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आग और पानी : बनारस पर एकाग्र गद्य
18/10/2024

आग और पानी : बनारस पर एकाग्र गद्य

जयन्ति ते महाभागा जन-सेवा-परायणाः।जरामृत्युभयं नास्ति येषां कीर्तितनोः क्वचित॥श्रद्धांजलि 🙏🏻 💐
09/10/2024

जयन्ति ते महाभागा जन-सेवा-परायणाः।
जरामृत्युभयं नास्ति येषां कीर्तितनोः क्वचित॥

श्रद्धांजलि 🙏🏻 💐

कविताएं कितना दुख देती हैं;वे अनायास ही उग आती हैं चेतना के पृष्ठ परजैसे बिन बोए अमोला उग आता है किसी घूरे पर!या दीवारों...
24/09/2024

कविताएं कितना दुख देती हैं;

वे अनायास ही उग आती हैं चेतना के पृष्ठ पर
जैसे बिन बोए अमोला उग आता है किसी घूरे पर!
या दीवारों में पीपल और बरगद।

- Rishi Dwivedi

#हिंदीसाहित्य KitaabKaar Hindijagat

क्वणित - किसी वाद्य, घुँघरू या आभूषण आदि की ध्वनि।                     #किताबकार  #हिन्दी  #हिंदीसाहित्य  #आजकाशब्द
23/09/2024

क्वणित - किसी वाद्य, घुँघरू या आभूषण आदि की ध्वनि।
#किताबकार #हिन्दी #हिंदीसाहित्य #आजकाशब्द

क्वणित - किसी वाद्य, घुँघरू या आभूषण आदि की ध्वनि।                     #किताबकार  #हिन्दी  #हिंदीसाहित्य  #आजकाशब्द
29/08/2024

क्वणित - किसी वाद्य, घुँघरू या आभूषण आदि की ध्वनि।
#किताबकार #हिन्दी #हिंदीसाहित्य #आजकाशब्द

अन्योन्याश्रित -  परस्पर निर्भर; एक-दूसरे पर आश्रित; Interdependent.(.संज्ञा पु॰)                     #किताबकार  #हिन्दी...
26/08/2024

अन्योन्याश्रित - परस्पर निर्भर; एक-दूसरे पर आश्रित; Interdependent.(.संज्ञा पु॰)
#किताबकार #हिन्दी #हिंदीसाहित्य #आजकाशब्द

आज का शब्द : निष्पादन - किसी कार्य को पूरा करना; क्रियान्वयन।             #किताबकार  #हिन्दी  #आजकासुविचार  #आजकाशब्द   ...
25/08/2024

आज का शब्द : निष्पादन - किसी कार्य को पूरा करना; क्रियान्वयन।
#किताबकार #हिन्दी #आजकासुविचार #आजकाशब्द #किताब

आज का शब्द : अतिरेक - आधिक्य; आवश्यकता से अधिक होना।             #किताबकार  #हिन्दी  #आजकासुविचार  #आजकाशब्द      #किताब...
24/08/2024

आज का शब्द : अतिरेक - आधिक्य; आवश्यकता से अधिक होना।
#किताबकार #हिन्दी #आजकासुविचार #आजकाशब्द #किताब

यही वह समय था जब बड़े-बड़े खूँख्वार अपराधियों के लिए राजनीति के प्रवेश द्वार पर स्वागत के लिए फूल मालाएँ लेकर खुशी- ख़ुश...
23/08/2024

यही वह समय था जब बड़े-बड़े खूँख्वार अपराधियों के लिए राजनीति के प्रवेश द्वार पर स्वागत के लिए फूल मालाएँ लेकर खुशी- ख़ुशी लोग नज़र आने लगे। राजनीति के अपराधीकरण या अपराध के राजनीतिकरण की यह शुरुआत धमाकेदार थी, उसमें ग्लैमर था, धन- दौलत थी और आधुनिक हथियारों को निहारने का मज़ा भी और जलवा अलग से। इन सियासी माफ़ियाओं की गाड़ियों का क़ाफ़िला जिधर से गुजर जाता, सड़कें अपने आप ख़ाली हो जाया करती थीं।
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वर्चस्व | राजेश पाण्डेय #आजकीकिताब
#किताबकार #वर्चस्व

             #किताबकार  #हिन्दी  #आजकासुविचार  #आजकाशब्द      #किताब
23/08/2024

#किताबकार #हिन्दी #आजकासुविचार #आजकाशब्द #किताब

स्वतंत्रता दिवस की शाम 🇮🇳🎉
15/08/2024

स्वतंत्रता दिवस की शाम 🇮🇳🎉

‘मैं अब वैसा नहीं रह गया हूँ, जैसा तुमने मुझे छोड़ा था। मैं वहीं हूँ, पर उस पगडंडी पर अब डामर की सड़क बिछ गई है। आस-पास ...
13/08/2024

‘मैं अब वैसा नहीं रह गया हूँ, जैसा तुमने मुझे छोड़ा था। मैं वहीं हूँ, पर उस पगडंडी पर अब डामर की सड़क बिछ गई है। आस-पास का सारा हरा स्याह हो गया है। लगातार गिरने का डर बना रहता है, सो मेरी जड़ें निकल आई हैं। पर जहाँ हम मिला करते थे, वे कुछ जगहें अब भी हरी हैं। तेज़ धूप में जब भी उन छायाओं से गुज़रता हूँ तो हिचकी आ जाती है।

क्या तुम कभी प्राग गई हो? अगर जाओ तो वहाँ काफ़्का की क़ब्र पर ज़रूर जाना और वहाँ सुनना उस ख़ामोशी को जो बहुत थककर चूर हो जाने से, गहरी नींद के बाद बिस्तर की सलवटों में रह जाती है। वहाँ सपने नहीं हैं, वहाँ बस एक ठंडी चुप है। तुम उस क़ब्र पर कुछ छोड़ आना। सुना है छूटी हुई चीज़ों की जड़ें उग आती हैं!

तुम्हारे बारे में | मानव कौल

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