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जब प्यार किसी से होता है फिल्म🎥🔥✨1998 में रिलीज़ हुई जब प्यार किसी से होता है एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देश...
06/09/2025

जब प्यार किसी से होता है फिल्म🎥🔥✨

1998 में रिलीज़ हुई जब प्यार किसी से होता है एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन दीपक सरन ने किया था। इसमें मुख्य भूमिका सलमान खान और ट्विंकल खन्ना ने निभाई थी। यह फिल्म 90 के दशक की उन फिल्मों में से है, जिन्होंने प्रेम, जिम्मेदारी और रिश्तों के महत्व को हल्के-फुल्के अंदाज में दर्शाया।

कहानी सूरज (सलमान खान) नामक एक अमीर और नटखट युवक के इर्द-गिर्द घूमती है। सूरज जिंदगी को सिर्फ मौज-मस्ती में जीता है और प्यार व शादी को गंभीरता से नहीं लेता। लेकिन जब उसकी मुलाकात विसालक्ष्मी उर्फ विजया (ट्विंकल खन्ना) से होती है, तो वह पहली बार सच्चे प्रेम का अनुभव करता है। विजया जिम्मेदार और संस्कारी लड़की होती है, जो सूरज को सुधारने की कोशिश करती है।

फिल्म में एक बड़ा मोड़ तब आता है, जब सूरज की जिंदगी में उसका छोटा बेटा अनिकेत (अदित्य नारायण) आ जाता है। दरअसल, सूरज की पुरानी जिंदगी की एक गलती सामने आती है और वह पिता की जिम्मेदारी निभाने के लिए मजबूर हो जाता है। यहाँ से कहानी एक भावनात्मक मोड़ लेती है, क्योंकि विजया सूरज का यह सच जानकर उसे स्वीकार करेगी या नहीं – यही फिल्म की असली कसौटी बन जाती है।

फिल्म का संगीत जतिन-ललित ने दिया था, जिसमें “ओ जाने जाना”, “इस दिल में क्या है” और “पहला पहला प्यार है” जैसे गाने आज भी लोगों की यादों में बसे हुए हैं। इन गानों ने फिल्म की लोकप्रियता को और बढ़ाया।

जब प्यार किसी से होता है ने यह संदेश दिया कि प्यार केवल आकर्षण नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और त्याग भी है। सलमान खान की भावनात्मक और रोमांटिक अदाकारी तथा ट्विंकल खन्ना की मासूमियत ने इस फिल्म को एक यादगार रोमांटिक सफर बना दिया।

सत्ते पे सत्ता फिल्म🎥🔥✨1982 में रिलीज़ हुई सत्ते पे सत्ता बॉलीवुड की एक सुपरहिट फिल्म है, जिसका निर्देशन राज एन. सिप्पी ...
06/09/2025

सत्ते पे सत्ता फिल्म🎥🔥✨

1982 में रिलीज़ हुई सत्ते पे सत्ता बॉलीवुड की एक सुपरहिट फिल्म है, जिसका निर्देशन राज एन. सिप्पी ने किया था। यह फिल्म हॉलीवुड की मशहूर फिल्म सेवन ब्राइड्स फॉर सेवन ब्रदर्स से प्रेरित मानी जाती है, लेकिन भारतीय परिवेश और मसालेदार अंदाज में ढाली गई है।

कहानी सात भाइयों की है, जो एक फार्महाउस पर रहते हैं। सबसे बड़ा भाई रवि आनंद (अमिताभ बच्चन) बाकी भाइयों का सहारा और मार्गदर्शक है। सातों भाई जंगली और असभ्य तरीके से जीते हैं। जब रवि की मुलाकात इंडू (हेमा मालिनी) से होती है और शादी होती है, तब घर का माहौल बदलना शुरू होता है। इंडू सभी भाइयों को सभ्य बनाना चाहती है और धीरे-धीरे उनमें बदलाव भी आता है।

