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1526 की गर्मियों की एक सुबह, पानीपत का मैदान — जो कभी एक वीरान सा इलाका था — अब इतिहास की सबसे निर्णायक लड़ाइयों में से ...
05/08/2025

1526 की गर्मियों की एक सुबह, पानीपत का मैदान — जो कभी एक वीरान सा इलाका था — अब इतिहास की सबसे निर्णायक लड़ाइयों में से एक का गवाह बनने वाला था।

पानीपत का मैदान तैयार था।
एक तरफ इब्राहीम लोदी — जिसके पास क़रीब एक लाख की सेना थी, उसकी सेना में हाथी थे, घोड़े थे, लाखों सैनिकों की मौजूदगी थी, और उसकी सेना सत्ता के घमंड से भरी थी।
दूसरी ओर बाबर — जिसके जिसके पास सिर्फ 12 हज़ार सैनिक थे, न तो संख्या थी, न ही ज़मीन की जड़ें।
लेकिन… उसके पास था युद्ध का फन, वक़्त की नब्ज़, और तुर्की की तोपें।

बाबर जानता था —
सीधा टकराव करना आत्महत्या जैसा होगा।
तो उसने चुना वो रास्ता, जो हिंदुस्तान के लिए नया था… लेकिन उसके लिए पहचाना हुआ — तुर्क-मंगोल शैली की युद्ध रणनीति।

बाबर ने अपने शिविर को लड़ाई से कई दिन पहले ही जमाया।
उसने फौज को तीन हिस्सों में बांटा —
मध्य भाग, और दोनों तरफ पंखों की तरह फैले दो दल।
इस तकनीक को वो "तुलूग़मा" कहता था — जहाँ दुश्मन को सामने से उलझाकर, बाजू से घेर लिया जाता है।

लेकिन इससे भी ज़्यादा चौंकाने वाली थी — उसकी तोपख़ाना तकनीक।

बाबर ने अपनी तोपों को ऐसे खाईनुमा गड्ढों में गाड़ा, कि वो दुश्मन की नज़रों से छिपी रहें।
इन तोपों को उस्ताद अली क़ुली नामक तोपची चला रहा था — एक ऐसा योद्धा जो बारूद और लोहे की भाषा बोलता था।

फिर बनाई गई एक लकड़ी और बैलगाड़ियों की दीवार, जिन्हें रस्सियों से जोड़ा गया — जैसे एक बाड़।
इस "रस्सी से बंधे दुर्ग" के पीछे बाबर की फौज छिपी रही।

लोदी ने हाथियों से हमला करवाया —
गरजते हुए, भारी पैरों से ज़मीन कंपाते हुए हाथी आगे बढ़े।
लेकिन जैसे ही वो तोपों के दायरे में आए —
धरती काँपी, धुआं उठा, और लोदी की पंक्तियाँ टूट गईं।

हाथी बेकाबू हो गए, अपने ही सैनिकों को रौंदने लगे।
लोदी की सेना में भगदड़ मच गई।

अब बाबर ने अपने दोनों किनारों की फौज — बायाँ और दायाँ दल — को आदेश दिया:
"घेर लो!"
और इस तरह लोदी की फौज एक दायरे में फँस गई —
आगे से तोपें, पीछे से घुड़सवार, और बीच में फँसे सिपाही।

इब्राहीम लोदी का घमंड चकनाचूर हुआ।

ये कोई साधारण लड़ाई नहीं थी।
ये एक दिमाग़ की जीत थी।
एक ऐसा युद्ध, जहाँ बाबर ने साबित किया कि युद्ध की दिशा तलवारें नहीं, सोच तय करती है।

उसने बारूद से ज़्यादा बुद्धि पर यक़ीन किया।
और वही बना उसकी पहचान —
एक योद्धा नहीं, एक विजेता।
एक तैमूरी शहज़ादा नहीं, हिंदुस्तान का बादशाह।

