शिव सागर धार्मिक और अध्यात्मिक

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शिव सागर धार्मिक और अध्यात्मिक स्मरण रहे !
रुद्राक्ष हो या इंसान,
एकमुखी बहुत मुश्किल से मिलते हैं

💥यह व्रत अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।Lord Shiva: भगवान शिव को क्यों कहते हैं आदिश्...
12/07/2025

💥यह व्रत अखंड सौभाग्य, सुख-समृद्धि और पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है।
Lord Shiva: भगवान शिव को क्यों कहते हैं आदिश्वर, आदिदेव, महादेव और आदिगुरु?

इस दिन महिलाएं हरी चूड़ियाँ, लहरिया साड़ी, मेहंदी और सोलह श्रृंगार करके झूला झूलती हैं और मंगल गीत गाती हैं। लेकिन कई बार अज्ञानता या जल्दबाज़ी में कुछ ऐसी छोटी-छोटी गलतियाँ हो जाती हैं, जिनसे व्रत का पुण्य कम हो सकता है या उसका फल पूरी तरह नहीं मिल पाता। ऐसे में ज़रूरी है कि व्रत करते समय कुछ बातों का ध्यान रखें। आगे हम बताएंगे कि हरियाली तीज पर कौन-कौन सी बातें भूलकर भी नहीं करनी चाहिए ताकि आपका व्रत पूरी तरह सफल और फलदायी हो सके।
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जानिए व्रत की सही तिथि और शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 26 जुलाई 2025 को रात 10 बजकर 41 मिनट पर हो रही है, और यह 27 जुलाई की रात 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। पंचांग और धार्मिक परंपराओं के अनुसार, व्रत 26 जुलाई को ही रखा जाएगा, क्योंकि तृतीया तिथि का प्रारंभ इसी दिन हो रहा है।


अशुद्ध चीज़ों से दूरी बनाए रखें
हरियाली तीज के दिन शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। चमड़े की वस्तुएं, मांस, मदिरा, अंडा जैसी अशुद्ध चीज़ों से दूर रहना जरूरी है। इनका स्पर्श या सेवन व्रत को खंडित कर सकता है और पुण्यफल में कमी आ सकती है।


मन को शांत और सकारात्मक रखें
इस शुभ दिन पर क्रोध, कटुता या झगड़े से बचें। मन में नकारात्मक विचार न आने दें और किसी से बहस या क्लेश से दूर रहें। यह दिन प्रेम, शांति और समर्पण का होता है, इसलिए मानसिक शुद्धता उतनी ही जरूरी है जितनी बाहरी।


हरे और लाल रंग का करें सम्मान
हरियाली तीज के दिन हरे और लाल रंग को धारण करना शुभ माना जाता है। ये रंग माता पार्वती के प्रिय माने जाते हैं। अगर कोई इन रंगों से बचता है या इन्हें त्यागता है, तो यह माता का अपमान माना जा सकता है और सौभाग्य पर इसका विपरीत असर हो सकता है।


देवताओं के प्रति रखें श्रद्धा
इस दिन शिव-पार्वती समेत किसी भी देवी-देवता का अपमान नहीं होना चाहिए। पूजा में लापरवाही या अनादर व्रत के फल को कम कर सकता है। भावनाओं और श्रद्धा से की गई पूजा ही इस दिन का सार है।


व्रत के नियमों का करें पालन
अगर आप पहली बार हरियाली तीज का व्रत कर रही हैं, तो इसे पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करें। दिन भर निर्जला (बिना पानी के) और निराहार (बिना भोजन के) रहना व्रत की आत्मा मानी जाती है। यहीं से शक्ति और आशीर्वाद की अनुभूति होती है।


किसी का भी न करें अनादर
हरियाली तीज केवल देवी-देवताओं की पूजा का दिन ही नहीं, बल्कि पूरे दिन संयम और शालीनता का दिन है। किसी भी व्यक्ति से तुच्छ व्यवहार, कटु वचन या तिरस्कार व्रत की गरिमा को ठेस पहुंचा सकता है। दूसरों का सम्मान करना इस दिन की सच्ची साधना है।


ब्रह्मचर्य का पालन है जरूरी
व्रत के दिन संयमित जीवनशैली अपनाना अनिवार्य है। ब्रह्मचर्य का पालन करके तन और मन दोनों की पवित्रता बनाए रखें। इससे व्रत का प्रभाव और आध्यात्मिक ऊर्जा और भी बढ़ जाती है।

 #ॐ जय जय सूर्य देवा, भास्कर दिनकर प्रभु।  तुम हो जग के नेत्र, तुम हो तेज के भंडारी।  करुणासागर देवता, दिवाकर नमो नमः॥  ...
12/07/2025

#ॐ जय जय सूर्य देवा, भास्कर दिनकर प्रभु।
तुम हो जग के नेत्र, तुम हो तेज के भंडारी।
करुणासागर देवता, दिवाकर नमो नमः॥
ॐ जय जय सूर्य देवा...