कहानी में एक मोड़ तब आता है जब रवि का हमशक्ल बुरा आदमी बाबू पेश होता है। बाबू को एक धनी लड़की सीमा (रीना रॉय) को मारने का काम सौंपा जाता है। फिल्म का रोमांच यहीं से बढ़ता है, क्योंकि रवि और बाबू आमने-सामने आते हैं और सच्चाई तथा छल के बीच संघर्ष छिड़ जाता है।

फिल्म का संगीत आर. डी. बर्मन ने दिया था, जिसमें “प्यार हमें किस मोड़ पे ले आया”, “मौसम मसतानियों का” और “दिलबर मेरे” जैसे गाने आज भी लोकप्रिय हैं। हास्य, भावनाएँ, एक्शन और संगीत – इन सभी का अद्भुत मेल इस फिल्म को यादगार बनाता है।

सत्ते पे सत्ता ने न केवल अमिताभ बच्चन के डबल रोल को दर्शकों के दिल में बसा दिया, बल्कि सात भाइयों और उनकी अनोखी जीवनशैली को भी मजेदार अंदाज में पेश किया। यह फिल्म आज भी 80 के दशक की क्लासिक एंटरटेनर के रूप में गिनी जाती है।

अजनबी (1974) 🎬🔥✨फिल्म अजनबी 1974 में रिलीज़ हुई थी और इसमें हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार राजेश खन्ना और जीनत अमान मुख्य भूम...
06/09/2025

अजनबी (1974) 🎬🔥✨

फिल्म अजनबी 1974 में रिलीज़ हुई थी और इसमें हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार राजेश खन्ना और जीनत अमान मुख्य भूमिकाओं में नज़र आए। इस फिल्म का निर्देशन शक्ति सामंत ने किया था, जो अपने रोमांटिक और सस्पेंस भरे कथानक के लिए प्रसिद्ध माने जाते हैं। अजनबी एक ऐसी फिल्म है जिसमें प्यार, विश्वास और रिश्तों की गहराई को दिलचस्प अंदाज़ में दिखाया गया है।

कहानी की शुरुआत राजेश खन्ना द्वारा निभाए गए अमर से होती है, जो एक सीधा-सादा और ईमानदार युवक है। उसकी मुलाकात रमा (जीनत अमान) से होती है और दोनों के बीच धीरे-धीरे प्रेम पनपने लगता है। शादी के बाद कहानी में कई अप्रत्याशित मोड़ आते हैं जब अमर पर ऐसे हालात आते हैं जो उसकी ज़िंदगी को बदल देते हैं। फिल्म रिश्तों में शक और विश्वासघात के पहलुओं को भी सामने लाती है।

राजेश खन्ना की अभिनय क्षमता इस फिल्म में पूरी तरह से झलकती है। उन्होंने अपने किरदार की भावनात्मक जटिलताओं को बड़े ही सहज और प्रभावशाली तरीके से निभाया। वहीं, जीनत अमान ने आधुनिक और आत्मनिर्भर नायिका की भूमिका निभाकर दर्शकों का दिल जीता। दोनों की ऑन-स्क्रीन कैमिस्ट्री फिल्म की सबसे बड़ी खासियत है।

फिल्म का संगीत आर. डी. बर्मन ने तैयार किया था, जिसमें कई यादगार गीत शामिल हैं। इनमें “हम दोनों दो प्रेमी” और “बापा रे बापा” जैसे गाने आज भी श्रोताओं को आकर्षित करते हैं। किशोर कुमार और लता मंगेशकर की मधुर आवाज़ ने गीतों को अमर बना दिया।

कुल मिलाकर अजनबी एक मनोरंजक और भावनात्मक फिल्म है जो उस दौर की हिंदी फिल्मों की खूबसूरती और राजेश खन्ना के स्टारडम को उजागर करती है। यह फिल्म आज भी दर्शकों के दिलों में अपनी खास जगह बनाए हुए है।

सागर फिल्म🎥🔥✨सन् 1985 में रिलीज़ हुई सागर एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था। इस फिल्म म...
06/09/2025