~ Md Iqbal

जब जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह जी स्वर्ग सिधार गए और उनका रानीवाश अफगानिस्तान से जोधपुर लौट रहा था तब दिल्ली के बादशाह ...
05/08/2025

जब जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह जी स्वर्ग सिधार गए और उनका रानीवाश अफगानिस्तान से जोधपुर लौट रहा था तब दिल्ली के बादशाह औरंगजेब ने उन्हें जोधपुर जाने से रोक दिया और दिल्ली बुलवा लिया।
राठौड़ी सेना दिल्ली के षड्यंत्र को समझ चुकी थी लेकिन दिल्ली ने जोधपुर भी अपनी सेना भेज पूरा बंदोबस्त कर रखा था,मजबूरन जोधपुर के राजपरिवार को दिल्ली जाना पड़ा।

औरंगजेब जसवंत सिंह जी के उत्तराधिकारी अजित सिंह पर गलत दृष्टि रखता था,मारवाड़ पर तो उसकी कुदृष्टि थी है अब जसवंत सिंह जी के न होने और बाल उत्तराधिकारी के होने का वो पूर्ण लाभ लेना चाहता था।
षडयंत्र की बू दिन ब दिन दिल्ली की हवाओं में फेल रही थी, जो राठौड़ी दल को बेचैन कर रही थी।
राज ने राठौड़ी सेना को भी अपने घरों को लौट जाने का आदेश दे दिया था,लेकिन मारवाड़ के विश्वस्त लोग राज का रुख जान गए थे,दुर्गादास के नेतृत्व में एक दल दिल्ली में ही राजपरिवार की सुरक्षा के लिए रुका रहा।

एक दल दिल्ली के आस पास के गांवों में बिखर गया जिसे संकट काल में सहायता के लिए बुलाया जा सकें।
और बाकी के साथियों को विदा किया और जोधपुर पर लगे राज के थाने की खबर रखने को कहा गया।
राज के षड्यंत्र का शिकंजा धीरे धीरे कसता जा रहा था, आखिर वो दिन आ ही गया जिस दिन का राठौड़ी तलवारों को इंतजार था,जसवंत सिंह जी की हवेली को राज के सैनिकों ने घेर लिया औऱ अजित सिंह को उन्हें सौपने का फरमान सुनाया..राठौड़ी रणबंके शत्रु का सर कुचलना भलीभांति जानते थे...

लेकिन युद्ध का परिणाम ईश्वर ही जानता है उन्हें यही चिंता थी कि अगर परिणाम अकुशल रहा तो रानीवाश का क्या होगा,बाहर शत्रु की ललकार और भीतर रजपूती म्यान में देख रानीवाश भी समझ गया कि वीरों के पथ की बाधा कौन है,जौहर के संसाधनों की कमी ने उन वीरांगनाओं के हौसले कमजोर नही किए बल्कि और बढ़ा दिए।
शत्रु के हाथ लज्जित हो मरने से बेहतर उन्हें अपनों की तलवारों से मरना स्वर्गगमन जैसा लगा।
माताओं ने निज धरा के भाल को ऊंचाईयां देने शीश वीरों की खडग के आगे अर्पण कर दिए।
सुरों का प्रसव सुख भोगने वाली माताएं किसी शूरवीर से कम नही होती।

ईश्वर आज इम्तहान ले रहा था रजपूती का जिसमें माँ और बेटे दोनों अव्वल थे,चाहे हमारी धरा नही रही लेकिन धरा के ध्वज इन्हीं बलिदानों के बूते हवा में सदैव लहराते रहें। शमशीरों में इतना साहस कहा जो क्षत्राणियों के शीश उतार सकें,माताओं ने स्वयं पुत्रों का हाथ पकड़ अपने शीश मातृभूमि के चरणों में अर्पित कर दीए,रक्त से रंगे हाथ तन में ज्वाला जगा रहें थे..मातृ ऋण से उऋण होने का प्रण पिला रहें थे,हवेली का द्वारा खोल वीर सिंघों की भांति अरी दल पर टूट पड़े।