लाल कमल पर विराजत, सतरंजी सवारी।
सात अश्व रथ राजा, सोने के किरण भारी॥
ॐ जय जय सूर्य देवा...

नीलमणि सी कांति तुम्हारी, मुकुट मणि शोभा पावे।
हाथों में कमल धारी, अरुण वर्ण तन सुहावे॥
ॐ जय जय सूर्य देवा...

त्रयम्बक त्रिनेत्र धारी, लोकपाल अधिप्रभु।
अर्घ्य देकर जो तुमको, सब दुख से पावे छुटकारा॥
ॐ जय जय सूर्य देवा...

रोग-शोक मिटावत, तुम्हारे नाम सुमिरण से।
कंचन बरसत धन-धान्य, भक्त के भंडार भरें॥
ॐ जय जय सूर्य देवा...

आदित्य हृदय स्त्रोत्र, जो पढ़े नित्य प्रभात।
सूतजी कहें शुभ फल, मिले मोक्ष पद साथ॥
ॐ जय जय सूर्य देवा...

🕉️जय जय श्री शनिदेव प्रभु, जय जय शनिदेव।  तुम करुणा के सागर हो, तुम दयालु भगवान॥  तुम्हारी महिमा अपरम्पार, तुम्हें कोई न...
12/07/2025

🕉️जय जय श्री शनिदेव प्रभु, जय जय शनिदेव।
तुम करुणा के सागर हो, तुम दयालु भगवान॥
तुम्हारी महिमा अपरम्पार, तुम्हें कोई नहीं पार।
तुम हो सबके पालनहार, तुम दयालु भगवान॥
ॐ जय जय शनिदेव प्रभु, जय जय शनिदेव॥
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
नीलांबर धारी श्याम तनु, सूर्यसुत महाराज।
केतु ग्रह राजा तुम्हारा, तुम हो सबके आधार॥
ॐ जय जय शनिदेव प्रभु, जय जय शनिदेव॥

पिंगल अधर कटि कृष्णा, तनु पीतांबर सोहे।
मुकुट किरीट शोभित शिर, कुंडल धारी दोहे॥
ॐ जय जय शनिदेव प्रभु, जय जय शनिदेव॥

गिद्ध की सवारी राजा, कर में गदा त्रिशूल।
भक्तजनों के दुख हरे, करो कृपा महारूल॥
ॐ जय जय शनिदेव प्रभु, जय जय शनिदेव॥

भीम रूप धरा जब तुमने, प्रभु देवतन भये।
दानव दलन कीन्हे तुमने, सब जग मगन भये॥
ॐ जय जय शनिदेव प्रभु, जय जय शनिदेव॥

सूतजी बोले शनिदेव की, जो नित आरती गावे।
कहत शनिदास स्वामी, सुख-संपत्ति पावे॥
ॐ जय जय शनिदेव प्रभु, जय जय शनिदेव॥

04/07/2025

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04/07/2025

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🕉️बृहस्पतिवार की आरती 🕉️🕉️ #हे वाणी के स्रोत प्रभु, सब विघ्न हरो दूर।  अल्पमति को दीजिए, गहन ज्ञान अमर सुर ॥  जय जय बृहस...
02/07/2025

🕉️बृहस्पतिवार की आरती 🕉️
🕉️ #हे वाणी के स्रोत प्रभु, सब विघ्न हरो दूर।
अल्पमति को दीजिए, गहन ज्ञान अमर सुर ॥
जय जय बृहस्पति देवा, त्रिभुवन के आधार।
कीजै कृपा इतनी, नाम तेरा उजियार ॥
🕉️
तुम्हीं हो शुभकारक प्रभु, तुम्हीं हो मंगलदाता।
संतान को विद्या दो, गृह में लाओ लक्ष्मी माता ॥
कीर्ति दो प्रतिष्ठा दो, सब ओर यश बिखराओ।
धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष, चारों फल दिलाओ ॥

