22/05/2025
इस ऑटो पर जो लिखा है — वो सिर्फ एक भाषा या राज्य का समर्थन नहीं है, बल्कि नफरत, अपमान और घृणा का इश्तहार है। और ये पूरी तरह गलत है।
"U are in Karnataka. Learn ಕನ್ನಡ. Don’t show your attitude. U come to beg here…"
ये शब्द न केवल अमर्यादित हैं, बल्कि भारत की उस मूल भावना के खिलाफ हैं जो "एकता में अनेकता" को जीता है।
क्या किसी राज्य में जाना भीख मांगना होता है?
नहीं। हम एक राष्ट्र हैं — एक भारत।
यहाँ हर व्यक्ति को कहीं भी रहने, काम करने और सम्मान पाने का संवैधानिक अधिकार है।
यह विचारधारा, जो अपने राज्य की रक्षा के नाम पर दूसरों को अपमानित करती है — वह सिर्फ समाज को बाँटती है।
हर भारतीय को किसी भी राज्य में इज्ज़त से जीने का हक़ है —
भाषा सिखाई जा सकती है, लेकिन नफ़रत नहीं।
देश तब मजबूत होगा जब हम एक-दूसरे को अपनाएंगे, ना कि धिक्कारेंगे।
विविधता हमारा गौरव है, किसी पर अहंकार थोपने का हथियार नहीं।
जब यही लोग उत्तर भारत आते हैं -
तब कोई उनसे ये नहीं कहता कि "हिंदी सीखो",
या ये नहीं बोलता कि "तुम यहाँ भीख माँगने आए हो!"
हम नफ़रत नहीं, अपनापन सिखाते हैं।
हम भाषा नहीं, भावना देखते हैं।
हम हर मेहमान को "अतिथि देवो भवः" मानते हैं — चाहे वो किसी भी राज्य से हो।
क्योंकि हमारे संस्कार बताते हैं कि देश एक परिवार है।
हम हर क्षेत्रीय भाषा का सम्मान करते हैं, लेकिन किसी पर थोपते नहीं।
सोचिए, अगर उत्तर भारत में भी कोई ऐसा लिख दे —
"तुम यहाँ क्यों आए? हिंदी नहीं आती तो चले जाओ!"
तो कैसा लगेगा?
हम ऐसा नहीं कहते, क्योंकि हमारा दिल बड़ा है।
हम बाँटने नहीं, जोड़ने में विश्वास रखते हैं।
भारत की ताकत इसकी विविधता है —
लेकिन जब कोई इस विविधता को अभिमान और अपमान का ज़रिया बना दे,
तो वो भारत नहीं, केवल अहंकार बचता है।
~ Ashutosh Jha ( Khabar Aangan - ख़बर आँगन )
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