सागर फिल्म🎥🔥✨

सन् 1985 में रिलीज़ हुई सागर एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था। इस फिल्म में ऋषि कपूर, कमल हासन और डिंपल कपाड़िया मुख्य भूमिकाओं में नजर आए। यह फिल्म उस दौर की यादगार फिल्मों में से एक मानी जाती है, क्योंकि इसमें रोमांस, भावनाएँ और खूबसूरत संगीत का शानदार मेल देखने को मिलता है।

कहानी तीन प्रमुख पात्रों – राजा (कमल हासन), रवि (ऋषि कपूर) और मोनिका (डिंपल कपाड़िया) के इर्द-गिर्द घूमती है। राजा एक गरीब लेकिन दिल से सच्चा युवक है, जिसे मोनिका से गहरा प्रेम है। दूसरी ओर रवि एक अमीर और पढ़ा-लिखा युवक है, जो मोनिका से प्रभावित होकर उसे अपना जीवनसाथी बनाना चाहता है। मोनिका के दिल में दोनों के लिए अलग-अलग जगह होती है, लेकिन सच्चे प्रेम और बलिदान की कसौटी पर कहानी कई उतार-चढ़ाव से गुजरती है। यह फिल्म दोस्ती, त्याग और प्रेम की गहराई को संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत करती है।

फिल्म का संगीत आर. डी. बर्मन ने तैयार किया, जिसने इसे अविस्मरणीय बना दिया। “सागर किनारे दिल ये पुकारे”, “ओ मारिया” और “जाने दो न” जैसे गाने आज भी संगीत प्रेमियों की पसंद बने हुए हैं। गीतकार जावेद अख्तर के बोल और बर्मन साहब की धुनों ने फिल्म को क्लासिक बना दिया।

अभिनय की दृष्टि से कमल हासन ने अपनी भावनात्मक अदाकारी से गहरी छाप छोड़ी, जबकि ऋषि कपूर का मासूम और रोमांटिक किरदार दर्शकों को बेहद भाया। डिंपल कपाड़िया ने मोनिका के रूप में अपने सौंदर्य और अभिनय से फिल्म को खास बना दिया।

कुल मिलाकर, सागर केवल एक प्रेम कहानी नहीं बल्कि रिश्तों की जटिलता और मानवीय भावनाओं की सच्चाई को दर्शाने वाली फिल्म है। इसने 80 के दशक के सिनेमा को नई ऊँचाई दी और आज भी हिंदी फिल्मों के इतिहास में एक मील का पत्थर मानी जाती है।

गैंगस्टर फिल्म🎬🔥✨सन् 2006 में रिलीज़ हुई गैंगस्टर एक रोमांटिक थ्रिलर फिल्म है, जिसका निर्देशन अनुराग बसु ने किया था। इस ...
06/09/2025

गैंगस्टर फिल्म🎬🔥✨

सन् 2006 में रिलीज़ हुई गैंगस्टर एक रोमांटिक थ्रिलर फिल्म है, जिसका निर्देशन अनुराग बसु ने किया था। इस फिल्म में इमरान हाशमी, शाइनी आहूजा और कंगना रनौत मुख्य भूमिकाओं में नजर आए। खास बात यह है कि गैंगस्टर कंगना रनौत की डेब्यू फिल्म थी, जिसने उन्हें रातों-रात लोकप्रियता दिलाई। फिल्म अपने अनोखे प्लॉट, भावनात्मक गहराई और दमदार संगीत के कारण बेहद चर्चित रही।

कहानी सिमरन (कंगना रनौत) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो दिल से प्यार करने वाली एक युवती है। उसका रिश्ता डेढ़ उर्फ अखबर (शाइनी आहूजा) से होता है, जो एक कुख्यात गैंगस्टर है। सिमरन उसके साथ अपने जीवन को बसाने का सपना देखती है, लेकिन अपराधों और दुश्मनों से घिरे माहौल में उसका रिश्ता टूटने लगता है। इसी दौरान सिमरन की मुलाकात अकरम (इमरान हाशमी) से होती है, जो उसके जीवन में प्यार और सहारा लेकर आता है। सिमरन का दिल दोनों रिश्तों के बीच उलझ जाता है और यहीं से कहानी में भावनात्मक टकराव और रहस्य गहराता जाता है।

