30/08/2025
मनुष्य जीवन का बड़ा ही मार्मिक चित्रण, कौन कहां तक साथ जाता है कोई भी साथ नहीं जाता, ध्यान दें, जय श्री राम
साथी हैं मित्र गंग के जल बिन्दु पान तक!
अर्धांगिनी चलेगी केवल मकान तक !!
परिवार के सब लोग चलेंगे श्मसान तक !
और बेटा भी हक निभाएगा केवल अग्नि दान तक !!
इसके बाद क्या होगा ?
इससे तो आगे सफर है अकेला,दो दिन की जिंदगी है दो दिन का मेला ----- !!
जीवन के इस सत्य को हम और आप सभी भली-भांति जानते हैं ,जो भी जीव इस धरा धाम पर आया है वह एक दिन इस लोक से अवश्य ही जाता है।
जीव जब यहां से जाता है तो वह अपने करमों का अनुगमन करता है अर्थात उसके कर्म आगे आगे चलते हैं और जीव उसके पीछे पीछे जाता है । जैसा बोया वैसा ही पाया।।
इस सत्य को हम और आप सब जानते हैं रोजाना ऐसी सत्य
घटनायें हमें सुनने और देखने को अक्सर मिल जाती हैं।
लेकिन जब आप गहराई में उतर कर इन शब्दों को पढ़ेंगे, यह तो आपका मन ही जान पायेगा।। सभी प्रियजनों को सादर प्रणाम
यह संतों की बाणीं है।
चार दिनों की प्रीत जगत में, चार दिनों के नाते हैं।
पलकों के परदे गिरते ही, सब नाते मिट जाते हैं।।
घर के स्वामी के जाने पर, घर की शुद्धि कराते हैं।
पिंडदान कर प्रेतात्मां से ,अपना पिंड छुटाते हैं।।
चार दिनों की प्रीत जगत में, चार दिनों के नाते हैं।।
जो पिता जीवन भर अपने परिवार के लिए क्या क्या नहीं करता।
लैकिन आंखें बन्द होते ही, आप और हम सभी इस सत्य को भली
प्रकार से जानते हैं।
पत्नीं घर के दरवाजे तक ।
बेटा अग्नि दान तक ।
नाते रिश्तेदार गांव वाले केवल श्मशान तक।
इससे तो आगे सफर है अकेला।
हृदय विदारक शब्द हैं।।
गया आदि में पिंडदान करने के बाद यह कह कर आते हैं कि तुम
अब यहीं पर रहो वहां पर मत आना।।
जय श्री राम 🙏 🙏 🚩
जय हो श्री हनुमान जी महाराज 🚩 🔱 🙏 🙏 🚩