माँ दुर्गा का जय जय कार सुन शत्रु के सीने बैठ रहें थे। बिजली सी चमकती शमशीरों ने शत्रु दल के थे मुंड उतार लिए..कुछ भागे कुछ मर छुटे,मारवाड़ का रास्ता साफ हुआ और राठौड़ी सेना ने हवेली को आग के हवाले कर जोधाणे का रुख किया,औरंगजेब के मंसूबों पर पानी फिर गया।
दुर्गादास के नेतृत्व में राठौड़ी सेना ने वो कर दिखाया जिसका किसी को अंदाजा भी नही था..हमारे भी कुछ भाई काम आए,माताओं ने अपना बलिदान दिया लेकिन रजपूती झुकी नही लड़ी..और ये लड़ाई सालों चली अंत में दिल्ली झुकी और मारवाड़ पर पचरंगा लहराया।

वीर दुर्गादास राठौड़ जन्म जयंती 13 अगस्त
( 07 दिन शेष ) जन्म भूमि { सालवा कल्ला }

जय वीर दुर्गादास राठौड़ 🚩

उदयपुर के संस्थापक, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी के पूज्य पिताश्री, महाराणा उदय सिंह जी (द्वितीय) की जयंती पर उन्हें को...
05/08/2025

उदयपुर के संस्थापक, वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप जी के पूज्य पिताश्री, महाराणा उदय सिंह जी (द्वितीय) की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।

हुवा नह ही होवसी, बंका नर बैजोड़ ।कटक मुगल रा कांपता, रंग चन्द्रा राठौड़ ।। #जयंतीमुगल सत्ता को जीवन भर चुनौती देने वाले...
05/08/2025

हुवा नह ही होवसी, बंका नर बैजोड़ ।
कटक मुगल रा कांपता, रंग चन्द्रा राठौड़ ।।

#जयंती

मुगल सत्ता को जीवन भर चुनौती देने वाले महान स्वाभिमानी योद्धा, मारवाड़ के भूले-बिसरे राजा, मारवाड़ के महाराणा प्रताप, आख़िरी श्वास तक स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले राव चंद्रसेन जी राठौड़ की जयंती पर उन्हें कोटि-कोटि नमन।

राजपूताने का दुर्भाग्य रहा है कि महाराणा सांगा, महाराणा राजसिंह जी, राव चंद्रसेन जी जैसे महावीरों को विश्वासघातियों ने उस समय ज़हर दिया, जब वे मुग़लिय सत्ता से संघर्ष की चरम सीमा पर थे

राव चन्द्रसेन का जन्म 30 जुलाई, 1541 ई. को हुआ था। राव चन्द्रसेन के पिता का नाम राव मालदेव था। राव चन्द्रसेन जोधपुर, राजस्थान के राव मालदेव के छठे पुत्र थे। लेकिन फिर भी उन्हें मारवाड़ राज्य की सिवाना जागीर दे दी गयी थी, पर राव मालदेव ने उन्हें ही अपना उत्तराधिकारी चुना था। राव मालदेव की मृत्यु के बाद राव चन्द्रसेन सिवाना से जोधपुर आये 1619 को जोधपुर की राजगद्दी पर बैठे।

चन्द्रसेन के जोधपुर की गद्दी पर बैठते ही उनके बड़े भाइयों राम और उदयसिंह ने राजगद्दी के लिए विद्रोह कर दिया। राम को चन्द्रसेन ने सैनिक कार्यवाही कर मेवाड़ के पहाड़ों में भगा दिया और उदयसिंह, जो उसके सहोदर थे, को फलौदी की जागीर देकर संतुष्ट कर दिया। राम ने अकबर से सहायता ली। अकबर की सेना मुग़ल सेनापति हुसैन कुली ख़ाँ के नेतृत्व में राम की सहायता के लिए जोधपुर पहुंची और जोधपुर के क़िले मेहरानगढ़ को घेर लिया। आठ महीनों के संघर्ष के बाद राव चन्द्रसेन ने जोधपुर का क़िला ख़ाली कर दिया और अपने सहयोगियों के साथ भाद्राजूण चले गए और यहीं से अपने राज्य मारवाड़ पर नौ वर्ष तक शासन किया। भाद्राजूण के बाद वह सिवाना आ गए।