फिल्म का संगीत इसकी सबसे बड़ी ताकत है। प्रीतम द्वारा कंपोज़ किए गए गीत – “यादें तुम्हारी जब आती हैं”, “तू ही मेरी शब है”, “भीगी भीगी” और “लम्हे” – आज भी दर्शकों के बीच लोकप्रिय हैं। इन गानों ने फिल्म को एक अलग ऊँचाई दी।

अभिनय की बात करें तो कंगना रनौत ने अपने पहले ही रोल में गहरी छाप छोड़ी। शाइनी आहूजा ने गैंगस्टर के जटिल किरदार को बखूबी निभाया, वहीं इमरान हाशमी ने अपने रोमांटिक अंदाज से दर्शकों का दिल जीत लिया।

कुल मिलाकर, गैंगस्टर सिर्फ एक अपराध पर आधारित फिल्म नहीं, बल्कि प्रेम, धोखे और त्याग की कहानी है। यह फिल्म साबित करती है कि प्यार सबसे कठिन परिस्थितियों में भी इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी और ताकत दोनों हो सकता है।

गंगा जमुना सरस्वती फिल्म 🎥🔥✨सन् 1988 में रिलीज़ हुई गंगा जमुना सरस्वती एक लोकप्रिय हिंदी फिल्म है, जिसका निर्देशन मनमोहन...
06/09/2025

गंगा जमुना सरस्वती फिल्म 🎥🔥✨

सन् 1988 में रिलीज़ हुई गंगा जमुना सरस्वती एक लोकप्रिय हिंदी फिल्म है, जिसका निर्देशन मनमोहन देसाई ने किया था। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, मीनाक्षी शेषाद्रि, जयाप्रदा और अमृता सिंह मुख्य भूमिकाओं में नजर आते हैं। धर्मेंद्र का किरदार भी फिल्म की कहानी को और प्रभावशाली बनाता है। यह फिल्म एक्शन, ड्रामा और भावनाओं से भरपूर है, जिसमें पारिवारिक मूल्यों और रिश्तों की अहमियत को दर्शाया गया है।

कहानी तीन प्रमुख किरदारों – गंगा (अमिताभ बच्चन), जमुना (जयाप्रदा) और सरस्वती (मीनाक्षी शेषाद्रि) के इर्द-गिर्द घूमती है। गंगा एक साहसी और ईमानदार व्यक्ति है जो अन्याय और अत्याचार के खिलाफ लड़ता है। जमुना और सरस्वती के जीवन से उसका गहरा रिश्ता बनता है, लेकिन हालात और दुश्मनों की चालें उनके जीवन को कठिन बना देती हैं। फिल्म में प्रेम, बलिदान और संघर्ष के साथ-साथ भारतीय संस्कृति की झलक भी दिखाई देती है।

संगीतकार लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल ने इस फिल्म के गीतों को संगीतबद्ध किया, जिनमें “हो गया है तुझको तो प्यार सजना” और “गंगा जमुना सरस्वती” जैसे गाने आज भी श्रोताओं को याद आते हैं। गानों की धुनें और बोल फिल्म की भावनात्मक गहराई को और मजबूत करते हैं।

अमिताभ बच्चन का दमदार अभिनय, जयाप्रदा और मीनाक्षी शेषाद्रि का सौंदर्य और अभिनय तथा मनमोहन देसाई की विशिष्ट निर्देशन शैली फिल्म की खासियत रही। फिल्म ने उस दौर में दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया और व्यावसायिक रूप से भी सफलता हासिल की।

कुल मिलाकर, गंगा जमुना सरस्वती एक ऐसी फिल्म है जो दोस्ती, प्रेम और न्याय की लड़ाई को बड़े परदे पर जीवंत करती है। यह फिल्म 80 के दशक की मसाला फिल्मों की झलक पेश करती है और आज भी दर्शकों को अपनी कहानी और संगीत से आकर्षित करती है।

