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बहुत लंबे समय तक लैंगिकता के प्रश्‍न का अध्‍ययन औरतों को केंद्र में रखकर किया गया। आज भी भारतीय नारीवाद खुद को ज्‍यादातर...
09/10/2025

बहुत लंबे समय तक लैंगिकता के प्रश्‍न का अध्‍ययन औरतों को केंद्र में रखकर किया गया। आज भी भारतीय नारीवाद खुद को ज्‍यादातर औरतों के सवालों तक ही सीमित रखता है, हालांकि पुरुषों को समझने के लिए उनको केंद्र में लाने का चलन पश्चिम में काफी पहले शुरू हो चुका था। सबाल्‍टर्न इतिहासकार ज्ञानेंद्र पाण्‍डेय की इस साल आई नई किताब ‘मेन ऐट होम’ भारत की कुछ नायकीय विभूतियों के घरेलू व्‍यवहार की पड़ताल कर के घर और बाहर के बीच मर्दानगी की फांक को समझने की कोशिश करती है। इस किताब की समीक्षा अतुल उपाध्‍याय ने की है, जो लोकसंगीत में मर्दानगी के तत्‍वों पर खुद शोध कर रहे हैं

https://followupstories.com/ideas/exploring-masculinity-in-and-out-of-home-through-autobiographies-book-review-gyanendra-pandey/

बहुत लंबे समय तक लैंगिकता के प्रश्‍न का अध्‍ययन औरतों को केंद्र में रखकर किया गया। आज भी भारतीय नारीवाद खुद को ज्‍यादातर...
09/10/2025

बहुत लंबे समय तक लैंगिकता के प्रश्‍न का अध्‍ययन औरतों को केंद्र में रखकर किया गया। आज भी भारतीय नारीवाद खुद को ज्‍यादातर औरतों के सवालों तक ही सीमित रखता है, हालांकि पुरुषों को समझने के लिए उनको केंद्र में लाने का चलन पश्चिम में काफी पहले शुरू हो चुका था। सबाल्‍टर्न इतिहासकार ज्ञानेंद्र पाण्‍डेय की इस साल आई नई किताब ‘मेन ऐट होम’ भारत की कुछ नायकीय विभूतियों के घरेलू व्‍यवहार की पड़ताल कर के घर और बाहर के बीच मर्दानगी की फांक को समझने की कोशिश करती है। इस किताब की समीक्षा अतुल उपाध्‍याय ने की है, जो लोकसंगीत में मर्दानगी के तत्‍वों पर खुद शोध कर रहे हैं

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राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ सौ साल का हो गया। ठीक उसी दिन, जब महात्‍मा गांधी की जयन्‍ती थी और दशहरा भी था। बीते लोकसभा चुन...
03/10/2025

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ सौ साल का हो गया। ठीक उसी दिन, जब महात्‍मा गांधी की जयन्‍ती थी और दशहरा भी था। बीते लोकसभा चुनाव के बाद वाले एकाध महीने छोड़ दें, तो सौवें साल में संघ-शीर्ष तकरीबन शांत मुद्रा में ही रहा। यह मुद्रा विजयादशमी के एक दिन पहले वाकई राजकीय मुद्रा में तब्‍दील हो गई। गांधी-हत्‍या के बाद जिसे खोटा माना गया था, संघ का वह सिक्‍का 77 साल बाद चल निकला। भारतीय राष्‍ट्र-राज्‍य, लोकतंत्र, संविधान और सत्ताधारी दल के लिए इसके क्‍या निहितार्थ हो सकते हैं? पहले भी संघ पर यहां लिखने वाले व्‍यालोक ताजा संदर्भ में एक बार फिर रोशनी डाल रहे हैं

https://followupstories.com/politics/what-100-years-of-rss-means-for-the-bjp-and-indian-state/

Vyalok Pathak

क्या सत्ता और विचारधारा का समन्वय स्थायी संरचना बना पाएगा? यह समन्वय भारतीय राजनीति को स्थिरता देगा या सत्ता के के...

