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गीता एक गरीब परिवार में रहने वाली छोटी सी बच्ची थी। उसकी मां कल्याणी लोगों के घरों में साफ सफाई का काम करती थी।उसके पिता...
07/03/2025

गीता एक गरीब परिवार में रहने वाली छोटी सी बच्ची थी। उसकी मां कल्याणी लोगों के घरों में साफ सफाई का काम करती थी।

उसके पिता एक दिहाड़ी मजदूर थे। उन्हें कभी काम मिलता था, कभी नहीं मिलता था। गीता पहली क्लास में एक सरकारी स्कूल में पढ़ती थी।

गीता पढ़ाई में बहुत होशियार थी। गीता घर पर आकर घर का काम निबटा कर पढ़ने बैठ जाती थी।

एक दिन गीता शाम तक मां का इंतजार कर रही थी, मां के न आने पर वह परेशान हो गई। शाम को उसके पिता मोहन जी घर आये, तो वे गीता को घर पर छोड़ कर कल्याणी को ढूढंने निकले।

कल्याणी जिन घरों में काम करती थी। उन्होंने सब जगह पता किया, उन्हें पता लगा कि कल्याणी तो आज काम पर आई ही नहीं।

रात हो चली थी। मोहन जी पुलिस स्टेशन पहुंच गये। वहां जाकर उन्होंने कहा - ‘‘साहब मेरी पत्नी सुबह से गुम है। आप रिर्पोट लिख लो।’’

पुलिस वालों ने कहा - ‘‘चौबिस घंटे से पहले रिर्पोट नहीं लिख सकते।’’

मोहन जी को गुस्सा आ गया। वे बोले - ‘‘आपको पता है उसके साथ क्या हो सकता है। आप रिर्पोट लिखो और मेरे साथ उसे ढूंढने चलो।’’

पुलिस वाले ने उन्हें उल्टा सीधा बोल कर भगा दिया। निराश होकर वे घर आ गये। घर आकर उन्होंने देखा गीता बैठी रो रही थी।

मोहन जी फटाफट बाजार गये और गीता के लिये खाना लाये। गीता ने थोड़ा सा खाना खाया और सो गई। इधर मोहन जी इधर उधर भटकते रहे, लेकिन कल्याणी का कहीं कुछ पता नहीं लगा था।

सुबह जब गीता की आंख खुली तो उसके घर के बाहर भीड़ लगी हुई थी, सामने सफेद कपड़ा ओढ़े उसकी मां लेटी हुई थी। उनका सिर ढका हुआ था। गीता को कुछ समझा नहीं आया

पास ही में मोहन जी खड़े रो रहे थे। तभी गीता की चाची ने उसे अपने से लिपटा लिया और बोली - ‘‘बेटी तेरी मां हम सब को छोड़ कर चली गईं।’’

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रील बनाने वाली बहुरेशमा अभी अभी कॉलेज से आई थी। तभी उसकी मां पुष्पा ने कहा।पुष्पा: बेटी कैसा रहा तेरा पेपर पास तो हो जाय...
07/03/2025

रील बनाने वाली बहु

रेशमा अभी अभी कॉलेज से आई थी। तभी उसकी मां पुष्पा ने कहा।

पुष्पा: बेटी कैसा रहा तेरा पेपर पास तो हो जायेगी न।

रेशमा: मां तुम्हारे कहने से मैं कॉलेज जा रही हूं यही काफी नहीं है। वहां मैं नकल कर रही हूं। पास हो गई तो ठीक नहीं तो मुझे तो रील बनाने में मजा आता है।

पुष्पा: हे भगवान फिर से रील। तेरा तो रील से पेट ही नहीं भरता कल तेरी शादी करेंगे तो ऐसी लड़की से कौन शादी करेगा।

रेशमा हर दिन मां को समझाती लेकिन पुष्पा पुराने ख्यालों की थी। इसलिये रेशमा बिना उनसे बात करे अपने कमरे में चली गई और मोबाईल से रील बनाने लगी।

यह उसका रोज का काम था। वह मोबाईल से रील बनाती और उसे यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर upload कर देती थी।

उसके काफी फोलोअर्स भी बन गये थे। इधर पुष्पा जी को उसके विवाह की चिंता थी।

एक दिन पुष्पा ने रेशमा से कहा

पुष्पा: बेटी अब शादी कर ले।

यह सुनकर रेशमा ने कहा

रेशमा: मां मैंने लड़का ढूंढ लिया है। बस तुमसे मिलवा देती हूं। वह भी मुझे ऑनलाईन मिला था। रोज मेरी रील को लाईक और शेयर करता था। धीरे धीरे हम आपस में बात करने लगे। फिर वह मुझसे मिलने लगा। देखा रील का कमाल तुम्हारी सारी टेंशन दूर कर दी।

