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सिंह इज़ किंग फिल्म 🎥🔥✨2008 में रिलीज़ हुई सिंह इज़ किंग एक मनोरंजक बॉलीवुड फिल्म है, जिसका निर्देशन अनीस बज्मी ने किया ...
30/09/2025

सिंह इज़ किंग फिल्म 🎥🔥✨

2008 में रिलीज़ हुई सिंह इज़ किंग एक मनोरंजक बॉलीवुड फिल्म है, जिसका निर्देशन अनीस बज्मी ने किया था। इस फिल्म में अक्षय कुमार और कैटरीना कैफ मुख्य भूमिकाओं में नज़र आए, जबकि सोनू सूद और किर्बान कौर सहायक किरदारों में थे। यह फिल्म कॉमेडी, एक्शन और रोमांस का बेहतरीन मेल है, जिसने दर्शकों के बीच खूब लोकप्रियता हासिल की।

कहानी है हैप्पी सिंह (अक्षय कुमार) की, जो पंजाब के एक गाँव का सीधा-सादा और नेकदिल इंसान है। हालांकि, उसकी भलमनसाहत कई बार मुसीबत खड़ी कर देती है। गाँव वाले उसे मिस्र भेजते हैं ताकि वह गाँव के एक पुराने निवासी लक्ष्मण सिंह उर्फ़ लकी (सोनू सूद) को वापस ला सके, जो अब एक बड़ा गैंगस्टर बन चुका है। घटनाओं की श्रृंखला में, हैप्पी खुद ही "किंग" यानी गैंग का मुखिया बन जाता है।

हालाँकि, हैप्पी का दिल साफ़ होता है। वह गैंगस्टर की दुनिया में भी अच्छाई फैलाने लगता है और सबको सही रास्ते पर लाने की कोशिश करता है। इसी दौरान उसकी मुलाकात सोनिया (कैटरीना कैफ) से होती है और दोनों के बीच प्रेम कहानी जन्म लेती है। लेकिन सोनिया की शादी किसी और से तय हो चुकी होती है, जिससे कहानी और भी दिलचस्प हो जाती है।

फिल्म के गाने इसकी सबसे बड़ी ताकत साबित हुए। "तेरा ओर" (श्रेया घोषाल और राहत फतेह अली खान की आवाज़ में) आज भी रोमांटिक गीतों की सूची में खास स्थान रखता है। इसके अलावा "सिंह इज़ किंग" और "जीतने के लिए" जैसे गाने युवाओं के बीच लोकप्रिय हुए।

फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार सफलता पाई और अक्षय कुमार के करियर को नई ऊँचाई दी। उनकी कॉमिक टाइमिंग, एक्शन और मासूमियत से भरा किरदार दर्शकों के दिल में बस गया। सिंह इज़ किंग आज भी मनोरंजन और सकारात्मक संदेश देने वाली हल्की-फुल्की फिल्मों में गिनी जाती है।

जीत फिल्म🎥🔥✨1996 में रिलीज़ हुई जीत बॉलीवुड की एक सफल और यादगार फिल्म है, जिसका निर्देशन राज कंवर ने किया था। इस फिल्म म...
30/09/2025

जीत फिल्म🎥🔥✨

1996 में रिलीज़ हुई जीत बॉलीवुड की एक सफल और यादगार फिल्म है, जिसका निर्देशन राज कंवर ने किया था। इस फिल्म में सनी देओल, सलमान खान और करिश्मा कपूर मुख्य भूमिकाओं में नजर आए थे। फिल्म एक्शन, रोमांस और भावनाओं का बेहतरीन मिश्रण है, जिसने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।

कहानी की शुरुआत करण (सनी देओल) से होती है, जो एक शातिर अपराधी है और जिसके जीवन का मकसद केवल पैसा और ताकत है। लेकिन जब वह काजल (करिश्मा कपूर) से मिलता है, तो उसकी जिंदगी बदल जाती है। करण पहली बार सच्चे प्यार की भावना को महसूस करता है और अपराधों की दुनिया छोड़ने का निर्णय लेता है। लेकिन किस्मत उसे एक अलग मोड़ पर ले आती है।

