19/10/2025
"दीपोत्सव दीपावली और तीर्थंकर महावीर"
एवं
जैन दीपावली पूजन विधि
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(नीचे दिए गए लिंग से यूट्यूब पर जाकर वीडियो देखें शीर्षक :- जैन दीपावली पूजन विधि। जैन धर्म और दीपावली। ⬇️⬇️ https://youtu.be/UN7cUDIMNC0?si=v-rPim-71yxikXmD )
आज से लगभग 2624 वर्ष पूर्व
तत्कालीन मगध के कुंडलपुर के राजा सिद्धार्थ की महारानी त्रिशला के पुत्र वर्धमान महावीर हुए उन्होंने 30 वर्ष संसार में रहने के पश्चात वैराग्य दीक्षा ली ! और 42 वर्ष छह माह की आयुष्य में केवल ज्ञान और केवल दर्शन की प्राप्ति हुई और चतुर्विध संघ रूपी धर्म तीर्थ की स्थापना आपने की। 30 वर्ष तक केवली पर्याय मे विचरते हुए आप "अपापा नगरी" वर्तमान मे "पावापुरी" पधारे और कार्तिक 13 वदी से समोसरण में अपनी अंतिम देशना प्रारंभ की जिसमें उत्तराध्यन सूत्र की देशना पूर्ण करते हुए कार्तिक अमावस्या को रात्रि में निर्वाण प्राप्त कर सिद्ध बुद्ध और मुक्त हो गए। प्रस्तोता - राकेश फोफलिया(Frm. S.S-News)
इस प्रकार आपके निर्वाण से स्तव्ध वहां के 18 जनपदों के राजाओं और जनोने तीर्थंकर महावीर रूपी भाव उद्योत (ज्योति) के निर्वाण कि स्मृति मे द्रव्य दीयों का प्रज्वलन करते हुए अमावस्या की रात्रि को प्रकाशमान कर दिया। frm-SS News प्रस्तोता - राकेश फोफलिया
इस प्रकार जैन मान्यता के अनुसार दीपोत्सव (दीपावली) रूपी पर्व का प्रारंभ हुआ और कार्तिक सुदी अमावस्या को प्रत्येक वर्ष दीपोत्सव मनाया जाने लगा। साथ ही साथ इस तेरस को जिससे प्रभु महावीर ने अपनी अंतिम देशना प्रारंभ की थी धन्य तेरस कहा जाने लगा।
इस देशना से पूर्व आपने ,अपने प्रथम शिष्य गणधर गौतम स्वामी को जो कि आप से अत्यंत मोह रखते थे को सूशरमा को प्रतिबोध देने हेतु अन्यत्र भेज दिया था। जब रात्रि में गणधर गौतम स्वामी जी को यह समाचार मिला वह अत्यंत क्षुब्ध हो गए और उनके चिंतन की धारा तीव्र गति में चलने लगी और जो उनका मोहनिय कर्म का बंधन था, तीर्थंकर महावीर के प्रति वह विलीन हो गया और आपको कार्तिक अमावस्या की रात्रि के अंतिम पहर में केवल ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। frm-SS News
इस प्रकार कार्तिक अमावस्या के पूर्ण होने पर प्रातः जिन मंदिर में तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी के निर्वाण और गुरु गौतम स्वामी को केवल ज्ञान प्राप्ति के उपलक्ष में लड्डू चढ़ाया जाता है और उसके पश्चात चारित्र आत्माओं से गौतम रास का श्रवण भी किया जाता है।
साथ ही कार्तिक अमावस्या के अगले दिन कार्तिक सुदी एकम से जैन समाज नववर्ष, वीर संवत का प्रारंभ होता है। frm-SS News प्रस्तोता - राकेश फोफलिया
साथ ही इस दिन पूर्व बहीखातों का पटाक्षेपण कर नूतन बही भी प्रारंभ की जाती है। जो कि नववर्ष वीर संवत से प्रारंभ होती है और लौकिक जीवन में मां शारदा और लक्ष्मी पूजन भी किया जाता है। जिसकी जैन विधि हम यहां नीचे जैन यति प• सूर्यमल जी द्वारा संग्रहित जैन "रतनसार"के अनुरूपेण दे रहे है।
"आप सबको वीर निर्वाण पर्व दीपावली और गुरु गौतम स्वामी के केवल ज्ञान एवं नूतन वर्ष वीर संवत की कोटि कोटि बधाइयां।"
प्रस्तोता - राकेश फोफलिया
Sarthak Samachar-News परिवार
****** जैन विधि अनुसार दीपावली पूजन ******
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___दिवाली पूजन विधि___
पहले पूजन के समय जहां पूजन करानी हो वहां सुन्दरचित्रों से
एवं अन्यान्य सजावट की चीजों से सुशोभित कर लेना चाहिये।
