अल्फाज़

अल्फाज़ शायरी
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14/08/2025
रांझणा मूवी देखा है?? उसमें सब जोया और कुंदन की बाते करते हैंउसमें एक किरदार था जगजीत  हां वही जगजीत जो एक लड़की के कहने...
02/08/2025

रांझणा मूवी देखा है??
उसमें सब जोया और कुंदन की बाते करते हैं
उसमें एक किरदार था जगजीत
हां वही जगजीत जो एक लड़की के कहने पर दिल्ली से बनारस आ गया था निकाह करने !
हम लड़के जब किसी से प्यार करते है तो कुंदन बनने से पहले जगजीत बन जाते है
भूल जाते है सारे term and condition
याद रहता है तो बस इतना की किसी ने साथ निभाने का वादा किया है
फिर इस बात की फिक्र नहीं रहती कि अंजाम क्या होगा
उस जगजीत ने एक दफा ये भी सोचा होगा कि बुलावा तो महादेव के शहर से आया है और निकल पड़ा
खैर अंजाम जो भी हुआ
हर कोई इश्क के चुनाव में जीत जाए ये जरूरी तो नहीं

फिर भी एक सलाह मानना मेरी इश्क में कुंदन होने से पहले जगजीत हो जाना

आज एक संत ने पूरे विश्व को एक कमरे में बैठे बैठे ही हिला दिया हैप्रेमानंद जी महाराज ने सनातन धर्म को वापस उपर उठा दिया ह...
02/08/2025

आज एक संत ने पूरे विश्व को एक कमरे में बैठे बैठे ही हिला दिया है

प्रेमानंद जी महाराज ने सनातन धर्म को वापस उपर उठा दिया है

उनकी अमृतवाणी प्रवचन सुनकर लोगों ने शराब,मांस,पापाचरण, अथवा अन्य माताओं बहनों को काम दृष्टि से देखना आदि चीजें छोड़ दी है

बहुत लोग ऐसा कहते मिल जाते हैं कि ....
मैं तो आत्महत्या करने जा रहा था परंतु प्रेमानंद जी महाराज के प्रवचनों ने हमें बचा लिया

सभी लोग अब नाम जप की महिमा को जानने लगे हैं और जपने भी लगें हैं

महाराज जी ये कभी नहीं कहते की सब धर्म छोड़ कर हमारे धर्म को अपनाओं और नाही यह कहते हैं कि पैसे दो पूजा पाठ कराओं हम आपकी इच्छा पूरी कर देंगे।

महाराज जी ये कहते हैं कि जिसे भी मानो जिसे भी पूजो आपके हृदय का परिवर्तन होना चाहिए क्योंकि भगवान धर्म परिवर्तन से नहीं हृदय परिवर्तन से मिलते हैं

इस देश को ऐसे ही संतों के आशीर्वाद की जरूरत है

हर रोज एक बच्चा एक छोटी सी नाव के सहारे नदी पार करता था। एक दिन नाव में खराबी आ गई। देर हो रही थी, तो उसने तय किया कि आज...
02/08/2025

हर रोज एक बच्चा एक छोटी सी नाव के सहारे नदी पार करता था। एक दिन नाव में खराबी आ गई। देर हो रही थी, तो उसने तय किया कि आज तैरकर पार करूंगा। जब वह नदी के पार पहुँचा, तो देखा कि उसे आज पहले से कम समय लगा।

वह बच्चा है मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह उनके नाव!

जब बुमराह नहीं होते, तब सिराज और भी खतरनाक हो जाते हैं।

मैं आंकड़ों की बात नहीं करूंगा, लेकिन वर्कलोड मैनेजमेंट के इस दौर में, लगातार हर फॉर्मेट में उसी तीव्रता और धार के साथ गेंदबाज़ी करना, लंबे स्पेल फेंकना और बार-बार भारत को जीत की राह दिखाना—यही मोहम्मद सिराज को बाकियों से अलग बनाता है।

सिराज सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं हैं, वो भारतीय क्रिकेट के लिए एक वरदान हैं।

इस बंदे को अल्फाज़ का सलाम रहेगा। 🇮🇳🔥

वासेपुर का अभिमन्य // डॉक्टर पथिककई बार ऐसा होता है कि ईश्वर किसी को विकलांग पैदा करता है पर वह मनुष्य अपनी विकलांगता को...
02/08/2025

वासेपुर का अभिमन्य // डॉक्टर पथिक

कई बार ऐसा होता है कि ईश्वर किसी को विकलांग पैदा करता है पर वह मनुष्य अपनी विकलांगता को हथियार बना कर बड़े बड़े महारथियों पर भारी पड़ जाता है।