सुनो हे देव गुरुराज, सब जन की पुकार।
जो भी आरती गावे, उस पर कृपा अपार ॥
बृहस्पतिवार प्रबल प्रभु, तुम सबसे न्यारे हो।
भक्तजन के तारणहार, तुम पाप-विनाशक हो ॥
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️

ॐ जय महाकाल भोले, त्रिलोक के स्वामी।  सर्पों का हार डोले, गंगा जटा धारी॥  भस्म भभूत लगाए, डमरू करत बजावे।  भक्तों का दुख...
01/07/2025

ॐ जय महाकाल भोले, त्रिलोक के स्वामी।
सर्पों का हार डोले, गंगा जटा धारी॥
भस्म भभूत लगाए, डमरू करत बजावे।
भक्तों का दुख हरो, हे कैलाशवासी॥
महाकाल की आरती, जो नित गावे।
सोमवार को पूजन से, सब सिद्धि पावे॥

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# # # # **आरती 2: शिव शंकर आरती**
शंकर शिव हर हर, जय जय गिरिजा पति।
नीलकंठ नाम तुम्हारा, सृष्टि के अधिपति॥
चंद्र मुकुट सिर साजे, त्रिशूल हाथ महान।
भक्तों पर कृपा करो, करो कल्याण॥
शिव शंकर आरती, जो भाव से गावे।
मनोवांछित फल पावे, संकट मिटावे॥

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# # # # **आरती 3: रुद्रावतार आरती**
रुद्र रूप धर शिवजी, प्रचंड गरजनहार।
प्रलय के स्वामी तुम, ज्योतिर्लिंग अवतार॥
दुष्ट दलन करने वाले, सज्जन के रखवारे।
सोमवार को तेरा ध्यान, सब विघ्न हरने वाले॥
रुद्र आरती गाते ही, भक्त का उध्दार होय।
जीवन में शांति छाए, मंगलमय होय॥

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# # # # **आरती 4: भोलेनाथ आरती**
भोले बाबा भंडारी, विष पीने वाले।
दीनदयाल शिवजी, दुखियों के सहारे॥
बिल्व पत्र चढ़ावूँ, धतूरा भोग लगाऊँ।
मेरी पुकार सुन लो, पग तले धर आऊँ॥
भोलेनाथ आरती, जो श्रद्धा से गावे।
घर में सुख-समृद्धि, सदा बनाए रावे॥

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# # # # **आरती 5: जटाधारी आरती**
जटा में गंग बहती, चंद्र विराजे सीस।
सर्पों का सिंहासन, प्रगट भयान अद्भुत॥
कैलाश पर बसत हो, नंदी द्वारे खड़े।
भक्तों को दर्शन दो, हे पार्वती रमण॥
जटाधारी आरती, सोमवार गाए जोय।
शिवकृपा सदा रहे, मन अभिलाषा होय॥

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# # # # **आरती 6: त्रिशूलधारी आरती**
त्रिशूल लिए हाथ में, असुर संहार कियो।
अंधक को मार के, भक्तन को बचायो॥
पार्वती प्राण प्यारे, गणेश कार्तिकेय नंदन।
सोमवार आरती तेरी, पावन करे जग मंदन॥
त्रिशूलधारी आरती, जो निशि दिन गावे।
कर्ज़ मुक्त हो जावे, सुख की बरखा लावे॥

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# # # # **आरती 7: धूतूरा भोगी आरती**
धूतूरा प्रिय भोलेनाथ, भस्मी शरीर सजायो।
भक्तों को मुक्ति पथ दिखायो, दुखियों का दुख मिटायो॥
सोमवार को व्रत तेरा, जो श्रद्धा कर धारे।
उसके घर अन्न धन, कभी न होय खाली॥
धूतूरा भोगी आरती, जो भक्त संग गावे।
शिवलोक में स्थान पावे, अंत समय बचावे॥

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# # # # **आरती 8: नंदीश्वर आरती**
नंदी बैल सवारी, गण गौर साथ चले।
भस्मासुर मार के, भक्तन को हँसायो॥
कपाली कहलावे, हाथ में कपाल लिए।
भक्तों की रक्षा करो, संकट से बचाइए॥
नंदीश्वर आरती, सोमवार सुन जोय।
आयु बढ़े धन बढ़े, घर में सुख होय॥

