसबोट क्रूज़ (रात भर रहने की सुविधा)
• 🌴 बैकवाटर टूर (Vembanad Lake)
• 🌅 रोमांटिक सनसेट
• 🐟 सी फूड और स्थानीय केरल व्यंजन
• 🎭 केरल की संस्कृति: कथकली, आयुर्वेदिक

शुभ यात्रा सोनू सेतिया सोनू सेतिया हिदूं Blissful Outing

पहाड़ो में ऐसे पोड हाउस बनाके आप पर्यटकों को लुभा सकते हो आजकल ये बहुत ही ट्रेंड्स में है जो कि लक्ज़री डोम्स जैसे ही हो...
04/07/2025

पहाड़ो में ऐसे पोड हाउस बनाके आप पर्यटकों को लुभा सकते हो
आजकल ये बहुत ही ट्रेंड्स में है
जो कि लक्ज़री डोम्स जैसे ही होते है , मगर उससे बहुत सस्ते
जहाँ लक्ज़री डोम्स रिस्की भी ज़्यादा होते है
वहीं ये पोड हाउस में लकड़ी का इस्तेमाल होता है , जैसे वुडेन हाउस होते है
दिखने में आपको ये छोटा लग रहा होगा , लेकिन असल में ये एक बढ़िया रूम और बाथरूम मिलता है

शुभ यात्रा सोनू सेतिया सोनू सेतिया हिदूं Blissful Outingशुभ यात्रा सोनू सेतियासोनू सेतिया हिदूंBlissful Outing

उत्तराखंड के रामनगर शहर से 35 किलोमीटर दूर मार्चुला एक खूबसूरत ऑफबीट डेस्टिनेशन है। यह डेस्टिनेशन पर्यटकों के बीच इतना म...
04/07/2025

उत्तराखंड के रामनगर शहर से 35 किलोमीटर दूर मार्चुला एक खूबसूरत ऑफबीट डेस्टिनेशन है। यह डेस्टिनेशन पर्यटकों के बीच इतना मशहूर नहीं है, लेकिन इस डेस्टिनेशन में मौजूद अछूता प्राकृतिक आकर्षण और शांति इसे शांति और प्रकृति प्रेमियों के लिए सबसे बेहतरीन ऑफबीट डेस्टिनेशन में से एक बनाती है। यह शानदार गांव रामगंगा नदी के तट पर खूबसूरती से बसा हुआ है और यह जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क का केंद्रीय केंद्र भी है। यह जिम कॉर्बेट के पास घूमने के लिए सबसे बेहतरीन ऑफबीट डेस्टिनेशन में से एक है, जो यात्रा के शौकीनों को करने के लिए कई चीजें और घूमने के लिए कई जगहें प्रदान करता है। अगर आप शांत और शांतिपूर्ण जगह की तलाश में हैं तो मार्चुला टूर भारत में सबसे बेहतरीन टूर में से एक है।

शुभ यात्रा सोनू सेतिया सोनू सेतिया हिदूं Blissful Outing

हिमाचल प्रदेश में मानसून ने रौद्र रूप दिखाया है. जिससे मची भारी तबाही से हिमाचल उभर नहीं पा रहा है. बीते 72 घंटों के दौर...
04/07/2025

हिमाचल प्रदेश में मानसून ने रौद्र रूप दिखाया है. जिससे मची भारी तबाही से हिमाचल उभर नहीं पा रहा है. बीते 72 घंटों के दौरान राज्य में बादल फटने की 14 और फ्लैश फ्लड की 3 घटनाएं दर्ज की गई हैं. इनमें अकेले मंडी जिले में 13 स्थानों पर बादल फटे, जिससे सबसे अधिक तबाही हुई है. मानसून से अब तक 69 मौतें हुई हैं. 110 लोग घायल हुए हैं. 37 लोग अभी भी लापता हैं. 495 करोड़ का कुल नुकसान प्रदेश हो चुका है. भूस्खलन से 246 सड़कें बंद पड़ी हैं. 404 ट्रांसफार्मर ठप हैं.
श्री प्रभु श्री राधे दुखों से उभरने की हिम्मत दे सभी को।



शुभ यात्रा सोनू सेतिया सोनू सेतिया हिदूं Blissful Outingशुभ यात्रा सोनू सेतियासोनू सेतिया हिदूंBlissful Outing

मुन्नार की एक खास बात बताऊंगा... मुन्नार केरल में है... बढ़िया हिल स्टेशन है... सालभर अच्छा खुशगवार मौसम रहता है... लोग य...
04/07/2025

मुन्नार की एक खास बात बताऊंगा... मुन्नार केरल में है... बढ़िया हिल स्टेशन है... सालभर अच्छा खुशगवार मौसम रहता है... लोग यहां कम से कम 2 दिन तो रुकते ही हैं...