भगवत चंद्रशेखर का नाम सुना होगा आपने विकलांग थे पर अपनी पोलियो ग्रस्त कलाई में गेंद छुपा कर ऐसा स्पिन मारते थे कि बड़े बड़े महारथी बल्लेबाज किंकर्तव्यविमूढ़ हो जाते थे।
फिरंगियों का डूगना लगान वसूलने का सपना ध्वस्त करता लगान फ़िल्म का कचरा याद होगा आपको।
अपने कटे हुए पैरों में ब्लेड फंसा कर दौड़ते हुए चैंपियन ऑस्कर पिस्टोरियस को भी देखा होगा आपने।

ऐसा ही एक महारथी था परपेंडिकुलर!
परपेंडिकुलर जुबान से विकलांग था।
पैदाइशी तोतला था।
पर अपनी उसी तोतली जुबान में ब्लेड फंसाकर परपेंडिकुलर वो करतब दिखाता था कि बड़े बड़े चाइनीज तलवार बाज भी उसे देखकर डिप्रेशन में आ जाएं।

परपेंडिकुलर का जीवन बहुत सादा था पर उसके विचार उच्चता के शिखर पर विराजमान थे।
परपेंडिकुलर सामान्यतः घिसी हुई स्लीपर पहनता था,वैसी ही स्लीपर जैसी आजकल शौचादि कर्म के समय उपयोग में ली जाती हैं।
परपेंडिकुलर जब किसी सुनार की दुकान में डकैती डालने जाता था तब भी उस सुनार की रोजी रोटी का सम्मान करते हुए अपनी चप्पल दुकान के बाहर उतारता था वह।
और सबसे बड़ी बात तो यह थी कि डकैती के अगले दिन सुनार को चाबियां भी वापस कर देता था वह।

परपेंडिकुलर बहुत भोला भाला भावुक भी था।
टेन्जेन्ट जैसे पलायनवादी मित्रों के साथ मित्रता निभाता था।
एक बार डेफिनेट ने उसे छल पूर्वक मोटरसाइकिल से खाई में भी कुदा दिया था जिस प्रकार नेता लोग अपने छर्रों को छोटी गंगा बोलकर नाले में कुदा देते हैं।
परपेंडिकुलर महारथी था,खाई में गिरकर भी बाल बांका नही हुआ था उसका।

परपेंडिकुलर के बाप दादा ने कोयले की चोरी में जीवन गुजार दिया पर परपेंडिकुलर महान था,
सोना चांदी की डकैती करता था और रंगदारी वसूलता था।
कभी कोयले की दलाली में हाथ काले नही किये उसने।

पर जैसा कि अक्सर होता है कि महान लोग त्रासद मृत्यु को प्राप्त होते हैं उसी परंपरा का निर्बहन करते हुए परपेंडिकुलर भी किशोरावस्था में ही मृत्यु को प्राप्त हुआ,और उसकी मृत्यु की वजह बना सिनेमा।

जिस प्रकार महाभारत में अभिमन्यु को छल से मारा गया था उसी प्रकार सिनेमाघर से बाहर निकलते निहत्थे परपेंडिकुलर को सुल्तान कुरैशी जैसे बाहुबली और उसके गुर्गों ने छल पूर्वक घात लगाकर मारा।
परपेंडिकुलर अगर कुछ दिन और जीवित रहता तो ब्लेड मार मार कर वासेपुर की महाभारत को समाप्त कर सकता था,पर अफ़सोस होनी को कौन टाल सकता है।

खैर जो भी हो परपेंडिकुलर ने किशोरावस्था में जिस वीरता और जिस क्रूरता का प्रदर्शन किया वो हिंदी सिनेमा में अद्वितीय है।
वीर परपेंडिकुलर को नमन।.........................

तीज शुभ हो सकती है, पावन हो सकती है, आध्यात्मिक हो सकती है, पर “मस्त मस्त” नहीं।यह व्रत संयम, श्रद्धा और संकल्प का प्रती...
02/08/2025

तीज शुभ हो सकती है, पावन हो सकती है, आध्यात्मिक हो सकती है, पर “मस्त मस्त” नहीं।
यह व्रत संयम, श्रद्धा और संकल्प का प्रतीक है।
हर त्योहार को हल्का-फुल्का और फनी बनाना ज़रूरी नहीं होता।
कृपया हमारे संस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं का सम्मान करें, क्योंकि यही हमारी असली पहचान हैं।

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