14/05/2023
आज राष्ट्रीय सहारा में
जनजातीय गौरव (बाल कविता-संग्रह) की
पुस्तक समीक्षा राजीव मंडल जी द्वारा
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पुस्तक समीक्षा: राजीव मंडल
सहेजने लायक संग्रह
स्वतंत्रता के 75वें वर्ष को ‘आज़ादी का अमृत महोत्सव’ के रूप में पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है| इस दौरान साहित्य के क्षेत्र में भी देश की स्वतंतता से जुड़े विषयों पर लिखा जा रहा है| इसी कड़ी में डॉ. वेद मित्र शुक्ल द्वारा रचित बाल कविता-संग्रह जनजातीय गौरव उल्लेखनीय है|
इस संग्रह में ब्रिटिश राज में जन, जंगल और ज़मीन यानी भारत माँ की आज़ादी की खातिर सर्वस्व अर्पित करने वाले पचास जनजातीय देशभक्तों पर वेद मित्र द्वारा रचित बाल कविताएं शामिल हैं| कविता-संग्रह में भगवान बिरसा मुंडा, तिलका माँझी, टंट्या मामा, रानी गाइदिन्ल्यू आदि से लेकर बुली महतो, मींधू कुम्हार, सुरेन्द्र साए, नानक भील, झलकारी बाई जैसे अनेक जनजातीय क्रांतिकारियों पर बालकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए कविताएं पढ़ी जा सकती हैं| उदाहरण स्वरूप बच्चों में देश भक्ति का भाव जगाने के साथ ऐतिहासिक जानकारी वाली ये पंक्तियाँ पठनीय हैं: “जंगल, जन, ज़मीन के गौरव बिरसा मुंडा को सब जानें, / भारत माँ की सेवा की यों उनको हम ईश्वर-सा मानें| / झारखंड की धरती पर जन्मे ‘धरती बाबा’ कहलाए, / आदिवासियों के जो दुश्मन उनसे थे बच्चो! थर्राए (पृ. 7)|”
आज की पीढ़ी के लिए जरूरी साक्षरता, पर्यावरण, राष्ट्रीय एकता आदि से जुड़े संदेश भी जनजातीय क्रांतिकारियों के जीवन-प्रसंगों से बालकविताओं में सहेजे गए हैं| ऐसे प्रसंगों से वर्तमान पीढ़ी निश्चित तौर पर संजीदा बनेगी। बस्तर के अमर बलिदानी नागुल दोरला जो हरे-भरे साल के जंगलों के लिए लड़े उन पर आधारित बालकविता में पर्यावरण के प्रति बच्चों को जागरूक करती ये पंक्तियाँ दृष्टव्य हैं: “पेड़ों की रक्षा से ही तो प्यारा पर्यावरण बचेगा, / सुंदर होगी प्यारी धरती, सुंदर अपना देश रहेगा (पृ. 77)|” इनके साथ-साथ जनजातीय गौरव को बाल कविता-साहित्य में जनजातीय विमर्श की दृष्टि से भी संभवतः पहला और आवश्यक प्रयास माना जा सकता है|
पुस्तक: जनजातीय गौरव (बाल कविता-संग्रह)
लेखक: डॉ. वेद मित्र शुक्ल
प्रकाशक: सर्वभाषा प्रकाशन, दिल्ली व हेल्प फाउंडेशन, बहराइच
मूल्य: 300/- (अजिल्द), 495/- (सजिल्द)