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जय बजरंगी जय हनुमाना, रुद्र रूप जय जय बलवानापवनसुत जय राम दुलारे, संकट मोचन सिय मातु के प्यारेजय सियावर रामचंद्र की जय प...
15/07/2025

जय बजरंगी जय हनुमाना,
रुद्र रूप जय जय बलवाना
पवनसुत जय राम दुलारे,
संकट मोचन सिय मातु के प्यारे
जय सियावर रामचंद्र की
जय पंचमुखी हनुमान जी
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मंगलवार के दिन करें श्री हनुमानगढ़ी मंदिर के दर्शन और पाएं बजरंगबली का आशीर्वाद। यह दिन हनुमान जी की भक्ति के लिए विशेष ...
15/07/2025

मंगलवार के दिन करें श्री हनुमानगढ़ी मंदिर के दर्शन और पाएं बजरंगबली का आशीर्वाद। यह दिन हनुमान जी की भक्ति के लिए विशेष माना जाता है।

#हनुमानगढ़ी

आज मंगलवार हनुमान जी के प्रति समर्पित लोगों का दिन है, इसलिए एक बार सभी प्रेम से कहेंगे ...🚩 जय जय श्री राम 🚩
15/07/2025

आज मंगलवार हनुमान जी के प्रति समर्पित लोगों का दिन है, इसलिए एक बार सभी प्रेम से कहेंगे ...
🚩 जय जय श्री राम 🚩

12/07/2025
👍💯👍फराह नाज़ एक मशहूर भारतीय अभिनेत्री हैं, जिनका जन्म 9 दिसंबर 1968 को हैदराबाद में हुआ था। वे 1980 और 1990 के दशक में ...
07/07/2025

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फराह नाज़ एक मशहूर भारतीय अभिनेत्री हैं, जिनका जन्म 9 दिसंबर 1968 को हैदराबाद में हुआ था। वे 1980 और 1990 के दशक में हिंदी सिनेमा की एक प्रमुख अभिनेत्री रहीं। फराह ने 17 साल की उम्र में यश चोपड़ा की फिल्म फासले (1985) से अपने करियर की शुरुआत की और लव 86, नसीब अपना अपना, ईमानदार, यतीम, बेगुनाह और सौतेला भाई जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया। उन्होंने राजेश खन्ना, ऋषि कपूर, आमिर खान, अनिल कपूर और सनी देओल जैसे बड़े सितारों के साथ अभिनय किया।

फराह नाज़ प्रसिद्ध अभिनेत्री तब्बू की बड़ी बहन हैं और शबाना आज़मी की भतीजी हैं। उनका ताल्लुक एक हैदराबादी मुस्लिम परिवार से है। उनके माता-पिता का तलाक हो गया था, जिसके बाद उनका पालन-पोषण उनकी मां रिजवाना ने किया, जो एक स्कूल टीचर थीं।

फराह नाज़ की पहली शादी 1996 में अभिनेता विंदू दारा सिंह (महान पहलवान और अभिनेता दारा सिंह के बेटे) से हुई थी। इस शादी से उन्हें एक बेटा हुआ – फतेह रंधावा, जो 1997 में पैदा हुआ। हालांकि, यह रिश्ता ज्यादा नहीं चल पाया और 2002 में उनका तलाक हो गया। इसके बाद फराह ने 2003 में अभिनेता सुमीत सैगल से दूसरी शादी की। दोनों ने आपसी सहमति से संतान नहीं रखने का निर्णय लिया और अब एक साथ प्रोडक्शन और डिस्ट्रीब्यूशन का व्यवसाय संभालते हैं।

फराह ने 1996 में फिल्मों से दूरी बना ली थी, हालांकि बाद में उन्होंने कुछ टीवी धारावाहिकों जैसे अमर प्रेम और औरत तेरी यही कहानी में भी काम किया। आज वे फिल्मी दुनिया से दूर पारिवारिक जीवन और व्यवसाय में व्यस्त हैं।

