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रामजी की निकली सवारी, राम जी की लीला है न्यारी हो सर पे मुकुट सजे मुख पे उजाला,हाथ में धनुष गले में पुष्प माला,हम दास इन...
30/08/2024

रामजी की निकली सवारी, राम जी की लीला है न्यारी

हो सर पे मुकुट सजे मुख पे उजाला,
हाथ में धनुष गले में पुष्प माला,
हम दास इनके ये सबके स्वामी।

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भजन क्यों जरूरी है? : भजन जो आपको भगवान के गुणों पर ध्यान दिलाते हैं, भजन वह हैं जो आपकी चिंताओं और तनाव को दूर करते हैं...
20/08/2024

भजन क्यों जरूरी है? : भजन जो आपको भगवान के गुणों पर ध्यान दिलाते हैं, भजन वह हैं जो आपकी चिंताओं और तनाव को दूर करते हैं और आपको शांति देते हैं। अगर आप अच्छे से भजन चुनते हैं तो आपका दिन बहुत अच्छा बन सकता है। भारतीय संस्कृति और धर्म में भजन का महत्वपूर्ण स्थान है। यह न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि आत्मा की गहराई तक पहुँचने का माध्यम भी है।

भजन क्यों जरूरी है?

तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।तेरी नज़रों से ये मुझे जाम पीना है।तेरी ...
14/08/2024

तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी नज़रों से ये मुझे जाम पीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।

तेरे बिना कोई दूसरा नहीं मेरा।
तेरे बिना कोई दूसरा नहीं मेरा।
छोड़ो नहीं कशके पकड़ा है दामन तेरा।
छोड़ो नहीं कशके पकड़ा है दामन तेरा।
तू ही मक्का, तू ही काबा, तू ही मदीना है।
तू ही मक्का, तू ही काबा, तू ही मदीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।

मेरे हमदम मेरे साथी मेरे साथी हमदम।
मेरे हमदम मेरे साथी मेरे साथी हमदम।
तेरी खुशी मेरी खुशी तेरा गम मेरा गम।
तेरी खुशी मेरी खुशी तेरा गम मेरा गम।

तू लहू है, तू जान है, तू ही पसीना है।
तू लहू है, तू जान है, तू ही पसीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।

इस तरह शरहत में बुलबुल आशियाना छोड़ दे।
मैं ना छोड़ूँगा तुझे चाहे जमाना छोड़ दे।
दिया है दर्द जो तूने, तू ही दवा देगा।
दिया है दर्द जो तूने, तू ही दवा देगा।
तू ही दरिया, तू ही शाहिल, तू ही सफीना है।
तू ही दरिया, तू ही शाहिल, तू ही सफीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।

तेरी नज़रों से ये मुझे जाम पीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।
तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है।

तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है हिंदी भजन तेरी गलियों का हूँ आशिक़ तू एक नगीना है हिंदी भजन,teri galiyon ka hoon aashiq bhajan lyrics

उसे आना पड़ेगा खाटू में दोबारा ऐसा है हारे का सहारा, लगता है सबसे ही प्यारा,जिसने इसे निहारा,उसे आना पड़ेगा खाटू में दोब...
13/08/2024

उसे आना पड़ेगा खाटू में दोबारा

ऐसा है हारे का सहारा, लगता है सबसे ही प्यारा,
जिसने इसे निहारा,
उसे आना पड़ेगा खाटू में दोबारा |

ऐसा है हारे का सहारा, लगता है सबसे ही प्यारा,
जिसने इसे निहारा,
उसे आना पड़ेगा खाटू में दोबारा |

खाटू के दरबार में, जो आए एक बार,
जैसा ही करता है वो, पार तोरण द्वार,
लगता है ऐसे, पकड़ा हो जैसे,
ईसी ने हाथ हमारा।
उसे आना पड़ेगा खाटू में दोबारा |

खाटू सा देखा नहीं, हमने कोई द्वारा,
जहां पैर रखते ही बस, बन जाते हैं काम,
भर देता है, पल में दामन,
करके एक इशारा।
उसे आना पड़ेगा खाटू में दोबारा |

धीरज देता है सदा, भक्तों को दिन-रात,
ऐसा देव दूजा नहीं, करे जो सब से बात,
पल में दीवाना, कर देता है,
जो एक बार पुकारा।
उसे आना पड़ेगा खाटू में दोबारा |

ऐसा है हारे का सहारा, लगता है सबसे ही प्यारा,
जिसने इसे निहारा,
उसे आना पड़ेगा खाटू में दोबारा |

ऐसा है हारे का सहारा, लगता है सबसे ही प्यारा,
जिसने इसे निहारा,
उसे आना पड़ेगा खाटू में दोबारा |