बरसात फिल्म🎬🌨️☔🌦️1995 में रिलीज़ हुई बरसात हिंदी सिनेमा की रोमांटिक-एक्शन फिल्मों में गिनी जाती है। इस फिल्म का निर्देशन...
06/09/2025

बरसात फिल्म🎬🌨️☔🌦️

1995 में रिलीज़ हुई बरसात हिंदी सिनेमा की रोमांटिक-एक्शन फिल्मों में गिनी जाती है। इस फिल्म का निर्देशन राजकुमार संतोषी ने किया और यह बॉबी देओल तथा ट्विंकल खन्ना की डेब्यू फिल्म थी। अपने जमाने में यह फिल्म बड़ी हिट साबित हुई और दोनों कलाकारों को रातों-रात लोकप्रियता मिल गई।

फिल्म की कहानी अजय (बॉबी देओल) और टीना (ट्विंकल खन्ना) के इर्द-गिर्द घूमती है। अजय गाँव से शहर आता है और वहाँ उसे टीना से प्यार हो जाता है। प्यार के इस सफर में अजय को कई कठिनाइयों और विरोधों का सामना करना पड़ता है। खासकर टीना के पिता (रजनीश खन्ना) इस रिश्ते के खिलाफ होते हैं और अजय को अपनी हैसियत साबित करने की चुनौती देते हैं। फिल्म में संघर्ष, प्यार और आत्मसम्मान की कहानी बारीकी से दिखाई गई है।

बरसात के गाने उस समय बेहद लोकप्रिय हुए थे। नादिम-श्रवण के संगीत और कुमार सानू, अल्का याज्ञनिक की आवाज़ में “बरसात के उस मोड़ पे”, “तू मिल जा” और “नजर के सामने” जैसे गाने आज भी सुने जाते हैं। इन गीतों ने फिल्म की रोमांटिक छवि को और गहरा बना दिया।

एक्शन और इमोशनल दृश्यों का संतुलन फिल्म की खासियत रहा। बॉबी देओल की स्क्रीन प्रेज़ेंस और उनका स्टाइल दर्शकों को बहुत पसंद आया। वहीं ट्विंकल खन्ना ने अपनी खूबसूरती और अभिनय से खास छाप छोड़ी।

फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार सफलता हासिल की और 90 के दशक की हिट फिल्मों में अपनी जगह बनाई। यह न केवल दो नए सितारों को बॉलीवुड में स्थापित करने वाली फिल्म थी, बल्कि उस दौर की रोमांटिक-ड्रामा फिल्मों में भी एक अहम कड़ी मानी जाती है।

कुल मिलाकर, बरसात प्यार, संघर्ष और उम्मीद की कहानी है, जिसने दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी और आज भी 90 के दशक की यादगार फिल्मों में गिनी जाती है। 🌧️🎶

बाज़ीगर फिल्म🎬🔥✨1993 में रिलीज़ हुई अब्बास-मस्तान निर्देशित बाज़ीगर हिंदी सिनेमा की एक मील का पत्थर मानी जाती है। इस फिल...
05/09/2025

बाज़ीगर फिल्म🎬🔥✨

1993 में रिलीज़ हुई अब्बास-मस्तान निर्देशित बाज़ीगर हिंदी सिनेमा की एक मील का पत्थर मानी जाती है। इस फिल्म ने शाहरुख़ खान को इंडस्ट्री में अलग पहचान दिलाई और उन्हें एक ऐसे अभिनेता के रूप में स्थापित किया जो नायक के साथ-साथ खलनायक की भूमिका भी बखूबी निभा सकता है। फिल्म में काजोल और शिल्पा शेट्टी ने भी महत्वपूर्ण किरदार निभाए।

कहानी अजय शर्मा (शाहरुख़ खान) की है, जो अपने पिता के साथ हुई धोखाधड़ी और अपमान का बदला लेने के लिए मादन चोपड़ा से टकराता है। अजय दोहरी ज़िंदगी जीता है—कभी वह सीधा-सादा प्रेमी नज़र आता है, तो कभी निर्मम हत्यारा। उसकी चालाकी, मासूमियत और क्रूरता का मिश्रण दर्शकों को सीट से बांधे रखता है। फिल्म की सबसे चर्चित सीन वह है, जिसमें शाहरुख़ काजोल की बहन (शिल्पा शेट्टी) को बिल्डिंग से नीचे गिरा देता है। उस दौर में एक हीरो द्वारा ऐसा खलनायकी कदम उठाना दर्शकों के लिए चौंकाने वाला था।

