sanatana_sanskritii

sanatana_sanskritii अहिंसा परमों धर्मः धर्म हिंसा तथैव च!! ��
हरि ॐ तत्सत!! �

21/01/2024

जय श्री राम🙏 🚩
09/01/2024

जय श्री राम🙏 🚩

20/12/2023

Did you know Why do Hindus Ring Bells in their temples Every ritual & tradition of Hindu culture has a deep meaning in itimportant role in healing the body, mind & soul. During your visit to temples & puja ceremonies you must have witnessed ringing bell.

06/02/2023

दरअसल ताड़ना एक अवधी शब्द है, जिसका अर्थ - पहचानना, परखना या देखरेख करना होता है !
जय श्री राम🙏🙏
#जयश्रीराम

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23/01/2023

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20/01/2023

क्रिसमस के दिन मध्य प्रदेश के दमोह जिले में दो सौ से अधिक लोगों ने हिंदू सनातन धर्म में घर वापसी की थी पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने किया था उनका मार्ग दर्शन, अब समझ आया सनातन विरोधी क्यों मचल रहे हैं 😂
मेरे लिए ये महत्वपूर्ण नहीं है कि बागेश्वर
वाले बाबा के पास चमत्कारिक शक्तियां हैं कि नहीं,बात ये भी नहीं है कि उन्हें वेद मंत्रों का सही और पूर्ण ज्ञान है या नहीं.
बात केवल इतनी है कि यदि वे अज्ञानी भी हैं तो भी वो श्रेष्ठ हैं क्योंकि वे राष्ट्र और धर्म के साथ खड़े हैं और हिन्दूओं को धर्म के प्रति जागरूक कर रहे हैं. कई निकृष्ट जो हिन्दूओं को अली मौला गाकर भ्रमित करते हैं वे यदि ज्ञानी भी हैं तो भी वो सम्मान पाने योग्य कदापि नहीं..
जो भी राष्ट्र और धर्म के साथ खड़े हैं.. वह पूज्य हैं
मैं बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री के साथ हूँ। और जब तक वो हिन्दू
हित में लगे रहेंगे हर राष्ट्रवादी उनके साथ रहेगा
मैं पूर्णतः समर्थन करती हूँ।




देवउठनी एकादशी 4 नवंबर 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते हैं और सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते ...
04/11/2022

देवउठनी एकादशी 4 नवंबर 2022 को मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते हैं और सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इसी दिन शालिग्राम और तुलसी विवाह की परंपरा निभाई जाती हैं. श्रीहरि भगावन विष्णु के शालीग्राम बनने के पीछे क्या है वजह और क्यों तुलसी से उन्हें करना पड़ा विवाह. वहीं मंगल का आशीष देने वाली तुलसी की उत्पत्ति कैसे हुई. आइए जानते हैं इस कथा के द्वारा:-

पौराणिक कथा के अनुसार जालंधर नाम का एक बहुत शक्तिशाली राक्षस था. देवी-देवता उसके आतंक से बहुत परेशान रहते थे. उसकी पत्नी वृंदा पतिव्रता स्त्री थी उसकी पूजा पाठ के प्रभाव से जालंधर को युद्ध में कोई हरा नहीं पाता था. वृंदा भगवान विष्णु की परम भक्त थी. वृंदा की भक्ति के कारण जालंधर हर लड़ाई में हमेशा विजय होता. उसका उपद्रव बहुत बढ़ चुका था. एक दिन उसने स्वर्गलोक पर हमला कर दिया. सभी देवता परेशान होकर श्रीहरि की शरण में गए और इसका समाधान निकालने का आग्रह किया.

विष्णु ने छल से भंग किया वृंदा का पतिव्रता धर्म

भगवान विष्णु जानते थे कि वृंदा की भक्ति भंग किए बिना जालंधर को परास्त करना असंभव है. श्रीहरि ने जालंधर का रूप धारण कर लिया और वृंदा का पतिव्रता धर्म टूट गया. उस वक्त जालंधर देवताओं के साथ युद्ध कर रहा था. वृंदा का पतिव्रता धर्म नष्ट होते ही जालंधर की सारी शक्तियां खत्म हो गईं और वह युद्ध में मारा गया. वृंदा को बाद में भगवान विष्णु के इस छल का भान हुआ तो वह क्रोधित हो उठी और फिर श्रीहरि को श्राप दे दिया.

ऐसे शालीग्राम बने भगवान विष्णु

वृंदा का सतीत्व भंग होने पर उसने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि जिस तरह आपने छल से मुझे पति वियोग का कष्ट दिया है उसी तरह आपकी पत्नी का भी छलपूर्वक हरण होगा. साथ ही आप पत्थर के हो जाओगे. यही पत्थर शालीग्राम कहलाया. कहा जाता है कि वृंदा के श्राप के चलते श्री विष्‍णु ने अयोध्‍या में दशरथ पुत्र श्री राम के रूप में जन्‍म लिया और बाद में उन्‍हें सीता वियोग का भी कष्‍ट सहना पड़ा.
वृंदा ही बाद में कहलाई तुलसी

वृंदा पति की मृत्यु को सहन नहीं कर पाई और सती हो गई. कहते हैं कि वृंदा की राख से एक पौधा निकला जिसे भगवान विष्णु ने तुलसी का नाम दिया. श्रीहरि ने घोषणा की कि तुलसी के बिना मैं प्रसाद ग्रहण नहीं करूंगा. मेरा विवाह शालीग्राम रूप से तुलसी के साथ होगा. कालांतर में इस तिथि को लोग तुलसी विवाह के नाम से जानेंगे. कहते हैं कि जो शालीग्राम और तुलसी विवाह कराता है उसका वैवाहिक जीवन खुशियों से भर जाता है. साथ ही उसे कन्यादान करने के समान पुण्य मिलता है.

एलोरा गुफाओं में कैलाश मंदिर या कैलाश मंदिर, औरंगाबाद, महाराष्ट्र दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है।आइए जान...
01/11/2022

एलोरा गुफाओं में कैलाश मंदिर या कैलाश मंदिर, औरंगाबाद, महाराष्ट्र दुनिया भर के पर्यटकों के लिए एक बड़ा आकर्षण है।

आइए जानते हैं इस मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य।

* ऐसा माना जाता है कि जब इसकी खोज की गई तो यह पूरी तरह से सफेद प्लास्टर से ढका हुआ था और कैलाश पर्वत जैसा दिखता था, इसलिए इसे "कैलास मंदिर" नाम दिया गया और भगवान शिव को समर्पित किया गया।

* यह मंदिर एक महापाषाण है, जो पूरी तरह से एक ही चट्टान को तराश कर बनाया गया है। यह पत्थर के ब्लॉकों को जोड़कर नहीं बनाया गया था।

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23/10/2022

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपोत्सव की शुरुआत के बाद कहा कि भारत के कण-कण में, जन-जन के मन में राम हैं. यही तो भारत की संस्कृति है. पीएम मोदी ने कहा कि दिया खुद जलता है और रोशनी सबको देता है. देश ने कितनी ही गंभीर स्थितियों को देखा है, कई दौर देखे हैं. जब दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियों का सूरज अस्त हो रहा था तब भी हमारी उम्मीदों का दिया टिमटिमा रहा था.

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