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30/10/2023

Election 2024

30/10/2023

केंद्रीय नेतृत्व के हाथों में कमान देख सीएम शिवराज सिंह चौहान अपनी विधानसभा में एक बार फिर से भावुक नजर आए. उन्हों.....

रतलाम से 32 किमी दूर सातरुंडा पहाड़ी पर प्राचीनकाल से माताजी विराजी हैं। यह स्थान 1171 में तब सामने आया जब नागा साधु तपस...
19/10/2022

रतलाम से 32 किमी दूर सातरुंडा पहाड़ी पर प्राचीनकाल से माताजी विराजी हैं। यह स्थान 1171 में तब सामने आया जब नागा साधु तपस्या के लिए इस पहाड़ी पर गए थे। पहाड़ी की चोटी पर मंदिर था। पहले यह घना वन क्षेत्र था, लेकिन धीरे-धीरे यहां की प्रसिद्धि फैलती हई। अब हरियाली अमावस्या पर यहां भव्य मेला लगता है।

दतिया नगर की स्थापना 1549 में हुई थी। यह स्थान अब पीताम्बरा पीठ के लिए प्रसिद्ध है।   1920 में इस सिद्ध स्थल पर पूज्य सं...
18/10/2022

दतिया नगर की स्थापना 1549 में हुई थी। यह स्थान अब पीताम्बरा पीठ के लिए प्रसिद्ध है।  1920 में इस सिद्ध स्थल पर पूज्य संत श्री स्वामीजी महाराज द्वारा दो देवियां बगलामुखी और धूमादेवी की स्थापना कराई गई थी। प्राचीनकाल में यह श्मशान स्थल था, जहां स्वामीजी तपस्या किया करते थे।

धार 10वीं शताब्दी में राजा भोज का बसाया नगर है। प्राचीनकाल में यह नगर मालवा की राजधानी था। यहां देवी सागर तालाब के किनार...
17/10/2022

धार 10वीं शताब्दी में राजा भोज का बसाया नगर है। प्राचीनकाल में यह नगर मालवा की राजधानी था। यहां देवी सागर तालाब के किनारे पहाड़ी में कालिका माता विराजी हैं। यहां मूर्ति की स्थापना 14वीं शताब्दी में की गई थी। माता परमारवंश की कुलदेवी हैं। श्रद्धालु यहां उल्टा स्वस्तिक बनाकर जाते हैं और मन्नत पूरी होने पर सीधा स्वस्तिक बनाते है। यहां पांच आरती नियमित रूप से होती है। माता जी के दर्शन के लिए मध्यप्रदेश के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र से भक्त आते हैं।

भानपुरा (मंदसौर) से 26 किमी दूर 11वीं शताब्दी से हिंगलाज माता विराजी हैं। परमार राजा जेतसिंह द्वारा पाकिस्तान के हिंगलाज...
10/10/2022

भानपुरा (मंदसौर) से 26 किमी दूर 11वीं शताब्दी से हिंगलाज माता विराजी हैं। परमार राजा जेतसिंह द्वारा पाकिस्तान के हिंगलाज माता मंदिर से ज्योत लाकर यहां जलाया गया था, तब से वह ज्योत अखंड रूप से जल रही है। 18वीं शताब्दी में राजमाता अहिल्याबाई ने इस मंदिर का जीर्णोद्धार कराया था।

उज्जैन में भर्तृहरि गुफा की ओर जाने वाले रास्ते में श्री गढ़कालिका मंदिर है। यहां द्वापरयुग से माता विराजी हुई हैं। गढ़क...
05/10/2022

उज्जैन में भर्तृहरि गुफा की ओर जाने वाले रास्ते में श्री गढ़कालिका मंदिर है। यहां द्वापरयुग से माता विराजी हुई हैं। गढ़कालिका माता के राजा विक्रमादित्य और महाकवि कालिदास उपासक थे। इस मंदिर का जीर्णोद्धार प्रथम शताब्दी शुंगकाल, चतुर्थ शताब्दी गुप्तकाल, 7वीं शताब्दी में राजा हर्षवर्धन, 10वीं शताब्दी में परमार राजा द्वारा कराया गया था।

जबलपुर से 14 किमी दूर 7वीं शताब्दी का नगर तेवर है। यह कल्चुरी राजवंश की राजधानी थी। यहां हथियागढ़ में माता तीन रूप में व...
01/10/2022

जबलपुर से 14 किमी दूर 7वीं शताब्दी का नगर तेवर है। यह कल्चुरी राजवंश की राजधानी थी। यहां हथियागढ़ में माता तीन रूप में विराजी हैं। इन्हें त्रिपुर सुन्दरी कहा जाता है। दसवीं शताब्दी में गांव के लोग माता जी को तेवर ले आए थे, लेकिन सुबह यह प्रतिमा पुराने स्थान हथियागढ़ पहुंच गई थी।