अब होता ये है कि हिल स्टेशन है, तो पहाड़ियां भी होंगी... पहाड़ियां होंगी, तो कोई स्थान ऊंचाई पर होगा और कोई स्थान निचाई पर होगा... हो सकता है कि कोई स्थान 600 मीटर की ऊंचाई पर हो और हो सकता है कि कोई स्थान 2000 मीटर की ऊंचाई पर हो... मुन्नार के साथ मजे की बात ये है कि मुन्नार कस्बा तो छोटा-सा है और 1500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है... लेकिन इसके 20-30 किमी के दायरे में आने वाले स्थान भी ‘मुन्नार’ में ही आते हैं... मतलब 600 मीटर वाले स्थान भी मुन्नार हैं और 2000 मीटर वाले स्थान भी मुन्नार हैं...

कहने का मतलब ये है कि आपका होटल इस 20-30 किमी के दायरे में कहीं भी हो सकता है... अगर 600-1000 मीटर की रेंज में होगा, तो वहां गर्मी होगी, उमस होगी और एसी की जरूरत पड़ेगी और आसपास घना जंगल और झाड़-झंगाड़ भी होंगे... यहां आपको इलायची के बगीचे भी मिल सकते हैं... हो सकता है कि आसपास कोई लेक या तालाब भी हो...

और अगर आपका होटल 1000 मीटर से ऊपर होगा, तो वहां मौसम अच्छा रहेगा, उमस नहीं होगी और एसी की जरूरत नहीं पड़ेगी... और 1000 मीटर से ऊपर चाय के बागान भी मिलेंगे... तो ये भी हो सकता है कि आपका होटल चाय बागानों के बीच हो या वाकिंग डिस्टेंस पर कोई चाय बागान हो...

और अगर मुन्नार कस्बे के आसपास ही होटल हो, तो वो सबसे बेस्ट है, क्योंकि मुन्नार कस्बा 1500 मीटर पर है और यहां हर तरफ चाय बागान हैं... यानी ऐसे में आपको वाकिंग डिस्टेंस पर चाय बागान तो मिलेंगे ही, मार्किट भी मिल जाएगा... जहां आप बढ़िया शाकाहारी भोजन कर सकते हैं और मसालों-मुसालों की शॉपिंग भी कर सकते हैं...

अब अगर हम अपनी यानी Travel King India की बात करें, तो हमारी प्राथमिकता मुन्नार कस्बे के एकाध किमी के अंदर होटल देने की रहती है... हमारे प्राइमरी होटल मार्किट के आसपास ही होते हैं... लेकिन अगर ये सोल्ड आउट होते हैं, तो हम मार्किट से आगे 1800 या 2000 मीटर पर होटल देते हैं, खासकर देवीकुलम या चिन्नाकनाल की तरफ... और अगर उधर भी सोल्ड आउट मिलते हैं, तब हमें मजबूरी में नीचे उतरना पड़ता है और आणाचल एरिये में होटल देने पड़ते हैं... आणाचल में ये ध्यान रखना पड़ता है कि रूम में एसी लगा हो... मुन्नार और देवीकुलम में नॉन-एसी रूम भी चल जाते हैं...

अभी तो फिलहाल इतना ही बताना था... अगली पोस्ट में किसी और स्थान की बात करेंगे... तब तक आप कमेंट करके ये बता सकते हो कि आप किस एरिये में ठहरना पसंद करेंगे... और जब आप मुन्नार गए थे, तो किस एरिये में ठहरे थे...