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ सौ साल का हो गया। ठीक उसी दिन, जब महात्‍मा गांधी की जयन्‍ती थी और दशहरा भी था। बीते लोकसभा चुन...
03/10/2025

राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ सौ साल का हो गया। ठीक उसी दिन, जब महात्‍मा गांधी की जयन्‍ती थी और दशहरा भी था। बीते लोकसभा चुनाव के बाद वाले एकाध महीने छोड़ दें, तो सौवें साल में संघ-शीर्ष तकरीबन शांत मुद्रा में ही रहा। यह मुद्रा विजयादशमी के एक दिन पहले वाकई राजकीय मुद्रा में तब्‍दील हो गई। गांधी-हत्‍या के बाद जिसे खोटा माना गया था, संघ का वह सिक्‍का 77 साल बाद चल निकला। भारतीय राष्‍ट्र-राज्‍य, लोकतंत्र, संविधान और सत्ताधारी दल के लिए इसके क्‍या निहितार्थ हो सकते हैं? पहले भी संघ पर यहां लिखने वाले व्‍यालोक ताजा संदर्भ में एक बार फिर रोशनी डाल रहे हैं

भारत की संसद ने 12 अगस्‍त को आय कर कानून, 2025 पारित किया था। इसके बाद मीडिया में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी कि टैक्‍स अधिक...
01/10/2025

भारत की संसद ने 12 अगस्‍त को आय कर कानून, 2025 पारित किया था। इसके बाद मीडिया में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी कि टैक्‍स अधिकारी अब अपने विस्‍तारित अधिकारों का दुरुपयोग कर के कहीं पत्रकारों के स्रोतों को उजागर न करने लगें, उनकी निगरानी न करने लग जाएं और वित्तीय अपराधों के आरोपों से उन्‍हें निशाना न बनाने लग जाएं। इस संदर्भ में कमेटी टु प्रोटेक्‍ट जर्नलिस्‍ट्स (सीपीजे) की सोमी दास ने सरकार की मीडिया पर बढ़ती हुई निगरानी और नए कर कानून के निहितार्थों पर इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अपार गुप्‍ता से बात की है।

भारत की संसद ने 12 अगस्‍त को आय कर कानून, 2025 पारित किया था। इसके बाद मीडिया में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी कि टैक्‍स अधिक...
01/10/2025

भारत की संसद ने 12 अगस्‍त को आय कर कानून, 2025 पारित किया था। इसके बाद मीडिया में यह चर्चा जोर पकड़ने लगी कि टैक्‍स अधिकारी अब अपने विस्‍तारित अधिकारों का दुरुपयोग कर के कहीं पत्रकारों के स्रोतों को उजागर न करने लगें, उनकी निगरानी न करने लग जाएं और वित्तीय अपराधों के आरोपों से उन्‍हें निशाना न बनाने लग जाएं। इस संदर्भ में कमेटी टु प्रोटेक्‍ट जर्नलिस्‍ट्स (सीपीजे) की सोमी दास ने सरकार की मीडिया पर बढ़ती हुई निगरानी और नए कर कानून के निहितार्थों पर इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन के अपार गुप्‍ता से बात की है।

नया कर कानून तलाशी अभियान के दौरान अधिकारियों को ईमेल, क्‍लाउड अकाउंट और एनक्रिप्‍टेड उपकरणों को देखने के एकतरफा ....

बिहार में सभी दलों की चुनावी सवारी तैयार खड़ी है। फिलहाल हांक लगाई जा रही है। महीना भर बच रहा है मतदान को, जो राष्ट्रीय ...
17/09/2025

बिहार में सभी दलों की चुनावी सवारी तैयार खड़ी है। फिलहाल हांक लगाई जा रही है। महीना भर बच रहा है मतदान को, जो राष्ट्रीय सरकार तक की किस्मत तय कर सकता है। पचहत्तर साल के प्रधानमंत्री और हाइड्रोजन बम वाले नेता विपक्ष के बीच अटके बिहार का सूरत-ए-हाल

https://followupstories.com/politics/bihar-assembly-elections-2025-curtain-raiser-from-ground/

ऐसा लगा कि समय से पहले ही राहुल गांधी ने एक यात्रा निकाल कर बिहार में चुनावी माहौल जमा दिया था, लेकिन अब उसका असर छीजता ...
17/09/2025