ऐसा है हारे का सहारा, लगता है सबसे ही प्यारा,
जिसने इसे निहारा,
उसे आना पड़ेगा खाटू में दोबारा |

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रोती हुई आँखों को मेरे श्याम हंसाते हैं।जब कोई नहीं आता मेरे श्याम आते हैं।
19/07/2024

रोती हुई आँखों को मेरे श्याम हंसाते हैं।
जब कोई नहीं आता मेरे श्याम आते हैं।

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घनश्याम तुम्हें ढूँढ़ने जाएँ कहाँ कहाँ,अपने विरह की याद दिलाएं कहाँ कहाँ,
17/07/2024

घनश्याम तुम्हें ढूँढ़ने जाएँ कहाँ कहाँ,
अपने विरह की याद दिलाएं कहाँ कहाँ,

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पांच प्रसिद्ध प्रयाग कौन से हैं?-
18/05/2024

पांच प्रसिद्ध प्रयाग कौन से हैं?-

पांच प्रसिद्ध प्रयाग कौन से हैं? Panch Prasiddh Prayaag kaun se hain?,Panch Prayaag, Vishnuprayag Kahan Hai?, Pahala Prayaag Kaun Sa Hai?,

महादेव शंकर हैं जग से निराले हिंदी लिरिक्स
09/05/2024

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पंच कन्याओं का रहस्य क्या है और उनके नाम क्या हैं? https://bhaktigyaan.com/panch-kanyaon-ka-rahasy-kya-hai/पंच कन्याओं क...
20/04/2024

पंच कन्याओं का रहस्य क्या है और उनके नाम क्या हैं? https://bhaktigyaan.com/panch-kanyaon-ka-rahasy-kya-hai/

पंच कन्याओं का रहस्य क्या है और उनके नाम क्या हैं? : पुराणों के अनुसार, ये पांच स्त्रियां विवाहित होने के बावजूद भी कन्याओं के समान ही पवित्र मानी गईं हैं: अहल्या, द्रौपदी, कुन्ती, तारा, और मंदोदरी।

हिन्दू धर्म से जुड़ी पौराणिक कहानियों में अधिकतर प्रसिद्ध पात्र पुरुष ही हैं। केवल पुरुषों को ही महान योद्धा, अवतार आदि का दर्जा दिया गया और उनसे जुड़े चमत्कारों का भी वर्णन किया गया। लेकिन उनके जीवन से जुड़ी महिलाएं, जिनके बिना उनके लिए अपने लक्ष्य हासिल करना मुश्किल था, उन्हें महज भूमिकाओं तक सीमित कर दिया गया।

पौराणिक स्त्रियों के कारण मंदोदरी को राक्षस राजा रावण की अर्धांगिनी, तारा को बाली की पत्नी, अहिल्या को गौतम ऋषि की पत्नी, कुंती और द्रौपदी को पांडवों की माता और पत्नी के रूप में जाना जाता है।

पंचकन्या: हिंदू धर्म में इन पांच स्त्रियों को पंचकन्या का दर्जा दिया गया है। हम अपने पौराणिक इतिहास को जिस विशिष्ट रूप में देखते हैं, उसे आकार देने का श्रेय इन महिलाओं को देना शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी।

पंचकन्याओं में मंदोदरी, अहिल्या और तारा का जीवन रामायण काल से संबंधित है, जबकि द्रौपदी और कुंती का संबंध महाभारत काल से है। ये पांचों स्त्रियां दिव्य थीं, एक से अधिक पुरुषों से संबंध रखने के बावजूद इन्हें बेहद पवित्र माना गया। आइए जानते हैं कौन थीं ये पंचकन्याएं और क्या था इनका जीवन।

अहिल्या : गौतम ऋषि की पत्नी को अहिल्या नाम से भी जाना जाता है। कई लोग अहल्या को पंचकन्याओं में सबसे प्रमुख मानते हैं। कई दस्तावेजों में यह उल्लेख है कि अहल्या को स्वयं ब्रह्मा ने बनाया था, जबकि कुछ दस्तावेजों में कहा गया है कि वह सोमवंश की थीं। अहिल्या की सुंदरता से भगवान इंद्र भी खुद को नहीं बचा सके और एक बार उन्होंने ऐसा किया, जिसका परिणाम अहिल्या को ही भुगतना पड़ा।

इंद्र ने रचा जाल : एक बार गौतम ऋषि की अनुपस्थिति में देवराज इंद्र उनके वेश में आश्रम में आते हैं और अहिल्या से विनती करने लगते हैं। अहल्या इंद्र को न पहचान जानने के कारण इंद्र के साथ संबंध स्थापित करती है। कुछ दस्तावेजों में कहा गया है कि देवी अहिल्या ने इंद्र को अपना पति मानकर ही उनके साथ संबंध स्थापित किये थे। सती किसे कहते हैं? सती की सही परिभाषा क्या है?