फिल्म का संगीत भी बेहद लोकप्रिय रहा। अनु मलिक के संगीत और कुमार सानू, अल्का याज्ञनिक की आवाज़ में गाए गाने जैसे "ये काली काली आंखें" और "बाज़ीगर ओ बाज़ीगर" आज भी श्रोताओं की ज़ुबान पर हैं। संगीत ने फिल्म की लोकप्रियता को और बढ़ाया।

बाज़ीगर ने बॉक्स ऑफिस पर बड़ी सफलता हासिल की और यह साबित किया कि दर्शक पारंपरिक हीरो की बजाय जटिल और धुंधली छवि वाले किरदारों को भी स्वीकार सकते हैं। यह फिल्म न केवल शाहरुख़ खान के करियर की दिशा बदलने वाली रही, बल्कि हिंदी सिनेमा में थ्रिलर शैली के लिए भी नई राह खोल गई।

कुल मिलाकर, बाज़ीगर एक रोमांचक, भावनात्मक और संगीतमय फिल्म है जिसने भारतीय सिनेमा को नया मोड़ दिया और आज भी क्लासिक थ्रिलर फिल्मों में गिनी जाती है।

कर्ज़ फिल्म🎥🔥✨सुबाष घई द्वारा निर्देशित कर्ज़ वर्ष 1980 में रिलीज़ हुई एक सुपरहिट म्यूजिकल थ्रिलर फिल्म है। इस फिल्म ने ...
05/09/2025

कर्ज़ फिल्म🎥🔥✨

सुबाष घई द्वारा निर्देशित कर्ज़ वर्ष 1980 में रिलीज़ हुई एक सुपरहिट म्यूजिकल थ्रिलर फिल्म है। इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा को एक नया आयाम दिया। फिल्म में ऋषि कपूर, टीना मुनीम, सिमी ग्रेवाल, राज किरण और प्रेमनाथ मुख्य भूमिकाओं में नजर आए। इसकी कहानी पुनर्जन्म पर आधारित है, जिसे दिलचस्प अंदाज में पर्दे पर उतारा गया।

फिल्म की कहानी रवि वर्मा (राज किरण) से शुरू होती है, जिसकी शादी कामिनी (सिमी ग्रेवाल) से होती है। लेकिन कामिनी केवल उसकी संपत्ति के लालच में उससे विवाह करती है और फिर उसकी हत्या कर देती है। रवि की मौत के बाद उसका पुनर्जन्म मोंटी (ऋषि कपूर) के रूप में होता है, जो एक सफल गायक बनता है। अचानक उसे कुछ अजीब सपने और धुनें परेशान करने लगती हैं। धीरे-धीरे उसे अपने पिछले जन्म की यादें आने लगती हैं और वह समझ जाता है कि उसका एक अधूरा बदला बाकी है। फिल्म की आगे की कहानी मोंटी के बदले और न्याय की खोज पर आधारित है।

फिल्म का संगीत लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल ने दिया था, जिसने इसे क्लासिक बना दिया। “ओम शांति ओम”, “प्यार कर ले”, और “मेरी उमर के नौजवां” जैसे गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं। इन गीतों के माध्यम से फिल्म ने अपार लोकप्रियता हासिल की और म्यूजिकल थ्रिलर फिल्मों की परिभाषा बदल दी।

निर्देशन, अभिनय और संगीत का शानदार संगम कर्ज़ को हिंदी सिनेमा में एक यादगार स्थान दिलाता है। यह फिल्म न केवल रोमांचक थी बल्कि पुनर्जन्म जैसी अवधारणा को बेहद मनोरंजक ढंग से प्रस्तुत करती है। यही कारण है कि कर्ज़ को आज भी बॉलीवुड की क्लासिक फिल्मों में गिना जाता है और इस पर आगे चलकर कई फिल्में भी प्रेरित हुई।

