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02/12/2025

किसान आंदोलन के पांच साल पर फॉलो अप स्टोरीज की ताजा रिपोर्ट यहां से साभार न्यूजलॉन्ड्री हिंदी पर प्रकाशित

फिलहाल बड़े जन आंदोलनों से तकरीबन खाली हो चुके इस समाज में पांच साल पहले घटे एक व्‍यापक आंदोलन को कैसे याद रखा जाए, कैसे...
25/11/2025

फिलहाल बड़े जन आंदोलनों से तकरीबन खाली हो चुके इस समाज में पांच साल पहले घटे एक व्‍यापक आंदोलन को कैसे याद रखा जाए, कैसे समझा जाए और आगे उस समझ का क्‍या किया जाए, यह सवाल अहम है। किसान आंदोलन पर कुछ किताबें हैं, दस्‍तावेज हैं और पत्रिकाएं भी, जो इस काम को आसान बना सकती हैं। बीते पांच बरस में छपी ऐसी पांच चुनिंदा किताबों का जिक्र कर रहे हैं अभिषेक श्रीवास्‍तव

https://followupstories.com/politics/five-books-that-record-the-history-of-feat-and-fate-of-farmers/

स्‍वतंत्र भारत के इतिहास में उसकी राजधानी की चौहद्दी पर सबसे लंबे समय तक चले किसान आंदोलन को अब पांच साल पूरे हो गए हैं।...
25/11/2025

स्‍वतंत्र भारत के इतिहास में उसकी राजधानी की चौहद्दी पर सबसे लंबे समय तक चले किसान आंदोलन को अब पांच साल पूरे हो गए हैं। आजकल पांच साल में स्‍मृतियां धुंधली पड़ जाती हैं। नई घटनाएं तो दिमाग पर तारी हो ही जाती हैं, ऊपर से अतीत को बदलने की कोशिशें भी हो रही हैं। फिलहाल बड़े जन आंदोलनों से तकरीबन खाली हो चुके इस समाज में पांच साल पहले घटे एक व्‍यापक आंदोलन को कैसे याद रखा जाए, कैसे समझा जाए और आगे उस समझ का क्‍या किया जाए, यह सवाल अहम है। किसान आंदोलन पर कुछ किताबें हैं, दस्‍तावेज हैं और पत्रिकाएं भी, जो इस काम को आसान बना सकती हैं। बीते पांच बरस में छपी ऐसी पांच चुनिंदा किताबों का जिक्र कर रहे हैं अभिषेक श्रीवास्‍तव

जो पीढ़ी अब मतदाता बनने के कगार पर है लेकिन आज से पांच साल पहले किशोर थी, उसे हम किसान आंदोलन की कहानियां कैसे सुनाए.....

भारतीय राजनीति के पारंपरिक अखाड़े के लिहाज से बीते कुछ दशकों में प्रशांत किशोर शायद अपने किस्‍म के इकलौते बाहरी हैं जो इ...
20/11/2025

भारतीय राजनीति के पारंपरिक अखाड़े के लिहाज से बीते कुछ दशकों में प्रशांत किशोर शायद अपने किस्‍म के इकलौते बाहरी हैं जो इतने धूम-धड़ाके और खर्चे-पानी के साथ पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने उतरे। बाकी बाहरियों से उलट, न तो उनके पास नरेंद्र मोदी जैसा संघ-पोषण था और न ही अरविंद केजरीवाल जैसी एनजीओ की पृष्‍ठभूमि। उन्‍होंने कुछ नेताओं के लिए चुनावी रणनीति जरूर बनाई थी, लेकिन अपने मामले में गच्‍चा खा गए। क्‍यों? गोविंदगंज सीट की दिलचस्‍प कहानी के सहारे केवल एक दाने से पूरा भात कच्‍चा रह जाने का आकलन कर रहे हैं अंकित दुबे

भारतीय राजनीति के पारंपरिक अखाड़े के लिहाज से बीते कुछ दशकों में प्रशांत किशोर शायद अपने किस्‍म के इकलौते बाहरी हैं जो इ...
20/11/2025