नीमच से 18 किमी दूर महामाया भादवा माता का प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है कि रोज रात को माता मंदिर में फेरा लगाती हैं तथा ...
30/09/2022

नीमच से 18 किमी दूर महामाया भादवा माता का प्राचीन मंदिर है। कहा जाता है कि रोज रात को माता मंदिर में फेरा लगाती हैं तथा अपने भक्तों को आशीष देकर उन्हें निरोगी करती हैं। माता के सिंहासन के निकट एक अखण्ड ज्योति चिरकाल से प्रज्जवलित है। इस मंदिर में केवल भील समाज से पुजारी होता है।

आगर जिले के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे द्वापर युग से माता बगलामुखी विराजी हुई हैं। तीन मुखों वाली त्रिशक्ति की यह ...
29/09/2022

आगर जिले के नलखेड़ा में लखुंदर नदी के किनारे द्वापर युग से माता बगलामुखी विराजी हुई हैं। तीन मुखों वाली त्रिशक्ति की यह मूर्ति स्वयं प्रगट है। इस मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में किया गया था। कहा जाता है कि बगलामुखी का यह स्थान तीन सिद्धपीठों में से यह एक है।

यह चित्र 10 वर्ष की तनवी शुक्ला ने बनाया है। नवरात्र के प्रथम दिन सच्ची श्रद्धा प्रगट करने का यह प्रयास अनुकरणीय है।
25/09/2022

यह चित्र 10 वर्ष की तनवी शुक्ला ने बनाया है। नवरात्र के प्रथम दिन सच्ची श्रद्धा प्रगट करने का यह प्रयास अनुकरणीय है।

चेंगलपेट (तमिलनाडु) से 11 किमी की दूरी पर पुलीपक्कम नगर है। यहां पहाड़ी पर 10वीं शताब्दी के मंदिर में प्राचीन शिवलिंग स्...
27/08/2022

चेंगलपेट (तमिलनाडु) से 11 किमी की दूरी पर पुलीपक्कम नगर है। यहां पहाड़ी पर 10वीं शताब्दी के मंदिर में प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। यह स्थान संतों की तपस्थली रही है।

विलुप्पुरम (तमिलनाडु) से 75 किमी दूर मेलाचेरी गांव में गुफा में महादेव विराजे हैं। प्राचीनकाल में यह संतो की तपस्या स्थल...
22/08/2022

विलुप्पुरम (तमिलनाडु) से 75 किमी दूर मेलाचेरी गांव में गुफा में महादेव विराजे हैं। प्राचीनकाल में यह संतो की तपस्या स्थली थी। इस क्षेत्र में पल्लव, चोल, चालुक्य और विजयनगर साम्राज्य का 13वीं शताब्दी तक शासन रहा है। मुगल और ब्रिटिश शासनकाल में इस क्षेत्र में खूब तबाही मचाई गई थी। https://t.co/nmrKBghbLb

वंदे मातरम्
15/08/2022

वंदे मातरम्

06/08/2022

कांचीपुरम जिले के मणिमंगलम नगर में भगवान शिव का भव्य मंदिर है। इसका निर्माण 12वीं शताब्दी में चोल राजा कुलोथुंगा द्वितीय ने कराया था। यह स्थान पुलिकेसी युद्ध का साक्षी है। मणिमंगलम वह स्थान है जहाँ पल्लव राजा नरसिंह वर्मा ने 7वीं शताब्दी में चालुक्यों को हराया था।

कांचीपुरम से 27 किमी दूर धर्मनिधि गांव में द्वापर युग का शिवलिंग स्थापित है। कहते हैं कि अज्ञातवाश के दौरान पांडव यहां ठ...
04/08/2022

कांचीपुरम से 27 किमी दूर धर्मनिधि गांव में द्वापर युग का शिवलिंग स्थापित है। कहते हैं कि अज्ञातवाश के दौरान पांडव यहां ठहरे थे, तब इस शिवलिंग की स्थापना धर्मराज युधिष्ठिर ने की थी। https://t.co/Oe9qUm1ILD

कांचीपुरम (तमिलनाडु) जिले के  चेंगलपट्टू से 14 किमी की दूरी पर थिरुनिलाई गांव है। यहां स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है। यह शि...
03/08/2022

कांचीपुरम (तमिलनाडु) जिले के  चेंगलपट्टू से 14 किमी की दूरी पर थिरुनिलाई गांव है। यहां स्वयंभू शिवलिंग स्थापित है। यह शिवलिंग 500 वर्ष प्राचीन है। यह स्थान पेरियांदवर मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। 

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