राजा बाबू फिल्म पर लेख (300 शब्दों में)1994 में रिलीज़ हुई राजा बाबू एक सुपरहिट कॉमेडी-ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन ड...
05/09/2025

राजा बाबू फिल्म पर लेख (300 शब्दों में)

1994 में रिलीज़ हुई राजा बाबू एक सुपरहिट कॉमेडी-ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन डेविड धवन ने किया था। इस फिल्म में गोविंदा और करिश्मा कपूर मुख्य भूमिकाओं में थे, जबकि शक्तिशाली सहायक किरदारों में कादर खान, शक्ति कपूर, अरुणा ईरानी और प्रेम चोपड़ा शामिल थे। फिल्म ने 90 के दशक में गोविंदा की लोकप्रियता को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया।

कहानी एक गांव में पले-बढ़े भोले लेकिन मज़ाकिया स्वभाव के युवक राजा बाबू (गोविंदा) की है। वह अनपढ़ है लेकिन दिल का बहुत अच्छा है। उसके माता-पिता (कादर खान और अरुणा ईरानी) चाहते हैं कि वह पढ़-लिखकर समाज में इज्ज़त पाए। राजा बाबू की ज़िंदगी में मोड़ तब आता है जब वह एक शिक्षित और आधुनिक सोच वाली लड़की माधुरी (करिश्मा कपूर) से प्यार कर बैठता है।

माधुरी को शुरू में राजा बाबू का देहाती और अनपढ़ स्वभाव पसंद नहीं आता, लेकिन धीरे-धीरे उसे उसके सच्चे दिल और मासूमियत से लगाव हो जाता है। फिल्म में हास्य और भावनाओं का संतुलन बखूबी दिखाया गया है। साथ ही यह संदेश भी दिया गया है कि इंसान की असली पहचान उसके दिल और कर्म से होती है, न कि सिर्फ पढ़ाई-लिखाई या शहरी दिखावे से।

फिल्म का संगीत आनंद-मिलिंद ने तैयार किया था। “सरकाई लो खटिया जरा लागे”, “तू तू तारा”, “दिल दीवाना दिल तोड़े” जैसे गाने उस दौर के चार्टबस्टर साबित हुए। गोविंदा और करिश्मा की जोड़ी ने अपनी ऊर्जा और डांस से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

राजा बाबू अपनी कॉमिक टाइमिंग, मजेदार संवादों और दिल को छू लेने वाली कहानी के कारण आज भी याद की जाती है। यह फिल्म न केवल हंसी-मज़ाक से भरपूर है, बल्कि रिश्तों और सच्चे प्रेम के महत्व को भी दर्शाती है।

जान तेरे नाम फिल्म🎥🔥✨1992 में रिलीज़ हुई जान तेरे नाम एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन दीपक बलराज विज ने किया...
05/09/2025

जान तेरे नाम फिल्म🎥🔥✨

1992 में रिलीज़ हुई जान तेरे नाम एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन दीपक बलराज विज ने किया था। यह फिल्म 90 के दशक के उन युवाओं की कहानियों में से है, जिनमें कॉलेज रोमांस, दोस्ती और त्याग की भावना को बड़े ही सादगीपूर्ण ढंग से प्रस्तुत किया गया। फिल्म के मुख्य कलाकार फरदीन खान नहीं बल्कि रोनित रॉय और विजयता पंडित थे, जिन्होंने अपनी अभिनय प्रतिभा से इस फिल्म को यादगार बनाया।

कहानी दो युवाओं की है—सुनील (रोनित रॉय) और अजय (फरदीन डांडा), जो एक ही लड़की करिश्मा (विजयता पंडित) से प्यार करने लगते हैं। कॉलेज का माहौल, युवा दिलों की भावनाएँ और प्रेम का संघर्ष कहानी को दिलचस्प बनाते हैं। सुनील का किरदार आक्रामक लेकिन दिल से सच्चा है, वहीं अजय का किरदार संवेदनशील और त्याग की भावना से भरा हुआ दिखाया गया है। इस त्रिकोणीय प्रेम कहानी में अंततः त्याग, दोस्ती और सच्चे प्रेम की जीत होती है।