Post Credit -

इटली के टस्कनी के एक छोटे से गांव में एक बेकरी है, जो हर सुबह 4:30 बजे खुल जाती है। किसी को नहीं पता कि ये बेकरी कितने स...
03/07/2025

इटली के टस्कनी के एक छोटे से गांव में एक बेकरी है, जो हर सुबह 4:30 बजे खुल जाती है। किसी को नहीं पता कि ये बेकरी कितने सालों से वहाँ है। ताज़े बने हुए ब्रेड की खुशबू अंधेरे में डूबी गलियों में फैल जाती है, और कभी-कभी कोई राहगीर रुक कर गरम लोफ खरीद लेता है, काम पर जाने से पहले।

उस बेकरी का मालिक है मारियो। वह 74 साल का है। पिछले 51 सालों से, हर एक दिन — बिना किसी छुट्टी के — वह अकेले ही आटा गूंथता है, ब्रेड बेक करता है और उन्हें काउंटर पर सजाता है। न छुट्टी, न कोई अवकाश। जब लोग उससे पूछते हैं कि वह रिटायर क्यों नहीं होता, तो वह बस इतना कहता है:
"जब तक किसी को सुबह गरम ब्रेड की ज़रूरत होगी, मैं यहीं रहूंगा।"

लेकिन लोगों को सबसे ज़्यादा जो बात छूती है, वो सिर्फ उसकी मेहनत नहीं है। असल बात वो है जो वह हर शनिवार करता है — बिना कभी किसी को बताए।

हर शुक्रवार सुबह 6 बजे, मारियो पाँच थैलियाँ ब्रेड और फोकाचिया से भरकर उस छोटे से स्थानीय प्रीस्कूल के दरवाज़े पर रख आता है — एक पुरानी इमारत, जिसकी दीवारों पर बच्चों की ड्रॉइंग्स बनी होती हैं। कोई उसे आते नहीं देखता, लेकिन अध्यापकों को अब पता है। सालों पहले उन्होंने सिक्योरिटी कैमरों की जाँच करके जाना कि ये अनाम तोहफा कौन छोड़ जाता है।

एक बार उन्होंने मारियो को धन्यवाद देना चाहा, लेकिन उसने सिर्फ इतना कहा:
"ये ब्रेड उनके लिए है जो बढ़ रहे हैं। मैंने अपना बेटा पाँच साल की उम्र में खो दिया था। यही तरीका है मेरा उसकी याद को ज़िंदा रखने का।"

तब से, हर शुक्रवार, बच्चों को उनका "जादुई ब्रेड" दरवाज़े पर मिल जाता है, और शिक्षक उन्हें मारियो की कहानी सुनाते हैं — उसका नाम लिए बिना, सम्मान में। वे उसे कहते हैं — "दिल वाला बेकरी वाला", The Baker of the Heart।

एक महीने पहले, मारियो बीमार हो गया। पचास सालों में पहली बार बेकरी बंद रही। यह बात पूरे गांव में फैल गई, और उस रविवार, 200 से ज्यादा लोग उसकी बेकरी के बाहर इकट्ठा हो गए। हर किसी के हाथ में एक घर में बना हुआ ब्रेड रोल था। सब खामोशी से खड़े रहे — उस रोशनी का इंतज़ार करते हुए जो हर सुबह बेकरी में जलती थी।

थोड़ी देर बाद, मारियो बाहर आया — उसकी एप्रन पर आटे के दाग थे, और आंखों में आंसू।
उसने बस एक बात कही:

"मैंने सोचा था इतने सालों बाद कोई मुझे याद नहीं रखेगा... लेकिन तुम सब ही तो मेरी गरम ब्रेड हो।"

हिमाचल का मतलब सिर्फ शिमला-मनाली नहीं। जिभी, तीर्थन वैली का एक शांत और सुंदर गांव है, जहाँ नदी की कलकल, देवदार के जंगल औ...
03/07/2025

हिमाचल का मतलब सिर्फ शिमला-मनाली नहीं।
जिभी, तीर्थन वैली का एक शांत और सुंदर गांव है, जहाँ नदी की कलकल, देवदार के जंगल और बर्फीले पहाड़ मिलते हैं एक साथ।
अगर आप भीड़-भाड़ से दूर सुकून चाहते हैं, तो जिभी जरूर जाएं।

📍 क्या देखें?