पुष्पा: लेकिन उसके घरवालों को पता है तू रील बनाती है।

रेशमा: मां उसने बात कर ली होगी। हमें क्या।

कुछ ही दिनों में रेशमा की शादी सुरेन्द्र से हो जाती है। नई ससुराल में जाते ही रेशमा का बहुत स्वागत हुआ। उसकी सास मालती अपनी बहु को बहुत लाड़ प्यार कर रहीं थीं। सुरेन्द्र उनका इकलौता बेटा था।

रेशमा अपने कमरे में पहुंची। वह फटाफट फोन निकाल कर रील बनाने लगी। रील में उसने अपनी ससुराल के बारे में बताया।

रात हो गई थी। तभी उसकी सास मालती जी उसके पास आईं

मालती: बेटी अब तू आराम कर ले। कल सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो जाना पड़ोस की औरते मुंह दिखाई करने आयेंगी।

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हाथी की साईकिल | Elephant Cycle Storyसरकस में रिंग मास्टर ने हंटर हवा में लहराया और मोती हाथी। रिंग में करतब दिखाने गला ...
07/03/2025

हाथी की साईकिल | Elephant Cycle Story

सरकस में रिंग मास्टर ने हंटर हवा में लहराया और मोती हाथी। रिंग में करतब दिखाने गला कभी वह सूंड उपर करके दो पैरों पर एक छोटे से रस्ते पर चलता।

कभी वह बॉल को हवा में उछल कर करतब दिखाता। हर दिन उसे कुछ नया करतब दिखाना पड़ता था। तभी उसे भरपेट खाना मिलता था। जिस दिन दर्शक कम आते थे या मोती थका होता था। जैसे रात का शो तब तक वह बहुत थक जाता था।

इस कारण वह वही पुराने आसान करतब दिखा कर। वापस चला जाता था। उस दिन रिंग मास्टर उसे आधा ही खाना दिलवाता था। भूख से परेशान मोती एक जगह बैठ कर सोचता काश किसी तरह यहां से भागा जाये।

मोती का सबसे पसंद का करतब था। साईकिल चलाना। उसके लिये एक बड़ी सी साईकिल लाई जाती थी। जिसकी बड़ी सी सीट पर बैठ कर मोती पूरे रिंग में साईकिल चलाता था।

यह देख कर बच्चों के साथ साथ बड़े भी तालियां बताते थे। इसी सरकस में एक सफेद तोता था। हरिया जिससे मोती की दोस्ती हो गई थी। हरिया का पिंजरा मोती के पास ही टंगा होता था। दोंनो बातें करते रहते थे। जो कि बाहर वालों को समझ में नहीं आती थीं।

हरिया तोता बोला - ‘‘क्यों मोती भाई आज भी कम खाना मिला है क्या?’’

मोती बोला - ‘‘हां भाई आज तो बहुत ही कम खाना मिला है। तुम्हें तो पूरा खाना मिल जाता है।’’

यह सुन कर हरिया बोला - ‘‘कहां मोती भाई खाना तो पूरा मिलता है। लेकिन वो खाना डालने वाला आधी हरी मिर्च तो अपने घर ले जाता है।’’

मोती बोला - ‘‘हां भाई मैं तो थक गया हूं। सोने की कोशिश कर रहा हूं। तो भूख के कारण नींद नहीं आ रही है।’’

हरिया बोला - ‘‘भाई मुझे तो इन्होंने पिंजरे में बंद कर रखा है, लेकिन तुम तो ताकतवर हो यहां से भाग सकते हो।’’

मोती ने अपनी सूंड हिलाते हुए कहा - ‘‘हां भाई कई बार मन में आया लेकिन यहां से मेरा जंगल बहुत दूर है। पैदल कैसे जाउंगा और शहर में रहा तो ये फिर से पकड़ लेंगे।’’

हरिया बोला -‘‘मेरे पास एक तरकीब है, लेकिन अगर तुम मुझे भी साथ ले चलो तो मैं बता सकता हूं।’’

मोती यह सुनकर बहुत खुश हुआ वह बोला - ‘‘हां हां बताओ, मैं पक्का तुम्हें ले चलूंगा। अरे तुम्हें पिंजरे समेत ले चलूंगा। जंगल में जाकर हम पिंजरा तोड़ देंगे।’’

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