30/07/2025
"राज्यपाल व सेनानायक की प्रेरक संगमशक्ति: उत्तराखंड में राष्ट्रभक्त सैनिकों की नई पीढ़ी गढ़ रहे हैं लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से.नि.)"
जब एक सच्चा सेनानायक “जय हिंद” का उद्घोष करता है, तो उसका प्रतिध्वनि केवल दीवारों से टकराकर लौट नहीं आती — वह दिलों में उतरती है, आत्मा को झकझोरती है और आने वाली पीढ़ियों में देशभक्ति का बीज बो देती है। उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेवानिवृत्त) का व्यक्तित्व इसी विराट प्रेरणा का जीवंत प्रतीक है।
आपकी सबसे बड़ी विशेषता यही है कि राज्यपाल और सेनानायक — इन दोनों महान उत्तरदायित्वों को केवल निभाया नहीं, बल्कि उसमें से एक नई प्रेरक संगमशक्ति का निर्माण किया है। यह संगम न केवल उत्तराखंड के प्रशासनिक ढांचे को संवेदनशीलता और अनुशासन देता है, बल्कि युवाओं के मन में भी देशभक्ति और सेवा का भाव जागृत करता है।
भारतीय सेना में चार दशकों तक सेवा देने के बाद वे आज एक संवैधानिक पद पर हैं, लेकिन उनका मन आज भी जवानों की तरह ही ऊर्जावान, सजग और राष्ट्र समर्पित है। वे जानते हैं कि नेतृत्व सिर्फ आदेश देना नहीं, बल्कि दृष्टि देना होता है — और उन्होंने यही काम किया है।
शैक्षणिक और सांस्कृतिक अवसरों पर जब वह विद्यार्थियों को संबोधित करते हैं, तो वह मात्र एक औपचारिक वक्ता नहीं रहते — वे प्रेरणा देने वाले मार्गदर्शक बन जाते हैं। उनकी वाणी में वह गरिमा है जो राज्यपाल के पद की अपेक्षा रखती है, और साथ ही वह ओज भी जो एक सेनानायक के जीवन का सार है।
उत्तराखंड जैसे वीर भूमि में, जहाँ हर गाँव से एक फौजी निकलता है, वहाँ पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल और वर्तमान महामहिम राज्यपाल गुरमीत सिंह जी युवाओं के हृदय में वह आत्मविश्वास और राष्ट्रीय कर्तव्य का भाव भर रहे हैं, जो आने वाले समय में नए सैनिकों की एक प्रेरित पीढ़ी तैयार करेगा
वे सैनिक जो केवल सीमा पर नहीं, बल्कि समाज, विज्ञान, शिक्षा और सेवा के हर क्षेत्र में राष्ट्र के प्रहरी बनेंगे।
हाल ही में मैंने स्वयं राजभवन में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयोजित एक सेमिनार में प्रतिभाग किया, जहाँ डॉ जन एस बिष्ट और राज्यपाल महोदय के प्रभावशाली उद्बोधन को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ। उनका गहन विचारों से भरा, सहज किंतु ऊर्जावान संबोधन इतना प्रभावशाली था कि वह सीधे मन-मस्तिष्क में उतर गया। यह अनुभव मेरे लिए एक जीवंत प्रेरणा बन गया — ऐसा प्रभाव जो केवल कुछ विरले (दुर्लभ शख्सियत) ही छोड़ पाते हैं।
(फोटो में आगे से दूसरी पंक्ति में अंतिम बैठा उनके उद्बोधन को सुन रहा था)
उनकी संवाद शैली में अनुशासन है, लेकिन साथ ही अपनापन भी है। जब वे कहते हैं "आप देश की ताकत हैं, आपको बस खुद पर भरोसा करना है," तो वह वाक्य सिर्फ प्रेरणा नहीं, एक मिशन बन जाता है।
और जब उनका जोशीला “जय हिंद!” उद्घोष गूंजता है, तो वह केवल एक समापन नहीं होता — वह एक नई शुरुआत का आह्वान होता है।
Narendra Modi
Amit Shah
Pushkar Singh Dhami
Lt Gen Gurmit Singh ji
**जय हिंद!
भारत माता की जय!**