रजनीश "दीदी"

रजनीश "दीदी" Self written poetry, geet , bhajan

My self written poetry
and reading in my own voice. #एकल काव्य संग्रह #एहसास चाँद के #चाँद कहे महबूब से, YouTube channel
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09/07/2025
08/07/2025

Kismat Ki Rekha Hai (Mahiya)

घनाक्षरी उदासी का भार ज़रा, मायूसी उतार ज़रा, हिम्मत जुटा ले सुन,इसी में भलाई है।हिम्मत जुटा लेगा जो,कदम उठा लेगा तो,उस ...
04/07/2025

घनाक्षरी

उदासी का भार ज़रा, मायूसी उतार ज़रा, हिम्मत जुटा ले सुन,इसी में भलाई है।

हिम्मत जुटा लेगा जो,कदम उठा लेगा तो,उस के ही भाग्य ने तो ,पकड़ी कलाई है।

सुन ले तू आज मेरी,दिल की आवाज़ मेरी,आगे को बढ़ा कदम,नहीं तो रुलाई है।

जिस ने भी जानी मेरी,और बात मानी मेरी, मंज़िल पे पड़े पाँव, ख़ुशी को बुलाई है।।
-----रजनीश गोयल 🌹🇮🇳
४/७/२०२५
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मुक्तक राधा मिलन को जैसे तड़पता है सांवरा।बरस  रहा  है  ज़ोर  से बदरा हो बावरा।हर्षित  हुई  है  धरणी  लख के दीवानगी -तन ...
28/06/2025

मुक्तक

राधा मिलन को जैसे तड़पता है सांवरा।
बरस रहा है ज़ोर से बदरा हो बावरा।
हर्षित हुई है धरणी लख के दीवानगी -
तन मन भिगो के थिरकूँ मैं ज्यूँ ताल दादरा।।

-----रजनीश गोयल 🌹🇮🇳
२७/६/२०२५

#मुक्तक

मुक्तकनन्हीं कलम हूंँ मैं नहीं कोई संयोजिका।मंच मैं सजाऊँ  नहीं कोई आयोजिका।लिखती हूँ ऐसा पढ़ती कहते लाजवाब मैं -मोहताज़...
26/06/2025

मुक्तक

नन्हीं कलम हूंँ मैं नहीं कोई संयोजिका।
मंच मैं सजाऊँ नहीं कोई आयोजिका।
लिखती हूँ ऐसा पढ़ती कहते लाजवाब मैं -
मोहताज़ नहीं किसी की मैं खुद ही नियोजिका।।
-----रजनीश गोयल २६/६/२०२५

मुक्तक जो कानों को करे इतलाह उसे आवाज़ कहते हैं ।जो दिल की तह तक पहुँचे उसे सब साज़ कहते हैं।जो ख़ामोशी पहुंँचती है किसी...
25/06/2025

मुक्तक

जो कानों को करे इतलाह उसे आवाज़ कहते हैं ।
जो दिल की तह तक पहुँचे उसे सब साज़ कहते हैं।
जो ख़ामोशी पहुंँचती है किसी की पाक रूह तक तो-
उसी रूह में बसेरा कर उसे हमराज़ कहते हैं।।

-----रजनीश गोयल 🌹🇮🇳
२५/६/२५

🇮🇳रानी लक्ष्मीबाई🇮🇳 मनू हुई मणिकर्णिका, आज़ादी संग्राम।झांसी की वीरांगना, किया साहसी काम।।लक्ष्मी बाई  साहसी, है  सुंदर ...
18/06/2025

🇮🇳रानी लक्ष्मीबाई🇮🇳

मनू हुई मणिकर्णिका, आज़ादी संग्राम।
झांसी की वीरांगना, किया साहसी काम।।

लक्ष्मी बाई साहसी, है सुंदर इक नाम।
बांँध पुत्र को पीठ पर, पकड़ी अश्व लगाम।।

राष्ट्र भक्ति व वीरता, उसकी सकें न भूल।
गोरों को मैदान में, खूब चटाई धूल।।

डट गई झांसी के लिए, शानदार अंजाम।
गोरे भी फिर ख़ौफ़ से,धरती गिरे धड़ाम।।

झांसी की रानी कहें, वर्षों से हम रोज़।
शायद ही फिर से मिले,ऐसी रानी ख़ोज।।
-----रजनीश गोयल 🌹🇮🇳

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१८/६/२०२५

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