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# # # # **आरती 9: कैलाशपति आरती**
कैलाशपति शिव शंभो, तुम हो आदि अनादि।
आदि देव महादेव, सब देवों के आधार॥
सृष्टि पालन संहारक, त्रिगुण स्वामी प्रभु।
सोमवार को तेरी पूजा, सब पाप करे दूर॥
कैलाशपति आरती, जो गावे नर-नारी।
सात जन्म के पाप, तत्क्षण होय हारी॥

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# # # # **आरती 10: ओम नमः शिवाय आरती**
ॐ नमः शिवाय स्वामी, पंचाक्षर मंत्र ध्यावो।
ज्योतिर्लिंग रूप धर, सब जग में व्याप्त हो॥
विश्वनाथ के नाम से, भक्तों को तारो।
सोमवार आरती तेरी, जीवन सफल करो॥
पंचाक्षरी आरती, जो नित्य प्रात गावे।
शिव कृपा सदा बरसे, मुक्ति पथ पावे॥

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 #ॐ जय शिव ओमकारा, स्वामी जय शिव ओमकारा।  ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥  एकानन चतुरानन पंचानन राजे।  हंसासन ...
01/07/2025

#ॐ जय शिव ओमकारा, स्वामी जय शिव ओमकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥

अक्षमाला वनमाला रुण्डमाला धारी।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जग पालनकर्ता॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
प्रणवाक्षर के मध्य ये तीनों एका॥

काशी में विराजे विश्वनाथ नंदी ब्रह्मचारी।
नित उठि आरती गावत महिमा अति भारी॥

#शिव आरती जो कोई गावे।
सहज सुख संपत्ति पावे॥
```

---

# # # **🌸 2. माता पार्वती आरती**
```hindi
जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी॥

माँग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को।
उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजे।
रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजे॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्परधारी।
सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥

शुम्भ-निशुम्भ बिदारे, महिषासुर घाती।
धूम्र विलोचन नैना, निशिदिन मदमाती॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥

ब्रह्माणी रुद्राणी तुम कमला रानी।
आगम-निगम बखानत, तुम शिव पटरानी॥

चौसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरू।
बाजत ताल मृदंगा, अरु बाजत डमरू॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता।
भक्तन की दुख हरत, सुख सम्पत्ति करता॥

भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी।
मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी॥

कनक थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योति॥

श्री अम्बेजी की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख-संपत्ति पावे॥
```

---

# # # **🐘 3. श्री गणेश आरती**
```hindi
सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची।
नुर्वी पुर्वी प्रेम कृपा जयाची॥