1627 को बादशाह अकबर जियारत करने अजमेर गए वहां से वह नागौर चले गए , जहाँ सभी राजपूत राजा उससे मिलने पहुंचे। राव चन्द्रसेन भी नागौर पहुंचा, पर वह अकबर की फूट डालो नीति देखकर वापस लौट आया। उस वक्त उसका सहोदर उदयसिंह भी वहां उपस्थित था, जिसे अकबर ने जोधपुर के शासक के तौर पर मान्यता दे दी। कुछ समय बाद मुग़ल सेना ने भाद्राजूण पर आक्रमण कर दिया, पर राव चन्द्रसेन वहां से सिवाना के लिए निकल गए। सिवाना से ही राव चन्द्रसेन ने मुग़ल क्षेत्रों, अजमेर, जैतारण, जोधपुर आदि पर छापामार हमले शुरू कर दिए। राव चन्द्रसेन ने दुर्ग में रहकर रक्षात्मक युद्ध करने के बजाय पहाड़ों में जाकर छापामार युद्ध प्रणाली अपनाई। अपने कुछ विश्वास पात्र साथियों को क़िले में छोड़कर खुद पिपलोद के पहाड़ों में चले गए और वहीं से मुग़ल सेना पर आक्रमण करके उनकी रसद सामग्री आदि को लूट लेते। बादशाह अकबर ने उनके विरुद्ध कई बार बड़ी सेनाएं भेजीं, पर अपनी छापामार युद्ध नीति के बल पर राव चन्द्रसेन अपने थोड़े से सैनिको के दम पर ही मुग़ल सेना पर भारी रहे।

संवत 1632 में सिवाना पर मुग़ल सेना के आधिपत्य के बाद राव चन्द्रसेन मेवाड़, सिरोही, डूंगरपुर और बांसवाड़ा आदि स्थानों पर रहने लगे। कुछ समय के बाद वे फिर शक्ति संचय कर मारवाड़ आए और संवत 1636 श्रावण में सोजत पर अधिकार कर लिया। उसके बाद अपने जीवन के अंतिम वर्षों में राव चन्द्रसेन ने सिवाना पर भी फिर से अधिकार कर लिया था। अकबर उदयसिंह के पक्ष में था, फिर भी उदयसिंह राव चन्द्रसेन के रहते जोधपुर का राजा बनने के बावजूद भी मारवाड़ का एकछत्र शासक नहीं बन सका। अकबर ने बहुत कोशिश की कि राव चन्द्रसेन उसकी अधीनता स्वीकार कर ले, पर स्वतंत्र प्रवृत्ति वाला राव चन्द्रसेन अकबर के मुकाबले कम साधन होने के बावजूद अपने जीवन में अकबर के आगे झुके नहीं और विद्रोह जारी रखा।

11 जनवरी, 1581 (विक्रम संवत 1637 माघ सुदी सप्तमी) को मारवाड़ के महान् स्वतंत्रता सेनानी का सारण सिचियाई के पहाड़ों में 39 वर्ष की अल्पायु में उनका स्वर्गवास हो गया।

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वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने चावण्ड, आवरगढ़ आदि दुर्गों का निर्माण करवाया, लेकिन इनका नाम अपने नाम पर नहीं रखा।महाराणा प...
05/08/2025

वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप ने चावण्ड, आवरगढ़ आदि दुर्गों का निर्माण करवाया, लेकिन इनका नाम अपने नाम पर नहीं रखा।

