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कविता का सौन्दर्य जब वैचारिकी की गम्भीरता और उदात्तता से गलबहियाँ करता है तब 'भारत-गाथा' जैसे काव्य का आविर्भाव होता है।...
01/07/2025

कविता का सौन्दर्य जब वैचारिकी की गम्भीरता और उदात्तता से गलबहियाँ करता है तब 'भारत-गाथा' जैसे काव्य का आविर्भाव होता है। यह काव्य-संग्रह प्रो. कौशल के चिन्तन-गरिमा का मधुर फल प्रतीत होता है। यह सहृदयों के हृदय को आकर्षित करेगा।
-डॉ. प्रवीण पण्ड्या, संस्कृत कवि, अध्येता और समीक्षक

साहित्य में किसानों का संघर्ष लगातार दर्ज होता रहा है। खेती-किसानी पर केन्द्रित इस कविता-संग्रह में कुछ समकालीन कवियों क...
05/06/2025

साहित्य में किसानों का संघर्ष लगातार दर्ज होता रहा है। खेती-किसानी पर केन्द्रित इस कविता-संग्रह में कुछ समकालीन कवियों की कविताएँ संकलित की गई हैं। निश्चित रूप से यह किसानों पर केन्द्रित कविताओं का प्रतिनिधि संकलन नहीं है लेकिन इस संग्रह में एक कवि की चार-पाँच कविताओं को स्थान दिया गया है ताकि पाठक किसानों के प्रति कवि के सरोकार और दृष्टिकोण से भली-भाँति परिचित हो सकें।
#विश्व_पर्यावरण_दिवस_की_शुभकामनाएँ

शीघ्र प्रकाश्यविश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएँ
05/06/2025

शीघ्र प्रकाश्य
विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएँ

कविता संस्कृति है। यह काल या स्थान विशेष में स्थिर नहीं। कविता आरंभ से सृष्टि को संबोधित है। कविता के केंद्र में प्रकृति...
05/06/2025

कविता संस्कृति है। यह काल या स्थान विशेष में स्थिर नहीं। कविता आरंभ से सृष्टि को संबोधित है। कविता के केंद्र में प्रकृति सदैव रही है। ओम नागर का यह संग्रह इसी भावभूमि से अतीत की स्मृतियों को वर्तमान और भविष्य से जोड़ता है, जिसमें मनुष्य द्वारा किया जा रहा शोषण, दोहन और अत्याचार शामिल है। ओम नागर की कविताएं लोक चेतावनी है। इनमें प्रकृति को विनाश से बचाने के वास्ते,मनुष्यता की अंत:शुद्धि के पाठ भी सन्निहित हैं।–लीलाधर मंडलोई
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विश्व साइकिल दिवस की शुभकामनाएं!यादों में चलती साइकिल : संपादक - यादवेन्द्र📖 लिंक कमेंट बॉक्स में है, अपनी प्रति आज ही म...
03/06/2025

विश्व साइकिल दिवस की शुभकामनाएं!
यादों में चलती साइकिल : संपादक - यादवेन्द्र
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विश्व साइकिल दिवस की शुभकामनाएं
03/06/2025

विश्व साइकिल दिवस की शुभकामनाएं

"कहकहा" संदीप मिश्र का उपन्यास एक संवेदनशील सामाजिक चित्रण है, जो शहरी जीवन की उलझनों और विषमताओं को गहराई से रेखांकित क...
31/05/2025

"कहकहा" संदीप मिश्र का उपन्यास एक संवेदनशील सामाजिक चित्रण है, जो शहरी जीवन की उलझनों और विषमताओं को गहराई से रेखांकित करता है। यह किताब एक ऐसे समाज की पड़ताल करती है, जहां दिखावे के पीछे छुपे जीवन की जटिलताएं और असमानताएं सामने आती हैं। उपन्यास में ट्रस्ट सोसाइटी और वहां रहने वाले नागरिकों के जीवन की कहानियां हैं, जो आर्थिक, सामाजिक और मानसिक स्तर पर तमाम चुनौतियों से जूझते हैं। यह उपन्यास मानवीय रिश्तों, संघर्षों और अस्तित्व की गाथा को उजागर करता है, जहां कहकहों के पीछे छिपा दर्द भी अपनी पूरी सच्चाई के साथ उभरता है।
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'मेरी मदरबोर्ड' अर्चना पैन्यूली द्वारा लिखित एक मार्मिक और दिल को छू लेने वाला कहानी संग्रह है, जो मातृत्व के अनकहे पहलु...
31/05/2025