सर्वांगी सुंदर उटी शेंदूराची।
कंठी झळके माळ मुक्ताफळाची॥

जय देव जय देव, जय मंगलमूर्ती।
दर्शनमात्रे मनकामना पुरती॥

रत्नखचित फर टोपी धूतूरमाळा।
हस्त लड्डूचा भोला बाळा॥

विष्णु शंकर स्मरन घेती लवलवी।
प्रेमयुक्ती सेवक जनवी॥

दीनजनांचे काज कावटी श्रीधर।
उच्चैःरवे ध्यावो दास विठ्ठल॥

जय देव जय देव, जय पंचानना।
गजानना सिद्धिविनायक गणनायका॥

आरती गजानन की जो कोई जन गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे॥
```

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।  माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥  एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी ।  तिलक ललाट मस्तक पर, ...
01/07/2025

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी ।
तिलक ललाट मस्तक पर, मूषक वाहन सवारी ॥

पान सुपारी धन लौं, फूल मेवा भोग ।
हरहु संकट देवा, नित करौं जोग ॥

अंध को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

पूजा करत तुम्हारी, जो कोई भक्त ।
ताकी संकट हरत हो, सदा रहो समर्थ ॥

दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जय बलिहारी ॥

बुधवार को पूजन, जो करे प्रभात ।
गणपति की कृपा से, सब सिद्ध हो जात ॥

आरती गणपति की, जो नर नित गावे ।
कहत "शिवानंद" स्वामी, सुख-संपत्ति पावे ॥

**फिर से चरण:**
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

 #आरती किजै हनुमान लला की**     आरती किजै हनुमान लला की।     दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥     जाके बल से गिरिवर काँपे।     र...
01/07/2025

#आरती किजै हनुमान लला की**
आरती किजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर काँपे।
रोग दोष जाके निकट न झाँके॥

2. **अंजनि पुत्र महा बलदाई**
#अंजनि पुत्र महा बलदाई।
संतन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए॥

3. **लंका सो कोट समुद्र सी खाई**
लंका सो कोट समुद्र सी खाई।
जात पवनसुत बिना थक नाई॥
लंका जारि असुर संहारे।
सियाराम जी के काज सवारे॥

4. **लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे**
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जमकारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥

5. **बाईं भुजा असुर दल मारे**
बाईं भुजा असुर दल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर नर मुनि जन आरती उतारे।
जय जय जय हनुमान उचारे॥

6. **कंचन थार कपूर लौ छाई**
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमान जी की आरती गावे।
बसि बैकुंठ परम पद पावे॥

7. **जैसे रामचंद्र के दूत अतुलित**
जैसे रामचंद्र के दूत अतुलित।
दियो रावण को भय महा अतुलित॥
तैसे हनुमान हम पर कीजै।
भक्ति प्रेम का ज्ञान दीजै॥

8. **सब सुख लहै तुम्हारी सरना**
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना॥
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हाँक तें काँपै॥

9. **भूत पिशाच निकट नहिं आवै**
भूत पिशाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै॥
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमान बीरा॥

10. **संकट तें हनुमान छुड़ावै**
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिनके काज सकल तुम साजा॥

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 #जुलाई माह के व्रत त्योहार6 जुलाई- देवशयनी एकादशी, गौरी व्रत8 जुलाई- भौम प्रदोष व्रत,🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️9 जुलाई -आषाढ़ चौमासी चौ...
01/07/2025

#जुलाई माह के व्रत त्योहार

6 जुलाई- देवशयनी एकादशी, गौरी व्रत
8 जुलाई- भौम प्रदोष व्रत,🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
9 जुलाई -आषाढ़ चौमासी चौदस
10 जुलाई -कोकिला व्रत, गुरु पूर्णिमा
11 जुलाई -सावन की शुरुआत
14 जुलाई - सावन का पहला सोमवार
15 जुलाई- मंगला गौरी व्रत
16 जुलाई - कर्क संक्रांति🕉️🕉️🕉️
21 जुलाई - सावन का दूसरा सोमवार
22 जुलाई- दूसरा मंगला गौरी व्रत, सावन प्रदोष व्रत
23 जुलाई - सावन की शिवरात्रि🕉️🕉️🕉️🕉️
24 जुलाई - हरियाली अमावस्या
27 जुलाई - हरियाली तीज
28 जुलाई -सावन का तीसरा सोमवार, विनायक चतुर्थी
29 जुलाई -नाग पंचमी
30 जुलाई को स्कंद षष्ठी
31 जुलाई - तुलसीदास जयंती🕉️🕉️🕉️🕉️

इस वर्ष जुलाई की शुरुआत के साथ ही 11 तारीख से सावन मास का आगमन हो रहा है , वह पावन काल जिसमें शिवभक्त पूरे मन, वचन और कर...
01/07/2025

इस वर्ष जुलाई की शुरुआत के साथ ही 11 तारीख से सावन मास का आगमन हो रहा है , वह पावन काल जिसमें शिवभक्त पूरे मन, वचन और कर्म से महादेव की आराधना में लीन हो जाते हैं।
ग्रहों की चाल के साथ क्या बदलेंगे आपके सितारे? यहां पढ़ें जुलाई का मासिक राशिफल
सावन के साथ ही जुलाई में देवशयनी एकादशी, हरियाली तीज, मंगला गौरी व्रत, नाग पंचमी और सावन शिवरात्रि जैसे पर्वों की सजीव झांकी देखने को मिलेगी। यह महीना व्रत, उपवास और अनुष्ठानों के साथ आत्मिक शुद्धि और पारिवारिक सुख-समृद्धि का प्रतीक है। मान्यता है कि इस मास में भगवान शिव की पूजा विशेष फलदायी होती है और वैवाहिक जीवन में आ रही अड़चनें भी दूर होती हैं। ऐसे में आइए जानें जुलाई के धार्मिक कैलेंडर में किन-किन पर्वों और तिथियों का है महत्व।
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