महाराणा प्रताप ने कई दुर्ग जीते, लेकिन उन दुर्गों का भी नाम बदलकर अपने नाम पर नहीं रखा।

महाराणा प्रताप के सान्निध्य में चक्रपाणि मिश्र ने 4 ग्रंथ लिखे, जिसमें महाराणा प्रताप की प्रशंसा में कुछ नहीं मिलता। यदि महाराणा प्रताप चाहते, तो अपने लिए अलग से ग्रंथ लिखवा सकते थे।

ये महाराणा प्रताप के जीवन का ऐसा पहलू है, जो सिद्ध करता है कि महाराणा को स्वयं के नाम व प्रशंसा में कोई रुचि नहीं थी। उनके लिए मेवाड़ की स्वतंत्रता व स्वाभिमान सर्वोपरि था।

बोकारो के जनभावनाओ से इस्पात मंत्री को अवगत कराने के लिए कुमार अमित ने सांसद ढुलू महतो का जताया आभारसांसद ढुलू महतो द्वा...
05/08/2025

बोकारो के जनभावनाओ से इस्पात मंत्री को अवगत कराने के लिए कुमार अमित ने सांसद ढुलू महतो का जताया आभार

सांसद ढुलू महतो द्वारा केन्द्रीय इस्पात मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी से मिल कर बोकारो की जनभावनाओं से अवगत कराने के लिए कुमार अमित ने सांसद के प्रति आभार जताया है। मंगलवार को सांसद श्री ढुलू महतो ने इस्पात मंत्री से मिलकर बोकारो स्टील प्लांट के प्रस्तावित विस्तारीकरण को प्रारंभ करने, बीजीएच को सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने एवं विस्थापित अप्रेंटिस संघ के प्रशिक्षित बेरोज़गारों को नियोजित करने सहित अनेक विषयों से अवगत कराते हुए उन्हे पुरा करने की माँग की है। इसके लिए यहाँ की जनता सांसद के प्रति आभारी है। कुमार अमित ने कहा कि ये माँगे बोकारो की जनता की भावनाएँ है जिसके पुरा होने से विस्थापित सहित स्थानीय बेरोज़गारों को रोज़गार का अवसर उपलब्ध होगा, बेहतर चिकित्सीय सुविधाएं उपलब्ध होगीं और बोकारो के विकास का मार्ग प्रशस्त होगा। भाजपा के स्थानीय सांसद श्री ढुलू महतो बोकारो के विकास को लेकर लगातार प्रयासरत है। यहाँ की जनता भी सांसद के साथ खड़ी है।

◆ खान सर ने चुपचाप खरीदी 99 कट्ठा ज़मीन!◆ पटना से आरा तक मचा हड़कंप!◆ क्या बनने जा रहा है कुछ बड़ा? सस्पेंस बरकरार!मशहूर...
05/08/2025

◆ खान सर ने चुपचाप खरीदी 99 कट्ठा ज़मीन!
◆ पटना से आरा तक मचा हड़कंप!
◆ क्या बनने जा रहा है कुछ बड़ा? सस्पेंस बरकरार!

मशहूर यूट्यूबर और शिक्षक खान सर एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं। इस बार वजह उनका कोई नया वीडियो या कोचिंग क्लास नहीं, बल्कि एक बड़ी ज़मीन की खरीद है।

दरअसल, बिहार के भोजपुर जिले में खान सर ने 99 कट्ठा ज़मीन ख़रीदी है। ज़मीन की रजिस्ट्री बिल्कुल गुप्त तरीके से करवाई गई। लेकिन जैसे ही यह ख़बर बाहर आई, पटना से लेकर आरा तक चर्चाओं का बाज़ार गर्म हो गया।

🔥 लोगों के मन में कई सवाल:

क्या खान सर कोई नया एजुकेशनल प्रोजेक्ट शुरू करने वाले हैं?

