
21/08/2025
शास्त्र की आज्ञा है वाणी में सबसे बड़ा दोष माना गया है।
वांणिलेनिं करोति सम पुरुषा या संस्कृतं धारयते ।
श्रीयंते खल भूषणानि सतम् वाक भूषणं भूषणं।।
हमारी वांणी ही सबसे मुख्य है प्रधान है
वांणी में सबसे बड़ा दोष माना गया है।
क्या आप जानते हैं कि हमारे मुख में क्या है ?
हमारे मुख में अगिनी है।
मुख में जीभ है। जिससे हम सारे रसों को लेते हैं।
मुख में वरुण देव भी रहते हैं।
मुख में ही भगवती सरस्वती का वास है।
जिस वांणी में हमारे अगिनी है, सरस्वती हैं और वरुण देवता हैं और उसी वांणी से जब हम किसी को गाली देते हैं अपशब्द बोलते हैं उस समय हमारे द्वारा तीनों देवताओं का सरस्वती,अगिनी और वरुण देव का भयंकर अपराध होता है जो अक्षम्य है
इसलिए कभी भी किसी को भूलकर भी अपशब्द नहीं बोलना चाहिए।
बोली एक अमोल है जो कोई बोले जानि।
हिये तराजू तौलकर तब मुख बाहर आनि।।
हृदय की तराजू में शब्दों को तौलकर के ही मुख से बाहर लाना चाहिए , शब्दों का कोई मोल नहीं होता शब्द अनमोल होते हैं।।
इस लिये भईया व्यक्ति को जीवन में हमेशा ही
दिमाग को मस्त ,शरीर को दुरुस्त ,
जेब को कड़क और आंखों में शालीनता ।
मुख में ठंड, हृदय में प्रेम,
क्रोध पर नियंत्रण और होटों पर मुस्कान,
करके देख लो जीवन बदल जायेगा।
रन वन व्याधि विपत्ति में जहां रहे यह देह।
तुलसी सीताराम सों लगयौ चाहिए नेह ।।
जय जय श्री सीताराम।।
श्री सीताराम जी महाराज की जय हो 🙏 🙏 🚩
श्री हनुमान जी महाराज की जय हो 🙏 🙏 🚩 ❤️