काजल की शादी राजू (सलमान खान) से हो जाती है, जो एक नेकदिल और मासूम इंसान है। राजू और काजल की शादीशुदा जिंदगी में अचानक करण की वापसी से जटिलताएँ पैदा हो जाती हैं। करण अपने प्यार और त्याग के बीच फँस जाता है। फिल्म का चरमोत्कर्ष बेहद भावुक और एक्शन से भरपूर है, जहाँ बलिदान और सच्चे प्यार की ताकत को दर्शाया गया है।

फिल्म के गाने भी इसकी बड़ी सफलता का कारण बने। "यारा ओ यारा", "गोविंदा आला रे" और "सांवरिया सांवरिया" जैसे गीतों ने 90 के दशक में जबरदस्त लोकप्रियता पाई। नदीम-श्रवण के संगीत ने फिल्म को सुपरहिट बना दिया।

जीत ने बॉक्स ऑफिस पर शानदार प्रदर्शन किया और इसे 90 के दशक की सफल फिल्मों में गिना जाता है। सनी देओल का एक्शन, सलमान खान का मासूम किरदार और करिश्मा कपूर की भावुक अदाकारी फिल्म की जान थे। यह फिल्म आज भी दर्शकों को रोमांच और भावनाओं की अनोखी यात्रा पर ले जाती है।

सच्चा झूठा फिल्म🎥🔥✨सन् 1970 में रिलीज़ हुई फिल्म सच्चा झूठा हिंदी सिनेमा की सुपरहिट फिल्मों में से एक है। इसका निर्देशन ...
29/09/2025

सच्चा झूठा फिल्म🎥🔥✨

सन् 1970 में रिलीज़ हुई फिल्म सच्चा झूठा हिंदी सिनेमा की सुपरहिट फिल्मों में से एक है। इसका निर्देशन मणि भट्ट ने किया था और इसमें राजेश खन्ना, मुमताज़ तथा विनोद खन्ना मुख्य भूमिकाओं में नजर आए। यह फिल्म अपने समय की सबसे ज्यादा कमाई करने वाली फिल्मों में शामिल हुई और राजेश खन्ना के करियर को नई ऊँचाई देने में भी अहम साबित हुई।

फिल्म की कहानी में दो किरदार हैं – भोला और रोहन। भोला (राजेश खन्ना) एक भोला-भाला, सीधा-सादा गाँव का लड़का है जो अपनी माँ और बहन के साथ साधारण जीवन जीता है। दूसरी ओर रोहन (राजेश खन्ना का डबल रोल) एक अंतरराष्ट्रीय चोर है जो बड़े-बड़े अपराधों को अंजाम देता है। दोनों एक-दूसरे की तरह बिल्कुल दिखते हैं और इसी समानता के कारण फिल्म की कहानी आगे बढ़ती है।

पुलिस इंस्पेक्टर शेर सिंह (विनोद खन्ना) रोहन को पकड़ने की कोशिश में भोले को अपराधी समझकर गिरफ्तार कर लेता है। भोले की मासूमियत और रोहन की चालाकी के बीच फिल्म में कई दिलचस्प घटनाएँ होती हैं। इस बीच भोले और रिता (मुमताज़) के बीच एक प्यारी प्रेम कहानी भी चलती है, जो फिल्म को रोमांटिक रंग देती है।

फिल्म का संगीत कल्याणजी-आनंदजी ने दिया था, जिसने इसे और भी लोकप्रिय बना दिया। “मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया” और “कहो जी तुम क्या क्या खरीदोगे” जैसे गीत आज भी लोगों की जुबान पर हैं। गीत-संगीत, एक्शन और कॉमेडी का ऐसा बेहतरीन मिश्रण उस दौर में कम ही फिल्मों में देखने को मिला था।

कुल मिलाकर, सच्चा झूठा मनोरंजन से भरपूर फिल्म है, जिसमें सस्पेंस, एक्शन, कॉमेडी और रोमांस का अनोखा संगम है। राजेश खन्ना के डबल रोल और मुमताज़ की खूबसूरती ने इसे दर्शकों के लिए यादगार बना दिया। यही कारण है कि यह फिल्म आज भी क्लासिक मानी जाती है और भारतीय सिनेमा के स्वर्णिम युग की निशानी है।

