
08/07/2025
कैंची धाम से शुरू होकर यह यात्रा उन पवित्र स्थलों की ओर बढ़ती है, जिन्हें स्वयं नीब करोली बाबा ने अपने चरणों से पवित्र किया था।
वह हवा, वह धरती, वह आकाश—सब कुछ आज भी बाबा की दिए हुए प्रेम संदेश से सुगंधित हो रहा है।
कैंची धाम (नैनीताल), महा-समाधि स्थल (वृंदावन), हनुमान सेतु (लखनऊ) और सोनमुड़ा (अमरकंटक)। जहां-जहां बाबा के पैर पड़े वह स्थान अपने में एक तीर्थ बन गया।
यह पुस्तक न केवल बाबा के दर्शन और उनकी उपस्थिति की महिमा को उजागर करती है, बल्कि यह एक गहरी आध्यात्मिक यात्रा का हिस्सा बनाती है।
यात्रा अमरकंटक में ही क्यों समाप्त होती है, इस सवाल का जवाब आपको किताब पढ़ने के बाद ही पता चलेगा। इसे पढ़ना न भूलें — यह केवल पन्नों पर लिखी गई शब्दों की यात्रा नहीं, बल्कि सभी के भीतर से होकर जाने वाली एक प्रेम यात्रा का हिस्सा है। अपना प्रेम और सहयोग अवश्य प्रदान करें।
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