गौतम ऋषि का क्रोध : जब गौतम ऋषि ने इंद्र को उन्हीं के वेश में अपने आश्रम से बाहर आते देखा तो उन्हें सारी बात समझ में आ गई। क्रोध में आकर उन्होंने अपनी पत्नी अहिल्या को पत्थर बन जाने का श्राप दे दिया और कहा कि जब तक स्वयं भगवान राम उन्हें अपने पैरों से नहीं छुएंगे, अहिल्या मानव रूप धारण नहीं कर पाएंगी। यह श्राप देने के बाद ऋषि गौतम तपस्या करने के लिए हिमालय की ओर चले गए।

श्रीराम द्वारा मोक्ष : गुरु विश्वामित्र के साथ भ्रमण करते हुए राम गौतम ऋषि के निर्जन और सुनसान पड़े आश्रम में पहुंचे। जहां उन्हें अहिल्या के रूप में एक पत्थर दिखाई दिया। विश्वामित्र ने राम को पूरी घटना बताई, जिसे सुनकर राम ने अहिल्या का उद्धार किया। वेद किसे कहते हैं और यह कितने प्रकार के होते हैं।

तारा किष्किंधा की महारानी और बाली की पत्नी का पंचकन्याओं में दूसरा स्थान है। कुछ ग्रंथों के अनुसार तारा बृहस्पति की पौत्री थीं तो कुछ के अनुसार तारा समुद्र मंथन के दौरान निकले रत्नों में से एक थी। तारा इतनी सुंदर थी कि सभी देवता और दानव उससे विवाह करना चाहते थे।

समुंदर मंथन में देवताओं के सहायक के रूप में वालि की पत्नी वालि और सुषेण उपस्थित थे। जब तारा क्षीर सागर से निकली तो दोनों ने उससे विवाह करने की इच्छा व्यक्त की। वालि तारा के दाहिनी ओर और सुषेण बायीं ओर खड़ा था। तब विष्णु ने समस्या का समाधान निकाला कि लड़की के दाहिनी ओर जो व्यक्ति खड़ा था वह उसका पति था और बाईं ओर जो खड़ा था वह उसका पिता था। ऐसे में वालि को तारा का पति घोषित कर दिया गया।

सुग्रीव के साथ युद्ध: जब यह अफवाह फैल गई कि राक्षसों के साथ युद्ध के दौरान बाली की मृत्यु हो गई, तो सुग्रीव ने बाली की पत्नी से विवाह कर लिया और खुद को किष्किंधा का सम्राट घोषित कर दिया। लेकिन जब बाली वापस लौटा तो उसने राज्य और उसकी पत्नी पर कब्ज़ा करने के लिए अपने भाई पर हमला कर दिया। श्री बांके बिहारी गवाह बनकर जज के सामने पहुंचे

बाली ने सुग्रीव को अपने राज्य से निकाल दिया और उसकी प्रिय पत्नी रूमा को भी अपने पास रख लिया। जब सुग्रीव को राम का समर्थन मिला तो उसने वापस आकर बाली को फिर से युद्ध के लिए ललकारा।

तारा का सुझाव : तारा समझ गई कि सुग्रीव में अकेले बाली का सामना करने की शक्ति नहीं है, इसलिए उसे राम का समर्थन मिला है। उसने बाली को समझाने की भी कोशिश की लेकिन बाली को लगा कि तारा सुग्रीव को बचाने के लिए उसका पक्ष ले रही है। बालि ने तारा को त्याग दिया और सुग्रीव से युद्ध करने चला गया।

बाली का कथन : जब सुग्रीव ने राम की सहायता से बाली का बध किया। तब मृत्यु शय्या पर रहते हुए बाली ने अपने भाई सुग्रीव से कहा कि उसे हर मामले में तारा की सलाह अवश्य लेनी चाहिए, तारा की सलाह के बिना कोई भी कदम उठाना महंगा पड़ सकता है।

मंदोदरी : राक्षस राजा रावण की पत्नी मंदोदरी थी। जिसे रावण के हर बुरे कदम पर पछतावा होता था और वह उसे हर बुरे काम करने से रोकती थी। हिंदू धर्म से जुड़े दस्तावेजों में मंदोदरी को एक ऐसी स्त्री के रूप में दर्शाया गया है जो हमेशा सच्चाई के मार्ग पर चली। मंदोदरी राक्षस राजा मयासुर और हेमा नामक अप्सरा की बेटी थी। रावण मंदोदरी की सुंदरता पर मोहित हो गया और उससे विवाह कर लिया।