कृष्ण के चरणों का महात्म्य— चरणकमल की महिमा और उनका स्मरण।जय श्री कृष्णभगवद प्रेमियों के चरणों में कोटि-कोटि नमन•       ...
07/07/2025

कृष्ण के चरणों का महात्म्य
— चरणकमल की महिमा और उनका स्मरण।

जय श्री कृष्ण

भगवद प्रेमियों के चरणों में कोटि-कोटि नमन

• श्रीकृष्ण के चरण केवल भौतिक पैर नहीं हैं, बल्कि शुद्ध प्रेम और दिव्यता का प्रतीक हैं

• चरणों में सम्पूर्ण ब्रह्मांड की ऊर्जा और चेतना समाई हुई मानी जाती है

• इन चरणों में शरण लेने से सभी प्रकार के भय और बंधन समाप्त हो जाते हैं

• श्रीकृष्ण के चरणों में शंख, चक्र, गदा और कमल जैसे चिन्ह होते हैं जो उनकी पूर्णता और दिव्यता का बोध कराते हैं

• गोपियाँ श्रीकृष्ण के चरणों को ही जीवन का अंतिम लक्ष्य मानती थीं और उन्हीं में सम्पूर्ण सुख अनुभव करती थीं

• भक्त जब कृष्ण के चरणों में अपना मन, बुद्धि और अहंकार अर्पित कर देता है तो उसे सच्ची शांति और आनंद की प्राप्ति होती है

• चरणों के स्पर्श से ही मनुष्य के हृदय की सभी अशुद्धियाँ दूर हो जाती हैं और आत्मा शुद्ध होती है

• कृष्ण के चरणों की पूजा करना सभी साधनाओं में सबसे सरल और प्रभावशाली साधना मानी जाती है

• केवल चरणों का स्मरण भी जन्म मरण के चक्र से मुक्ति दिलाने वाला माना गया है

• श्रीकृष्ण के चरणों की छाया में ही जीवन की सभी परेशानियों और कष्टों का समाधान मिलता है

• चरणों में समर्पण करने से जीव को आत्मज्ञान प्राप्त होता है और परम शांति का अनुभव होता है

• चरणों में प्रेम रखने वाला भक्त संसार की भोग-विलास से परे होकर केवल भगवत रस में ही डूबा रहता है

• भक्त जब केवल चरणों का स्मरण करता है तो उसका मन संसार के बंधनों से स्वतः ही मुक्त हो जाता है

• चरण चिन्हों का दर्शन करने मात्र से ही सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और पुण्य की वृद्धि होती है

• श्रीकृष्ण के चरण कमलों में भक्ति करने से ईश्वर की अनंत कृपा प्राप्त होती है

• श्रीकृष्ण के चरणों से ही गंगा जैसी पवित्र नदियों का अवतरण हुआ, जो उनकी शुद्धता और महिमा को दर्शाते हैं

• सभी संत, भक्त और कवि बार-बार केवल चरण महिमा का ही गान करते आए हैं

• भक्त की साधना तब पूर्ण मानी जाती है जब वह अपनी सारी कामनाओं का त्याग कर केवल चरणों में ही रमता है

• चरणों में आत्मविलीन होना ही भक्ति का चरम और अंतिम लक्ष्य होता है

• चरणों के स्मरण से ही भक्त को जीवन में वास्तविक सुख, शांति और मोक्ष प्राप्त होता है

• श्रीकृष्ण की सभी लीलाओं का प्रारंभ और समापन उनके चरणों के आश्रय से ही होता है

• चरणों में समर्पित भाव ही भक्ति का वास्तविक स्वरूप और साधना का परम सार है

जय श्री कृष्ण

07/07/2025

07/07/2025

Jai SiyaRAM🙏❣️ ゚
05/07/2025

Jai SiyaRAM🙏❣️

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