भारतीय राजनीति के पारंपरिक अखाड़े के लिहाज से बीते कुछ दशकों में प्रशांत किशोर शायद अपने किस्‍म के इकलौते बाहरी हैं जो इतने धूम-धड़ाके और खर्चे-पानी के साथ पार्टी बनाकर चुनाव लड़ने उतरे। बाकी बाहरियों से उलट, न तो उनके पास नरेंद्र मोदी जैसा संघ-पोषण था और न ही अरविंद केजरीवाल जैसी एनजीओ की पृष्‍ठभूमि। उन्‍होंने कुछ नेताओं के लिए चुनावी रणनीति जरूर बनाई थी, लेकिन अपने मामले में गच्‍चा खा गए। क्‍यों? गोविंदगंज सीट की दिलचस्‍प कहानी के सहारे केवल एक दाने से पूरा भात कच्‍चा रह जाने का आकलन कर रहे हैं अंकित दुबे

https://followupstories.com/politics/why-prashant-kishor-missed-the-political-bus-in-bihar/

Ankit Dubey

जन सुराज के 99 प्रतिशत से ज्‍यादा प्रत्‍याशियों की जमानत का जब्‍त होना दिखाता है कि पार्टी ने चौतरफा गोविंदगंज जैस.....

एक दौर में अपनी छात्र-युवा शक्ति के बल पर इस देश में संपूर्ण क्रांति का नारा देने वाला बिहार बीस साल से एक अदद सरकार तक ...
19/11/2025

एक दौर में अपनी छात्र-युवा शक्ति के बल पर इस देश में संपूर्ण क्रांति का नारा देने वाला बिहार बीस साल से एक अदद सरकार तक नहीं बदल पा रहा है जबकि युवाओं की समस्‍याएं दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही हैं। इस बार सभी राजनीतिक दलों ने युवाओं से रोजगार आदि का वादा किया था, लेकिन चुनाव जब जमीन पर उतरा तो सारी कहानी जातिगत ध्रुवीकरण का शिकार हो गई। जो दल जीता, उसने ‘जंगलराज’ का डर दिखाकर वोट खींच लिए। हर बार यही होता है और हर बार बिहार का नौजवान ठगा जाता है। चुनाव नतीजों के बाद विपक्ष के कुछ युवाओं से बातचीत के आधार पर अखिलेश यादव की टिप्‍पणी

एक दौर में अपनी छात्र-युवा शक्ति के बल पर इस देश में संपूर्ण क्रांति का नारा देने वाला बिहार बीस साल से एक अदद सरकार तक ...
19/11/2025

एक दौर में अपनी छात्र-युवा शक्ति के बल पर इस देश में संपूर्ण क्रांति का नारा देने वाला बिहार बीस साल से एक अदद सरकार तक नहीं बदल पा रहा है जबकि युवाओं की समस्‍याएं दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही हैं। इस बार सभी राजनीतिक दलों ने युवाओं से रोजगार आदि का वादा किया था, लेकिन चुनाव जब जमीन पर उतरा तो सारी कहानी जातिगत ध्रुवीकरण का शिकार हो गई। जो दल जीता, उसने ‘जंगलराज’ का डर दिखाकर वोट खींच लिए। हर बार यही होता है और हर बार बिहार का नौजवान ठगा जाता है। चुनाव नतीजों के बाद विपक्ष के कुछ युवाओं से बातचीत के आधार पर अखिलेश यादव की टिप्‍पणी

https://followupstories.com/politics/why-voters-could-not-mobilise-on-the-issues-of-youth-in-bihar/

बिहार की छात्र-युवा आबादी जो देश में राजनीतिक रूप से सबसे ज्‍यादा सक्रिय है, नीतिगत रूप से सबसे ज्यादा उपेक्षित सम.....

ट्रम्‍प के राज वाले अमेरिका में उनके मुखर विरोधी और उग्र बदलावकारी राजनीति के नारे देने वाले एक युवा ज़ोहरान ममदानी के न...
11/11/2025

ट्रम्‍प के राज वाले अमेरिका में उनके मुखर विरोधी और उग्र बदलावकारी राजनीति के नारे देने वाले एक युवा ज़ोहरान ममदानी के न्‍यू यॉर्क शहर का मेयर बन जाने पर दुनिया भर में चर्चा हो रही है। ममदानी की इस उपलब्धि में अमेरिका के ट्रम्‍प समर्थक कामगारों और किसानों के लिए क्‍या कोई राजनीतिक संभावना छुपी है, जो पहले ही सत्ता से हताश चल रहे हैं? ममदानी अगर उस दिशा में कुछ करें, तो उन्‍हें सबसे बड़ा खतरा किससे होगा? प्रोजेक्‍ट सिंडिकेट के सौजन्‍य से ज़ीज़ेक का आकलन

