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ओस-भीगी दूब पर घूमने से केवल नेत्रों की ज्योति ही नहीं बढ़ती, मन-मस्तिष्क में भी ऐसी तरावट आती है कि सारा दिन आदमी तनाव-...
16/07/2025

ओस-भीगी दूब पर घूमने से केवल नेत्रों की ज्योति ही नहीं बढ़ती, मन-मस्तिष्क में भी ऐसी तरावट आती है कि सारा दिन आदमी तनाव-मुक्त होकर काम कर सकता है। 

~ मन्नू भंडारी

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हौसला 🌻🌻
15/07/2025

हौसला 🌻🌻

शाबाश   क़िस्मत तो देख टूटी है जा कर कहाँ कमंदकुछ दूर अपने हाथ से जब बाम रह गया~ क़ाएम चाँदपुरीFollow -  👀Like Share Comm...
15/07/2025

शाबाश

क़िस्मत तो देख टूटी है जा कर कहाँ कमंद
कुछ दूर अपने हाथ से जब बाम रह गया

~ क़ाएम चाँदपुरी

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पूरी ग़ज़ल 🌿❤️🌻दिल में इक लहर सी उठी है अभीकोई ताज़ा हवा चली है अभीकुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भीऔर ये चोट भी नई है अभीश...
12/07/2025

पूरी ग़ज़ल 🌿❤️🌻

दिल में इक लहर सी उठी है अभी
कोई ताज़ा हवा चली है अभी

कुछ तो नाज़ुक मिज़ाज हैं हम भी
और ये चोट भी नई है अभी

शोर बरपा है ख़ाना-ए-दिल में
कोई दीवार सी गिरी है अभी

भरी दुनिया में जी नहीं लगता
जाने किस चीज़ की कमी है अभी

तू शरीक-ए-सुख़न नहीं है तो क्या
हम-सुख़न तेरी ख़ामुशी है अभी

याद के बे-निशाँ जज़ीरों से
तेरी आवाज़ आ रही है अभी

शहर की बे-चराग़ गलियों में
ज़िंदगी तुझ को ढूँडती है अभी

सो गए लोग उस हवेली के
एक खिड़की मगर खुली है अभी

तुम तो यारो अभी से उठ बैठे
शहर में रात जागती है अभी

वक़्त अच्छा भी आएगा 'नासिर'
ग़म न कर ज़िंदगी पड़ी है अभी।

- नासिर काज़मी

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सिर्फ सैलरी ही सबकुछ नहीं होती, लोग तब भी नौकरी छोड़ देते हैं जब उन्हें सम्मान और महत्व नहीं मिलता.- वॉरेन बफेटFollow - ...
11/07/2025

सिर्फ सैलरी ही सबकुछ नहीं होती, लोग तब भी नौकरी छोड़ देते हैं जब उन्हें सम्मान और महत्व नहीं मिलता.

- वॉरेन बफेट

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अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,साजन आए, सावन आया।धरती की जलती साँसों नेमेरी साँसों में ताप भरा,सरसी की छाती दरकी तोकर घाव गई...
11/07/2025

अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,
साजन आए, सावन आया।

धरती की जलती साँसों ने
मेरी साँसों में ताप भरा,
सरसी की छाती दरकी तो
कर घाव गई मुझपर गहरा,

है नियति-प्रकृति की ऋतुओं में
संबंध कहीं कुछ अनजाना,
अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,
साजन आए, सावन आया।
तुफान उठा जब अंबर में
अंतर किसने झकझोर दिया,
मन के सौ बंद कपाटों को
क्षण भर के अंदर खोल दिया,

झोंका जब आया मधुवन में
प्रिय का संदेश लिए आया-
ऐसी निकली ही धूप नहीं
जो साथ नहीं लाई छाया।
अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,
साजन आए, सावन आया।
घन के आँगन से बिजली ने
जब नयनों से संकेत किया,
मेरी बे-होश-हवास पड़ी
आशा ने फिर से चेत किया,

मुरझाती लतिका पर कोई
जैसे पानी के छींटे दे,
ओ' फिर जीवन की साँसें ले
उसकी म्रियमाण-जली काया।
अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,
साजन आए, सावन आया।
रोमांच हुआ जब अवनी का
रोमांचित मेरे अंग हुए,
जैसे जादू की लकड़ी से
कोई दोनों को संग छुए,

सिंचित-सा कंठ पपीहे का
कोयल की बोली भीगी-सी,
रस-डूबा, स्वर में उतराया
यह गीत नया मैंने गाया
अब दिन बदले, घड़ियाँ बदलीं,
साजन आए, सावन आया।

- हरिवंशराय बच्चन

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नौकरी की तलाश में,पैसो की तंगी में,घर का बड़े बेटे होने में,अक्सर अपने घर को भूल जाया करते है।पत्नी के तानो में, बेटा-बेट...
10/07/2025

नौकरी की तलाश में,
पैसो की तंगी में,
घर का बड़े बेटे होने में,
अक्सर अपने घर को भूल जाया करते है।

पत्नी के तानो में,
बेटा-बेटी की सिफ़ारिशो में,
काम की थकावट में,
अक्सर माँ-बाप को भूल जाया करते है।

शिक्षा के लिए प्रस्थान में,
प्रेमी पड़ गया प्रेम में,
इज्जत की रौब में,
अक्सर मित्रों को भूल जाया करते है।

शक्ति की अधिकता में,
मतलब पूरा हो जाने में,
रिश्तों की अडचनों में,
अक्सर वायदों को भूल जाया करते है।

चाय की चुसकी में,
मां की थपकी में,
घर के बिस्तर में,
अक्सर थकान को भूल जाया करते है।

- मानस जैन

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माँ से मिलकर लौट रहा हूँ माँ मुझसे मिलकर लौट नहीं पाती होगी।~ पंकज त्रिपाठीFollow 👉  👀                                  ...
10/07/2025

माँ से मिलकर लौट रहा हूँ
माँ मुझसे मिलकर लौट नहीं पाती होगी।

~ पंकज त्रिपाठी

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आप सभी को गुरू पूर्णिमा की ढेरों शुभकामनाएं 🙏🙏गुरूब्रह्मा गुरूविष्णु: गुरु देवो महेश्वर:। गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श...
10/07/2025

आप सभी को गुरू पूर्णिमा की ढेरों शुभकामनाएं 🙏🙏

गुरूब्रह्मा गुरूविष्णु: गुरु देवो महेश्वर:।
गुरु: साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।।

- स्कंद पुराण

भावार्थ: गुरू ही ब्रह्मा है, गुरू ही विष्णु है, गुरू ही शंकर है। गुरू ही प्रत्यक्ष ब्रह्म है। ऐसे श्री गुरू को मैं नमस्कार करता हूं।

😍♥️♥️ #गुरुपूर्णिमा

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