फिल्म का संगीत नदीम–श्रवण ने दिया था, जो इसकी सबसे बड़ी ताक़त साबित हुआ। “जब कोई बात बिगड़ जाए” और “फिर तेरी कहानी याद आई” जैसे गाने आज भी श्रोताओं को रोमांचित करते हैं। इन गीतों ने फिल्म को अमर बना दिया और दर्शकों के दिलों में गहरी छाप छोड़ी।

निर्देशन और अभिनय के साथ-साथ फिल्म की भावनात्मक गहराई ने इसे 90 के दशक की यादगार फिल्मों में शामिल किया। यह फिल्म युवाओं के लिए प्रेम और दोस्ती की एक सीख भी देती है कि सच्चा प्यार हमेशा त्याग और विश्वास पर टिका होता है।

इस तरह जान तेरे नाम एक ऐसी फिल्म है जिसने संगीत और संवेदनशील कहानी के माध्यम से दर्शकों को भावुक किया और आज भी यह युवाओं के दिलों में अपनी खास जगह बनाए हुए है।

कभी कभी (1976) फिल्म🎥🔥✨यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित कभी कभी 1976 की एक क्लासिक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जो प्रेम, बिछड़न ...
05/09/2025

कभी कभी (1976) फिल्म🎥🔥✨

यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित कभी कभी 1976 की एक क्लासिक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जो प्रेम, बिछड़न और रिश्तों की जटिलताओं को बेहद संवेदनशीलता से प्रस्तुत करती है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन, राखी, शशि कपूर, वहीदा रहमान, ऋषि कपूर और नीतू सिंह ने प्रमुख भूमिकाएँ निभाई हैं।

फिल्म की कहानी अमित (अमिताभ बच्चन) और पूजा (राखी) के अधूरे प्रेम के इर्द-गिर्द घूमती है। दोनों कॉलेज के दिनों में एक-दूसरे से गहरा प्रेम करते हैं, लेकिन परिस्थितियोंवश पूजा की शादी विजय (शशि कपूर) से हो जाती है। अमित भी अंजलि (वहीदा रहमान) से विवाह कर लेते हैं। वर्षों बाद, उनके बच्चों विक्रम (ऋषि कपूर) और पिंकी (नीतू सिंह) की मुलाकात होती है और वे भी प्रेम में पड़ जाते हैं। इस प्रकार पुरानी पीढ़ी का अधूरा प्यार नई पीढ़ी के प्रेम से जुड़ जाता है, जिससे रिश्तों की भावनात्मक गुत्थियाँ खुलती हैं।

फिल्म का संगीत खय्याम ने दिया है और इसके गीत साहिर लुधियानवी ने लिखे हैं। “कभी कभी मेरे दिल में खयाल आता है” और “मैं पल दो पल का शायर हूँ” जैसे गीत आज भी अमर हैं और हिंदी सिनेमा की शायरी को नई ऊँचाई देते हैं। इन गीतों में प्रेम की कोमलता और जीवन की सच्चाई दोनों ही खूबसूरती से झलकते हैं।

यश चोपड़ा की यह फिल्म केवल प्रेम कथा ही नहीं बल्कि त्याग, जिम्मेदारी और समय की विडंबनाओं को भी गहराई से दर्शाती है। कलाकारों का अभिनय बेहद प्रभावशाली है, विशेषकर अमिताभ बच्चन और राखी का भावपूर्ण अभिनय दर्शकों के दिल को छू जाता है।

संक्षेप में, कभी कभी एक संवेदनशील और भावनाओं से भरी फिल्म है, जो अपने काव्यात्मक गीतों, गहरी कहानी और उत्कृष्ट अभिनय के कारण आज भी दर्शकों की पसंदीदा बनी हुई है। यह फिल्म हिंदी सिनेमा में प्रेम गाथाओं की कालजयी कृति मानी जाती है।

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