क्या यह सिर्फ़ निवेश है या बनेगा कोई विशाल कॉलेज?

आख़िर उन्होंने इतनी बड़ी ज़मीन चुपचाप क्यों खरीदी?

इन सवालों का जवाब फ़िलहाल किसी के पास नहीं है... और यही सस्पेंस को और भी ज़्यादा रोमांचक बना रहा है।
अब सबकी नजरें टिकी हैं सिर्फ़ खान सर के अगले कदम पर!

#खानसर #पटना #आरा

05.08.2025 को क्षेत्राधिकारी महोबा श्री रविकान्त गोड़ द्वारा अग्निशमन विभाग, रेडियो शाखा, रिट सेल एवं परिवहन शाखा का मास...
05/08/2025

05.08.2025 को क्षेत्राधिकारी महोबा श्री रविकान्त गोड़ द्वारा अग्निशमन विभाग, रेडियो शाखा, रिट सेल एवं परिवहन शाखा का मासिक निरीक्षण किया गया।
अग्निशमन वाहनों को रेडी पोजीशन में रखने, मॉक ड्रिल कराने, वायरलेस सेट/बैटरी की नियमित चेकिंग, रिट प्रकरणों का समयबद्ध निस्तारण, वाहनों के रिकॉर्ड व रिपेयरिंग/नीलामी कार्य नियमानुसार करने के निर्देश दिए गए।
सभी शाखाओं को पारदर्शिता, समयबद्धता व गुणवत्ता बनाए रखने हेतु निर्देशित किया गया।

◆ कासगंज, जिलाधिकारी का औचक निरीक्षण, ◆ कई अफसर गैरहाज़िर, चेतावनी के आदेशजिलाधिकारी प्रणय सिंह ने आज तहसील सदर कासगंज, ...
05/08/2025

◆ कासगंज, जिलाधिकारी का औचक निरीक्षण,
◆ कई अफसर गैरहाज़िर, चेतावनी के आदेश

जिलाधिकारी प्रणय सिंह ने आज तहसील सदर कासगंज, उप निबंधक कार्यालय व आपूर्ति विभाग का औचक निरीक्षण कर प्रशासनिक लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई। कई अधिकारी-कर्मचारी अनुपस्थित मिले, वहीं कार्यालयों की सफाई व्यवस्था भी बेहद खराब पाई गई।

🔍 निरीक्षण विवरण:

उपजिलाधिकारी कार्यालय: एसडीएम संजीव कुमार सहित पेशकार और आशुलिपिक अनुपस्थित मिले।

तहसीलदार न्यायालय: तहसीलदार बलवंत उपाध्याय व कई अन्य अधिकारी गैरहाज़िर।

राजस्व विभाग: निरीक्षक नीरज शर्मा निरीक्षण के दौरान नहीं मिले, बाद में पहुंचे।

नायब तहसीलदार: सुमित कुमार व गरिमा सिंह भी गैरहाज़िर पाए गए।

उप निबंधक कार्यालय: उप निबंधक मनोज विश्वकर्मा व कनिष्ठ सहायक अनुपस्थित।

आपूर्ति कार्यालय: क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी उदयराज मौजूद नहीं थे, सफाई व्यवस्था असंतोषजनक।

📌 जिलाधिकारी ने सभी संबंधित अधिकारियों को 3 दिन के भीतर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। अनुपस्थितों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

देश में पिछले एक दशक में तेज आर्थिक विकास के साथ-साथ सीआईएसएफ की अहमियत भी बढ़ती जा रही है। 2014 में सीआईएसएफ में एक लाख...
05/08/2025

देश में पिछले एक दशक में तेज आर्थिक विकास के साथ-साथ सीआईएसएफ की अहमियत भी बढ़ती जा रही है। 2014 में सीआईएसएफ में एक लाख आठ हजार जवान थे, जिनकी संख्या बढ़कर एक लाख 62 हजार हो चुकी है और गृह मंत्रालय ने अब इसे बढ़ाकर दो लाख 20 हजार करने की अनुमति दे दी है।