ट्रम्‍प के राज वाले अमेरिका में उनके मुखर विरोधी और उग्र बदलावकारी राजनीति के नारे देने वाले एक युवा ज़ोहरान ममदानी के न...
11/11/2025

ट्रम्‍प के राज वाले अमेरिका में उनके मुखर विरोधी और उग्र बदलावकारी राजनीति के नारे देने वाले एक युवा ज़ोहरान ममदानी के न्‍यू यॉर्क शहर का मेयर बन जाने पर दुनिया भर में चर्चा हो रही है। ममदानी की इस उपलब्धि में अमेरिका के ट्रम्‍प समर्थक कामगारों और किसानों के लिए क्‍या कोई राजनीतिक संभावना छुपी है, जो पहले ही सत्ता से हताश चल रहे हैं? ममदानी अगर उस दिशा में कुछ करें, तो उन्‍हें सबसे बड़ा खतरा किससे होगा?

प्रोजेक्‍ट सिंडिकेट के सौजन्‍य से ज़ीज़ेक का आकलन

https://followupstories.com/politics/what-victory-of-zohran-mamdani-implies-for-the-political-left/

चुनावी लोकतंत्र को तब तक गले लगाइए जब तक वह काम कर रहा है लेकिन जब हालात मांग करें तो लोकप्रिय गोलबंदी या और भी ज्‍य.....

बिहार में पहले चरण का मतदान सिर पर है। विपक्षी महागठबंधन ने इस बीच अपने मैनिफेस्‍टो में किसानों के लिए मंडी सिस्‍टम यानी...
04/11/2025

बिहार में पहले चरण का मतदान सिर पर है। विपक्षी महागठबंधन ने इस बीच अपने मैनिफेस्‍टो में किसानों के लिए मंडी सिस्‍टम यानी APMC कानून को वापस लाने का वादा किया है, जिसे कोई बीस साल पहले खत्‍म कर दिया गया था। APMC के बगैर बिहार के दो दशक पर डॉक्टर गोपाल कृष्ण का विश्लेषण

https://followupstories.com/money/two-decades-of-failed-agricultural-policy-and-revival-of-apmc-law-in-bihar/

बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान सिर पर है। विपक्षी महागठबंधन ने इस बीच अपना मैनिफेस्‍टो जारी किया और आ...
03/11/2025

बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान सिर पर है। विपक्षी महागठबंधन ने इस बीच अपना मैनिफेस्‍टो जारी किया और आश्‍चर्यजनक रूप से किसानों के लिए मंडी सिस्‍टम यानी एपीएमसी कानून को वापस लाने का वादा किया है, जिसे कोई बीस साल पहले खत्‍म कर दिया गया था। मूलत: कृषि-प्रधान एक सूबे के लिए चुनावी घोषणा के स्‍तर पर ही सही, यह कदम स्‍वागतयोग्‍य है जो अनियंत्रित बाजार में सरकारी हस्‍तक्षेप और भूमिका की दोबारा जगह बनाता है। एपीएमसी कानून को निरस्‍त किए जाने के बाद बिहार की विफल कृषि नीतियों और बदहाल किसानों पर डॉ. गोपाल कृष्‍ण का विश्‍लेषण

बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान सिर पर है। विपक्षी महागठबंधन ने इस बीच अपना मैनिफेस्‍टो जारी किया और आ...
03/11/2025

बिहार में विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण का मतदान सिर पर है। विपक्षी महागठबंधन ने इस बीच अपना मैनिफेस्‍टो जारी किया और आश्‍चर्यजनक रूप से किसानों के लिए मंडी सिस्‍टम यानी एपीएमसी कानून को वापस लाने का वादा किया है, जिसे कोई बीस साल पहले खत्‍म कर दिया गया था। मूलत: कृषि-प्रधान एक सूबे के लिए चुनावी घोषणा के स्‍तर पर ही सही, यह कदम स्‍वागतयोग्‍य है जो अनियंत्रित बाजार में सरकारी हस्‍तक्षेप और भूमिका की जगह बनाता है। एपीएमसी कानून को निरस्‍त किए जाने के बाद बिहार की विफल कृषि नीतियों और बदहाल किसानों पर डॉ. गोपाल कृष्‍ण का विश्‍लेषण

बिहार में विपक्षी दलों के घोषणापत्र में किए गए एपीएमसी संबंधी वादे की रोशनी में दो दशक की खेतीबाड़ी और किसानों की .....

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