15/04/2024
देश के विकास की बर्बादी भारत के आईएएस | Why IAS is worst job ? | why ias is not worth it | PM Modi
क्या मोदी जी IAS अधिकारियों के iron cage को तोड़ेंगे?
सरदार पटेल के कहा था IAS अधिकारी भारत का IRON Frame हैं जो देश को जोड़ता हैं पर आज ये IRON Frame नहीं iron cage बन गया हैं जिसमें जनता, जनता से काम, जनता के अरमान कैद हैं।
ये ऐसा iron cage हैं जो मोदी जी को 13 साल गुजरात का मुख्यमंत्री रहकर भी समझ नहीं आया था। प्रधानमंत्री बनने के 8 साल बाद उनको को समझ में आने लगा हैं जब वो खुद उसमें कैद होने लगे।
IAS पर मोदी जी के ये 5 भाषण ये साबित करते हैं।
पहला भाषण, 2013: पहला भाषण मोदी का 2013 में दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स में दिया गया भाषण था, जिसे अक्सर उनके प्रधानमंत्री बनने की राह में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में जाना जाता है। उस भाषण में मोदी ने प्रचार किया कि कैसे उन्होंने विभिन्न योजनाओं, नीतियों के साथ गुजरात का कायापलट किया और विशेष रूप से प्रचारित किया कि कैसे उन्होंने राज्य के IAS अधिकारियो से काम करवाया। उस भाषण में इतनी सकारात्मक ऊर्जा थी कि इसने बौद्धिक वर्ग, युवाओं और शिक्षित मध्यवर्गीय भारतीयों के मन को बहुत प्रभावित किया।
दूसरा भाषण, 2015: मोदी 2014 में प्रधान मंत्री बने और फिर 2015 में आईएएस अधिकारियों के लिए सिविल सेवा दिवस पर उनका भाषण आया। वह भाषण ज्यादातर उनके कई राजनीतिक भाषणों की तरह था जिसका मोटी चमड़ी वाले IAS अधिकारियों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ रहा था। मोदी ने "मेमोरी क्लाउड" जैसे शब्दों को गढ़ा, जिसका अर्थ था कि भविष्य की पीढ़ियों की सेवाओं के लिए सिविल सेवकों के अनुभवों को संजोने के लिए एक मेमोरी क्लाउड होना चाहिए। मोदी ने ऐसा प्रयास किया मानो राजनीतिक भाषणबाज़ी से वे भारत में नौकरशाही के कामकाज को बदल सकते हैं। उस भाषण का सबसे नकारात्मक हिस्सा वह था जब मोदी ने कहा कि "प्रशासनिक सुधारों में राजनीतिक नेतृत्व की कोई भूमिका नहीं है, लेकिन नौकरशाही को खुद को सुधारना है"। यहीं से मुझे विश्वास हुआ कि 2014 में मोदी द्वारा बेची गई इंडिया स्टोरी पटरी से उतर गई थी। दुनिया भर के सभी प्रमुख प्रशासनिक सुधार राजनीतिक नेतृत्व द्वारा किए गए हैं। मोदी ने सोचा कि सीएम और पीएम के कामकाज समान हैं और वे दिल्ली के IAS अधिकारियों को भी गुजरात की तरह चला सकते हैं। नतीजे सबके सामने हैं। मेक इन इंडिया, स्मार्ट सिटी, स्टैंड अप इंडिया, स्टार्ट अप इंडिया, स्किल इंडिया, मिशन क्लीन गंगा ये सभी कार्यक्रम और कई अन्य कार्यक्रम धरातल पर बहुत धीमे रहे हैं क्योंकि मोदी की IAS टीम ने उन्हें बहुत निराश किया है।
तीसरा भाषण, 2016: मोदी ने 2016 में सिविल सेवा दिवस पर फिर से आईएएस अधिकारियों को भाषण दिया। वह भाषण फिर से उनके कई राजनीतिक भाषणों की तरह उदाहरण और संदर्भ देकर प्रेरणा के इर्द-गिर्द था, लेकिन मोटी चमड़ी वाली नौकरशाही पर इसका शायद ही कोई प्रेरक प्रभाव नहीं पड़ा। यह उनके 2015 के भाषण का copy paste था। इस बार मोदी की body language 2013 एसआरसीसी या 2015 के सिविल सेवा दिवस की तरह नहीं थी। मोदी के हाव-भाव उनके शब्दों को धोखा दे रहे थे। कोई भी महसूस कर सकता है कि चीजें नियंत्रण में नहीं हैं और IAS अधिकारी मोदी को बंद दरवाजों के पीछे भूलभुलैया में रगड़ रहे है।
चौथा भाषण, 2018: मोदी ने 2018 में फिर से सिविल सेवा दिवस पर आईएएस अधिकारियों को भाषण दिया। यह भाषण उनके पहले के भाषणों से बिल्कुल अलग था। उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि "दैनिक आधार पर प्रेरित रहना मुश्किल है"। उन्होंने कहा कि कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए आपको प्रोत्साहित करना होगा और इसे जनता के लिए समावेशी बनाना होगा और कहा कि कैसे प्राकृतिक आपदाओं के दौरान जनभागीदारी के कारण हमारे प्रयास कई गुना अधिक होते हैं। उन्होंने उल्लेख किया कि कैसे IAS अधिकारी बड़े राजनेताओं के पीछे अच्छी पोस्टिंग पाने के लिए दौड़ते है। उन्होंने IAS अधिकारियों की बहुत धीमी फाइल प्रक्रिया का उल्लेख किया। इस भाषण के दौरान मोदी के चेहरे पर पीड़ा थी। महसूस हो रहा था कि चीजें नियंत्रण में नहीं हैं। उन्होंने हालांकि एक सकारात्मक बात कही जो दुनिया भर की सफल सिविल सेवाओं का तुलनात्मक अध्ययन करना है लेकिन उसका कोई plan पेश नहीं किया। यह plan के बजाय सिर्फ एक सुझाव था।
पांचवां भाषण, 2021: फरवरी 2021 में अपने संसद भाषण के दौरान, मोदी ने IAS अधिकारियो को रगड़ते हुए बाबू कहा और कहा कि take modi byte "हमें सब कुछ या किसी भी प्रकार का काम करने के लिए बाबुओं की आवश्यकता क्यों है?"
अब 8 लंबे वर्षों के बाद मोदी की अपनी सोच यह स्वीकार करने की ओर आ रही है कि भारत को IAS व्यवस्था को तोड़मरोड़कर ठीक करने की सख्त जरूरत है। समस्या यह है कि मोदी IAS अधिकारियो से घिरे हैं जो कभी नहीं चाहेंगे की IAS सिस्टम में बदलाव करना मोदी की पहली प्रार्थमिकता बने।
आपसब जब लाखों की संख्या में ये वीडियो share करेंगे तब जाकर मोदी जी को एहसास होगा की हाँ मुझे इस दिशा में काम करना हैं।
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