गुप्त फिल्म 🎥🔥✨सन् 1997 में रिलीज़ हुई फिल्म गुप्त: द हिडन ट्रुथ हिंदी सिनेमा की सबसे लोकप्रिय और यादगार थ्रिलर फिल्मों ...
29/09/2025

गुप्त फिल्म 🎥🔥✨

सन् 1997 में रिलीज़ हुई फिल्म गुप्त: द हिडन ट्रुथ हिंदी सिनेमा की सबसे लोकप्रिय और यादगार थ्रिलर फिल्मों में गिनी जाती है। राजीव राय के निर्देशन में बनी इस फिल्म में बॉबी देओल, काजोल और मनीषा कोइराला मुख्य भूमिकाओं में थे। इसकी कहानी, संगीत और सबसे बढ़कर इसका अप्रत्याशित क्लाइमैक्स दर्शकों को खूब पसंद आया।

फिल्म की कहानी साहिल सिन्हा (बॉबी देओल) से शुरू होती है, जिसे अपनी सौतेली माँ (प्रियदर्शनी) से गहरी नाराज़गी होती है। साहिल का दिल ईशा (काजोल) पर आता है, जबकि दूसरी ओर शीतल (मनीषा कोइराला) भी उससे प्यार करती है। कहानी तब मोड़ लेती है जब साहिल के पिता, जो एक बड़े और सख्त इंसान होते हैं, की हत्या हो जाती है। शक साहिल पर जाता है और उसे जेल भेज दिया जाता है। इसके बाद फिल्म रहस्य और सस्पेंस से भर जाती है, क्योंकि असली हत्यारा कौन है, इसका पता लगाना ही मुख्य कथानक बनता है।

फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण इसका क्लाइमेक्स है, जहाँ असली कातिल के रूप में ईशा (काजोल) सामने आती है। यह खुलासा दर्शकों को चौंका देता है और यही ट्विस्ट फिल्म को सुपरहिट बनाने में अहम साबित हुआ। काजोल ने इस निगेटिव किरदार को गहराई और जुनून से निभाकर दर्शकों का दिल जीत लिया और उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट विलेन अवार्ड भी मिला।

इसके अलावा, फिल्म का संगीत भी बेहद लोकप्रिय रहा। वीदू शाह की धुनों में "मुस्कुराने की वजह तुम हो", "ढोल बाजे", और "फौजी बाँसुरी" जैसे गाने चार्टबस्टर साबित हुए। एक्शन, रोमांस, सस्पेंस और संगीत का अनोखा मिश्रण इस फिल्म को 90 के दशक की बेहतरीन फिल्मों में शामिल करता है।

कुल मिलाकर, गुप्त एक ऐसी फिल्म है जिसने बॉलीवुड में थ्रिलर जॉनर को नई ऊँचाइयाँ दीं और दर्शकों को यह याद दिलाया कि रहस्य और रोमांच भी मनोरंजन का बड़ा हिस्सा हो सकता है।

29/09/2025

सही जवाब बताओ

सिटी लाइट्स फिल्म🎥🔥✨सिटी लाइट्स वर्ष 2014 में रिलीज़ हुई एक भावनात्मक और यथार्थवादी फिल्म है, जिसका निर्देशन हंसल मेहता ...
26/09/2025

सिटी लाइट्स फिल्म🎥🔥✨

सिटी लाइट्स वर्ष 2014 में रिलीज़ हुई एक भावनात्मक और यथार्थवादी फिल्म है, जिसका निर्देशन हंसल मेहता ने किया है। यह फिल्म समाज में गरीब और मजबूर लोगों की स्थिति को बड़ी ही मार्मिकता से प्रस्तुत करती है। फिल्म में राजकुमार राव और पत्रलेखा मुख्य भूमिकाओं में नजर आते हैं। दोनों का अभिनय इतना सशक्त है कि दर्शक उनके दर्द और संघर्ष से आसानी से जुड़ जाते हैं।

कहानी दीपक (राजकुमार राव) और उसकी पत्नी रुखसाना (पत्रलेखा) की है, जो राजस्थान के एक छोटे से गाँव से अपने बेहतर भविष्य की तलाश में मुंबई आते हैं। लेकिन सपनों के इस बड़े शहर में उन्हें केवल कठिनाइयाँ, धोखे और संघर्ष का सामना करना पड़ता है। गाँव से आई मासूमियत और सादगी मुंबई जैसे बड़े शहर की बेरहम जिंदगी में टूट जाती है। दीपक नौकरी की तलाश में मेहनत करता है, वहीं रुखसाना भी अपने परिवार का पेट पालने के लिए हर कठिनाई झेलती है।