'मेरी मदरबोर्ड' अर्चना पैन्यूली द्वारा लिखित एक मार्मिक और दिल को छू लेने वाला कहानी संग्रह है, जो मातृत्व के अनकहे पहलुओं को उजागर करता है। इस किताब में माँ के विविध रूपों को रेखांकित करने का प्रयास किया गया है – माँ एक दोस्त, एक योद्धा, एक मार्गदर्शक और कभी-कभी एक थकी हुई स्त्री भी होती है। इसमें माँ की चुनौतियाँ और संघर्षों की झलक मिलती है। भावनाओं से लबरेज यह संग्रह हर पाठक को सोचने पर मजबूर करता है कि माँ सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक संपूर्ण दुनिया है।
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"मैडम बोवरी" फ्रेंच साहित्य की एक कालजयी रचना है, जिसे अब हिंदी में पढ़ना और भी रोचक हो गया है।गुस्ताव फ्लॉबेर की इस कृत...
30/05/2025

"मैडम बोवरी" फ्रेंच साहित्य की एक कालजयी रचना है, जिसे अब हिंदी में पढ़ना और भी रोचक हो गया है।
गुस्ताव फ्लॉबेर की इस कृति को डॉ. विजय शर्मा ने साहित्यिक दृष्टि से समृद्ध और विश्लेषणात्मक शैली में प्रस्तुत किया है।
यह उपन्यास न केवल एक कहानी है, बल्कि समाज, स्त्री जीवन और यथार्थ की जटिलताओं पर गहन चिंतन भी है।
साहित्य प्रेमियों के लिए एक अनमोल पुस्तक, जिसे आप अब Amazon पर प्राप्त कर सकते हैं।
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लीलाधर मंडलोई के संपादकीय संग्रह "भवदीय" (खंड 1 और 2) अब Amazon पर उपलब्ध है।यह संग्रह प्रतिष्ठित पत्रिका नया ज्ञानोदय म...
30/05/2025

लीलाधर मंडलोई के संपादकीय संग्रह "भवदीय" (खंड 1 और 2) अब Amazon पर उपलब्ध है।
यह संग्रह प्रतिष्ठित पत्रिका नया ज्ञानोदय में प्रकाशित उनके पांच वर्षों के संपादकीय लेखों का संकलन है। इसमें समय, समाज, देशकाल, कला, साहित्य, व्यक्तित्व और प्रकृति जैसे विषयों पर उनके विचारोत्तेजक आलेख शामिल हैं।
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पुस्तकनामा साहित्य वार्षिकी 2025 'समय सरगम' में इस बारपत्रिका यहाँ उपलब्ध है- https://rzp.io/rzp/RpTx7ys
29/05/2025

पुस्तकनामा साहित्य वार्षिकी 2025 'समय सरगम' में इस बार
पत्रिका यहाँ उपलब्ध है- https://rzp.io/rzp/RpTx7ys

"विभाजन के बीच मंटो" एक महत्वपूर्ण संकलन है, जिसमें सआदत हसन मंटो की विभाजन केंद्रित कहानियों का चयन और समीक्षा प्रस्तुत...
29/05/2025

"विभाजन के बीच मंटो" एक महत्वपूर्ण संकलन है, जिसमें सआदत हसन मंटो की विभाजन केंद्रित कहानियों का चयन और समीक्षा प्रस्तुत की गई है। मंटो ने भारत-पाकिस्तान विभाजन की त्रासदी को जिस गहन संवेदनशीलता और निर्भीक दृष्टि से व्यक्त किया, वह आज भी उतनी ही प्रासंगिक और मार्मिक है। यह पुस्तक न केवल मंटो की कालजयी कहानियों—जैसे टोबा टेक सिंह, ठंडा गोश्त, खोल दो, ठीक है—को सामने लाती है, बल्कि उनकी कहानियों पर विस्तार से चर्चा और विवेचन भी प्रस्तुत करती है। संकलनकर्ता और संपादक राम किशोर ने मंटो की कहानियों की गहराई और समाज-राजनीति से उनके अंतर्संबंधों को विशेष रूप से रेखांकित किया है।किताब का लिंक: https://amzn.in/d/bPInXni

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