रावण की उपेक्षा : पंच कन्याओं में से एक मंदोदरी को चिर कुमारी के नाम से भी जाना जाता है। मंदोदरी अपने पति के बुरे कर्मों से भली-भांति परिचित थी, वह हमेशा रावण को बुराई का मार्ग छोड़कर सत्य की शरण लेने की सलाह देती थी, लेकिन अपनी शक्ति पर घमंड करने वाले रावण ने कभी मंदोदरी की बात नहीं सुनी। बरसाना दर्शन-बरसाना में घूमने की जगहें कौन कौन सी है?

सीता जी को श्राप: रावण की मृत्यु के बाद भगवान राम की आग्रह पर विभीषण ने रावण की मंदोदरी से विवाह किया। कुछ ग्रंथों में यह भी उल्लेख किया गया है कि रावण की पत्नी मंदोदरी ने सीता जी को श्राप दिया था कि उनका पति उन्हें (त्याग) छोड़ देगा। भगवान विष्णु के 24 अवतार कौन-कौन से हैं

कुंती : रामायण काल के बाद चौथा नाम आता है कुंती का। हस्तिनापुर के राजा पांडु की पत्नी और तीन पांडवों की मां कुंती को ऋषि दुर्वासा ने एक मंत्र दिया था, जिसके अनुसार वह जिस भी देवता का ध्यान करेगी और उसके मंत्र का जाप करेगी, वह देवता उसे पुत्र रत्न प्रदान करेगा।

मंत्र का प्रभाव : कुंती इस मंत्र का प्रभाव जानना चाहती थी, इसलिए एक दिन उन्होंने भगवान सूर्य का ध्यान किया और उस मंत्र का जाप करना शुरू कर दिया। सूर्य देव प्रकट हुए और उन्हें पुत्र प्रदान किया। वह पुत्र कर्ण था, लेकिन कुंती उस समय अविवाहित थी इसलिए उसे कर्ण का त्याग देना पड़ा। ब्रह्म जिसके इशारे पर नृत्य करता है, उसे वृंदावन कहते हैं।

पांडु की मृत्यु : स्वयंवर में कुंती और पांडु का विवाह हुआ। पांडु को एक ऋषि ने श्राप दिया था कि जब भी वह किसी स्त्री को स्पर्श करेगा, उसकी मृत्यु हो जाएगी। पांडु की मृत्यु के बाद कुंती ने धर्म देव को याद किया और उसके बाद उनसे युधिष्ठिर को, वायु देव से भीम को और इंद्र देव से अर्जुन को प्राप्त किया। चतुर्युग अनुसार भिन्न-भिन्न (वेद) व्यासों के नाम!

माद्री की प्रार्थना : पांडु की दूसरी पत्नी माद्री ने कुंती से इस मंत्र का जाप करके पुत्र प्राप्त करने की अनुमति मांगी, जिसे कुंती ने स्वीकार किया। माद्री ने अश्विनी कुमार का स्मरण करके उनसे नकुल और सहदेव को प्राप्त कर लिया।

द्रौपदी: महाभारत की नायिका द्रौपदी भी पंचकन्याओं में से एक हैं। पांच पतियों की पत्नी बनीं द्रौपदी का व्यक्तित्व बहुत मजबूत था। स्वयंवर के दौरान अर्जुन को अपना पति स्वीकार करने वाली द्रौपदी को कुंती के आशीर्वाद के अनुसार पर पांच भाइयों की पत्नी बनना पड़ा।

काली का अवतार : द्रौपदी को वेद व्यास जी ने यह वरदान दिया था कि पांचों भाइयों की पत्नी होने के बाद भी उसका कौमार्य रहेगी । प्रत्येक पांडव से द्रौपदी को एक-एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। चौरस के खेल में हारने के बाद जब पांडवों को अज्ञातवास और वनवास की सजा हुई, तब द्रौपदी ने भी उनके साथ सजा का पालन किया। कुरुक्षेत्र के युद्ध में अपने पुत्र, पिता और भाई को खोने वाली द्रौपदी को कुछ ग्रंथों में मां काली तो कुछ में धन की देवी लक्ष्मी का अवतार भी कहा जाता है।

अधरं मधुरं वदनं मधुरं हिंदी भजन लिरिक्स :
17/04/2024

अधरं मधुरं वदनं मधुरं हिंदी भजन लिरिक्स :

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देना हो तो दीजिये जनम जनम का साथ लिरिक्स
16/04/2024

देना हो तो दीजिये जनम जनम का साथ लिरिक्स

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