ऐसा लगा कि समय से पहले ही राहुल गांधी ने एक यात्रा निकाल कर बिहार में चुनावी माहौल जमा दिया था, लेकिन अब उसका असर छीजता दिख रहा है। तेजस्‍वी अपने दम पर अकेले एक नई यात्रा निकाल रहे हैं; मोदी-नीतीश योजनाएं और पैकेज देने में जुट गए हैं; तो विपक्ष की हवा बनाने वाला चुनाव आयोग का एसआइआर 7 अक्‍टूबर तक अदालत में फंस गया है। इस बीच लोग क्‍या सोच रहे हैं? बीस साल से कायम सत्ता की यथास्थिति टूटने की क्‍या कोई भी संभावना है? लगातार आठ दिन चौबीस घंटे बिहार की सड़कों को नाप कर दिल्‍ली लौटे गौरव गुलमोहर का बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर एक पूर्वावलोकन

ऐसा लगा कि समय से पहले ही राहुल गांधी ने एक यात्रा निकाल कर बिहार में चुनावी माहौल जमा दिया था, लेकिन अब उसका असर छीजता ...
17/09/2025

ऐसा लगा कि समय से पहले ही राहुल गांधी ने एक यात्रा निकाल कर बिहार में चुनावी माहौल जमा दिया था, लेकिन अब उसका असर छीजता दिख रहा है। तेजस्‍वी अपने दम पर अकेले एक नई यात्रा निकाल रहे हैं; मोदी-नीतीश योजनाएं और पैकेज देने में जुट गए हैं; तो विपक्ष की हवा बनाने वाला चुनाव आयोग का एसआइआर 7 अक्‍टूबर तक अदालत में फंस गया है। इस बीच लोग क्‍या सोच रहे हैं? बीस साल से कायम सत्ता की यथास्थिति टूटने की क्‍या कोई भी संभावना है?

लगातार आठ दिन चौबीस घंटे बिहार की सड़कों को नाप कर दिल्‍ली लौटे गौरव गुलमोहर का बिहार विधानसभा चुनाव 2025 पर एक पूर्वावलोकन

(कहानी का लिंक कमेंट बॉक्स में)

हिंदी को लेकर आम हिंदीभाषियों में बहुत सी गलत धारणाएं और भ्रम हैं। जाहिर है, यह इतिहासबोध के अभाव और गौरवबोध के संकट के ...
14/09/2025

हिंदी को लेकर आम हिंदीभाषियों में बहुत सी गलत धारणाएं और भ्रम हैं। जाहिर है, यह इतिहासबोध के अभाव और गौरवबोध के संकट के चलते हुआ है। एक ओर अंग्रेजी और दूसरी ओर उर्दू के प्रति दोहरा विद्वेष जो संस्‍कृतनिष्‍ठ हिंदी और संस्‍कृत के प्रति मोह को जन्‍म देता है, ऐतिहासिक रूप से गलत जमीन पर खड़ा है। भाषाविद् डॉ. पेगी मोहन ने अपनी किताब "Wanderers, Kings, Merchants: The Story of India through Its Languages” में हिंदी और उर्दू के कभी एक होने और फिर जुदा हो जाने के इतिहास पर बाकायदे एक अध्‍याय लिखा है! हिंदी दिवस पर वहीं से कुछ अहम अंश

हिंदी को लेकर आम हिंदीभाषियों में बहुत सी गलत धारणाएं और भ्रम हैं। जाहिर है, यह इतिहासबोध के अभाव और गौरवबोध के संकट के ...
14/09/2025

हिंदी को लेकर आम हिंदीभाषियों में बहुत सी गलत धारणाएं और भ्रम हैं। जाहिर है, यह इतिहासबोध के अभाव और गौरवबोध के संकट के चलते हुआ है। एक ओर अंग्रेजी और दूसरी ओर उर्दू के प्रति दोहरा विद्वेष जो संस्‍कृतनिष्‍ठ हिंदी और संस्‍कृत के प्रति मोह को जन्‍म देता है, ऐतिहासिक रूप से गलत जमीन पर खड़ा है। भाषाविद् डॉ. पेगी मोहन ने अपनी किताब "Wanderers, Kings, Merchants: The Story of India through Its Languages” में हिंदी और उर्दू के कभी एक होने और फिर जुदा हो जाने के इतिहास पर बाकायदे एक अध्‍याय लिखा है! हिंदी दिवस पर वहीं से कुछ अहम अंश

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