फिल्म का संगीत भी इसकी आत्मा है, जिसमें “मुस्कान झूठी है” जैसे गाने दर्शकों के दिल को गहराई से छू लेते हैं। इसके अलावा फिल्म की सिनेमाटोग्राफी और निर्देशन यथार्थ को परदे पर बेहद खूबसूरती से दिखाते हैं।

सिटी लाइट्स केवल एक प्रेम कहानी नहीं, बल्कि यह उन सपनों और सच्चाइयों की दास्तान है, जिनसे रोज़ाना हजारों लोग मुंबई जैसे महानगरों में गुजरते हैं। यह फिल्म दर्शाती है कि गरीबी और मजबूरी इंसान को किस हद तक झुकने पर मजबूर कर देती है।

कुल मिलाकर, सिटी लाइट्स एक संवेदनशील फिल्म है, जो समाज के हाशिये पर खड़े लोगों की कठिनाइयों को सच्चाई से सामने लाती है। यह फिल्म दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है कि बेहतर जीवन की तलाश में लोग कितना कुछ खो देते हैं।

न्यूयॉर्क फिल्म🎥🔥✨न्यूयॉर्क एक रोमांटिक-थ्रिलर फिल्म है, जो वर्ष 2009 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म का निर्देशन कबीर खान न...
26/09/2025

न्यूयॉर्क फिल्म🎥🔥✨

न्यूयॉर्क एक रोमांटिक-थ्रिलर फिल्म है, जो वर्ष 2009 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म का निर्देशन कबीर खान ने किया था और इसे आदित्य चोपड़ा ने प्रोड्यूस किया। फिल्म में जॉन अब्राहम, कैटरीना कैफ, नील नितिन मुकेश और इरफान खान मुख्य भूमिकाओं में नज़र आए थे। यह फिल्म दोस्ती, प्यार और 9/11 हमले के बाद बदलती दुनिया की हकीकत को बड़े संवेदनशील ढंग से प्रस्तुत करती है।

फिल्म की कहानी तीन दोस्तों—समीर (जॉन अब्राहम), माया (कैटरीना कैफ) और उमर (नील नितिन मुकेश) के इर्द-गिर्द घूमती है। ये तीनों न्यूयॉर्क में मिलते हैं और एक-दूसरे के बहुत करीब आ जाते हैं। उमर माया से प्यार करता है, लेकिन माया समीर को चाहती है। समय बीतने के साथ सब कुछ सामान्य लगता है, लेकिन 9/11 की घटना के बाद समीर की जिंदगी बदल जाती है। अमेरिकी एजेंसियां उसे आतंकवाद के शक में गिरफ्तार कर लेती हैं और उसके साथ अमानवीय व्यवहार करती हैं। यह अनुभव उसे कट्टरपंथ की ओर धकेल देता है।

कहानी में ट्विस्ट तब आता है जब एफबीआई एजेंट (इरफान खान) उमर को यह जिम्मेदारी देता है कि वह समीर की गतिविधियों पर नज़र रखे और उसे रोकने की कोशिश करे। दोस्ती, मोहब्बत और वफादारी के बीच उमर एक कठिन स्थिति में फँस जाता है।

फिल्म का संगीत प्रीतम ने दिया था, जिसमें "जुनून" और "मेरे संग" जैसे गाने काफी लोकप्रिय हुए। कहानी के साथ-साथ संगीत और अभिनय ने भी दर्शकों पर गहरा असर छोड़ा। जॉन अब्राहम और नील नितिन मुकेश की अदाकारी को खूब सराहा गया, वहीं कैटरीना कैफ ने भी भावुक किरदार को बखूबी निभाया।

न्यूयॉर्क न सिर्फ एक मनोरंजन फिल्म है बल्कि यह समाज और राजनीति पर गंभीर सवाल भी उठाती है। यह दोस्ती और इंसानियत की उस कीमत को दर्शाती है, जो परिस्थितियों के चलते बदलती दुनिया में चुकानी पड़ती है।

