15/11/2025
एक संदेश कांग्रेस के मेरे साथियों के नाम ✍️
पहली नजर में बिहार के नतीजे देखकर हम सभी ने लगभग एक जैसा महसूस किया, निराशा और आक्रोश।
लेकिन क्या हम वाकई चुनाव हारे?
क्या बिहार विधानसभा चुनावों में Level Playing Field थी?
चुनाव तो SIR के एलान के साथ ही समाप्त हो गया था
चुनाव से ठीक पहले SIR के माध्यम से 68 लाख वोटर्स डिलीट कर दिए गए, और मतदान से पहले 22 लाख अदृश्य मतदाता जोड़ दिए गए,
क्या ये मामूली बात थी?
आदर्श आचार संहिता के बीच 1.3 करोड़ महिलाओं के खाते में ₹10,000 डालना,
क्या ये वोट-के-बदले-कैश नहीं था?
हरियाणा, दिल्ली, यूपी जैसे राज्यों से
सैकड़ों ट्रेनों में भाजपा कार्यकर्ताओं को
मतदान के लिए बिहार पहुँचाया गया, क्या यह सामान्य लोकतांत्रिक प्रक्रिया थी?
मीडिया और सोशल मीडिया पर सैकड़ों करोड़ रुपये का प्रचार, क्या किसी और पार्टी के लिए संभव था?
यहां तक कि अमित शाह ने दावा 160 सीटों का किया था फिर 200+ और 95% स्ट्राइक रेट बिहार जैसे राज्य में?
जब पूरी की पूरी प्रक्रिया और सिस्टम ही एक राजनैतिक दल के लिए बैटिंग कर रहा हो, तब चुनाव कैसा?
मैं खुद कई महीनों से बिहार में हूँ, जिन विधानसभाओं में पिछली दफा हार जीत का अंतर 10,000 से 15,000 तक का था, वहां न सिर्फ वोट काटे गए बल्कि दोगुने फर्जी वोट जोड़े गए।
आज हमें निराश होने की जगह, सड़कों पर उतरने की जरूरत है, क्योंकि ये लड़ाई राहुल गांधी जी अकेले नही लड़ सकते,
पहले महाराष्ट्र, फिर हरियाणा और अब बिहार, जब तक इस डकैती के राज खुलेंगे, 45 दिनों के अंदर CCTV साक्ष्य भी मिट चुके होंगे।
और अंतिम बात... क्या ज्ञानेश कुमार से निष्पक्ष चुनाव की उम्मीद कभी भी की जा सकती थी? जिस व्यक्ति को लाने के लिए नियुक्ति कमेटी से CJI को हटाया गया हो, जो व्यक्ति अमित शाह का सचिव रहा हो वो किसके लिए काम करेगा?
मीडिया के प्रोपेगैंडा से दूर वो सवाल पूछिये जो वाजिब है, अब ये लड़ाई बड़ी है और सबसे पहले चुनाव आयोग में सफाई की जरूरत है, और पूरी व्यवस्था में पारदर्शिता की।
इस लड़ाई में अंतिम सांस तक मैं राहुल गांधी के साथ हूँ, क्योंकि झूठ कितना भी ताकतवर हो, जीत सच की ही होती है।