शुभ मुहूर्त तथा चौघड़िया एवं शुभतिथि तथा शुभदिन और शुभ
नक्षत्रमें प्रथम नवीन बही ( जिसको जितनी बहियों की आवश्यकता हो उतनी बहिये खोल) उत्तम चौकी या पट्टे पर पूरब या उत्तर की दिशा में स्थापन करे पूजन करनेवाला हाथमें मौली बांधे और पत्तों की बन्दरवाल दरवाजों पर बांधे और नीचे दोनों तरफ घड़ों के ऊपर डाभ (नारियल ) रखे और अन्यान्य दिव्याभरणों से अलंकृत हो सुन्दर (Frm. S.S-News)
पवित्र आसन को ग्रहण करे सामने एक उत्तम चौकी या पट्टा रख उसपर चांदी की रकेवी में शारदाजी की मूर्ति या चित्र स्थापन करे ।(Frm. S.S-News)
इसके बाद जल, चन्दन, पुष्प, धूप, दीप, अक्षत, नैवेद्य, फल श्रीशारदादेवी के पूजन
के समय प्रत्येक मन्त्रों को पढ़कर मूत्ति के सम्मुख चढ़ावे । पूजा कराने(Frm. S.S-News)
वाला विद्वान् तथा पूजा करने वाला एवं गन्ध चन्दनानुलिप्त तथा सुन्दर
पवित्र वस्त्रों से विभूषित होना चाहिये इस तरह उपरोक्त सब सामग्री सम्पन्न हो जानेपर सुन्दर लेखनी तथा स्याही और दवात लेकर नीचे लिखे अनुसार बही में निम्नलिखित पदों को लिखें।(Frm. S.S-News)
॥ वन्देवीरम् । श्री परमात्मने नमः, श्री गुरुभ्यो नमः, श्री सरस्वत्यै नमः, श्री गौतमस्वामीजी जैसी लब्धि, श्री केशरियाजीसा भण्डार,
श्री भरतचक्रवती जैसी ऋद्धि प्राप्त हो एवं बाहूबलीजीसा बल, श्री अभय(Frm.S.S-News)
कुमारजीसी बुद्धि और कयवन्नासेठतना सौभाग्य एवं धन्नाशालीमद्रजीसी संपत्ति प्राप्त हो।(Frm.S.S-News)
इतना लिखने के बाद नया वर्ष, नया मास एवं दिन तथा तारीख लिखे अनुसार बहीमें निम्नलिखित पदों को लिखें।
तरह 'श्री' लिखे अगर बही छोटी हो तो ५ या ७ श्री” लिखे
श्री
श्री श्री
श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री
श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री श्री
(जैनियों को दिवाली के दिन ही नये बहीखाते बदलने चाहिये क्योंकि दिवाली से(Frm. S.S-News)
नया सम्बत् प्रारम्भ होता है।)
तत्पश्चात् ऊपर लिखे कुमकुम से स्वास्तिक लिखें इसके बाद श्री शारदा जी के सम्मुख जलधारा देखकर तत्पश्चात हाथ में अक्षत कुमकुम फूल लेकर नीचे लिखा हुआ श्लोक पढ़े(Frm. S.S-News)
श्री शारदाजी के हुआ श्लोक पढे ।
मङ्गलं भगवान् वीरो, मङ्गलं गौतम प्रभुः ।
मङ्गलं स्थूलभद्रायाः, जैनधर्मोऽस्तु मङ्गलम् ॥१॥
श्लोक को पढ़कर मूत्ति के सम्मुख चढ़ा दे।
___बही पूजा___
विधि-विभाग अनुसार
नीचे से खस्तिक लिखे इसके
सम्मुख जलधारा देकर श्री गुरुजी के द्वारा वासक्षेप
उपरोक्त विधि से श्री शारदा पूजन समाप्त हो जानेपर जल, चन्दन,(Frm. S.S-News)
फूल, धूप, दीप, अक्षत इत्यादि अष्ट प्रकारीके द्वारा प्रत्येक बार नीचे लिखे
मन्त्र को पढ़ता हुआ पूजन करे ।
ॐ ह्रीं श्रीं भगवत्यै केवल ज्ञान स्वरूपायै लोकालोक प्रकाशकाये(Frm. S.S-News)
सरस्वत्यै जलं समर्पयामि । इस तरह उच्चारण करता हुआ हरएक सामग्री चढ़ावे इस प्रकार पूजन समाप्त हो जानेपर शारदा की निम्नलिखित आरती
से करे।(Frm. S.S-News)
___शारदा आरती___
जय जय आरती ज्ञान दिनन्दा, अनुभव पद पावन सुख कंदा ॥ जय० ॥२॥
तीन जगत के भाव प्रकाशक, पूरण प्रभुता परम अमंदा.॥ जय० ॥२॥
मतिश्रुति अवधि और मनपर्यव, केवल काटै सब दुखदंदा ॥ जय० ॥३॥
भवजल पार उतारण कारण, सेवो ध्यावो भवि जन वृन्दा ॥ जय० ॥४॥(Frm. S.S-News)
शिवपुर पंथ प्रगट ए सीधा, चौमुख भाखे श्री जिनचन्दा ॥ जय० ॥५॥
अविचल राज मिले याही सौं, चिदानन्द मिलै तेज अमंदा ॥ जय० ॥६॥
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