🔹 जिभी वाटरफॉल – जंगल के बीच छुपा छोटा लेकिन बेहद सुंदर झरना

🔹 जलोरी पास – बर्फ से ढका पहाड़ी दर्रा, शानदार विंटर व्यू के लिए

🔹 सेरोलसर झील – जंगलों के बीच स्थित एक शांत झील, छोटा ट्रेक करके पहुंच सकते हैं

🔹 चैहणी कोठी – 1500 साल पुराना लकड़ी-पत्थर से बना मंदिर, अनोखी पहाड़ी वास्तुकला

🚉 कैसे पहुँचें जिभी-

1. रेलवे द्वारा:

Nearest Station:-
चंडीगढ़ या कालका

वहाँ से टैक्सी या बस से Aut (औट) तक जाएं

Aut से आगे का रास्ता टैक्सी या लोकल बस से तय करें (लगभग 30–35 किमी)

2. सड़क मार्ग से (दिल्ली से जिभी):

दिल्ली → चंडीगढ़ → मंडी → औट → बंजार → जिभी

कुल दूरी लगभग 500 किमी...

क्या करें?

ट्रेकिंग और जंगल वॉक,
लोकल होमस्टे में रहकर पहाड़ी जीवन का अनुभव,
फोटोग्राफी और सनराइज़ / सनसेट व्यू,
लोकल फ़ूड और हिमाचली संस्कृति का आनंद।

📅 कब जाएं?

मार्च से नवंबर – हरियाली और ट्रेकिंग के लिए
दिसंबर से फरवरी – बर्फबारी और स्नो व्यू के लिए



शुभ यात्रा सोनू सेतिया Blissful Outing सोनू सेतिया हिदूं

यदि आप पहाड़ों की गोद में बसी एक ऐसी जगह की तलाश में हैं जहाँ सुबह आँख खुले तो सामने बर्फ से ढकी किन्नर कैलाश की चोटियाँ...
03/07/2025

यदि आप पहाड़ों की गोद में बसी एक ऐसी जगह की तलाश में हैं जहाँ सुबह आँख खुले तो सामने बर्फ से ढकी किन्नर कैलाश की चोटियाँ नजर आएं, और जहाँ शामें लोकगीतों की धुन पर ढल जाएं — तो कल्पा गांव आपका अगला ठिकाना हो सकता है।

यह गाँव किन्नौर जिले में स्थित है, और यहाँ की सुंदरता, संस्कृति और शांति मिलकर ऐसा अनुभव देती हैं, जो किसी भी यात्री के दिल में हमेशा के लिए बस जाती है।

---

🌄 प्राकृतिक सौंदर्य – किन्नर कैलाश की गोद में

कल्पा चारों ओर से बर्फीली चोटियों, देवदार और चीड़ के पेड़ों से घिरा हुआ है। यहाँ से दिखाई देने वाला किन्नर कैलाश रेंज सुबह और शाम के समय सुनहरे रंग में चमकता है। सर्दियों में बर्फ से ढकी छतें और पेड़ इस गांव को किसी परी कथा जैसा बना देते हैं।

---

🏡 हिमाचली और तिब्बती संस्कृति का सुंदर मेल

कल्पा में आपको न केवल पारंपरिक किन्नौरी घर और पहनावा देखने को मिलेगा, बल्कि यहाँ तिब्बती बौद्ध संस्कृति की भी झलक है। स्थानीय लोग बेहद मिलनसार होते हैं और अपनी संस्कृति को गर्व के साथ संजोकर रखते हैं। लकड़ी और पत्थर से बने पुराने मंदिर और मठ इस जगह की विरासत को दर्शाते हैं।

---

🍛 स्थानीय स्वाद – किन्नौर की रसोई से

कल्पा में आपको ठुप्पा, मोमोज़, और छांग (स्थानीय ड्रिंक) जैसे व्यंजन मिलते हैं, जो तिब्बती प्रभाव दिखाते हैं। साथ ही, राजमा-चावल, मक्की की रोटी और साग जैसे हिमाचली व्यंजन भी यहाँ परोसे जाते हैं।

---

🚶‍♀️ क्या करें कल्पा में?

