10/04/2025
#किसान #अन्नदाता क्यों है ?
आज कल में पढ़ने वाले 99% बच्चों को शायद ही पता होगा कि वो अपने में जो #रोटी #सब्जी और अन्य प्रकार का खाने का सामान लेकर जाते हैं उसको उगाने का वास्तविक क्या होता है ?
इसमें बच्चों की कोई गलती नहीं है बल्कि गलती है का तैयार करने वाली सरकारों की, क्योंकि ना तो सरकार चाहती ना सरकार के ऊपर आधिपत्य रखने वाले ही ये चाहते कि आम जनता को इतना ज्ञान मिले कि वो उनसे करने लगे।
आज कल में गेहूं की फसल की कटाई का कार्य चल रहा है जिसको उगने में और उसे आटे के रूप में बाजारों तक पहुंचने तथा उसके बाद #रोटी के रूप में आपकी थाली तक आने में केवल की ही नहीं बल्कि किसान का खून समान पसीना भी लगता है।
यदि आज, सरकारें #बच्चों के करकर उनको किसान द्वारा गेहूं को उगाने तथा उसकी रखवाली करने एवं और के उबालने लायक तापमान में गेहूं कटाई से लेकर बाजार पहुंचने तक का संघर्ष पढ़ाने लगे तो शायद हर रोटी खाने वाला व्यक्ति निश्चित ही #किसानों को सम्मान की नजरों से देखने लगे।
लेकिन सरकारें व्यस्त है केवल के माध्यम से किसानों की आय दुगनी करने में, पर ये बताने में की हमने कैसे किसानों की आय दुगनी, तिगुनी कर दी है, परंतु कोई भी यह नहीं बता रहा कि किसान वास्तव में इस दुगनी तिगुनी आय से कहीं अधिक करता है।
यदि #भारत में हमें किसानों को उनकी मेहनत का सच्चा पारश्रमिक देना है तो हमें अपनी वर्तमान पीढ़ी को ये अवश्य बताना होगी कि वो जो रोटी खा रहे हैं आखिर उसकी कितनी कीमत वो अदा कर रहा है और कितनी कीमत किसान तक पहुंच रही है।
यदि एक कोई रेस्टोरेंट खोलता है तो वो अपने यहां परोसे जाने वाली रोटी की कीमत स्वयं तय कर सकता है, सामान्यतः 05 रुपए से शुरू होकर तवा रोटी 100 रुपए तक मिलती है #रेस्टोरेंट के हिसाब से कीमत तय होती है लेकिन ना तो उसको खाने वाले ग्राहक को पता है और ना उसे ये जानकारी लेने में कोई दिलचस्पी है कि आखिर उस रोटी को उस तक पहुंचाने वाले किसान को क्या मिलता है ?
आज आवश्यकता है कि हर #बच्चे को यह केवल पढ़ाया ही नहीं बल्कि #सिखाया जाए कि किस प्रकार से भोज्य पदार्थों का उत्पादन होता है और उसमें कितनी मेहनत और लगन लगाती है जिससे आने वाली #पीढ़ी एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकें जिसमें किसी #उत्पाद में शामिल हर उस #व्यक्ति को उसका उचित मान सम्मान तथा मेहनताना मिलें जिसके लिए वो हकदार है।
कुछ को दे रहा हूं शायद इनके काम आए
1 - से बच्चों को फसल का उत्पादन और उनसे संबंधित फसल चक्र को पढ़ाया जाए।
2 - जिस में है उसके आसपास के #खेतों का प्रोग्राम स्कूल को बनाना चाहिए तथा एक क्लास में पूरे फसल का चक्र समय समय पर बताना चाहिए।
3 - फसल पकने के बाद उसकी कटाई तथा ढुलाई से संबंधित जानकारी तथा बाजार रेट या सरकारी रेट के विषय में भी बताना चाहिए ( ये 8th class के बाद होना चाहिए)
4 - बच्चों से भिन्न भिन्न फसलों ( गेहूं, गन्ना, दाल, चावल, हरि सब्जियां, आलू आदि ) के ऊपर किसान को होने वाले प्रॉफिट और लॉस के प्रोजेक्ट बनवाने चाहिए तथा तैयार फसल से #बिजनेस हाउस को होने वाले फायदे के भी प्रोजेक्ट बनवाने चाहिए।
इस प्रकार के सुझाव प्रथमदृष्टया थोड़े विवादित लग सकते हैं लेकिन यही #भारतीय सरकारें इन सुझावों को अमल में ले आएं तो शायद हमारे देश में किसी के भूख से मरने तथा भूखें सोने की खबर ना सुनने को मिलें।
आपके पास कोई और सुझाव हों तो में अवश्य लिखें।