👉🏿👉🏿 इसके लिए सीआईएसएफ ने अगले पांच सालों तक हर साल 14 हजार नए जवानों की नियुक्ति की योजना बनाई है। सीआईएसएफ की गठन देश के औद्योगिक, सामरिक, हवाई अड्डों, मेट्रो और परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए किया गया था। बाद में अर्थव्यवस्था में अहम योगदान करने वाली निजी क्षेत्र की इकाइयों को भी इसमें शामिल कर लिया गया।

05/08/2025

्तराखंड_में_बड़ी_आपदा :
◆ उत्तरकाशी के धराली में फटा बादल
◆ कई लोग लापता

👉🏿👉🏿 धराली (उत्तरकाशी) क्षेत्र में बादल फटने की घटना अत्यंत दुखद और हृदयविदारक है। इस आपदा में हुए जन-धन के नुकसान से मन अत्यंत व्यथित है।

👉🏿👉🏿 राहत व बचाव कार्यों में SDRF, NDRF, जिला प्रशासन व अन्य एजेंसियां पूरी गंभीरता और तत्परता के साथ लगी हुई हैं।

🙏 ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी सुरक्षित रहें और इस आपदा से प्रभावित लोगों को शीघ्र राहत मिले

◆:-- घटना के बाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें इलाके में आई बाढ़ और मलबे से हुए भारी नुकसान को साफ़ देखा जा सकता है। स्थानीय प्रशासन और आपदा राहत टीमें मौके पर पहुंच गई हैं और बचाव कार्य जारी है।

◆:-- आपदा की भयावहता को देखकर प्रशासन ने लोगों से सुरक्षित स्थानों पर जाने की अपील की है। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस की टीमें राहत-बचाव अभियान में जुटी हुई हैं।

◆:-- अधिकारियों ने बताया कि स्थिति पर नजर रखी जा रही है और जल्द ही विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी। मौसम विभाग ने राज्य के कुछ हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी भी जारी की है।

◆:-- यह घटना राज्य में मानसून के दौरान होने वाली आपदाओं की गंभीरता को एक बार फिर उजागर करती है।

#उत्तराखंड #आपदा #उत्तरकाशी #धराली #बदलाफ़टा #बादल_फटना #उत्तराखण्ड #उत्तरकाशी #धरालीआपदा #उत्तराखण्डपुलिस

माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के निर्देश पर मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के उपाध्यक्ष श्री बंश...
05/08/2025

माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी जी के निर्देश पर मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) के उपाध्यक्ष श्री बंशीधर तिवारी जी ने समीक्षा बैठक कर स्पष्ट निर्देश दिए कि सरकारी जमीनों पर किसी भी प्रकार के अवैध निर्माण, कब्जा या प्लॉटिंग को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

एमडीडीए द्वारा अब सेक्टर वाइज सघन निरीक्षण अभियान चलाया जाएगा। सचल दस्ते गठित कर सभी क्षेत्रों में नियमित गश्त की जाएगी और जहां भी अवैध निर्माण पाया गया, वहां तत्काल सीलिंग या ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की जाएगी। संवेदनशील क्षेत्रों जैसे गंगा नदी के किनारे, आईएमए, डीआरडीओ व हाईटेंशन लाइन के नीचे बन रही इमारतों पर विशेष सतर्कता रखी जाएगी। साथ ही, सभी व्यवसायिक भवनों में वाटर कंजर्वेशन सिस्टम की जांच भी अनिवार्य रूप से की जाएगी।

अवैध प्लॉटिंग के खिलाफ जनता को जागरूक किया जाएगा ताकि क्रय-विक्रय न हो और लोगों को आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके। इस अभियान में लापरवाह अधिकारियों की भी व्यक्तिगत जवाबदेही तय की जाएगी।

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