✅ किन्नर कैलाश दर्शन – कल्पा से यह पर्वत बेहद नज़दीक और शानदार दिखाई देता है।

✅ रोगी गांव की ट्रैकिंग – कल्पा से 3 किमी दूर, यहाँ से घाटी का बेहद खूबसूरत नज़ारा दिखता है।

✅ स्थानीय मंदिर दर्शन – नारायण नागिनी मंदिर और चाका मंदिर प्रमुख हैं।

✅ संगला और छितकुल भ्रमण – कल्पा से इन जगहों की ओर भी दिनभर की यात्रा की जा सकती है।

✅ एप्रिकोट और सेब के बागों में सैर – वसंत और गर्मी में बागों की हरियाली और खुशबू दिल मोह लेती है।

---

🛏️ कहाँ ठहरें?

✔️ Homestays and Guesthouses:

Kinner Villa

The Monk Kalpa

Hotel Rakpa Regency

💰 बजट: ₹1000 – ₹3000 प्रति रात्रि (भोजन अलग)

📍 कैसे पहुंचे कल्पा?

1. निकटतम शहर: रिकांग पिओ (8 किमी)

2. सड़क मार्ग:

शिमला से कल्पा – लगभग 230 किमी (8–10 घंटे की ड्राइव)

बसें शिमला से रिकांग पिओ तक मिलती हैं

3. नजदीकी रेलवे स्टेशन: शिमला

4. नजदीकी हवाई अड्डा: भुंतर या शिमला (इसके बाद टैक्सी/बस)

🕰️ कब जाएं?

महीना अनुभव

मार्च – जून सुहावना मौसम, फूलों से भरे बाग
जुलाई – अगस्त सेब का मौसम, हरियाली
अक्टूबर – फरवरी बर्फबारी, रोमांटिक सर्दी

> सर्दियों में सड़कें बर्फ से बंद हो सकती हैं, पहले जानकारी जरूर लें।

🎒 क्या साथ रखें?

गर्म कपड़े (विशेष रूप से सर्दियों में)

ट्रैकिंग शूज़

कैमरा और चार्जर

पानी की बोतल और स्नैक्स

नकदी (ATM सीमित हैं)

---

📝 ट्रैवल टिप्स:

स्थानीय रीति-रिवाजों का सम्मान करें

बर्फीले मौसम में गाड़ी सावधानी से चलाएं

पर्यावरण को साफ रखें, प्लास्टिक न फैलाएं

कल्पा, एक ऐसा गांव है जहाँ प्रकृति, संस्कृति और सादगी मिलकर एक अद्भुत समरसता रचते हैं। यहाँ का हर कोना शांति से भरा हुआ है — ऐसा लगता है जैसे समय थम सा गया हो।

अगर आप अगली बार हिमाचल में शांति और आत्मिक अनुभव की तलाश करें, तो कल्पा गांव आपकी सूची में जरूर होना चाहिए।

शुभ यात्रा सोनू सेतिया Blissful Outing सोनू सेतिया हिदूं

केदारनाथ यात्रा फ़िलहाल अस्थाई तोर पे बंद कर दी गई है सोनपर्याग शेत्र के अंतर्गत आने वाले मुनकुटिया स्लाइडिंग जोन में लै...
03/07/2025

केदारनाथ यात्रा फ़िलहाल अस्थाई तोर पे बंद कर दी गई है
सोनपर्याग शेत्र के अंतर्गत आने वाले मुनकुटिया स्लाइडिंग जोन में लैंडस्लाइड होने की वजह से
बाबा केदार सब की रक्षा करें 🙏

थोड़ी सी आंखें बंद करके देखें बर्फ के पहाड़ों में किसके दर्शन हो रहे हैं❤️❤️🙏
03/07/2025

थोड़ी सी आंखें बंद करके देखें बर्फ के पहाड़ों में किसके दर्शन हो रहे हैं❤️❤️🙏

Address

5 , Gurudwara Road , Karanpur
Dehra Dun
248001

Alerts

Be the first to know and let us send you an email when शुभ यात्रा सोनू सेतिया posts news and promotions. Your email address will not be used for any other purpose, and you can unsubscribe at any time.

Share

Category