02/09/2025
गढ़वाली भाषा दिवस हर साल 2 सितंबर को मनाया जाता है। यह दिन गढ़वाली भाषा को सम्मान देने के लिए और 2 सितंबर 1994 को मसूरी गोलीकांड में शहीद हुए आंदोलनकारियों की याद में मनाया जाता है। यह आयोजन पर्वतीय राज्य मंच द्वारा 2018 से शुरू किया गया है, जिससे भाषा की महत्ता और संरक्षण पर ध्यान दिया जा सके।
गढ़वाली भाषा दिवस पर बधाई
गढ़वाली भाषा दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाई। यह दिन हमारी मातृभाषा को पहचान और सम्मान देने का पर्व है। इस भाषा की समृद्धि और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने के लिए हम सबका यह कर्तव्य है कि हम अपनी मातृभाषा को सहेजें और आगे बढ़ाएं।
गढ़वाली कविता
ढ़वऴि भाषा कु दिवस च, बल आज।
भाषा अपड़ि हमन बचांण, चल आज..
ढ़वऴि ब्वाला- बच्यावा, याच स्वाणी,
निकनि बड़ि आदिमै जनि, नकल आज..
हम जो ढ़वऴि भाषा, बखत्वार छवां,
पैलि जै – ऐना म द्याखा, सकल आज..
भूल हमरि च, हिंदि- अंग्रेजि फुकदवां,
कना छवां- ढ़वऴि दग्ड़ी, छल आज..
(इस कविता में गढ़वाली भाषा को बचाने और उसका सम्मान करने का आह्वान है)।
गढ़वाली भाषा देवनागरी लिपि मा लिखी जांदी छ। हिंदी जैं देवनागरी मा लिखो जांदी, उस्तै गढ़वाळि भि देवनागरी मा लिखदी। नीचे गढ़वाळि मा थोड़ी जानकरी दी गई छ:
गढ़वाल उत्तराखण्ड को एक प्रमुख हिस्सा छ, यांकी भाषा गढ़वाळि छ। गढ़वाळि भाषा मा दो लिंग (पुल्लिंग औ स्त्रीलिंग) औ दो वचन (एकवचन औ बहुवचन) होलां। पुल्लिंग बणावण वास्ते 'ु' (उकारांत) शब्द भोत मिलूं, जैंकि स्त्रीलिंग वास्ते 'ि', 'ा', 'ु' आदि शब्दांत शब्द होलां।
गढ़वाळि मा बोलचाल को ढंग, शब्द औ ध्वनि हिंदी स भिन्न छ, पण लेखन वास्ते देवनागरी लिपि को ही उपयोग करीलां। यांकी लोक बोली भौत समृद्ध छ औ लोक साहित्य खूब छ, जुन्यां अक्सर देवनागरी मा लिखी जांदी छ।
गढ़वाली ध्वन्यात्मक वर्णमाला में हिंदी की तरह अ से ज्ञ तक स्वर और व्यंजन शामिल हैं, लेकिन क्षेत्रीय उच्चारण और कुछ विशिष्ट ध्वनियाँ भी पाई जाती हैं।
स्वर (Vowels)
अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः
(गढ़वाली में इनका प्रयोग हिंदी की तरह किया जाता है, लेकिन कुछ स्वर बेहद संक्षिप्त या दीर्घ उच्चारित होते हैं)।
व्यंजन (Consonants)
क, ख, ग, घ, ङ
च, छ, ज, झ, ञ
ट, ठ, ड, ढ, ण
त, थ, द, ध, न
प, फ, ब, भ, म
य, र, ल, व
श, ष, स, ह
त्र, क्ष, ज्ञ
ड़, ढ़, ळ, ल्ह, र्ह
(गढ़वाली में ‘ळ’, ‘ल्ह’, ‘र्ह’, ‘ण’ जैसी ध्वनियाँ हिंदी बोलियों की तुलना में अधिक इस्तेमाल होती हैं)।
गढ़वाली की खास ध्वनियाँ
कई शब्दों में ‘ण’, ‘ळ’, ‘ल्ह’, ‘र्ह’ का विशेष प्रयोग गढ़वाली का मुख्य लक्षण है।
लंबे स्वर (दीर्घ): ‘आ’, ‘ई’, ‘ऊ’, ‘औ’
नासिक्य और अनुनासिक ध्वनियों का भी विशेष महत्त्व है।
उदाहरण शब्द
वर्ण गढ़वाली उदाहरण शब्द
अ अल्लु (आलू)
आ आदु (अदरक)
इ इमत्यान (परीक्षा)
ऊ ऊख (गन्ना)
क कुट्ट (कुत्ता)
प पोथ (पांव)
ण विणास (विनाश)
ळ घोळ (घोल)
गढ़वाली वर्णमाला देवनागरी के समान है, लेकिन उच्चारण में अपनी अपनी ख़ास विविधता दिखाती है, जिसमें क्षेत्रीय ध्वनि और लहजे की झलक प्रमुख है।
बालकृष्ण डी. ध्यानी