फूल और कांटे फिल्म🎥🔥✨फूल और कांटे 1991 में रिलीज़ हुई एक हिंदी रोमांटिक-एक्शन फिल्म है, जिसने अजय देवगन को बॉलीवुड में ए...
26/09/2025

फूल और कांटे फिल्म🎥🔥✨

फूल और कांटे 1991 में रिलीज़ हुई एक हिंदी रोमांटिक-एक्शन फिल्म है, जिसने अजय देवगन को बॉलीवुड में एक सुपरस्टार के रूप में स्थापित किया। यह फिल्म अपने अलग अंदाज़ और दमदार प्रस्तुति के लिए जानी जाती है। फिल्म का निर्देशन कुक्कू कोहली ने किया था और यह अजय देवगन की डेब्यू फिल्म थी। इसमें अजय देवगन के साथ अभिनेत्री मधु प्रमुख भूमिका में थीं, जबकि अमरीश पुरी, जगदीप और अरुणा ईरानी जैसे कलाकारों ने सहायक भूमिकाएँ निभाई थीं।

फिल्म की कहानी अजय नामक युवक के इर्द-गिर्द घूमती है, जो पढ़ाई में होशियार और सादगी पसंद इंसान है। वह मधु (मधु) से प्यार करता है और दोनों विवाह करना चाहते हैं। लेकिन मधु के पिता (अमरीश पुरी), जो कि एक प्रभावशाली और अपराध से जुड़े व्यक्ति हैं, इस रिश्ते के खिलाफ होते हैं। कहानी में पारिवारिक मान-सम्मान, प्रेम और अच्छाई-बुराई के बीच संघर्ष को दिखाया गया है। अजय को अपने प्रेम और परिवार के लिए कठिन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

इस फिल्म की सबसे बड़ी खासियत अजय देवगन की एंट्री सीन है। उन्होंने दो मोटरसाइकिलों पर खड़े होकर जबरदस्त स्टंट किया था, जो आज भी यादगार है। इसी एक्शन ने उन्हें तुरंत दर्शकों के बीच लोकप्रिय बना दिया। फिल्म का संगीत भी बेहद सफल रहा। "धीरे-धीरे प्यार को बढ़ाना है", "ओ प्रिय मेरे" और "मेनू तेरा शेर बना दे" जैसे गाने सुपरहिट हुए और आज भी लोगों को पसंद आते हैं।

फूल और कांटे बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई और अजय देवगन को फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ नवोदित अभिनेता का पुरस्कार मिला। इस फिल्म ने न सिर्फ अजय देवगन का करियर बनाया बल्कि 90 के दशक की रोमांटिक-एक्शन फिल्मों को एक नई पहचान दी। आज भी यह फिल्म हिंदी सिनेमा के यादगार पन्नों में दर्ज है।

रूप की रानी चोरों का राजा🎥🔥✨रूप की रानी चोरों का राजा वर्ष 1993 में रिलीज़ हुई एक हिंदी फिल्म है, जिसे सुभाष घई ने निर्द...
26/09/2025

रूप की रानी चोरों का राजा🎥🔥✨

रूप की रानी चोरों का राजा वर्ष 1993 में रिलीज़ हुई एक हिंदी फिल्म है, जिसे सुभाष घई ने निर्देशित और निर्मित किया था। यह फिल्म उस समय की सबसे महंगी बॉलीवुड फिल्मों में से एक थी और इसके भव्य सेट, शानदार लोकेशन और दमदार स्टारकास्ट की वजह से काफी चर्चा में रही। फिल्म में अनिल कपूर और श्रीदेवी मुख्य भूमिकाओं में थे, जबकि अनुपम खेर, जॉनी लीवर और अन्य कलाकारों ने भी महत्वपूर्ण किरदार निभाए।

कहानी एक्शन, रोमांस और रहस्य का मिश्रण है। अनिल कपूर ने एक चोर की भूमिका निभाई है, जो बेहद होशियार और चतुर है। वहीं श्रीदेवी का किरदार एक राजकुमारी जैसी खूबसूरत और मासूम लड़की का है। दोनों की मुलाकात और फिर धीरे-धीरे पनपने वाला प्यार कहानी को रोचक मोड़ देता है। लेकिन जैसे-जैसे कथानक आगे बढ़ता है, इसमें रहस्य, षड्यंत्र और एक्शन की परतें खुलती जाती हैं।

फिल्म की सबसे खास बात इसका संगीत और भव्यता रही। लक्ष्मीकांत–प्यारेलाल ने इसका संगीत तैयार किया था और “धक-धक करने लगा” जैसा सुपरहिट गीत इसी फिल्म से जुड़ा है, जिसे आज भी लोग पसंद करते हैं। इस गाने ने न सिर्फ फिल्म को लोकप्रिय बनाया बल्कि श्रीदेवी की अदाओं और माधुरी दीक्षित की याद दिलाने वाले अंदाज़ को भी चर्चाओं में रखा।

हालांकि फिल्म का बजट बहुत बड़ा था और इससे दर्शकों को काफी उम्मीदें थीं, लेकिन रिलीज़ के बाद यह बॉक्स ऑफिस पर खास सफलता नहीं पा सकी। भव्य सेट, शानदार गानों और बड़े सितारों के बावजूद कहानी दर्शकों को उतना प्रभावित नहीं कर पाई।

फिर भी, रूप की रानी चोरों का राजा को हिंदी सिनेमा में उसकी भव्यता और संगीत के लिए याद किया जाता है। यह फिल्म बॉलीवुड के उन प्रयोगों में गिनी जाती है, जहाँ बड़े पैमाने पर बनाई गई फिल्म दर्शकों से वैसी प्रतिक्रिया हासिल नहीं कर पाई, जैसी उम्मीद की गई थी।

खुशी फिल्म🎥🔥✨साल 2003 में रिलीज़ हुई “खुशी” एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन एस. जे. सूर्या ने किया था। इस फि...
25/09/2025

खुशी फिल्म🎥🔥✨

साल 2003 में रिलीज़ हुई “खुशी” एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन एस. जे. सूर्या ने किया था। इस फिल्म में करीना कपूर और फर्हदीन खान मुख्य भूमिकाओं में हैं। यह फिल्म युवाओं के जीवन, उनके सपनों और रिश्तों की जटिलताओं को दर्शाती है।

कहानी की शुरुआत होती है खुशी (करीना कपूर) और करण (फर्हदीन खान) से, जो दो बिल्कुल अलग स्वभाव के इंसान हैं। दोनों की मुलाकात संयोगवश होती है और धीरे-धीरे उनके बीच एक अनोखी दोस्ती पनपने लगती है। फिल्म में कॉलेज जीवन, दोस्ती और प्रेम के कई रंग देखने को मिलते हैं। खुशी और करण के बीच तकरार और प्यार की अनोखी chemistry दर्शकों को आकर्षित करती है।

फिल्म का संगीत अनु मलिक ने दिया है, जिसके गाने उस समय काफी लोकप्रिय हुए थे। “जाने कौन है तू” और “दिल में है कुछ” जैसे गीतों ने युवाओं के बीच खास जगह बनाई। गानों और नृत्य की प्रस्तुति फिल्म को और भी जीवंत बनाती है।

करीना कपूर ने ‘खुशी’ के किरदार में बेबाक और आत्मविश्वासी लड़की का शानदार अभिनय किया, वहीं फर्हदीन खान ने अपने मासूम और सादगी भरे अभिनय से दर्शकों का दिल जीता। सहायक कलाकारों ने भी कहानी को मजबूती प्रदान की।

यह फिल्म प्रेम और दोस्ती के बीच की महीन रेखा को दिखाती है। कभी यह हल्की-फुल्की कॉमेडी का अहसास कराती है तो कभी भावनाओं से भर देती है। भले ही फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर बहुत बड़ी सफलता नहीं मिली, लेकिन इसमें युवा पीढ़ी की भावनाओं और रिश्तों की जटिलताओं को बड़े ही खूबसूरत अंदाज़ में पेश किया गया है।

कुल मिलाकर, “खुशी” एक ऐसी फिल्म है जो प्यार, दोस्ती और जीवन के उतार-चढ़ाव को मनोरंजक ढंग से दर्शाती है और दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है कि रिश्तों की असली अहमियत क्या होती है।

25/09/2025

दिमाग है तो बताओ

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